“कौन हो तुम?“ एक खूंखार सी गुर्राने की आवाज़ गूंजी।
“मैं यहाँ तुमसे कुछ सवाल पूछने आया हूं।”
“तू लॉयर है?“ सलांखो के पीछे से आती आवाज़ में चुनौती थी।
“नही।”
“क्या तू मुझे यहाँ से बाहर निकालने आया है?“
“नही।”
“तो भाग यहाँ से। मेरे पास तुझे बताने के लिए कुछ नही है।”
अभय को उस से ऐसे ही बरताव की उम्मीद थी और वोह इसके लिए तैयार भी था। “मैं तुम्हारे बच्चे के भविष्य को सुरक्षित कर सकता हूं अगर तुम मेरे सवालों के जवाब दो तो।”
एक दम शांति छाई रही और अभय जानता था इसका कारण। अभय के लिए आश्चर्य की बात थी की, वोह गुंडा जोरों से हँस पड़ा, और साफ पता चल रहा था की वोह अंधेरे से सलांखों की तरफ बढ़ रहा था।
वहाँ की हल्की रोशनी में वोह आदमी नज़र आया जिसकी नीली आँखें थी और वोह साफ साफ कोई खूनी दरिंदा ही नज़र आ रहा था। उसने लोहे की सलांखे कस कर पकड़ ली और जोर जोर से हँसे जा रहा था। “कौन हो तुम जो बेवकूफ बनाने की कोशिश कर रहे हो?“
“माफी चाहता हूं न्यूज पहले ही तुम्हे बताने के लिए की तुम्हारी वाइफ उस एक्सीडेंट में बच गई थी।”
“नामुमकिन,” वोह गुंडा चिल्लाया।
“मैं जानता हूं की तुम ही हो जो चाहते थे वोह मर जाए क्योंकि उसने गवाही दी थी तुम्हारे खिलाफ जबकि वोह प्रेगनेंट थी।” अभय उस पर गुस्सा करते हुए बोला।
“उस साली रण्डी को जीने का हक नही है,” वोह गुंडा चिल्लाया।
“यह फैसला करने का हक तुम्हे नही है, अगर तुम मेरे सवालों का जवाब दे दो, तोह मैं तुम्हारे बेटे से तुम्हारी मीटिंग फिक्स करवा सकता हूं।”
“मुझे कोई फर्क नही पड़ता, वोह बच्चा मेरा नही है। वोह रण्डी सो गई होगी किसी और के साथ।”
अभय ने वोह फाइल खोली जो वो अपने साथ लाया था और उसमे से एक फोटोग्राफ निकाली जिसमे एक औरत और उसके बच्चे की फोटो थी। “मैं नही जानता तुम्हारे बारे में, पर इस बच्चे को तस्वीर देख कर मैं यह कह सकता हूं की यह तुम्हारा बच्चा है। मेरे पास डीएनए रिपोर्ट भी है अगर तुम्हे मेरी बात पर यकीन नही हो रहा हो तो।”
वोह आदमी अभय को चुपचाप देखने लगा जब अभय ने वोह पिक्चर पलट कर उस गुंडे के सामने कर दी ताकि वोह देख सके। अभय देख रहा था उस आदमी की आँखें छोटी होते हुए जब उसने उस पिक्चर को ध्यान से देखा। पहले तो अभय को उसकी आँखों में गुस्सा नज़र आया, पर उसके बाद उसकी काँच सी नीली आँखों में उसे कुछ तोह टिमटिमाता हुआ महसूस हुआ।
अभय को मौका मिल गया इस मौके का लाभ उठाने का। “दोनो के बीच जो समनताएं हैं वोह साफ नज़र आ रही है जिसे झुकलाया नही जा सकता, नीली आँखें और चिन पर जो लाइन है वोह दोनो की एक समान है।”
उसके पोस्चर में हल्का नरमी सा बदलाव आया जैसे उसे अचानक जीने का मकसद मिल गया हो जब उसने अपनी आँखों में अपनी पत्नी और बच्चे को बसा लिया।
अभय ने वोह तस्वीर उसके सामने से हटा ली और दूसरी तस्वीर निकाल ली। वोह पिक्चर उसके छोटे भाई की थी, राणा की थी, जब वोह चार साल का था। उन आखरी पिक्चर्स में से एक थी जो लंदन में ली गई थी।
