“प्लीज़,” नर्मदा मुस्कुराई और नील की आँखों में उसे कुछ झलका, और गायब भी हो गया इससे पहले की वोह कुछ समझ पाती। वोह उसे लॉबी से बाहर तक फॉलो करती रही। उसे पता नही था की नील उसे कहां ले जा रहा है, पर वोह यह जानती थी की उसके पास बस कुछ ही दिन है जो की उसने नील को फोन पर बात करते सुना था। वोह उम्मीद कर रही थी की नील को मना लेगी की वोह उसे जाने दे। अगर वोह यह जान जाए की नील को उसे किडनैप करने के बदले क्या मिलने वाला है और कौन उसे पे करने वाला है।
नर्मदा ने अपने आस पास देखा जहां वैलेट लाइन के लिए गाडियां निकल रही थी और वोह अपनी गाड़ी के आने का इंतजार करने लगी, अपने सामने खड़ी नीली स्पोर्ट्स कार को तोह उसने बिलकुल ही नजरंदाज कर दिया था।
उसकी बादामी आँखें नील को फॉलो करने लगी जो की उसी गाड़ी की ड्राइवर साइड की तरफ जा रहा था।
"क्या तुम लिमो की उम्मीद कर रही हो?"
एक लिमो, वोह उम्मीद कर रही थी, इस पुरानी गाड़ी की तोह उसे उम्मीद ही नही थी। यह नेटरुअल था, आखिर वोह पली बढ़ी ऐशो आराम में थी।
"सीरियसली?" नर्मदा हँस पड़ी, उसे सच में यकीन नही हो रहा था की वोह इस सिंपल सी राइड में सवारी करने वाली है। "कभी उम्मीद नही की थी की इस तरह भी कभी ऐसी गाड़ी में भागूंगी।"
"यह इस काम के लिए फिट है। इसके अलावा और कुछ ड्राइव नही कर सकते अगर मैं अपने हनीमून पर अपनी वाइफ के साथ एक होटल के प्रेसिडेंशियल सुइट में रह रहा होता," नील ने ताना मारते हुए कहा, और नर्मदा को यह बात अंदर तक छू गई। वोह खुद हैरान थी की वोह उसके शब्दो पर रिएक्ट कर रही थी, खासकर 'वाइफ' वाला पार्ट।
"तुम्हे डर नहीं है की लोग मुझे पहचान जायेंगे?" नर्मदा ने पूछा और नील ने गाड़ी होटल के पार्किंग लॉट से निकाल ली।
"तुम क्या करती हो, नर्मदा?_
"मैं हिस्ट्री में मास्टर्स कर रही..." नर्मदा की आवाज़ बंद हो गई जब उसने नील के चेहरे पर शरारती मुस्कुराहट देखी।
"क्या?"
"मैं जानता हूं की तुम क्या करती हो, और मैं जरूर घबराता की लोग तुम्हे पहचान जायेंगे अगर तुम एक सेलिब्रिटी होती।"
"वैसे..... लोग मेरे शहर में मुझे जानते हैं। यह कौन सा शहर है?" नर्मदा खिड़की से बाहर देखने लगी ताकी आसपास की लोकल भाषा का कोई साइन बोर्ड उसे दिख जाए।
"इससे कोई फर्क पड़ता है की हम कौनसे शहर में हैं?"
"हाँ। मुझे जानना है।"
"क्यूँ? ताकि तुम अपने लोगों तक मैसेज पहुँचा दो," नील ने मज़ाक उड़ाते हुए कहा।
"नील, मैने तुम्हे बताया था की मैं अपनी फैमिली के पास वापिस नही जाना चाहती और वहां भी नही जहां तुम मुझे ले जा रहे हो।" नर्मदा की आवाज़ बहुत ही नर्म थी जिससे यह पता चल रहा था की वोह बहुत उदास है।
नील ने अपने जबड़े कस दिए पर कहा कुछ नही।
"तुम्हे मुझ किडनैप करने के बदले क्या मिलने वाला है?" नर्मदा ने पूछा।
"मुझे इस बारे में कोई बात नही करनी।"
"नील, प्लीज़..... मैं पूरी कोशिश करूंगी की तुम्हे देने की जो भी तुम चाहते हो। मुझे जाने दो।"
"मैं तुम्हे जाने नही दे सकता, और जो मैं चाहता हूं, वोह तुम मुझे नही दे सकती," नील से कर्कश भरी आवाज़ में अकड़ से कहा।
"तुम ऐसा क्यों कर रहे हो, नील? आखरी बार जब मैने तुम्हे देखा था, तुम एक सिक्योरिटी कंपनी खोलने वाले थे। तोह फिर क्या हुआ?"
