Love by ️️Duty Singham - Series 3 - Part 9 in Hindi Love Stories by Poonam Sharma books and stories PDF | Love by ️️Duty Singham - Series 3 - Part 9

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Love by ️️Duty Singham - Series 3 - Part 9

कुछ घंटो की और ड्राइव के बाद, नील ने मेन रोड से गाड़ी उतार कर एक छोटे पतले सड़क पर घुमा ली जहां बड़े बड़े पेड़ लाइन से लगे हुए थे।

वोह छाए दार रास्ता उसे कुछ जाना पहचाना लग रहा था— उसने याद किया की यह उसके पूर्वजों का गांव है जहां वोह बचपन में गर्मियों में आया करती थी। उसने खिड़की नीचे की ओर अपना चेहरा खिड़की से लगा लिया ताकी ठंडी ताज़ी हवा का आनंद ले सके, अपने बालों पर ताज़गी महसूस कर सके। नर्मदा वहां की स्वच्छ ताज़ी हवा जो की वहां की हरियाली से आ रही थी उसे महसूस कर शांत थी।

गाड़ी तेज़ी से चलती हुई पेड़ों वाले रास्ते से होते हुए एक घुमावदार निजी रास्ते पर निकली, जो घने झाड़ियों से घिरी एक छोटी सी झोंपड़ी की ओर थी।

"यह कौन सी जगह है?" नर्मदा ने पूछा, उसे सही में उत्सुकता हो रहा थी।

नील ने कोई जवाब नहीं दिया पर उसकी बजाए उसने नर्मदा के सामने डैशबोर्ड पर से कोई चीज निकाली जो की रिमोट जैसी दिख रही थी। उसने रिमोट में ग्रीन बटन दबाया, और नर्मदा अचंभित सी देख रही थी जब वोह झोपड़ी की मिट्टी की दीवार अलग हुई जैसे की कोई गैराज का दरवाज़ा हो।

वोह गैराज का ही दरवाज़ा था, और नील ने गाड़ी अंदर बढ़ा दी और बीचोबीच खाली जगह पर खड़ी कर दी।

"यह कैसी जगह है?" नर्मदा ने अपने आसपास देखते हुए अपना सवाल दोहराया जबकि नील गैरेज का दरवाज़ा बंद होने का इंतजार करने लगा।

"घबराओ मत," नील ने चेतावनी सी देते हुए कहा, और इससे पहले की नर्मदा कोई सफाई मांगती, उसने एक तेज़ आवाज़ सुनी और फिर वोह दोनो दुबारा चलने लगे।

वोह मूवमेंट कुछ अजीब था जब वो अपनी गाड़ी में बैठे हुए ही नीचे की तरफ जा रहे थे जैसे की किसी बेसमेंट में जा रहे हैं हो।

"क्या ये...." नर्मदा खुशी से अपने सामने जो खुल रहा था उसे देख रही थी।

नील ने कुछ और कदम गाड़ी चलाई, और नर्मदा गाड़ी से उतरते हुए भी उस रास्ते को देख रही थी जो अभी खुला था और अब बंद हो रहा था जैसे की वहां उस नकली कंक्रीट फर्श के नीचे कुछ है ही नही।

नर्मदा ने एक स्विच की क्लिक की आवाज़ सुनी, और लाइट्स जल गई जिस से उसकी आँखें एक पल के लिए बंद हो गई। एक पतला सा कॉरिडोर उसे दिखा जिस में से हल्की हल्की रोशनी आ रही थी जिससे नर्मदा की सांस फूल गई। वोह हैरान थी यहां की हवा बिलकुल भी तर और गरम नही थी जबकि यह भूमिगत तैखाना था। क्या यह तैखाना था या फिर कुछ और?

नील उसके चेहरे के भाव देख कर मुस्कुरा गया। "यह जगह उस होटल जैसी तोह नही है जहां तुम कल रात रुकी थी, पर तुम्हे एडजस्ट करना पड़ेगा।"

"यह कौन सी जगह है?"

"क्या इस से कुछ फर्क पड़ता है?"

