"गुड मॉर्निंग," नर्मदा ने नील को देखते हुए कहा जब नील उसी दिन उस छोटे से किचन में आया। जब नर्मदा उठी तो अपने आप को नील के ऊपर देख कर चौंक गई थी और नील के नोटिस करने से पहले ही झटके से उठ खड़ी हुई थी।
नील ने उसे तुरंत कोई प्रतिक्रिया नहीं दिखाई पर उसे थोड़ी देर घूरा जरूर था।
"जो भी तुम करने की कोशिश कर रही हो, उसे बंद कर दो।"
"क्या?" नर्मदा श्योर नही थी की क्या नील उसे उस को गद्दा समझ कर उस के ऊपर सोने के बारे में बात कर रहा है।
"बीती रात को और आज सुबह.... मैं वोह सब वापिस दोहराना नही चाहता और तुम्हारा कोई भी ड्रामा जिसकी तुम एक्टिंग कर रही हो।" उसकी आवाज़ में कर्कश थी और उसकी आंखें गुस्से से जल रही थी।
नर्मदा के लिए यह पूरी तरह से हैरानी की बात नही थी की नील को उसकी कोशिशों के बारे में पता लग गया था, पर वोह इस बात से खुश थी की नील ने उसे अपने ऊपर सोता हुआ नही देखा था।
"तो मुझे जाने दो," नर्मदा अपनी बात पर अटल रही।
"यह नहीं होने वाला।"
"क्यूं? तो फिर मुझे मार दो अगर तुम यही करने वाले हो," नर्मदा ने चिल्लाते हुए कहा और आखिरकार वोही रिएक्शन नील के चेहरे पर देख ही लिया जिसकी उम्मीद उसे थी।
"मैं नही कर—"
नर्मदा ने उसे अपने बात पूरी करने नही दी। "तुम मुझे मारना नही चाहते पर मुझे टॉर्चर करते रहना चाहते हो?"
"क्या?"
नर्मदा को अब मज़ा आने लगा था फाइनली उसे नील का वोह रिएक्शन दिखने को मिला था। "यह तो मरने से भी ज्यादा बुरा है, नील। तुम मुझे बताओगे नही की हम कहां जा रहें हैं। मुझे कुछ पता ही नही की तुमने मुझे क्यों किडनैप किया है और लोग मेरे साथ क्या करने वाले हैं।"
"मैं कभी भी यह काम अपने हाथ में नही लेता अगर इससे तुम्हे चोट पहुंचती," नील ने अपनी कांपती हुई आवाज़ से कहा।
"तुम मुझे चोट पहुँचा रहे हो.....तुम ऐसा बरताव करते हो जैसे मैं कोई हूं ही नही।"
नील का दिल भारी होने लगा पर वोह अपनी जगह पर ही खड़ा रहा। वोह नर्मदा की आँखों में दर्द बर्दाश्त नहीं कर पा रहा था। वोह इकलौती इंसान थी जो उस पर इतना असर डालती थी, की वोह परेशान हो जाता था जब उसे दुखी देखता था। जब पहली बार नील ने उसे देखा था, ऐसा लगा था जैसे की वोह उसे सालों से जानता था जबकि उस दिन से पहले वोह उससे कभी नही मिला था।
"राज मथाई," वोह गहरी सांस लेते हुए बुदबुदाया।
"क्या?"
"मैं तुम्हे राज मथाई के पास ले कर जा रहा हूं। वोही है जो तुम्हे चाहता है।"
"मुझे चाहता है?" नर्मदा को घिन आ रही थी जो उसने अभी सुना।
"वोही है जिसने मुझे तुम्हे लाने को कहा था।"
"रेडिक्यूलियस.....है कौन वो राज...." नर्मदा बोलते बोलते रुक गई जब उसे वोह नाम हल्का सा याद आने लगा। "राज मथाई वोह मेगा कंस्ट्रक्शन?"