नील ने कोई जवाब नही दिया, और नर्मदा उसकी लंबी, ताकतवर शक्सियत को काफी देर तक घूरती रही, और फिर नज़रे फेर ली क्योंकि वोह ज्यादा देर तक उसकी चुप्पी बर्दास्त नही कर पाई।
वोह फिर खिड़की से बाहर देखने लगी क्योंकि जिस परिस्थिति में वोह इस वक्त थी उसे वोह पचा नहीं पा रही थी। उसने अपनी पलखें बार बार झपकाई ताकि आँखो में आए आंसू को झलकने से रोक सके और एक गहरी सांस ली।
"अच्छा होता अगर छह साल पहले तुम उन लोगों को मुझे मारने देते। क्यों मेरी जान बचाई और मुझे इस मुसीबत में डाल दिया?"
एक कंपकंपी सी दौड़ गई नील के शरीर में जब उस के जेहन में अपने पहले मर्डर की याद ताज़ा हुई। उसका पहला शिकार था जब वो एक अनुभवहीन बॉडीगार्ड था और अपनी जान बचाने के लिए उसने किसी की जान ली थी।
उसने सेनानी के अंदर नर्मदा के टेंपररी बॉडीगार्ड के तौर पर अपने काम की शुरवात की थी जब, बल्कि, वोह उस वक्त एक मिशन पर था—एक मिशन जो की बदला और कर्तव्य से प्रेरित था।
"मैं कितनी बेवकूफ थी जो यह सोच रही थी की तुम मेरी मदद करोगे।" नर्मदा का रोने की वजह से नाक लाल हो गई थी।
"नर्मदा, मैं वोह नही हूं जिसे तुम पहले जानती थी। जिस नील को तुम जानती थी वोह मर चुका है। लोग मुझे अब उस नाम से नही जानते।"
"मुझे फर्क नही पड़ता की तुम्हारा नाम क्या है, तुम वोही इंसान हो जिसने मेरी जान बचाई थी उन गुंडों से।" नर्मदा की आवाज़ गूंज उठी थी।
"मैं... मैं बस अपना काम कर रहा था।"
"तोह तुम ने मेरे दोस्त होने का नाटक क्यों किया, मेरे साथ बाहर क्यों जाते थे, क्यों तुमने....क्यों तुमने मुझे किस किया था अगर तुम सिर्फ अपनी नौकरी कर रहे थे और अगले दिन अचानक गायब होंगे थे, बिना अपने पीछे कोई सबूत छोड़े?" नर्मदा अपने आंसुओं से लड़ते हुए लगातार बोली चली गई।
नील यह उम्मीद कर रहा था की नर्मदा सब भूल गई होगी इसके बारे में जब उसने इस किडनैपिंग के काम के लिए हामी भरी थी। वोह जानता था की यह एक गलत कदम है जब उसने यह महसूस किया की नर्मदा को सब याद है जिस वजह से वोह डर रहा था और छह साल पहले अपने मकसद से भटक रहा था।
उस एक पल में, उसने खुद से यह वादा कर लिया था की नर्मदा को जिंदगी भर सुरक्षित रखेगा।
उस एक पल में इतनी ताकत थी की उसके बदले के मकसद को भटका देता अगर वोह अपना वादा तोड़ कर चला नही गया होता।
"मुझे कुछ भी याद नहीं है की तुम किस बारे में बात कर रही हो।" नील ने इंकार कर दिया की उसे किस करने वाली कोई बात याद नही है।
"झूठे.... तुम खुद से झूठ बोल सकते हो और अपना यह काम जारी रख सकते हो," नर्मदा ने गरजते हुए उससे नज़रे फेर ली।
नील ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी इसलिए नही की वोह देना ही नही चाहता था, बल्कि इसलिए क्योंकि वोह नही जनता था की अब क्या कहे। उसके अंदर कुछ जलता था जब भी नर्मदा उसे भाँप जाती थी।
नील ने जल्दी से एक नज़र नर्मदा की ओर देखा और पाया की नर्मदा खिड़की से अपना सिर टिकाए आँखें बंद किए आराम कर रही है। नील ने महसूस किया की यही सही है की इस बहाने उनके बीच हो रही बात को यहीं खत्म किया जा सकता है।
गाड़ी के इंजन की दहाड़ नील के अंदर की आग को मैच कर रही थी जब वोह रात के वक्त अपनी पतली छोटी सी गाड़ी को दौड़ा रहा था।