"यह जगह बहुत ही अच्छी है। मैने बस सुना था इस तरह ज़मीन के नीचे रास्ते के बारे में पर कभी कोई देखा नही था।" नर्मदा उस सुरंग के आसपास देख रही थी और उसे अपनी आँखों पर विश्वास नही हो रहा था।

"तुम्हारे पास है?" नील को आश्चर्य हुआ था।

"हाँ, मेरे दादा जी ने बताया था की हमारे पूर्वजों के घर में ऐसे ही एक सुरंग है बाहर निकलने के लिए, पर मुझे कभी मिली नही, और उन्हे कुछ याद नहीं है की कहां है," नर्मदा ने शिकायती लहज़े में कहा।

"तुम्हे भागने की सुरंग क्यों चाहिए?" नील शरारती ढंग से मुस्कुराया और उसे देखने के लिए पीछे पलटा क्योंकि वोह आगे चल रहा था।

"यह मेरी रिसर्च का एक हिस्सा है।"

"रिसर्च?" नील रुक गया एक गुफा जैसा देखने वाले लोहे के गेट के सामने।

"मैं रिसर्च कर रही हूं अपनी फैमिली और इस जगह के इतिहास पर, मेरी थीसिस के लिए," नर्मदा ने हिचकिचाते हुए कहा। वोह उम्मीद कर रही थी की नील भी उसकी बात पर भद्दी टिप्पणी करेगा जैसा की हर कोई करता था जब वो अपनी रिसर्च के बारे में बात करती थी।

"रिसर्च एक ऐतिहासिक नज़रिए से?" नील ने अचंभित होते हुए पूछा।

नर्मदा ने सिर हिला दिया। वोह अभी भी हैरान थी की नील सच में उसकी बातों में दिलचस्पी ले रहा है।

"वैरी इंटरेस्टिंग। मुझे तोह लगा था की तुम बिजनेस संभालोगी।"

नर्मदा के पिता ने नर्मदा से बात की थी उनके कंस्ट्रक्शन बिजनेस के बारे में क्योंकि उसके दोनो भाई फैमिली बिजनेस को छोड़ कर उनके पूर्वजों के गांव में जा कर खानदानी दुश्मनी में घुस गया थे।

वोह अभी तक नही भूल पाई थी अपने पिता की मायूसी जब उसने उन्हे कहा था की वोह अपना मेजर सब्जेक्ट बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन से बदल कर हिस्ट्री चुनना चाहती है।

"उसमे मुझे उतना इंटरेस्ट नहीं है।" नर्मदा की आवाज़ नर्म थी जब उसन दूसरी सुरंग में कदम रखा और खड़ी हो कर इंतजार करने लगी नील के मेटल गेट को लॉक करने के लिए।

"मुझे खुशी है की तुमने छोड़ दिया। हमे जरूरत है जितने भी इतिहासकार मिल सकें।"

नर्मदा का दिल गर्व से उछलने लगा, और वोह नील को देख कर मुस्कुराने लगी।

"अतीत ही है जो कारण बनता है वर्तमान...."

"और भविष्य का," नील ने नर्मदा की बात पूरी की जिससे नर्मदा को उसे कस कर गले लगाने का मन किया, पर वोह आगे नहीं बढ़ी।

उसे याद नही था की कौनसी खास बात थी उसमे जिसने उन्हें अच्छे दोस्त बना दिया था जब वो अपने कॉलेज के फर्स्ट ईयर में थी, पर वोह जानती थी की जिसे वोह छह साल पहले मिली थी वोह अभी भी उसके आसपास ही है, और अब उसे यकीन था की वोह उसे आज़ादी दिलाने में भी पूरी मदद करेगा।

नील उसे उस लंबी सुरंग जैसी कॉरिडोर से ले कर गया और आखिरकार एक ऐसी जगह पर आ गए जहां एक बड़ा सा गेट था।

नील ने नर्मदा की तरफ पलट कर देखा जब उसने मशीन पर पासकोड पंच किया और अपनी फिंगर प्रिंट भी स्कैन की।

"हम यहां एक दिन बिताने वालें हैं और कल यहां से निकलेंगे।"

"नील..."

