बिस्तर पर बेडशीट सॉफ्ट थी उसमे गरमाहट थी पर जिस इंसान ने रात को उसे इग्नाइट किया था उसके अंदर आग जलाई थी उस तक वोह पहुँच नही पा रही थी। नर्मदा ने अपनी आँखें खोली तो वो एक अनजान कमरे में थी। उसे कुछ पल लगा यह याद करने में की नील ने कल रात कहा था की वोह उसे दोस्त के घर पर हैं।
वोह उठ कर बैड पर बैठ गई और अपने कपड़े ढूंढने लगी जब उसने यह महसूस किया की वोह बेडशीट में बिना कपड़ो के सो रही थी। उसने उस बेडशीट को अपने चारों ओर लपेटा और धीरे धीरे कदमों से दरवाजे की ओर बढ़ गई।
दरवाजा हल्का सा खुला था और उसे बाहर से हल्की आवाज़ें भी सुनाई दे रही थी। उसने दरवाज़े की ओट से बाहर निकाला और इधर उधर देखने लगी। उसे एक छोटी सी डाइनिंग टेबल दिखाई दी एक साइड पर और दूसरी साइड पर लिविंग एरिया।
उसने कमरे से कदम बाहर बढ़ाया जब उसे यह एहसास हुआ की बाहर कोई नही है। खाने को खुशबू ने उसका ध्यान खींचा, और वोह उसकी खोज में आगे बढ़ गई जिससे उसके पेट में हो रही हलचल शांत हो सके।
नील एक छोटे से किचन में खड़ा था नर्मदा की ओर पीठ किए हुए और वोह कुछ चला रहा था। नील को नर्मदा की मौजूदगी का एहसास हुआ तो वो पलटा और उसकी ओर देख कर मुस्कुरा गया। वोह मुस्कुराहट जो उसने सदियों से नही देखी थी, जिससे उसकी आँखें चमक उठी। इसी ने तो छह साल पहले उसे उसका दीवाना बना दिया था, वोह मुस्कुराहट जो सच्ची थी और उसका दिल धड़का गई थी।
“हे....क्या तुम ठीक से सोई थी?“
नर्मदा ने हाँ में सिर हिलाया और अपनी जगह पर ही खड़ी रही। उसका शरीर एक पतले से बेडशीट से लिपटा हुआ था जब नील उसके करीब बढ़ने लगा था और उसकी कमर पर हाथ रख उसे अपने करीब कर लिया। उसे अपने से सटा कर, नीचे झुक कर, उसने उस के होंठों पर किस कर लिया। “भूख लगी है?“
नर्मदा मुस्कुराई और उसने भी पलट कर उसे किस कर लिया।
“मुझे बहुत भूख लगी है। क्या बनाया है तुमने मेरे लिया?“ नर्मदा ने उसके होंठो के पास ही फुसफुसाया।
नील के हाथ उसकी कमर से खिसक कर नीचे हो गए और उसे कर और अपने से सटा लिया और फिर अपने हार्ड रॉड का एहसास करवाया। “तुम कुछ भी खा सकती हो जो भी तुम्हे खाना पसंद हो।”
“तुम्हारे पास डर्टी माइंड भी है, मिस्टर,” नर्मदा ने उसे छेड़ा।
“मुझे तुम्हारा डर्टी माइंड पसंद है।” नील जोर से हँस पड़ा जो नर्मदा के कान में शहद घोल रहा था।
“नील, आई मिस्ड यू। मैने तुम्हे बहुत मिस किया।” उसकी आवाज़ में बहुत सॉफ्टनेस थी और वोह दर्द उभर आया जो उसने सालों से नज़रंदाज़ किया था।
“तुम्हारे कपड़े बैड के साइड वाले शेल्फ में हैं अगर तुम्हे यह बेडशीट चेंज करनी हो तो।” नील ने प्यार से उसकी बॉटम सहलाई।
“मैं जा रही हूं चेंज करने और खाने से पहले मुझे तुमसे कुछ बात करनी है। मुझसे वादा करो की तुम चुप नहीं हो जाओगे।” नर्मदा ने उसकी आँखों में देखते हुए कहा।
“श्योर।”