अभय उस पिक्चर को प्यार से निहार रहा था। उसे याद था जब यह फोटो ली गई थी। यह फोटो तब की था जब राणा पहली बार लंदन आई में झूलने वाला था, और वोह बहुत ही एक्साइटेड लग रहा था।
उसने धीरे से पलट कर वोह फोटो उस गुंडे के सामने कर दी ताकी वोह देखे और उसे देख कर जवाब दे। पर उसने एक चीज़ की उससे उम्मीद नही की थी वोह था उसका रिएक्शन।
“वोह हरामी,” वोह गुंडा ज़ोर से चिल्लाया और अभय के हाथ से वोह फोटो छीनने की कोशिश करने लगा। “मैं मार दूंगा उसे। मैं मार दूंगा उसे अपनी इन्हीं हाथों से।”
अभय की खुशी का ठिकाना ही नहीं रहा जब उसने उस गुंडे के मुंह से वोह शब्द सुने। इसका सिर्फ एक ही मतलब था की राणा जिंदा है।
“मैं भी, उसे ढूंढना चाहता हूं। कहां है वोह?“ अभय ने अपनी एक्साइटमेंट छुपाते हुए शांत लहज़े में पूछा।
“तुम कौन हो?“ उस गुंडे को अब कुछ संदेहजनक लगने लगा था।
“उन बहुत सारे लोगों में से एक जो उसे ढूंढ रहे हैं,” अभय ने अंधेरे में निशाना छोड़ा।
वोह गुंडा अभय को चुप चाप देख रहा था, और काफी देर घूरने के बाद, वोह कॉन्फिडेंस से बोलने लगा। “तुम उसके कोई रिश्तेदार हो, है ना? तुम उसके भाई हो..... हाँ, तुम उसके भाई ही हो?“
जब अभय ने कोई जवाब नही दिया तो, वो गुंडा ज़ोर ज़ोर से हँसने लगा जैसे अपनी जिंदगी के हर एक पल को एंजॉय कर रहा हो। “उस कमीने की फैमिली है.... पर वोह तो मेरा कुत्ता है.... मेरा ट्रेन की हुआ पालतू कुत्ता जिसमे वफादारी है ही नही....”
उस गुंडे की आवाज़ बोलते बोलते बीच में ही रुक गई जब उसने उसे लोहे की सलाखों के बीच से हाथ उसकी गर्दन पर कसता महसूस हुआ।
“मेरा भाई कहां है?“ अभय ने अपनी पकड़ उसकी गर्दन पर और कस दी।
वोह आदमी अभय के हाथ पर अपने दांत से काटने लगा और नाखून भी गड़ाने लगा ताकि अपने आप को छुड़ा सके लेकिन जो गुस्से से ताकत निकली थी अभय में उसके आगे उस गुंडे की ताकत भी फीकी पड़ गई।
अभय ने उसकी गर्दन पकड़े हुए ही उसे अपने करीब खींचा और ज़ोर से सलांखो पर उसका सिर मारा। वोह आदमी जोर से चिल्ला पड़ा, पर इस वक्त कोई भी चीज अभय को उस गुंडे से अपने सवालों के जवाब उगलवाने से रोक नही सकता था।
“बताओ मुझे, मेरा भाई कहां है,“ अभय ने आदेशात्मक लहज़े में कहा, उसके जबड़े कस हुए थे जबकि उसने उस गुंडे को अभी भी सलांखो से कस कर चिपकाए रखा हुआ था।
“मिस्टर सिंघम, प्लीज़ स्टॉप।” वोह जेलर वहाँ आ पहुँचा और उसके पीछे दो गार्ड्स भी भागते हुए आ रहे थे। वोह तीनो आदमी अभय को पीछे खींचने लगे ताकी उसकी पकड़ से उस गुंडे को छुड़ा सके, और उन्होंने उसे पीछे खींच लिया, इसलिए नही की तीनों ने मिलकर अभय से ज्यादा ताकत थी बल्कि इसलिए क्योंकि उन्होंने अभय से उसे छोड़ने की रिक्वेस्ट की थी।
“सैल का दरवाज़ा खोलिए, मिस्टर मिश्रा। मैं सरकार के सारे पैसे बचा लूंगा जो वोह इस जैसे सूअर को खिलाने में खर्च कर रहें हैं।”
वोह गुंडा हँस पड़ा और अपने होंठों से रीसते खून को साफ करने लगा। “यह मेरे लिए सबसे सुरक्षित जगह है जब तक मैं यहाँ रहना चाहूं। जब मैं यहाँ से बाहर निकलूंगा, तो सबसे पहले मेरा टारगेट होगा तेरा प्यार भाई।”
