Kahani Pyar ki - 44 in Hindi Fiction Stories by Dr Mehta Mansi books and stories PDF | कहानी प्यार कि - 44

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कहानी प्यार कि - 44

करन ने अपनी आंखे बंध करली थी....

अनिरूद्ध , सौरभ , मोहित , संजना और किंजल ने उसी वक्त करन को उठाया और हॉस्पिटल लेकर आए....

खून बहुत बह चुका था इसलिए करन को सीधा इमरजेंसी वार्ड में भर्ती कर दिया...

इस तरफ मोनाली गाड़ी लेकर वहा से भाग गई... कुछ ही देर में वहा पुलिस पहुंच गई और साजिद और उसके साथियों को भी पकड़ लिया .. पर मोनाली उनके हाथों से बच गई....

चोबीस घंटे हो चुके थे पर करन को अभी तक होश नही आया था।

अनिरूद्ध डॉक्टर के पास गया...
" डॉक्टर करन ठीक तो हो जायेगा ना ? "

" अभी कुछ कह नहीं सकते... क्योंकि करन को अभी तक होश नही आया है...अगर उसे होश आ जाए तो ही बचने की उम्मीद है ..."
डॉक्टर की बात सुनकर सब उदास हो गए।

किंजल दरवाज़े पर खड़ी करन को ही देख रही थी...

" किंजु करन को कुछ नही होगा ... प्लीज तुम यहां आकर बैठ जाओ..." संजना ने किंजल के कंधे पर हाथ रखते हुए कहा..

" नही तुमने ही तो कहा था की मुझे करन के पास रहना है उसे संभालना है.. अगर उसे होश आया तो में तुरंत उसके पास जा सकती हु ना..उसे तब मेरी ज्यादा जरूरत होगी.."

किंजल की मासूमियत देखकर संजना उससे कुछ कह नहीं पाई और वो अपनी जगह पर बैठ गई...

तभी किंजल की नजर करन की आंखो पर गई जो धीरे धीरे खुलने की कोशिश कर रही थी...

" करन ...." वो सीधा दरवाजा खोलकर अंदर चली गई..

किंजल को ऐसे जाता देखकर संजना और अनिरुद्ध भी अंदर की और भागे...

करन ने अपनी आंखे खोली और यह देखकर किंजल की आंखो से आंसू बहने लगे...
" अब तुम क्यों रो रही हो ? " करन धीरे से बोला..

" में रोऊ नही तो क्या करू?आज मेरी बिदाई जो है ! "
किंजल रोती रोती बोली..

" तुमसे भला किस बदकिस्मत ने शादी करली ? " करन धीरे से बोला...

यह सुनकर किंजल गुस्सा हो गई और मुंह फेरकर खड़ी हो गई .. और करन , अनिरूद्ध और संजना हसने लगे...

" अब कैसा लग रहा है ? "
अनिरूद्ध ने करन के पास बैठते हुए पूछा..

" अच्छा लग रहा है..."

तभी डॉक्टर आ गए...

" देखिए आप सभी बाहर जाइए .. हमे इनके कुछ चेक अप करने है .. और अभी इनको आराम की जरूरत है.. इसलिए उनसे ज्यादा बुलवाइए मत..."

" ठीक है डॉक्टर "
अनिरूद्ध ने कहा और वो बाहर चले गए...
किंजल ने एक बार मुड़कर करन की तरफ देखा तो करन ने स्माइल की... पर किंजल मुंह फुलाकर वहा से चली गई...

फिर डॉक्टर ने सब चेक अप किया ... सारे रिपोर्ट्स नॉर्मल आए । करन को अब सिर्फ कमजोरी थी बाकी वो ठीक था। डॉक्टर ने तीन दिन मॉनिटरिंग के लिए करन को हॉस्पिटल में ही रुकने को कहा...

रात को सब खाना लेकर करन से मिलने हॉस्पिटल पहुंचे... करन आंखे खुली रखे अपने ही विचारो में खोया हुआ था...

अनिरूद्ध करन के पास आया और उसके पास बैठा..

" करन अब तुम ठीक हो ? "

करन ने कुछ जवाब नही दिया.. उसकी आंखे नम हो गई....

" क्या हुआ मेरे भाई....? "

भाई शब्द सुनते ही करन की आंखे बहने लगी..

"मुझे माफ करदे मेरे भाई... मुझसे बहुत बड़ी गलती हो गई... में तेरी दोस्ती के लायक ही नहीं हू..."

" ऐसा मत बोल ... अब भाई बोल दिया है ना...! अब पुरानी सारी बातों को भूल जा..."

" कैसे भूलूं .. मैने तुम सब को कितना हर्ट किया है ... तुम सब का भरोसा तोड़ा है... "

" नही भाई... तुमने जानबूजकर कुछ नही किया है वो तो उस छिपकली ने तुमसे करवाया है...."
सौरभ ने करन के पास आकर कहा..

" सौरभ ...! " करन ने आंखे दिखाते हुए कहा..

" क्या अब भी में उसे छिपकली नही कह सकता क्या ? "
यह सुनकर करन को भी हसी आ गई...

" ये हुई ना बात..! ऐसे ही हस्ते रहो मेरे दोनो भाईयो... सुकून मिलता है..."
सौरभ के कहते ही तीनो दोस्त गले मिल गए...

यह देखकर संजना और किंजल के चहेरे पर भी मुसकुराहट आ गई थी।

फिर सब लोग बाते करने लगे...

" करन एक बात बताओ... तुम वहा इस जगह पर पहुंचे कैसे ? "
अनिरूद्ध का सवाल सुनकर करन ने किंजल की तरफ देखा...

जब किंजल से नाराज होकर करन घर चला गया.. तब किंजल ने वो रिकॉर्डिंग करन को वॉट्सएप करदी...

" प्लीज करन एक बार मुझ पर भरोसा करके देखो... हमारी दोस्ती के लिए प्लीज... एक बार रिकॉर्डिंग सुन लो..."
किंजल ने यह मेसेज करन को भेजा ...

रात को करन गुस्से में बैठा हुआ था.. किंजल का मेसेज देखकर भी वो उसे इग्नोर कर रहा था...
उसने बहुत कोशिश की खुद को रोकने की पर वो रुक नही पाया और उसने फोन उठाकर वो रिकॉर्डिंग ऑन करदी....

उसने ध्यान से रिकॉर्डिंग सुना... और वो यह सुनकर शॉक्ड था... उसे यकीन नही हो रहा था की उसने जो सुना वो सच था या नही... फिर भी करन ने उस रिकॉर्डिंग पर पूरा भरोसा नहीं किया था.. उसे लगा की वो शायद कोई और मोनाली की बात कर रहा होगा या फिर ये माइक कोई बेहरूपिया होगा... इसी कन्फ्यूजन में वो उठा और किंजल के घर जाने लगा...

तभी उसने किंजल की आवाज सुनी .. वो फोन पर संजना से बात कर रही थी... किंजल की बात सुनकर वो समझ गया था की किंजल किसी गुंडों से लड़ने के लिए जा रही है इसीलिए वो भी किंजल के पीछे निकल चुका...

पर पुल के पास किंजल के साथ संजना और मोहित को देखकर वो वही छिपकर खड़ा रह गया...

उसे अंदर से गोलियों की आवाज सुनाई दे रही थी .. जब बहुत देर तक अंदर से कोई बाहर नहीं आया तो उसे फिक्र होने लगी ओर वो खुले हुए दरवाजे से अंदर आ गया और तभी उसे मोनाली की आवाज सुनाई दी... मोनाली को वहा देखकर वो हैरान था.. और तभी मोनाली ने अपने मुंह से सारी सच्चाई बता दी और इत्तेफाक से करन ने वो सब सुन लिया...

सब लोग करन की बात सुनकर खुश थे... और सबसे ज्यादा खुश किंजल थी क्योंकि करन ने उसकी बातो पर भरोसा किया था...

" अरे ! हम इन सब बात में ये तो भूल ही गए की मोनाली कहा है ? " संजना को अचानक से याद आया ...

" हा... वो गई कहा ...? पुलिस को तो मैने फोन कर दिया था ...फिर पुलिस को वो मिली क्यों नही ? "

" ऐसा इसलिए सौरभ क्योंकि वो भाग चुकी थी... मैने उसे जाते हुए देखा था..."
अनिरूद्ध की बात सुनकर सब उसे आश्चर्य से देखने लगे..

" तो फिर तूने हमे बताया क्यों नही हम उसे पकड़ लेते ना...! "

" मुझे उस वक्त सिर्फ करन को हॉस्पिटल ले जाना था.. और कुछ में नही जानता था सौरभ..."

अनिरूद्ध की बात से करन फिर से अनिरुद्ध को देखने लगा... उसने अनिरुद्ध के साथ क्या कुछ नहीं किया था फिर भी अनिरुद्ध को उसकी कितनी फिक्र थी.. यह सोचकर करन ने आंखे बंध की और भगवान को याद किया..

" थैंक यू भगवान मुझे मेरा दोस्त वापस लौटाने के लिए थैंक यू.."


🥰 क्रमश: 🥰