“उन्होंने तुमसे क्या काम करवाया था?“ नर्मदा ने अपनी कांपती आवाज़ में पूछा।
“जो काम वोह करवाते थे उसमे मैं फिट नहीं होता था जिस दिन वोह लोग हमे उठा कर अपने गोडाउन में ले गए थे, उस दिन मैंने भागने की कोशिश की थी, और जब उन्होंने मुझे पकड़ लिया, तोह मैने उन गुंडों में से एक की गन छीन ली और उसे उसकी जांघ पर गोली मार दी।”
नर्मदा ने थूक गटक लिया और अपना हाथ अपने मुंह पर ढक लिया। “तुम मज़ाक कर रहे हो ना।”
“नही। मैने ट्रिगर दबाया था, और आज तक, मैं यह नहीं जान पाया की कैसे मैने यह कर दिया था। जैसे मैं जानता था की गन क्या होती है कैसी दिखती है, और जैसे ही मैंने उसे हाथ में लिया, ऐसा लगा मानो मैं जानता हूं की इसका क्या करना है।” नील ने अपनी उंगलियां अपने बालों में फेरते हुए कहा।
“ओह गॉड....क्या तुम फिर वहाँ से भाग पाए?“
“उस गोदाम से कोई भागने का रास्ता नही था। उन्होंने मुझे पकड़ लिया था, मुझे बहुत मारा, और मुझे एक खाली पानी की टंकी में फेक दिया था पूरे एक दिन के लिए ताकी मुझ पर काबू पा सके।”
“ओह शिट!“
“उस पानी की टंकी में कुछ नही था....वैसे भी, यह बहुत पुरानी बात है, और उस बारे में अब बात करने का कोई मतलब नहीं।” नील ने बात झटकनी चाही।
“मैं जानना चाहती हूं, नील, मैं जानना चाहती हूं किस वजह ने तुम्हे ऐसा बनाया है, ऐसा।”
“अब क्या फर्क पड़ता है?“
“इससे अतीत तोह नही बदलेगा, पर इससे तुम्हारे आज को तो बदल सकते हैं, और, शायद बदले में, तुम्हारे भविष्य को बदल सके। याद रखो मैं एक हिस्टोरियन हूं।” नर्मदा मुस्कुराई और बातचीत को हल्का करने की कोशिश की।
“वैल, ऐसा मान लो की मुझे मारने के लिए ही ट्रेन किया गया था, मैं उन गुंडों के लिए सोने का इक्का था। उन्होंने मुझसे मेरे शूटिंग स्किल का अपने फायदा के लिए इस्तेमाल करवाया और बदले में मैने उनसे मेरे दोस्तों के साथ ठीक व्यवहार करने को कहा।”
“तुम्हारे दोस्त?“
“हाँ, और दूसरे बच्चे जो मेरे साथ वहाँ गोडाउन में रहते थे।”
“कितने साल तक?“
“मुझे तो याद ही नहीं कितने सालों तक जब तक की हमे पुलिस के द्वारा बचाया नही गया उस गंदगी से।” नील की आवाज़ में बहुत दुख और दर्द था।
“वोह आदमी कौन था और उसके साथ क्या हुआ था?“ नर्मदा थोड़ा नील की तरफ झुक गई, और फुसफुसाते हुए बोली।
“हमे जाना चाहिए, नर्मदा,” नील ने अचानक बीच में रोकते हुए हुए कहा और उठ खड़ा हो गया।
“क्या?“
“बहुत सारे लोग तुम्हे नोटिस कर रहे हैं। चलो।” नील चलते हुए नर्मदा की साइड आया और उसका हाथ अपने हाथ में ले लिया।
“ठीक है, ठीक है.....मैं आ रही हूं।”
«»«»«»«»«»«»
“थैंक यू फॉर यौर टाइम, मिस्टर मिश्रा।” अभय ने हाथ मिलाया उस आदमी से जो इंडिया के सबसे सिक्योर जेल के जेलर थे। अभय ने देव को बाहर ही रुकने को कहा था क्योंकि वोह जनता था की देव उस गुंडे पर अटैक कर देगा जैसे ही वोह उसे देखेगा।