"हाँ।"

नर्मदा ने अपने दिमाग में कब से चल रहे सवाल को पूछने से पहले नील की तरफ काफी देर तक देखा।

"पास्ट में ऐसा क्या हुआ था जो हमे यहां तक ले आया....इस पल में?"

नील के जबड़े कस गए, पर तुरंत कोई जवाब नही दिया।

"तुम्हे जानने की जरूरत नहीं है।" नील ने उस पर से नज़रे हटा कर आगे कर ली। और मैटल डोर का बटन दबाया ताकी वोह खुल जाए और एक तेज़ आवाज़ के साथ वोह डोर खुल गया।

"अगर मैं जानना चाहती हूं तोह? मैं जानना चाहता हूं की उस आदमी को क्या हुआ है जिसे मैं कॉलेज में पहले जानती थी।" नर्मदा जानने की उत्सुकता को कम नही कर पा रही थी।

"जानने के लिए कुछ नही है।"

"हाँ, है.... तुमने मुझे किडनैप किया है किसी खास मकसद के लिए। पैसा वजह नही है, और जहां तक मैं अंदाजा लगा सकती हूं, आज से पहले तुमने कभी किसी को किडनैप नही किया है।"

नील ने दरवाज़े पर धक्का दिया जो की देखने में एक लकड़ी का सभ्य दरवाज़ा लग रहा था।

"बाथरूम राइट में है, और तुम्हे राइट वाली अलमीरा में तुम्हारे लिए कुछ कपड़े मिल जायेंगे।"

जो उम्मीद वोह लगा रही थी वोह मानो सागर के तले में डूब गई जब उसने नील के लंबे चौड़े शख्सियत को उससे दूर जाते देखा।

"नील," नर्मदा ने नील को पुकारा पर क्यूं नही जानती थी।

नील बीच में ही रुक गया और उसकी तरफ पलट गया, अपने सुंदर तराशे हुए चेहरे को उसकी तरफ कर लिया।

नर्मदा की सांस ही रुक गई नही जानती थी की क्या कहे। नील कुछ पल उसे ऐसे ही देखता रहा।

"नर्मदा।"

"तुम कहां जा रहे हो?"

"बाहर।"

नर्मदा नील के करीब आई। "मुझे यहां अकेला मत छोड़ कर जाओ। मुझे डर लगता है।"

"तुम यहां सेफ हो। मैं आधे घंटे में वापिस आ जाऊंगा।"

"प्लीज़, मुझे मत छोड़ कर जाओ।" उसने अपनी बाहें फैला दी और उसके सीने से लग गई।

नील स्तब्ध रह गया पर हिला नही।

नर्मदा ने अपना गाल उसके सीने से सटा रखा था। वोह अपने आप को उसकी गरमाहट महसूस करने से रोक नही पाई थी।

"नर्मदा, तुम यहां सुरक्षित हो। मुझे जाने दो।"

नर्मदा उस से दूर नही होना चाहती थी और उसने अपनी पकड़ उस पर और कस दी।

"नर्मदा, जाने दो।" नील को आवाज़ में धमकी नज़र आ रही थी, पर नर्मदा ने उसे छोड़ा नही।

"मैं नही छोडूंगी, मुझे यहां अकेले डर लग रहा है।" नर्मदा ने झूठा डर दिखाना चाहा और उस डर को सच दिखाने के लिए वोह लंबी सांस ले कर उसे महसूस करने लगी, पर नील पर उसके इमोशनल अत्याचार का कोई प्रभाव नहीं पड़ रहा था या वोह पड़ने ही नही देना चाहता था।

"बकवास बंद करो," नील ने कहा और झटके से उसे खुद से दूर कर दिया।

नर्मदा एक दम स्तब्ध सी और खयालों में खोई हुई उसे देख रही थी जब नील बिना एक और शब्द कहे उस से दूर जा रहा था।

उसे कुछ पल लगा अपने आप को वापिस संयमित करने में।









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कहानी अभी जारी है...
❣️❣️❣️