profit of death in Hindi Classic Stories by Sital Kaur books and stories PDF | मौत का मुनाफा

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मौत का मुनाफा

" आप इनको घर ले जाइए देखिये हम इनको ऐसे अस्पताल में नहीं रख सकते आप बात को समझिए "
डॉक्टर ने सुरेश को समझाते हुए कहा ।सुरेश कि माँ बहुत बीमार थी ,यहाँ उनकी जाँच के लिए उनको लाया गया था । जब डॉक्टर ने उनका कोरोना का टेस्ट करवाया तो वो पॉजिटिव आया। कोरोना का वार्ड अस्पताल मैं ना होने के कारण डॉक्टर उनको अस्पताल मे रखने से मना कर रहे थे।
सुरेश के पास अब अपनी माँ को घर लेजाने के इलावा और कोई रास्ता नहीं था। डिसचार्ज पेपर तैयार करवा सुरेश अपनी माँ को घर ले जाने लगा।
" अरे ,यार अब माँ को घर कैसे ले के जाऊ बाइक पर ले कर गया तो मुझे भी ना हो जाए कभी कोरोना, एम्बूलैंस का कराया तो मैं देने से रहा अब एक ही रास्ता बच्ता है सरकारी बस ,हां यही ठीक रहेगा "।
सुरेश माँ को बस स्टेण्ड ले आया । माँ ने दर्द भरी आवाज से कहा कि, " बेटा अपने आप चढ़ जाउंगी मैं तू मेरे पास् मत आना " । सुरेश कि माँ गठिया की मरीज थी इसलिए उनका अब सारा शारीर दर्द मैं रहता था , पर अपने बेटे को दुःख से बचाने के लिए माँ तकलीफ सह कर अपने आप बस मे चढ़ गई।
बस मैं बैठकर सुरेश के दिमाग मैं एक और बात घूमने लगी कि अब माँ को सब से अलग कैसे रखा जाए , घर मैं छोटा बचा भी है और भी परिवार के लोग , अगर गाँव मैं किसी को पता चला तो वो क्या कहेगे , कहीं हमसे बात करना हि बंद ना कर दे ।
अन्त् मैं ये तय हुआ कि माँ को पापा के नीचे वाले कमरे मैं रखा जाए यहाँ कोई भी आसानी से नहीं जा सकता था और उसका दरवाजा हमेशा बंद रहता था।
बस से नीचे उत्तर कर माँ को किसी कि बाइक पर ( बिना उसको बताए कि माँ को कोरोना है ) बिठा कर घर तक पंहुचाया गया ।
घर पहुंचते हि माँ को सोचे अनुसार पिता जी के कमरे मे रखा गया । माँ को खाना पिता जी हि पकड़ाते थे ,यहाँ तक कि माँ का दिन मैं बाहर निकलना भी बंद था ता कि माँ को कोई देख ना पाये।
एक दिन सुरेश का दोस्त मनोज घर आया।
" और सुना सुरेश क्या हाल चाल हे, आज कल दिखाई हि नहीं देता आखिर बात क्या है "।
" अरे क्या बताऊं यार , " माँ कि तबियत ठीक नहीं है "
" क्या हुआ माँ जी को " मनोज ने पूछा ।
"यार तुमे बताए बिना रह नहीं सकता इस लिए बता हि देता हूँ ;
" माँ कि कोरोना पॉजिटिव रिपोर्ट आई है, और डॉक्टर ने अस्पताल में रखने से मना कर दिआ है "। उनकी तबीयत अब ठीक नहीं हो सकती "।

" अरे मनोज तुझे तो पता हि है मेरे हालातों का ,
मुश्किल से तो घर का खर्च चला पा रहा हूँ , ऊपर से ये दवाईओं का खर्च " । उधार वालों के भी फोन आने चालू हो गए हैं । उधर पिंकी का अड्मिशन भी तो होना है तू हि बता अब कैसे.......