Love by ️️Duty Singham - Series 3 - Part 7 in Hindi Love Stories by Poonam Sharma books and stories PDF | Love by ️️Duty Singham - Series 3 - Part 7

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Love by ️️Duty Singham - Series 3 - Part 7

"नील, गाड़ी रोको... अभी। मुझे भूख लगी है।" नर्मदा ने हाईवे पर एक छोटे से रेस्टोरेंट की तरफ इशारा किया था। इस वक्त देर सुबह का वक्त था, और वोह जगह खाली लग रही थी। नर्मदा उम्मीद कर रही थी की कुछ तोह लोग होंगे वहां आसपास ताकि भागने की कोशिश कर सके, पर उसे कोशिश तोह करनी ही पड़ेगी।

"तुम्हे यह जगह पसंद नही आयेगी। तुम्हे खाए हुए एक घंटे से भी कम समय हुआ है," नील ने मज़ाक उड़ाते हुए कहा।

"मुझे भूख लगी है, और मैं जो भी मिलता होगा यहां वोह खा लूंगी...बस गाड़ी रोको," नर्मदा ने जबरदस्ती की।

नील ने एक गहरी सांस ली पर गाड़ी उस तरफ घुमा दी और स्पीड कम कर ली जैसे ही वोह उस रेस्टोरेंट के पास आए। वोह जगह पुरानी लग रही थी, पर साफ सुथरी थी। वहां एक जवान औरत थी जो काउंटर पर खड़ी थी, और कुछ आदमी थे जो खाली जगह के आसपास घूम रहे थे।

भागने की सारी उम्मीद टूटता देख कर, नर्मदा उस औरत के पास आई और मुस्कुराई।

"बाथरूम किस तरफ है?"

"वोह वहां पीछे है।" इस औरत ने डाइनिंग एरिया के दूसरी तरफ एक दरवाज़े की तरफ इशारा किया।

"माफ करना पूछने के लिए पर आखरी बार इसे कब साफ किया था?" नर्मदा ने अपनी नाक हल्का खुजाते हुए पूछा।

वोह औरत हँस पड़ी। "वोह साफ है, पर वोह कॉमन बाथरूम है। अगर आपको दिक्कत ना हो किचन के रास्ते जाने से तो मेरे ऑफिस का बाथरूम इस्तेमाल कर सकती हैं।"

"ओह ज़रूर," नर्मदा ने चहकते हुए कहा और पलट गई नील को देखने के लिए जब नील उस के पास पहुंच गया था।

"तुमने क्या ऑर्डर किया?" नील की आवाज़ में बहुत मिठास थी, और नर्मदा ने नोटिस किया की नील पब्लिक के सामने अच्छा बनता था।

"तुम मेरे लिए कुछ क्यों नही ऑर्डर करते? मैं अभी बाथरूम जा रहीं हूं।"

"वोह उस तरफ है," नील ने दूसरी साइड दरवाज़े की ओर उंगली से इशारा करते हुए कहा।

"तुम यूज करो उसे, स्वीटहार्ट। मेरे लिए एक स्पेशल है।" नर्मदा ने नील की तरफ अपनी एक आँख दबा दी, और फिर पलट कर उस औरत के साथ किचन की ओर चली गई।

वोह औरत नर्मदा को देख कर मुस्कुरा रही थी। "आप दोनो एक साथ एक क्यूट कपल लगते हैं।"

नर्मदा का दिल उछल पड़ा इसलिए नही जो उस औरत ने कहा बल्कि किसी और सोच से। यह पहली बार था जब वो नील की नजरों के सामने से ओझल हो रही थी, यह जगह भी बिलकुल खाली पड़ी थी, और नील भी ओके लग रहा था नर्मदा को अपने दूर जाते देख कर। नर्मदा को इस बात का फायदा उठाने की जरूरत थी

"वोह....हम कपल नही हैं," नर्मदा ने फुसफुसाते हुए कहा।

P"आई एम सॉरी, जिस तरह से वोह आपको देख रहे थे.... मुझे लगा आप दोनो एक साथ हैं।" वोह औरत अपने ऑफिस जाने के रास्ते में ही बीच में रुक गई थी।