“आई एप्रिशिएट यू कमिंग हेयर दिस लेट, मिस्टर सिंघम। हम जनरली सिविलियन को यहाँ अलाउ नही करते और नही चाहता की आपको कोई यहाँ देख ले।” जेलर अभय को अपने ऑफिस रूम से लेकर अंधेरे की तरफ बढ़ गया, जो पथरीली दीवार की सुरंग सा था।
अभय ने केंद्रीय मंत्री से गुहार लगाई थी की उसे जेल में कैद उस गुंडे से मिलने दिया जाए जो उसके छोटे भाई के बारे में कुछ तो जनता था। देव और अभय उम्मीद कर रहे थे की वोह अपने भाई को ढूंढ लेंगे जबकि उन्होंने उसके बारे में बहुत सुना था की उसके साथ क्या हुआ होगा। उन्हे बहुत समय लगा उस इंसान को ढूंढने में जिसे वोह ढूंढ रहे थे— वोह आदमी जिसने उनके छोटे भाई को अनाथ आश्रम से किडनैप कर लिया था।
“जिस आदमी से आप बात करना चाहते हैं वोह राक्षस है। उस से इनफॉर्मेशन निकलवाना बहुत कठिन है, चाहें हम जो कर ले।” ऑफिसर ने स्वीकारते हुए कहा।
अभय को कोई फर्क नही पड़ता था की वोह आदमी कैसा है। उसे तो बस अपने आप को रोकना था उसकी जान लेने से जब वोह उसे देखेगा यह जानने के बाद की उसने छोटे छोटे बच्चों के साथ क्या किया था, और उन बच्चों में उसका भाई भी था। वोह बस इस वक्त इमेजिन कर रहा था की वोह अपने इन हाथों से उसे मार डालेगा।
“हम आपको सैल के अंदर नही जाने दे सकते, मिस्टर सिंघम। यह सेफ नहीं है।”
उस गुंडे के लिए, अभय ने अपने अपने मन में सोचा।
अभय बस चुपचाप उस जेलर को फॉलो करता रहा उस लंबे कॉरिडोर से जहां कई सारी सलाखों के दरवाज़े गुज़र रहे थे और फिर एक सीढ़ी आई जो नीचे की ओर रास्ता दिखा रही थी।
उस अंडर ग्राउंड तैखाने जैसी जगह में छोटे छोटे सैल थे जिन की हाइट कम थी और सालांखे और भी ज्यादा मजबूत। अभय ने नोटिस किया की ज्यादा तर सैल खाली थे और वहाँ एक अजीब सी शांति फैली हुई थी।
जेलर एक डबल दरवाज़े के पास आ कर रुक गया।
“हमने इसे आइसोलेशन में लास्ट वीक शिफ्ट कर दिया था क्योंकि इसने सतरावी बार भागने की कोशिश की थी।”
“मैं बस उससे कुछ सवाल पूछूंगा,” अभय ने आश्वस्त किया।
“मैं यहाँ इंतजार करता हूं। वोह आपके राइट से दूसरे सैल में है। और बाकी के सारे सैल खाली पड़े हैं।” जेलर की आवाज़ में घबराहट सी थी।
“थैंक यू।” अभय ने मध्यम रोशनी की तरफ अपने कदम बढ़ाए दिए। वोह सैल की तरफ कुछ कदम बढ़ा, उसके मन में कुछ संभावनाएं बनने लगी। वोह उससे बात करने तो बढ़ रहा था, पर अंदर ही अंदर डर रहा था की कहीं उसे कोई खराब खबर सुनने को तो ना मिले, पर उसने हार मान ने से इंकार दिया था।
अभय सैल के बाहर सामने खड़ा उन लोहे की मजबूत सालांखों के पीछे अंधेरे को घूर रहा था।
“कौन हो तुम?“ एक खूंखार सी गुर्राने की आवाज़ गूंजी।
***
कहानी अगले भाग में अभी जारी रहेगी...
❣️❣️❣️