“मिस्टर मिश्रा, मुझे बस पाँच मिनट चाहिए।”
“सर प्लीज। यह यहाँ के रूल के खिलाफ है की आपको हमने अंदर आने दिया। मैं सैल का दरवाज़ा नही खोल सकता।”
अभय ने उस गुंडे पर अपनी जलती निगाहें डाली और उसे आखरी बार घूरते हुए वहाँ से चला गया।
“मिस्टर सिंघम, मैं तुझे बता दूंगा जब मैं उसे मरूंगा,” वोह गुंडा चिल्लाया जिसकी आवाज़ सुन कर अभय के कदम ठिठक गए।
“मुझे उस रण्डी और उस रण्डी की औलाद से कोई फर्क नही पड़ता। मेरा मकसद तो पास उस छोटे से हरामी कुत्ते को मारने में है जिसने मुझे इस हालत में पहुँचाया।”
अभय धीरे से पलटा और उसकी तरफ देखने लगा। “क्या कहा तुमने अभी?“
वोह गुंडा थोड़ा सा पीछे हो गया सलांखों से अपने सैल में ही। “मैं उस छोटे से हराम के पिल्ले को मार दूंगा और फिर तुम्हे बता दूंगा की वोह कहां है।”
“मिस्टर मिश्रा, ये सूअर कितने दिनों से यहाँ जेल में है?“ अभय ने पूछा पर अपनी नज़रे उस गुंडे पर ही गड़ाई रखी।
“इसे दस साल हो गया है इस जेल में, और इससे पहले यह दो साल डिस्ट्रिक्ट जेल में था,” ऑफिसर ने कांपती हुई सी आवाज़ में जवाब दिया।
अभय गर्व से मुस्कुरा पड़ा और उस गुंडे के सैल के नज़दीक बढ़ने लगा। “वोह कुत्ता नही है....यू बास्टर्ड....वोह सिंघम है!“ अभय की आवाज़ गूंजी जबकि उसने अभी भी बोलना जारी रखा। “वोह सिंघम है जिसने तुम्हे इस जेल में पहुँचा दिया जबकि उस वक्त वोह सिर्फ बच्चा था.....तुम्हे क्या लगता है की तुम एक सिंघम के सामने टिक भी पाओगे?“
अभय वहाँ से चला गया, गर्व से उसकी नसे तनी हुई थी। वोह सही था आखिर जिसकी उम्मीद थी उसे।
“मिस्टर मिश्रा, मुझे इस केस की हर एक छोटी से छोटी डिटेल चाहिए, और साथ ही मुझे उस पुलिस ऑफिसर से भी बात करनी है जिसने इस सूअर को पकड़ा था,” अभय ने आदेश सा देते हुए कहा।
अभय वेटिंग एरिया में पहुँचा जहां देव फोन पर बात करता अभय का इंतजार कर रहा था। “सिक्योरिटी और बढ़ा दो। और मैंशन में किसी को भी आने मत देना।” वोह पीछे की तरफ पलटा तो देखा की अभय उसके पीछे खड़ा था। “मुझे जाना होगा। उन्हे सुरक्षित रखने के लिए।”
“क्या हुआ, देव?“ अभय को समझ आ रहा था की कुछ तो हुआ है।
“सेनानी के आदमियों ने आज अटैक करने की कोशिश की थी...अनिका और सबिता तब रास्ते में थी हॉस्पिटल जाने के लिए....“ देव भुनभुनाते हुए गरजा।
“हमे लग ही रहा था, वोह सब इतने दिन से शोक मनाते रहे और अब यह.....बस सिक्योरिटी बढ़ा दो। वोह शायद जानते हैं की हम दोनो दूर हैं।”
“हाँ। उस गुंडे ने तुम्हे क्या बताया?“ देव बेताब था जानने के लिए।
“देव, हमारा छोटा भाई कहीं बाहर है और वोह संपन्न और पारंगत है। हमे बस उसे ढूंढना है,” अभय ने कहा, उसके होंठों पर खुशी की छोटी सी मुस्कान फैल गई।
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कहानी अगले भाग में अभी जारी रहेगी...
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