Kahani Pyar ki - 45 in Hindi Fiction Stories by Dr Mehta Mansi books and stories PDF | कहानी प्यार कि - 45

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कहानी प्यार कि - 45

आज हॉस्पिटल में करन का दूसरा दिन था...
करन को अकेला ना लगे इसलिए अनिरुद्ध , संजना और किंजल करन के पास ही रुके हुए थे...

तभी वहा कमरे में मोहित दाखिल हुआ...

" हाय करन ...कैसे हो ? "

" अब बहुत अच्छा महसूस कर रहा हु..."

" धेट्स गुड... ये लो में तुम सब के लिए गर्मा गर्म नाश्ता लेके आया हु... "

" थैंक यू मोहित ...." अनिरूद्ध ने मुसकुराते हुए कहा..

मोहित ने सब को नाश्ता सर्व किया ...

और फिर बाहर पानी लेने जाने लगा...
मोहित तेज कदमों से आगे बढ़ रहा था तभी एक लड़की भागती हुई मोहित के साथ टकरा गई...

" आई एम सोरी.." उस लड़की ने जल्दबाजी में कहा तभी उसकी नजर मोहित पर गई... दोनो एक दूसरे को हैरानी से देख रहे थे...

" तुम ठीक तो हो ? " मोहित ने उससे नजरे हटाते हुए कहा..

" हा..." उसने धीरे से कहा..और जाने लगी...

" अंजली ....." मोहित ने उसे आवाज लगाई...

अंजली वही पर रुक गई...

मोहित उसके पास गया...

" तुम ऐसे जल्दबाजी में कहा जा रही हो...? "

यह सुनते ही अंजली घबरा गई .. वो जिस वजह से यहां आई थी वो मोहित को बता नही सकतीं थी...

" नही वो बस किसीको ढूंढ रही थी..." इतना बोलकर वो वहा से चली गई...
मोहित बस उसे जाते हुए देख रहा था...

इस तरफ़ कुछ गार्ड्स करन के रूम का दरवाजा खोलकर अंदर आ गए और वही खड़े हो गए...

" ये सब क्या हो रहा है ? " संजना को कुछ समझ नही आ रहा था ..

" देखिए आप कौन है ? और आप यहां हॉस्पिटल में किसी के भी कमरे में इस तरह कैसे आ सकते है ? "
अनिरूद्ध ने उनके पास जाते हुए कहा...

" देखिए हम अपना काम कर रहे है... इन्हे मिलने हमारे सर आ रहे है " एक बॉडीगार्ड ने अनिरुद्ध को जवाब दिया।

" आपके सर कौन है ? " करन ने उस गार्ड से पूछा...

" वो बस आते ही होगे...."

तभी ब्लू रंग के सूट में , आंखो पर गोगल्स लगाए .. और हाथ में गुलदस्ता लिए वो कमरे में एंटर हुआ...

उसे देखकर सब शॉक्ड थे...

" हाय अथर्व ... अथर्व मैथ्यूज...."
उसने करन के पास जाकर हाथ आगे बढ़ाते हुए कहा..

" हाय करन शर्मा...! "

" आई एम वेरी सोरी करन... फॉर माय सिस्टर... पुलिस ने हमे सब बताया... प्लीज ये गुलदस्ता आप मेरी तरफ से एक्सेप्ट कीजिए ..." अथर्व ने गुलदस्ता करन को देते हुए कहा...

" थैंक यू..."

" मुझे जरा भी अंदाजा नही था की मेरी बहन कुछ गलत कर रही है नही तो में उसे ऐसा कुछ करने नही देता... पर आप से एक रिक्वेस्ट है आप प्लीज मेरी बहन को माफ कर दीजिए... अगर पुलिस उसे गिरफ्तार करेगी तो उसका पूरा करियर खत्म हो जाएगा..."

" ये आप क्या कह रहे हो मि. अथर्व ...? मोनाली ने इतना बड़ा क्राइम किया है और आप उसे बचाना चाहते है ? " अनिरूद्ध गुस्सा हो गया था...

" में जानता हु .. पर में अपनी बहन से भी बहुत प्यार करता हु... बस उसके लिए स्वार्थी बन रहा हु... "

" आप फिक्र मत कीजिए..में मोनाली पर कोई केस नही करूंगा...."

" व्हाट? करन तुम जानते हो की तुम क्या बोल रहे हो ? " अनिरूद्ध को यकीन नही हो रहा था की करन ने अभी अभी ऐसा कुछ कहा था....

" हा करन ये गलत है.... " संजना ने भी करन को रोकते हुए कहा...

किंजल चुप थी उसे समझ नही आ रहा था की आखिर करन के दिल और दिमाग में चल क्या रहा है ?