नील ने उसकी तरफ देख कर सिर हिला दिया। राज नर्मदा के पिता के बिजनेस पार्टनर का बेटा था। वोह उस से कुछ साल पहले एक फैमिली इवेंट में मिली थी और उसने उसे तब परेशान भी किया था। वोह उसके इर्द गिर्द घूमती रहता था उसे इंप्रेस करने के लिए अपने इरिटेटिंग जेस्चर के साथ।
"वोह बेवकूफ आदमी आखिर मुझसे चाहता क्या है?" नर्मदा ने भड़कते हुए कहा और नील की आँखों ने अंगारे दिखने लगे।
"मैने नही पूछा क्यों, मैं बस अपना काम कर रहा हूं।"
"क्या बकवास है ये....काश वो खुद मुझे लेने आया होता। मैं उसके बॉल्स ही काट देती और उसे डीप फ्राई कर देती।" नर्मदा ने लड़खड़ाती आवाज़ में कहा।
"इसलिए तो वो चाहता था की यह काम मैं करूं।" नील ने अपना सिर झटका।
"सच में मुझे अभी भी यकीन नही हो रहा, अगर थोड़ी देर और लेट से आते, तो मैं आज़ाद होती.... आज़ाद, अपनी मर्ज़ी से अपनी जिंदगी जी रही होती," नर्मदा गुस्से से दहाड़ी। नर्मदा ने आगे कहना जारी रखा जब नील ऐसे ही खड़ा रहा जैसे की दुनिया की किसी चीज़ से उसे कोई फर्क नही पड़ता। "मैं घर से भागने के लिए तैयार हो रही थी....और देखो मैं कहां आ गई।"
नर्मदा ने गुस्से से कुर्सी खींची और ढप से उस पर बैठ गई। उसे अभी भी विश्वास नहीं हो रहा था। "यह सब मेरे साथ क्यूं हो रहा है?"
"नर्मदा, बस दो दिन की और बात है, फिर मैं तुम्हे राज के पास ले जाऊंगा।"
"नील, मेरे साथ ऐसा मत करो। वोह इडियट आखिर मुझसे क्या चाहता है? अगर वोह सोचता है की मेरे पापा उसे मेरे लिए अपना कंस्ट्रक्शन कॉन्ट्रैक्ट दे देंगे, तो वोह गलती कर रहा है। मेरे पापा के लिए कॉन्ट्रैक्ट से ज्यादा कुछ भी इंपोर्टेंट नही है।" नर्मदा ने अपनी उंगलियां अपने बालों पर चलाते हुए कहा।
"सुनो, मैं...." नील बोलते बोलते रुक गया जब उसका फोन बजने लगा।
"अब जाओ गायब हो जाओ, और अपनी सीक्रेट बातचीत करो," नर्मदा ने गुर्राते हुए कहा।
"हंटर," नील ने फोन पर भारी आवाज़ में कहा जैसे लगभग चिल्ला रहा हो पर वहां से बाहर नही गया।
नर्मदा को यह बहुत फनी लग रहा था की नील अपने आप को एक कोड नेम से बुला रहा था।
"गुड... हाँ बस कुछ और दिन.... हाँ, वोह है..... श्योर, हैंग ऑन।" नील ने फोन स्पीकर पर किया और नर्मदा के सामने टेबल पर रख दिया। "राज तुमसे बात करना चाहता है।"
"वोह आखिर मुझसे चाहता क्या है?"
"हैलो, नर्मदा।" एक लड़की जैसी पतली सी आवाज़ फोन पर दूसरी साइड से आई जिससे उसके रोंगटे खड़े हो गए।
"क्या बात है, राज? तुम्हे क्या लगता है की तुम क्या कर रहे हो?" नर्मदा की आवाज़ डरी हुई सी उस छोटे से कमरे में गूंज रही थी।
"नर्मदा डियर, आई एम सॉरी की हमे इन हालातों में बात करनी पड़ रही है, पर मेरे पास कोई रास्ता नही था।" राज की शहद से भी ज्यादा मीठी आवाज़ से नर्मदा और भी ज्यादा चिढ़ रही थी।
"कोई रास्ता नही था? तुम किस बारे में बात कर रहे हो?" नर्मदा ने उलझन में अपना सिर हिलाया।
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कहानी अभी जारी है...
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