Kahani Pyar ki - 46 in Hindi Fiction Stories by Dr Mehta Mansi books and stories PDF | कहानी प्यार कि - 46

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कहानी प्यार कि - 46

संजना ने अपनी आंखे खोली... वो हॉस्पिटल के एक कमरे में बेड पर लेटी हुई थी...

" सिस्टर में यहां कैसे आ गई ? और मेरे हसबैंड कहा है ? "

" आप बेहोश हो गई थी .. इसीलिए आपको यहां लाए है और चिंता मत करिए आपके हसबेंड बाहर ही वैट कर रहे है ..."

ये सुनकर संजू बेड से उठकर बाहर जाने के लिए खड़ी हुई....

" रुकिए ... मैम आप अभी बाहर नहीं जा सकती... "

" पर मेरे हसबैंड मेरा वैट कर रहें होंगे...."

" हमने उनको पहले ही कह दिया है... आपके कुछ रिपोर्ट्स अभी आने बाकी है फिर आप जा सकती है "

" कितनी देर लगेगी ? "

" बस कुछ ही मिनिट...."
नर्स ने मुस्कुराते हुए कहा और वो अपना काम करने लगी...

अनिरूद्ध बाहर संजना की फिक्र में इधर से उधर चक्कर लगाए जा रहा था... उसे समझ नही आ रहा था की अचानक संजना को क्या हो गया ...!

तभी डॉक्टर रिपोर्ट्स लेकर अनिरुद्ध के पास आए..

" क्या हुआ डॉक्टर .... मेरी संजू को क्या हुआ है ? "
अनिरूद्ध से अब सब्र नहीं हो रहा था ..उसे मन ही मन बहुत सारे नकारात्मक विचार आने लगे थे ... उसकी वजह से वो और भी ज्यादा टेंशन में लग रहा था...

" अरे आप शांत रहिए... और इतना टेंशन मत लीजिए .."
डॉक्टर ने अनिरुद्ध को ऐसे परेशान देखकर कहा...

" वहा मेरी संजू बेहोश हो गई है और आप कह रहे है की में टेंशन ना लू...! " अनिरूद्ध गुस्से में बोला..

" देखिए अनिरुद्ध जी आपकी वाइफ को कुछ नही हुआ है... "

" तो फिर मेरी संजू को क्या हुआ है ? " अनिरूद्ध की चिंता और भी बढ़ गई थी...

" आपकी वाइफ प्रेगनेंट है.... वो मां बनने वाली है और आप पापा ...." डॉक्टर ने मुसकुराते हुए कहा...

अनिरूद्ध को तो जैसे यह सुनकर शॉक्ड लगा था... उसके चहेरे पर कोई भाव ही नही आया...

" क्या कहा आपने डॉक्टर ? "

" मैने कहा की आप पापा बनने वाले है... "
अनिरूद्ध ने यह सुनकर एक बार अपना कान साफ किया और फिर से पूछा...

" एक बार फिर से कहिए.... मुझे कोई वहम तो नही हो रहा है ना ? "

" नही मि अनिरुद्ध .... आप सच में पापा बनने वाले है.... संजना प्रेगनेंट है...."

" में पापा....! सुना आप सब ने में पापा बनने वाला हु...." अनिरूद्ध ने उछलते हुए जोर से कहा... उसकी खुशी का ठिकाना नहीं था.... खुशी के आंसू उसकी आंखों से बहने लगे ......

" सुना सौरभ तुमने में पापा बनने वाला हु...."
अनिरूद्ध ने सौरभ के पास जाते हुए कहा....

" हा मेरे भाई मैने सुना...congratulations... "
सौरभ अनिरुद्ध के गले लग गया...

" जा अब संजना से भी मिल ले...."

ये सुनते ही अनिरुद्ध संजना के रूम की और भागा...

" अरे संभलकर ...! पागल ... कहिका..." सौरभ ने हस्ते हुए कहा... उसकी आंखों में भी खुशी के आंसू आ गए थे...

अनिरूद्ध ने जोर से दरवाजा खोला और भागते हुए संजना के पास आकर बैठ गया....

" क्या हुआ अनिरुद्ध ...? तुम भाग कर क्यों आए...? "

अनिरूद्ध हांफ रहा था ...
" ये क्या अनिरुद्ध ... तुम्हारी आंखों में आंसू...? क्या हुआ ? "

ये सुनते ही अनिरुद्ध ने संजू को गले लगा लिया...

" ये तो खुशी के आंसू है ... "

" खुशी के आंसू ? ये क्या बोल रहे हो तुम ? " संजना को अब भी कुछ समझ नही आ रहा था..

" संजू तुम प्रेगनेंट हो...."
अनिरुद्ध ने संजना को अभी भी अपने सीने से लगाए रखा था...

" तुम सच कह रहे हो...? "

" हा संजू... तुम मां बनने वाली हो और में पापा..."
ये सुनते ही संजना भी रोने लगी....

अनिरूद्ध मुसकुराते हुए उसके माथे पर हाथ फेर रहा था...
" बस बस ... संजू...शी... " अनिरूद्ध ने प्यार से संजना को शांत करते हुए कहा...

" अनिरूद्ध ये मेरी लाइफ की सबसे बेस्ट न्यूज है... और ये पल मेरे लिए आज तक का सबसे खूबसूरत पल है..."

" मेरे लिए भी.... "

दोनो कुछ वक्त तक एक दूसरे को सीने से लगाए बैठे थे... दोनो की आंखे बंध और चहेरे पर मुसकुराहट के साथ सुकून भी था...इतनी बड़ी खुशखबरी सुनकर दोनो जैसे होश ही खो बैठे थे... आज कई दिनों बाद ऐसी खुशी उनके लाइफ में आई थी...

संजना और अनिरुद्ध की इस प्यारी सी खबर सुनकर एक बहुत अच्छा गाना याद आ रहा है 🥰

" तेरे सपनो का संसार , संवर ने वाला है ,
सुना है ! आसमान से चांद उतरने वाला है ,
अपने आंगन में सितारों को सजाए रखना ,
अपनी गोद में बहारो को बचाए रखना ,
हां एक नन्हा सा मेहमान आने वाला है ,
हां एक नन्हा सा मेहमान आने वाला है।
गोरी तेरे पिया तो , तुजसे बड़े ही खुश रहते होंगे,
हर पल कदम कदम पे तेरा खयाल बड़ा रखते होंगे ,
हा उनको भी कोई पापा , अब तो कहने वाला है ,
हा एक नन्हा सा मेहमान आने वाला है । "

सारे चेक अप के बाद डॉक्टर ने संजना को डिस्चार्ज दे दिया था... संजना और अनिरुद्ध हॉस्पिटल के कमरे से जाने ही वाले थे की किंजल भागती हुई वहा आई...

" Congratulatios .... "
किंजल संजना और अनिरुद्ध का हाथ पकड़कर उनको घुमाने लगी....

" बस बस किंजल....." अनिरूद्ध ने किंजल को रोकते हुए कहा...

" ओह सोरी सोरी संजू... पर में इतनी ज्यादा खुशी को कंट्रोल ही नही कर पाई....."
किंजल हस्ती हुई बोली और संजना के गले लग गई...

" में आज तुम दोनो के लिए बहुत बहुत ज्यादा खुश हु... "
हस्ते हस्ते किंजल रो पड़ी...

" अरे ! पगली ... रो क्यों रही है "
संजना ने उसके आंसू पोंछे...

" नही कुछ नही.... "

" चलो अब हमे घर भी तो जाना है ..." अनिरूद्ध ने दोनो बहनों को याद दिलाते हुए कहा ..

यह सुनकर दोनो बहने अलग हुई... किंजल ने संजना का हाथ पकड़ लिया..

" चलो...." किंजल ने कहा और दोनो एक दूसरे का हाथ पकड़कर चलने लगे ... अनिरूद्ध तो उन्हे जाता हुआ देखता ही रह गया...


" कमाल है...! बहन के आते ही पति को भूल गई ! "
अनिरूद्ध मुंह बिगाड़ते हुए बोला.. और फिर उन दोनो के पीछे पीछे चलने लगा...

करन भी संजना और अनिरुद्ध के लिए बहुत खुश था... करन ने भी दोनो को बहुत सारी बधाईयां दी... वो भी उनकी खुशी में शामिल होकर उनके साथ घर जाना चाहता था पर उसे अब भी डिस्चार्ज नही मिला था तो वो चाहकर भी नही जा सका...

इस वक्त करन अकेला था...वो खुश तो था पर सिर्फ अनिरुद्ध और संजना के लिए... उसके खुद के लिए तो वो बहुत दुखी था... करन जो भी हुआ था उसके लिए खुद को जिम्मेदार समझ रहा था... उसे लग रहा था की मोनाली से बड़ा क्राइम उससे हुआ था... उसने ही अपने दोस्तो पर भरोसा नहीं किया था ना ही उनकी कभी बात सुनी... ऊपर से बदले की आग में उसने अनिरुद्ध के साथ क्या कुछ नही किया ? यह सब उसे खाए जा रहा था... उसकी गिल्ट उसे तोड़े जा रही थी... इसी वजह से करन ने मोनाली पर केस नही किया... इस वक्त उसे सबसे ज्यादा अपने मम्मी पापा की याद आ रही थी... जो कैनेडा ही रहते थे...

करन जब भी मुसीबत में होता था उसके पापा उसके साथ होते थे...उसके पापा बचपन से ही उसके बेस्टफ्रेंड थे..वो हमेशा हर बात में करन की साइड लेते थे...
करन ने बिना कुछ सोचे अपने पापा को कॉल लगाया...

इस तरफ संजना , अनिरुद्ध , किंजल और सौरभ ओब्रॉय मेंशन पहुंचे...
जैसे ही दरवाजा खुला... संजना पर फूलों की बरसात हुई....

अनुराधा जी , अखिल जी , दादी , मनीष चाचू , वैशाली चाची , सब वही पर थे...

अनुराधा जी आरती की थाली लेकर दरवाजे के पास आई और फिर संजना और अनिरुद्ध की आरती उतारी...

आरती के बाद दोनो ने सब बड़े के पैर छुए और सब ने दोनो को ढेर सारी बधाईयां और भर भर के आशीर्वाद दिए ...अनुराधा जी ने सब को अपने हाथो से मिठाई खिलाई....

सौरभ ने बढ़िया सा गाना ऑन किया और गाने की धुन पर सब खुशी से नाच रहे थे.... वैशाली मुंह बिगाड़े हुए वही खड़ी खड़ी देख रही थी.... संजना बीच में खड़ी होकर ताली बजा रही थी.. वैशाली कुछ सोचते हुए उन सब के बीच जाकर नाचने लगी...

वो जानबूजकर संजना जहा खड़ी थी उसके पीछे आई और नाचते हुए जनबुजाकर उसके साथ टकराई....
संजना को पीछे से धक्का लगने की वजह से वो गिरने ही वाली थी की अनिरुद्ध ने उसे पकड़ लिया....

" आर यू ओके? "

" हा अनिरुद्ध ...."

" स्टॉप " अनिरूद्ध गुस्से में चिल्लाया...

यह सुनते ही सब वही रुक गए.... सौरभ ने तुरंत गाना बंध कर दिया....

" क्या हुआ अनिरुद्ध ...? " अखिल जी ने पूछा...

" अंकल अभी संजू को किसीका धक्का लगा ... वो गिरने ही वाली थी... वो तो अच्छा हुआ की मैं वही उसके पास खड़ा था... नही तो...! "

" कोई बात नही अनिरुद्ध ... में ठीक हु " संजना ने अनिरुद्ध को शांत करते हुए कहा...

" नही संजू... तुम्हें कुछ हो जाता तो...? प्लीज आप लोग ध्यान रखिए... संजू का खयाल रखना अब हमारी जिम्मेदारी है.. चलो संजू ... " अनिरूद्ध का मुंह उतर गया था वो संजना का हाथ पकड़कर उसे ऊपर ले गया...

सब अनिरुद्ध और संजना को जाते हुए देख रहे थे....वैशाली मन ही मन खुश हो रही थी...

" अनिरूद्ध सही तो बोल रहा था... संजना बेटा का ध्यान रखने की जिम्मेदारी अब हमारी है...तो सब लोग जरा संभलकर पैर चलाना... " दादी ने आखरी लाइन वैशाली की तरफ देखते हुए कही... और फिर वहा से चली गई..

" जी मां... " अनुराधा जी ने कहा और फिर सब अपने अपने काम में लग गए...

🥰 क्रमश: 🥰