विश्वास (भाग --4)
अब जब से टीना का एक्सीडेंट हुआ है वो बस टीना के पास ही रहती हैं। उमेश और मीनल सुबह उनका नाश्ता और दोपहर का खाना ले आते हैं। डॉक्टर के राउंड पर आने के बाद उनसे बात करके ऑफिस चले जाते हैं और मीनल बच्चों के स्कूल से वापिस आने तक घर फिर शाम को टीना के चाचा चाची दोनो से मिलने और उमा जी के लिए खाना लेकर।
परिवार में सभी कह कह कर थक गये कि, "माँ हम सब हैं, टीना के पास बारी बारी रूक सकते हैं"। उनका बस यही कहना कि "मैं घर पर भी आराम करती हूँ यहाँ भी, तुम लोग रहोगे तो तुम्हारे काम में नुकसान होगा"।
आखिर माँ का कहना सबको मानना ही पडा़। एक्सीडेंट ने टीना को शारीरिक और मानसिक दोनो तरीके से। एक्सीडेंट में सिर में लगी चोट ने उसको 4-5 दिन तो कोमा जैसी हालत में रखा। जब टीना को होश आया तब सबकी जान में जान आयी।
अब थोड़ा सुधार आना शुरू हुआ है, पर टीना के मन ने तो हार ही मान ली है। जिंदगी से भरपूर लड़की ने जैसे जीने से मुँह ही मोड लिया है। सब उसको खुश रहनै और जल्दी ठीक होने को कहते हैं तो वो मुँह फेर लेती है।
जब एक्सीड़ेंट हुआ था तो दूर पास के सब रिश्तेदार सब देखने आते थे। जितने लोग उतनी बातें और उससे कहीं ज्यादा सलाहें।
एक तरफ बेटी की तकलीफ दूसरी तरफ लोगों की आवाजाही।
तब उमा जी ने अपने सभी बेटे बहुओं को बुला कर कहा, "सभी मित्रों और रिश्तेदारों को फोन यी व्हॉटसप्प करके बता दो की टीना जब ठीक हो कर घर आएगी तब पार्टी करेंगे तभी आएँ, अभी कोई परेशान न हों"।
सभी ने उमा जी के इस फैसले को सराहा। टीना के सिर में लगी चोट ने बाहर कम अंदर ज्यादा नुकसान किया था। उसके ब्रेन में ब्लड क्लॉटस हो गए हैं जिनको ठीक होने में वक्त लग रहा है।
10:30 बजे डॉ. साहब अपनी जूनियर टीम के साथ आ गए। "टीना हाऊ यू फीलिंग नाऊ"? टीना ने भी "ऑल वेल" के लिए अँगूठा दिखा दिया। डॉ के पीछे पीछे मीनल और उमेश भी बाहर बात करने के लिए चले गये।
"डॉ. कैसी है अब हमारी बेटी"? मीनल ने पूछा । "मैडम वो ठीक हो जाएगी आप टेंशन मत लीजिए, उसको थोड़ा वक्त लग रहा है पर वो बिल्कुल नार्मल हो जाएगी"।डॉ. ने कहा तो उमेश ने पूछा," क्या हम इसको घर ले जाएँ ,जब आप बुलाएँगे हम ले आएगें"।
"मिस्टर उमेश मैं इसकोअगले हफ्ते डिस्चार्ज करूँगा। कुछ दिन इसकी फिजियोथैरेपी हमारी देखरेख में होने दीजिए, अच्छा रहेगा"। "ठीक है सर आप जैसा ठीक समझे"।
विश्वास (भाग --5)
डॉ. से बात करके उमेश और मीनल कमरे में आ गये। "माँ, टीना को अगले हफ्ते हम घर ले जा सकते हैं, अभी डॉ. से बात हुई तो उन्होंने बताया कि टीना ठीक हो रही है"।
"ये तो बहुत अच्छी खबर सुनाई है, घर पर सबके बीच जल्दी ठीक हो जाएगी", कहते हुए दादी ने अपनी पोती का माथा चूम लिया।
"उमेश अब तुम ऑफिस के लिए निकलो, और ड्राइवर को वापिस भेज देना वो मीनल को घर छोड़ आएगा"। "ठीक है माँ , कोई दिक्कत हो तो फोन करना और अपना भी ध्यान रखना"।
उमेश के जाने के बाद मीनल ने सहायिका की मदद से टीना को नहलाया और उसके बाल बना दिए। टीना का खाना हॉस्पिटल वाले ही देते थे, जो उसको बेस्वाद लगता था, पर खाना तो पड़ता था।
नाशता और दवा लेने के बाद टीना सो गयी तो मीनल ने उमा जी को भी कुछ देर आराम का बोल खुद मैग्जीन के पन्ने पलटने लगी। मीनल हमेशा भगवान को धन्यवाद देती है जो उसे इतना प्यार देने वाला परिवार मिला है।
इस मुश्किल समय में पूरा परिवार साथ है तो बिना किसी दिक्कत के सब काम नार्मल हो रहे हैं । माँ तो टीना और हम सब को कितने अच्छे से संभाल रहीं हैं। अपने इन्ही ख्यालों में ही डूबी रहती अगर दरवाजे को कोई नॉक न करता।।
नर्स होगी सोच चिटकनी खोली तो सामने एक अनजीन औरत को देख उसकी आँखों में सवाल तैर गया। दरवाजा खुलने की आवाज़ से उमा जी भी उठ कर बैठ गयीं।
अनजान महिला को अपनी सास की उम्र मान मीनल ने पूछा, जी माँ जी आप कौन?
"बेटी मेरे पति साथ वाले कमरे में एडमिट हैं, उनका ऑपरेशन हुआ है, कल बहन जी से मुलाकात हुई थी".. "अरे, बहन जी !! मैं यहीं हूँ, अंदर आ जाओ , उमा जी ने उन दोनों की बातें सुन कर कहा। मीनल ने भी मुस्करा कर रास्ता दिया।
महिला सोफे पर सकुचाते हुए बैठ गयी। "भाई साहब का ऑपरेशन ठीक हो गया ना"? जी ठीक हुआ, अभी बेहोश हैं। उमा जी के पूछने पर उन्होंने बताया।" बहन जी गाँव से हड़बडी़ में निकले तो फोन का चार्जर नहीं रखा अगर आपके पास हो तो चार्जिंग पर लगा देंगे"?
क्रमश: