“नील, यह किसका घर है?“ नर्मदा शावर लेने और कंफर्टेबल कपड़े पहनने के बाद लिविंग रूम में आई।
नील ने अपनी नज़रे अपने फोन से उठा कर उसकी ओर देखा जब नर्मदा उसके पास आई। वोह डाइनिंग टेबल पर बैठा था और उसने अपना फोन साइड में रख दिया क्योंकि नर्मदा ने पीछे से आ कर उसके गले में बाहें डाल दी थी और नीचे उसे देखने लगी थी। नील ने धीरे से उसकी कमर पर अपनी बाहें फैला दी, नर्मदा की आँखें उसे ही देख रही थी।
“मेरे दोस्त का घर है।”
“ओह...“
“आराम से रहो, हम कुछ दिन यहाँ से कहीं नहीं जा रहे। मैं रिस्क नही ले सकता की तुम्हे कोई पहचान ले। मैने राज को पहले ही मैसेज कर दिया है देरी के लिए।”
हैरानी से उसके शरीर में एक लहर सी दौड़ गई, उसने अपने आप को पीछे ले लिया और उसे देखने लगी। “व्हाट द फक?“
“क्या?“ नील ने बिना परवाह किए कहा।
“सच में, कल रात के बाद भी, तुम मुझे अभी भी उस बेवकूफ के पास ले कर जा रहे हो,” नर्मदा की आवाज़ डरी हुई सी थी उस छोटे से घर में।
“नर्मदा....कल रात...“
नर्मदा ने उसे अपनी बात पूरी करने नही दी। “मैं तुम्हे मार डालूंगा अगर तुम मुझसे यह कहो की वोह सब तुम्हारे लिए कुछ मतलब नही रखता।”
नील ने अपना सिर हिलाया। “तुम समझ नही रही हो, जो तुम चाहती हो मैं वोह आदमी नही हूं।”
“सच में, कल रात को तुमने मुझे यह लेक्चर क्यों नही दिया था?“ वोह तुरंत बोली।
नील ने अपनी उंगलियां अपने बालों में फेरी और उस से पलट कर खड़ा हो गया। नर्मदा गुस्से में आंसू लिए उसे देख रही थी। वोह घूर रही थी, नील पीठ उसकी तरफ थी, और जब वोह कुछ और कहने वाली थी, उसकी नज़र नील के शर्ट पर कुछ चली गई। वहाँ लाल रंग का धब्बा था, और नर्मदा की आँखें फैल गई जब उसे यह रियलाइज हुआ की यह खून है।
“नील, तुमसे खून निकल रहा है।”
नर्मदा भूल गई की वोह क्या बात कर रहे थे और वोह अभी उस से कितनी गुस्सा थी, वोह उसकी शर्ट तक अपना हाथ ले गई।
नील ने उसका हाथ पकड़ लिया इस से पहले की वोह उसकी शर्ट पकड़ सके।
“कुछ नही है।”
“नील, मुझे देखने दो, क्या हुआ है?“ नर्मदा ने उस से अपना हाथ छुड़ाया, और नील ने तुरंत उसके दोनो हाथ पकड़ लिए ताकी वोह अपने हाथ अपने तक रख सके।
“मैं चाहता हूं की तुम शांत हो जाओ ताकि हम बात कर सके।”
“नील, मुझे जाने दो, मुझे देखना है,” वोह गुर्राई।
“ऐसा कुछ नही है देखने के लिए, बस एक छेद है,” नील ने उसे आश्वस्त करने की कोशिश की, पर उसकी आवाज़ में ऐसा कुछ था जो नर्मदा को यह बता रहा था की वोह झूठ बोल रहा है।
“नील....छोड़ो मुझे।” नर्मदा की आवाज़ शांत पर स्थिर थी। उसने नील की शर्ट हटा कर देखा तो एक पुराना स्कार था जिसमे घाव उभर आया था।
“यह तुम्हारे साथ किसने किया?“
नील ने उसका हाथ हटाया और अपनी शर्ट से अपने सीने को वापिस ढक लिया।
“तुम्हे ऐसी जिंदगी क्यों चाहिए? हम एक साथ क्यों नही रह सकते?“ नर्मदा गुस्से में थी और उसकी आँखों में उसे कुछ चुभने लगा।
“नर्मदा...“ नील ने उसकी आँखों से आंसू साफ करते हुए कहा।
“क्यों, नील, मेरे लिए इतना कुछ करने के बाद और उसके बाद जब मैने तुम्हे बता दिया की मैं तुमसे कितना प्यार करती हूं, तुम अभी भी मुझे उस गधे के पास ले कर जाने की बात कर रहे हो?“ वोह रोने लगी।
“मुझे कर्म होगा, मुझे जरूरत है, यह मेरी जिम्मेदारी है....“
“जिम्मेदारी मुझे क्या बनाने की?“ नर्मदा उस पर भौंक पड़ी।
“मेरी जिम्मेदारी उस हर एक इंसान को जान से मारने की जो उस आदमी को मारने के पीछे था, वोह आदमी जिसने मुझे झन्नूम से बचाया था। मेरी जिम्मेदारी उसक आदमी के परिवार को सुरक्षित रखने की है जो मेरा पिता बन गया जो के मेरे पास कभी था ही नही,” नील की आवाज़ नर्मदा के कानों में गूंजी।
“और मेरा क्या? क्या तुम मुझसे प्यार नही करते?“
“मेरी जिंदगी में जिम्मेदारी अलावा और कुछ नही है।”
“झूठे,” वोह बोली।
नील ने गहरी सांस ली। “जो तुम चाहती हो मैं वोह नही हूं।”
“मैं जानती हूं की मुझे क्या चाहिए। तुम कैसे डिसाइड कर सकते हो की मुझे क्या चाहिए?“ नर्मदा ने उसे अपनी आँखों से बेजुबान कर दिया की उसकी आगे कुछ कहने की हिम्मत नही हुई और फिर वोह पलट कर उस से दूर चली गई।
नर्मदा टूट चुकी थी, पर वोह उसे अपने आंसू दिखाना नही चाहती थी। नील की बातों ने उसे इतना स्ट्रॉन्ग बना दिया था की वोह उस से लड़ सके, पर वोह किसी कॉर्नर में जा कर छुप कर रोना चाहती थी।
इस वक्त नर्मदा किसी कौने में बैठी हुई थी, उसने अपने घुटने मोड़ हुए थे अपने सीने से लगा कर, उसकी आँखें आंसुओं से जल रही थी पर उसने उन्हे झलकने से इंकार कर दिया था जब उसने कमरे का दरवाज़ा खुलने को आवाज़ सुनी। उसे कमरे में उसकी मौजूदगी का एहसास हुआ जो उसकी तरफ ही बढ़ रहा था, पर वोह अपनी जगह से नहीं हिली।
“नर्मदा।” उसकी आवाज़ सॉफ्ट थी।
“जाओ यहाँ से। मैं नही चाहती की तुम यहाँ रहो।” उसने उसे पीछे किया।
उसने अपनी नज़रे ऊपर की ओर उठाई, उसे देखा, उसकी आँखें चमक रही थी। “सच में, तुम अब मुझसे बात करना चाहते हो?“
“नर्मदा...“ उसकी आवाज़ में इल्तिज़ा थी।
“नही, नील। तुम मुझसे तभी बात कर सकते हो जब तुम मेरे सवालों का जवाब दो।”
“ठीक है, मैं तुम्हारे सभी सवालों का जवाब दूंगा अगर तुम यह खालो तो।” नील ने उसके आगे एक बाउल रख दिया जिसमे फ्राई की हुई मिक्सड वेजीटेबल था।
“बिलकुल भी नही....यह बहुत ज्यादा हेल्थी है मेरे लिए।”
“बस यही है मेरे पास। खाओ, क्योंकि मैं जानता हूं की तुम मुझसे सवाल पूछना चाहती हो।”
नर्मदा ने जल्दी से कुछ बाइट्स खाई और फिर बाउल साइड में रख दिया। “ओके, तुम्हे यह सब स्कार्स कैसे हुए? हाँ मैं जानती हूं की यह साइड वाला कैसे हुआ था।”
“कुछ मुझे ट्रेनिंग के दौरान हुए और कुछ मेरे काम को वजह से,” नील ने सॉफ्टली जवाब दिया।
“कैसी ट्रेनिंग?“
नील ने गहरी सांस ली। “वोह गुंडा....उसने मुझे ट्रेन किया था...ट्रेन किया था दर्द बर्दाश्त करने के लिए, और वोह समय समय पर मुझे चाकू से मारता था।”
नर्मदा की फुफकार ली, वोह सहन नही पा रही थी जो भी नील उसे बता रहा था। “नो।”
“जैसा मैने कहा था, कुछ तो ऐसा है तुम्मे जो मुझे इंसान बनाता है, जो मुझे खास महसूस करता है, और मैं...“ नील बोलते बोलते रुक गया और बिना भाव के उसे देखने लगा।
“तुम भागे क्यों नही?“
“मैं जब भी भागने की कोशिश करता था मुझे चाकू से मारा जाता था। आखरी बार जब मुझे उन्होंने पकड़ लिया था, उसने कहा कि वो मेरे दोस्तों को मारेगा, तोह मैं रुक गया।”
“यह इडियट है कौन? और तुम वहाँ से बाहर निकल?“
“वोह जेल में है, और वोह जिंदा है क्योंकि वोह सलांखो के पीछे है। मैं उस से तब बचा जब मैने उसे जेल पहुँचा दिया पुलिस ऑफिसर को मदद से।”
“वोह पुलिस ऑफिसर कौन है? क्या यह वोही आदमी है जिसके बारे में तुम बात कर रहे थे?“
“हाँ, वोह डेप्युटी इंस्पेक्टर जनरल थे, और उन्होंने ही मुझे उस गंदे काम से बचाया था और मुझे पुलिस स्टेशन ले गए थे।”
“तुम उस वक्त कितने साल के थे?“
“शायद....बारह।”
“तुम्हारा काम से क्या कहने का मतलब है?“
“मुझे उस काम से बाहर निकाला गया जो मैं उस गुंडे के लिए करता था, डील, दूसरे गुंडों से उस गुंडे के लिए।”
“तुमने लोगों को मारना शुरू कर दिया था जब तुम सिर्फ बारह साल के थे?“
“क्या अब तुम्हे समझ आया की मेरे जैसे इंसान को तुम्हारी जिंदगी में नही होना चाहिए?“ नील ने उसे बीच में टोका।
“नर्मदा ने उसका कॉमेंट इग्नोर कर दिया। “तोह, फिर क्या हुआ?“
“डीआईजी को मुझ में कुछ महसूस हुआ और उन्होंने मुझे उन के लिए काम करने को कहा, मेरे दोस्तो को छुड़ाने और उस गुंडे को जान से मारने या जिंदगी भर के लिए उसे जेल में कैद करने के बदले।” उसकी आवाज़ धूमिल होती महसूस हो रही थी मानो वो आगे बोलना उसके लिए बहुत दर्द भरा हो।
नर्मदा उसे चुपचाप देख रही थी की नील अपनी सांसों को नियंत्रित करने की कोशिश कर रहा था आगे बोलने से पहले।
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कहानी अगले भाग में अभी जारी रहेगी...
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