नर्मदा ने एक गहरी सांस ली। "वोह मेरा किडनैपर है, मुझे मेरे घर से किडनैप करवा लिया गया था....मुझे यह भी नही पता की कब।"

वोह औरत अचंभे सी खड़ी थी, उसे नर्मदा पर यकीन ही नहीं हो रहा था। "आई एम सॉरी।"

"मैं जानती हूं की मुझे भाग जाना चाहिए, मेरा सिर भी चकरा रहा है, पर इससे मुझे कोई मदद नहीं मिलने वाली। मुझे मदद की जरूरत है, वोह मुझसे बहुत ताकतवर है।"

"क्या उसने तुम्हे कोई चोट पहुँचायी है?" उस औरत की आवाज़ बिलकुल ठंडी थी।

"नहीं....वोह मुझे किसी और के पास ले कर जा रहा है, और मुझे उससे पहले भागना ही होगा," नर्मदा ने रिक्वेस्ट करते हुए कहा।

"एक मिनिट।" वोह औरत एक दरवाज़े के पास गई और तेज़ आवाज़ में किसी को बुलाने लगी। "मेरे भाई तुम्हारी मदद कर सकते हैं," उसने फुसफुसाया।

दो बलवान आदमी जिन्होंने अप्रोन और हेयर नेट्स पहनी हुई थी ऑफिस में चले आए।

"मेरे भाई उसे रोक लेंगे, और मैं तुम्हे पास के पुलिस स्टेशन ले चल सकती हूं।"

नर्मदा ने थूक गटक लिया पर हां में सिर हिला दिया।

"मैं इसे पीछे के दरवाज़े से ले कर जाती हूं।" उस औरत ने अपने भाइयों को सिग्नल दिया।

"तुम्हारी गाड़ी कहां है?" उन दोनो आदमियों में से एक ने उस औरत से पूछा।

"आगे की तरफ खड़ी है, पर मैं ग्रोसरी वैन ले कर जाऊंगी। बस उस पर नज़र रखना," उस औरत ने अपने भाइयों को ऑर्डर दिया और नर्मदा को फिर से किचन की तरफ ले जाने लगी।

यह सब सोच कर और देख कर नर्मदा के पेट में कुछ अजीब सा एहसास होने लगा जब वोह उस औरत के पीछे पीछे किचन के एक साइड में बने दरवाज़े तक जाने लगी। उसका दिल उसके सीने में ऐसे उछल रहा था मानो बगावत कर रहा हो जो भी वोह करने जा रही है उससे। वैन के पिछले हिस्से में चढ़ते ही एक ऐसा एहसास हुआ जो उसे समझ में नहीं आ रहा था।

"अपना सिर नीचे रखना," उस औरत ने सुझाव दिया।

नर्मदा ने अपने अंदर चल रहे युद्ध को साइड कर उस गंदी वैन के फ्लोर पर बैठ गई और वैन के मैटल साइड पर अपना सिर टिका दिया। उसका सिर अब घूमने लगा था, और वोह अपने आप को समझा रही थी की बस कुछ ही देर की बात है और फिर उसे इस बदबूदार वैन से छुटकारा मिल जाएगा और वोह अपने आप को बेहोश होने से रोकने लगी। उसे कोई अंदाज़ा नही था की जब वोह पुलिस स्टेशन पहुंचेगी तोह वोह वहां क्या करेगी। वोह घर वापिस नही जाना चाहती थी, वोह चाहती थी तोह बस आज़ादी जिससे वोह अपनी जिंदगी अपने मुताबिक जी सके जैसे वोह चाहती है। उसने अपने पैरों में मोटे मोटे बंधी पायल देखे रही थी जो की वोह जानती थी की उसे इसे अलग करना ही होगा एक नई शुरवात करने के लिए।

उस औरत ने धीरे से वैन रेस्टोरेंट के साइड से आगे बढ़ा दी। वोह अपनी तेज़ चलती सांसों से यह बता सकती थी की वोह कितना घबरा रही है। वोह औरत चिल्लाई, और धीरे धीरे चला रही वैन अचानक रुक गई और नर्मदा का सिर झटके से गाड़ी की पिछली सीट से टकरा गया।