नर्मदा ने भी इंजन की वाइब्रेशन और नील के गुस्से की गर्मी महसूस की, पर उसे इस बात का बहुत दुख हुआ था की उसके आंसू भी नील को पिघला नही पाए थे। यह उनमें से एक तरकीब थी जो वोह नील पर अजमा चुकी थी की वोह उसे जाने दे। वोह जानती थी की उसे है एक ट्रिक की कोशिश करनी पड़ेगी ताकी वोह उसके प्रति नरमी दिखाए। उसने अपनी आँखें आधी बंद की हुई थी, उसका चेहरा नील से दूसरी तरफ था।
उसने उसके चेहरे की भाव की एक हल्की सी झलक देखी खिड़की के शीशे से जब भी वोह किसी स्ट्रीट लाइट के नीचे से गुजरते थे और वोह जनता थी नील को मनाना बहुत मुश्किल होने वाला है। वोह खुद भी बहुत सख्त थी और उसे सख्ती से ही बढ़ा किया गया था उसके दो बड़े भाइयों के साथ।
उसने बचपन से ही सख्ती देखी थी और अपने अंदर से उसे अपना भी लिया था, वोह किसी भी सिचुएशन में आसानी से बाहर निकलना जानती थी।
«»«»«»«»
हवाएं कुछ अलग थी, वोह बता सकती थी की कैसी साफ और स्वच्छ हवा वोह अपनी स्किन पर महसूस कर रही थी। वोह कई घंटो तक ऐसी ही रही थी नींद में ही बड़बड़ाने और रोने की वजह से बार बार अपनी नाक रगड़ने का नाटक करती रही जबकि नील एक चुपचाप गाड़ी चलाए जा रहा था।
उसने एक समय पर झपकी ली और नींद से जाग गई जब उसे अपने आसपास से कोई आवाज़ आने लगी। गाड़ी चल नही रही थी, और गाड़ी के पतले से कच्चे रास्ते के किनारे रुकी हुई थी।
इस वक्त हल्की सुबह का समय था क्योंकि अभी सूरज अभी दिखना नही शुरू हुआ था, उसने उस ओर देखा जहां से आवाज़ आ रही थी।
नील एक बूढ़े दुकानदार से बात कर रहा था। वोह चाय को चुस्की लेते हुए उस दुकानदार से आराम से बात कर रहा था। नर्मदा को भी इस वक्त एक कड़क चाय की जरूरत थी। उसे दिन की शुरवात करने के लिए इसकी बहुत जरूरत थी।
उसने धीरे से गाड़ी के दरवाजे का लॉक खोला और मिट्टी में अपने कदम रख दिए जबकि वोह गाड़ी से बाहर नही निकली। उसने नील की ओर देखा और मुस्कुरा पड़ी जब दोनो की नज़रे एक दूसरे से मिली, पर नील उसे देख कर मुस्कुराया नही।
नर्मदा गाड़ी से बाहर निकली और रात भर ज्यादा देर बैठने की वजह से अपने टूटे हुए बदन के साथ नील की तरफ बढ़ने लगी।
"गुड मॉर्निंग," नर्मदा नील से हट कर उस बूढ़े आदमी, जो फूड स्टॉल के पीछे खड़े थे, की तरफ देख कर मुस्कुरागाई।
"क्या मुझे थोड़ी चाय मिल सकती है?"
वोह आदमी मुस्कुराया और हट कर उसके लिए चाय बनाने लगा।
अनिका ने पलट कर नील की तरफ देखा जब उसे अपनी पीठ पर उसकी जलती हुई निगाहें महसूस हुई।
"तुम मुझे ऐसे क्यों देख रहे हो जैसे की अभी खा जाओगे," नर्मदा ने छेड़ ते हुए कहा।
नील ने कोई जवाब नही दिया, ना ही उसके चेहरे के भाव बदले और ना ही उसने अपनी नज़रे उससे फेरी।
"ठीक है, मत बात करो मुझसे। ऐसा नही है की हम कोई दोस्त वोसत हैं।" नर्मदा लगभग घबराने लगी थी यह सोच कर की उसके पास और कोई बहाना नही है की वोह उसे जाने दे जब नील ने तुरंत कोई प्रतिक्रिया नहीं दी, पर आखिरकार नील बोला।
"हाँ, हम कभी दोस्त नही थे।"
"वैल फिर तो....थैंक यू मेरी जान बचाने के लिए।" नर्मदा ने अपनी पलकें झपकाई।
नील ने सिर हिला दिया और दूसरी तरफ देखने लगा जब उस बूढ़े आदमी ने नर्मदा को चाय ला कर दी।
"आपका शुक्रिया सर, मेरे हसबैंड कह रहे थे की आप बहुत अच्छी चाय बनाते हैं।"