“मैं अभी आती हूं।” नर्मदा मुस्कुराई और पलटकर जाने लगी पर तभी उसकी आँखों को कुछ दिखा और वह रुक गई।
एक फोल्ड करा हुआ अखबार डाइनिंग टेबल पर पड़ा था, और आर्टिकल की हेडलाइंस थी, 'Chaos at Amnesia'. उसकी नजर उस शब्द की वजह से पड़ी थी 'Amnesia' क्योंकि कल रात वोह जिस क्लब में गई थी उसका नाम यही था।
वह धीरे से अखबार की ओर बढ़ी और उसे उठा लिया और खोल कर पूरा आर्टिकल देखने लगी। अखबार में छपी तस्वीर को देखकर उसका दिल दहल उठा। उसने बॉथरूम की टाइल्स पहचान ली क्योंकि वह कल रात वहीं थी। दीवार पर लगे एक के बाद एक शीशे टूटे हुए थे और दरवाजा टूट कर नीचे गिरा पड़ा था, और हल्के रंग की पूरी दीवार और फर्श पर सिर्फ खून ही खून था।
“नील...“
नील ने पलट कर उसकी ओर देखा और पाया कि उसकी आँखों में डर और घबराहट साफ दिख रहा था। “इसे मत देखो, यह कुछ नही है।”
“कितनी बुरी तरह तुमने उन्हें मारा है?“ उसे अपने पैर कमज़ोर पड़ते महसूस हुए, और उसका सिर घूमने लगा जब उसे कल रात वाशरूम की घटना याद आने लगी।
नील ने उसके हाथ से अखबार ले लिया और वापिस टेबल पर रख दिया। “तुम्हे उन जानवरों की चिंता करने की जरूरत नहीं है।”
नर्मदा ने हल्के से नील को पीछे किया और टेबल से अखबार वापिस उठा लिया, उसकी आँखें बड़ी हो गई जब उसने हैडिंग के नीचे खबर पढ़ना शुरू किया। “कोमा? ओह शिट, वोह सारे कोमा में चले गए?“
नील के दांत पिस गए। “तुम्हे उनके लिए बुरा लग रहा है?”
नर्मदा ने नील के सवाल को नजरंदाज किया और आगे पढ़ने लगी। “व्हाट द....वोह आदमी चीफ मिनिस्टर का बेटा है? अब यह क्या नया बवाल है?“
“इससे कोई फर्क नही पड़ता की कौन थे वो.....अब वोह कभी ऐसी कोई हरकत नहीं कर पाएंगे।” नील की आवाज़ शांत थी पर डरावनी।
नर्मदा ने पेज पलट कर आर्टिकल आगे पढ़ा और एकदम फ्रीज हो गई एक छपी पिक्चर देख कर। एक औरत की पेंसिल स्कैच उसे ही वापिस घूर रही थी, और अगले ही पल, उसका गला सूख गया।
“यह....क्या यह मेरी पिक्चर है?“
नील ने हाँ में सिर हिलाया।
“नील....अब हम क्या करेंगे?“
नील बोला। “तुम्हे क्या लगता है की तुम्हे क्या करना चाहिए?“
“मुझे नही पता,” नर्मदा चिल्लाई, उसका सिर यह झमेला बर्दाश्त नहीं कर पा रहा था।
नील ने उस से अखबार वापिस लिया और फिर से टेबल पर रख दिया। “ऐसा कुछ भी नही जिससे डरने वाली बात हो, और वोह कमीने सिंपठी डिजर्व नही करते। वोह जिंदगी भर पछताते रहेंगे की उन्होंने एक औरत के साथ गलत व्यवहार किया।”
नर्मदा ने नील की तरफ देखा, उसका एक प्रैक्टिकल दिमाग यह कह रहा था की किसी को चोट पहुंचाना अमानवीय है, पर उसका दिल खुशी से उछल रहा था—खुशी यह जान कर की नील उसे प्रोटेक्ट करेगा और हर वोह चीज करेगा जिससे वोह सेफ रहे।
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कहानी अगले भाग में अभी जारी रहेगी...
❣️❣️❣️