"वोह कहां है?" एक जानी पहचानी आदमी की आवाज़ सुनाई पड़ी।

नर्मदा जम गई पर डर से नही, उसका शरीर रिएक्ट कर रहा था नील की उदास भरी आवाज़....ज्यादा निराश भरी आवाज़ सुन कर।

"वोह....वोह बाथरूम में हैं," उस औरत ने अपनी लड़खड़ाती आवाज़ में कहा।

नर्मदा को नील के कदमों की आवाज़ सुनाई दे रही थी जो वोह रिवर स्टोन्स पर अपने कदमों को रख रहा था जो की रेस्टोरेंट के चारों ओर लाइन से लगे हुए थे जब वोह ड्राइवर की साइड पर नज़दीक आ रहा था।

"नर्मदा," नील ने उसे पुकारा, पर नर्मदा हिली नही।

"वोह औरत बाथरूम में है। मुझे कुछ ग्रोसरी लेने जाना है," उस औरत ने रिक्वेस्ट की, और नर्मदा जानती थी की नील की भरी आवाज़ सुनकर वो औरत डर से कांप गई है।

नर्मदा ने अब बहुत सोच लिया था और फैसला किया की यह भागने की व्यर्थ की कोशिश है और बस वैन का दरवाज़ा खोलने ही वाली थी की उसे मिट्ठी पर टायरस के तेज़ी से रगड़ने की आवाज़ सुनाई देने लगी वैन के पास ही। वोह औरत वैन से उतर गई और नील को धक्का दे दिया। नर्मदा डर से देख रही थी की नील एक दीवार से टकराया और उछल कर एक बड़ी सी वैन पर गिर पड़ा जो दूर जा रही थी।

वैन की एक बड़ी सी, काले रंग की खिड़की क्रैक हो गई जब वोह टूटे हु शीशे से नील को देख रही थी।

"रुको," नर्मदा चिल्लाई। "रुको, प्लीज।"
उस औरत ने झटके से वैन रोकी और नर्मदा ने वैन का पीछे का दरवाज़ा खोल दिया। नर्मदा वैन से बाहर आई, पर उसके पैर बहुत कमज़ोर लग रहे थे, और वोह मिट्टी में नीचे गिर पड़ी।

"नर्मदा," नील भागता हुआ आया और उसे बाहों में उठा लिया।

नर्मदा का शरीर थरथरा गया जब नील ने उसे पकड़ा, नर्मदा का चेहरा नील के सीने में छुपा हुआ था।
"आई एम सॉरी....मुझे नही करना...." नर्मदा की आवाज़ लड़खड़ाने लगी जब उसने महसूस किया की नील उसे खुद से अलग कर रहा है।

नर्मदा देख रही थी जब उस औरत के भाइ नील को उससे दूर कर रहे थे।

"वैन में जा कर बैठो!" एक आदमी चिल्लाया, पर नर्मदा की आंखें उस आदमी पर जा रही थी जो की अपने को बचाने के लिए कुछ नही कर रहा था।

बल्कि उसके होंठों पर हल्की सी मुस्कुराहट थी जैसे वोह जनता हो को नर्मदा नही भागेगी।

"जल्दी करो," नर्मदा के पीछे से एक औरत चिल्लाई।

नर्मदा न हल्का सा पलट कर उस औरत की तरफ देखा और अपने कदमों को बढ़ा कर तेज़ कदमों से भागी, पर नील की गाड़ी की तरफ।

"नील, जल्दी यहां से निकलो," नर्मदा ने नील को पुकारा और अगले ही पल उसे उन दो आदमियों की आवाज़ सुनाई पड़ी जब नील ने उन दोनो आदमियों को एक एक करके मिट्टी में पटक दिया।

नर्मदा ने बिना आवाज़ निकाले होंठों को घुमा कर उस औरत की तरफ देख कर कहा जो उसे घूर रही थी 'आई एम सॉरी' जबकि उस औरत के चेहरे पर हैरानी के भाव थे।

नील ने गाड़ी पार्किंग से निकाली और रेस्टोरेंट से इंजन की तेज़ खड़खड़ की आवाज़ निकालते हुए दौड़ा दी। नर्मदा को कुछ पल लगा नील की तरफ देखने के लिए।



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कहानी अभी जारी है...
❣️❣️❣️