वोह बूढ़ा आदमी शर्मा कर मुस्कुराते हुए अपनी दुकान पर वापिस चला गया।
नर्मदा अपनी चाय ले कर बिना एक नजर नील की तरफ देखे गाड़ी की तरफ चली गई, पर जानती थी की उसकी कही हुई बात नील को सर्प्राइज कर देगी।
नर्मदा ने चाय का एक घूंट पिया और उसे अपने शरीर के अंदर ताज़गी महसूस होने लगी। नर्मदा नील गाड़ी के साइड मिरर से देख रही थी जब वोह उस बूढ़े आदमी के साथ बात कर रहा था। उन दोनो में बातचीत जेनुइन लग रही थी जिससे नर्मदा यह सोचने लगी की क्या नील उस बूढ़े आदमी को जनता है।
नर्मदा गाड़ी में बैठी हुई लगातार नील को ही शीशे से ऑब्जर्व कर रही थी और सोच रही थी की क्या तरकीब अब वोह लगाए उससे पूछा छुड़ाने के लिए। उसने आपने आसपास हरियाली देखी, और यहां से भाग कर झाड़ियों में छुपाने के बारे में सोचने लगी, पर वोह अच्छी तरह से जानती थी। वोह आज़ादी तब तक नही पा सकती जब तक की नील उसे जाने ना दे— अगर जाने नही दिया, तोह वोह यहां से किसी भी तरह से नही भाग सकती और उस से बच कर नही छुप सकती।
एक असहज सी खामोशी दोनो के बीच छाई रही जब वोह उस चाय दुकान से आगे बढ़ गए। अब एक पल के लिए भी नर्मदा चुप्पी बर्दाश्त नहीं कर पा रही थी।
"तुम्हे चाय के कितने पैसे देने हैं?" नर्मदा ने अचानक कह दिया और अगले ही पल खोद को कोसने लगी।
"क्या?"
नर्मदा को खुशी थी की उसे कम से कम नील से कुछ जवाब तो मिला।
"तुम्हे तुम्हारी चाय फ्री में नही मिली, है ना?"
नील के जबड़े भींच गए, उसे अपने कानों पर विश्वास नहीं हो रहा था।
"तुम होटल के लिए और कल रात के खाने के लिए मेरी कर्ज़ दार हो," नील ने पलट कर जवाब दिया।
"तुम मेरे ड्रेस को फाड़ने के लिए कर्ज़ दार हो," नर्मदा चिल्लाई।
"मैं इसके लिए पे नही करने वाला।"
"मैं तुमसे करवा कर रहूंगी," नर्मदा ने शिकायती लहज़े में कहा और नील ने हल्के से ना में सिर हिला दिया, उसके चेहरे पर हल्की सी मुस्कुराहट आ गई।
नर्मदा को राहत मिल रही थी की कम से कम वोह नील को उस स्टेट पर तो ले आई जहां वोह उससे दुबारा बात कर सकती है। "तुम्हे पता है ना की मैं कर सकती हूं। याद है जेस्सी को मैने मजबूर कर दिया था आइसक्रीम के लिए पे करने के लिए क्योंकि उसने मेरी आइसक्रीम गिरा दी थी?" नर्मदा गर्दन घुमा कर नील को देखने लगी।
नील के होंठो का हल्का सा कर्व बनने लगा था पर उसने अपनी मुस्कुराहट दिखने नही दी।
"अब तुम फंस गए हो।" नर्मदा की बात ने नील को झटका दे दिया, पर उसने हल्का सा अपना सिर हिला दिया।
नर्मदा बहुत कोशिश कर रही थी की नील कुछ रिएक्ट करे, कुछ बात करे, या फिर चिल्ला ही दे, पर नील ने कोई भी स्ट्रॉन्ग इमोशन नही दिखाए थे जबसे उसने नर्मदा का ब्लाउज फाड़ा था।
नर्मदा बेसब्र हुई जा रही थी क्योंकि वोह जानती थी की उसके पास अब ज्यादा वक्त नहीं है। उसे पता लगाना ही था की उसे कहां ले जाया जा रहा है और किसने उसे किडनैप करवाया है, और वोह दोनो रात में ट्रैवल कर रहे थे इसलिए नर्मदा जगह नहीं पहचान पाई थी।
वोह खिड़की से बाहर देखने लगी थी जो की गांव का इलाका लग रहा था जहां यह स्पोर्ट्स कार कुछ अजीब सी लग रही थी इस जगह के हिसाब से।
वोह यह सोच रही थी की कैसे कोई अपनी लग्जरी गाड़ी में इन हरियाली खेतों से ड्राइव करते हुए 'रडार के अंदर' रह सकता है।
***
कहानी अभी जारी है...
❣️❣️❣️