" में जानता हु की में क्या बोल रहा हु अनिरुद्ध... मुझे कोई केस नही करना है... में नही चाहता की उसका करियर खत्म हो जाए... मुझे बस अब इन सब बातो को भूल कर अपने आज पर फोकस करना है..."
करन की बात सुनकर कोई आगे कुछ नहीं बोल पाया...

" थैंक यू मि. करन...."

उसी वक्त अंजली अथर्व को ढूंढती हुई वहा पर आ पहुंची....
पर सामने संजना , अनिरूद्ध और किंजल को देखकर वो वही खंभे की तरह खड़ी हो गई...

" अंजलि तुम यहां पर क्यों आई ? " अथर्व ने अंजली को देखकर कहा...

" वो वो...." अंजली के मुंह से कोई शब्द नहीं निकल पा रहा था...

" हा अंजली तुम यहां क्या कर रही हो.. ?" संजना ने अंजली के पास जाकर पूछा..

" क्या आप लोग एक दुसरे को जानते हो ? "

" हा अंजली के पापा जतिन खन्ना और हम बिज़नेस पार्टनर है " अनिरूद्ध ने मुस्कुराते हुए कहा...

" ओह..! ये तो बहुत अच्छी बात है..."

" पर आप अंजली को कैसे जानते हो ? " संजना को यह बात कुछ हजम नही हो रही थी...

" वो अंजली मेरी...."
अथर्व आगे बोलने ही वाला था की अंजली ने अथर्व की बात काट दी...

" आप चलिए ना ... हमे देर हो रही है... भाभी... अनिरूद्ध... में आपको बाद में सब बताती हु..."
इतना कहकर अंजली अथर्व को अपने साथ ले गई...

तभी मोहित पानी लेकर उस तरफ आ रहा था...
अंजली अथर्व की बांह पकड़कर उसे ले जा रही थी तभी मोहित ने उन्हें जाते हुए देख लिया...

अंजली ने भी मोहित को सामने से आते हुए देखा तो उसने जट से अपना हाथ अथर्व की बाह परसे हटा दिया..
और नजरे जुकाये वहा से चली गई...

मोहित को यह देखकर अन्दर से बहुत बुरा लगा पर उसने अपने चहेरे पर एक भी भाव को आने नही दिया..
और वो वापस कमरे में आ गया...

अनिरूद्ध और संजना एक दूसरे की तरफ देखने लगे...
वो समझ गए थे की कुछ तो था जो अंजली उनसे छिपा रही थी...

" ये क्या था अंजली ? " अथर्व ने बाहर अंजली को रोकते हुए कहा...

" क्या ? "

" तुमने मुझे उनको बताने क्यों नही दिया ...? "

" वो वो तो में बाद में भी उनको बता दूंगी... पर आप वहा क्यों गए थे ? "

" वो मोनाली ने..."
अथर्व ने अंजली को पूरी बात बताई...

" ओह गॉड.. बिचारा करन....मोनाली को यह नही करना चाहिए था...! "

" हम... पर हम और कर भी क्या सकते है... चलो..."
अथर्व ने मायूस हो कर कहा और गाड़ी का डोर खोला..

अंजली गाड़ी में बैठ गई और अथर्व के साथ चली गई...

मोहित गहरे विचारो में खोया हुआ था... संजना और अनिरुद्ध कब से मोहित को नोटिस कर रहे थे...

" क्या लगता है भाई ने अंजली को अथर्व के साथ देखा होगा ? " संजना ने अनिरुद्ध को धीरे से पूछा।

" लगता तो है....पर अंजली अथर्व को कैसे जानती है ये समझ नही आ रहा है..."

" मुझे भी अनिरुद्ध ... मेरा तो यह सब सोचकर सिर ही चकरा रहा है....में अभी आती हु...."

संजना उठी और बाहर टहलने के लिए चली गई...

चलते चलते संजना के पैर लड़खड़ा ने लगे...
तो वो खड़ी हो गई....उसे चक्कर आ रहे थे..इसीलिए वो वही बेंच पर थोड़ी देर के लिए बैठ गई...

कुछ देर आराम करने के बाद अब उसे अच्छा लग रहा था.. इसीलिए वो खड़ी हुई और वापस अनिरुद्ध के पास जाने लगी...तभी उसे फिर से चक्कर आया और वो बेहोश होकर वही गिर गई....

( अगर आप को मेरी रचना पसंद आ रही है तो आप मुझे फोलो कर सकते है ताकि मेरी सभी रचना की नोटिफिकेशन आपको मिलती रहे... धन्यवाद....)

🥰 क्रमश: 🥰