हेलो दोस्तो अब तक आपने पढ़ा निशा का विराट ने किडनैप कर लिया था, और उससे जबरदस्ती शादी करना चाहता था। निशा की फ्रेंड अंजलि निशा को खोजती है और अंत में वो पुलिस कंप्लेन कर देती है। इधर निशा विराट से बचकर बाहर निकल जाती है उसके पास विराट की पिस्टल भी होती है। अब आगे..........
निशा!!!..... निशा!!!....... अचानक से उसे एक आवाज सुनाई दी, लेकिन इसके दिल में उम्मीद की जगह उसे डर लगने लगा था,ये आवाज कुछ जानी पहचानी थी इसलिए जब उसने मुड़कर देखा तो इसका अंदाजा सही था, वहां विराट खड़ा था।
"दूर रहो मेरे पास आने की कोशिश भी मत करना वरना.... गोली चला दूंगी" निशा ने दूर हटते हुए पिस्टल इसकी तरफ साधी हुई थी।
"देखो पागल मत बनो इस पिस्टल में गोली भरी हुई है, गोली छूट भी सकती है, नीचे करो" विराट अपनी जगह से हिले बगैर समझा रहा था।
"डर रहे हो!!! गोली चल जाएगी तो क्या होगा तुम मर जाओगे, अब मरने से डर लग रहा है और यही पिस्टल जब दूसरे के सर पर तान देते हो, तब तो तुम्हें कोई एहसास नहीं होता किसी की तकलीफ का और अब, जैसे ही वापिस तो तुम्हारी तरफ तानी तो तुम डर रहे हो??? वह अभी तक पिस्टल उसकी तरफ ताने हुए खड़ी थी।
"निशा!!! पागल मत बनो पिस्टल मेरे हवाले कर दो" वह इस की तरफ कदम बढ़ाता जा रहा था और वह बार-बार इसे धमकाए जा रही थी की गोली चला देगी, जबकि इसने कभी पिस्टल नहीं चलाई थी, वह खुद बहुत कमजोर और डरपोक थी, लेकिन फिर भी बह विराट से लड़ने के लिए तैयार हो गई थी, वह नहीं जानती थी कि वह गोली चला भी पाएगी या नहीं।
विराट ने जैसे ही मौका देखा उसके हाथ से पिस्टल छीननी चाहि, वह पीछे हटती रही इसी दौरान दोनों की छीना झपटी में पता नहीं किसके हांथ से पिस्टल की ट्रिगर दब गई और गोली चल गई।
"अरे वाह क्या कमाल का हलवा बनाती है आप, आपके खाने का तो कोई जवाब नहीं मम्मी" इसने अपनी उंगली चाटते हुए कहा।
"तो और लो और खाओ" इसने प्लेट आगे करते हुए कहा।
"सारा प्यार इसी पर लुटाया जा रहा है क्यों भई???? अंकित ने पास बैठते हुए कहा।
"नहीं नहीं सारा प्यार मेरे लिए बिल्कुल भी नहीं है, मम्मी के लाडले बेटे आप हैं, मैं थोड़ी हूं" अजय ने प्लेट आगे करते हुए कहा।
"अच्छा मैंने तो कभी तुम दोनों को अलग नहीं समझा, तुम दोनों ही मेरे सबसे प्यारे बच्चे हो" मम्मी ने दोनों के सर पर हाथ रखते हुए कहा।
"लेकिन हलवा आप मेरे लिए बनाया कीजिए बाकी सब को छोड़िए" अजय ने हलवा खाते हुए कहा।
"इसी को खिलाइए हलवा, इसको ज्यादा जरूरत है खाने की, वैसे भी चेहरे से ही भूखे लगते हो" अंकित ने हंसते हुए कहा, तो वहां पर सभी लोग हंस पड़े।
आज बहुत साल गुजर चुके थे, वह अपने बच्चों की याद में गुमसुम बैठी थी। सालों पुरानी बातें याद कर रही थी और रोए जा रही थी। इस के सामने हलवे की प्लेट रखी हुई थी।
"अरे नानी मां आपने अभी तक हलवा नहीं खाया,और ये क्या रोए जा रही है" मान्या ने कमरे में आते हुए कहा।
"अब हलवा इतना भी बुरा नही बना है, जो आप रो रही है,ठीक है पसंद नही आया तो मत खाइए" मान्या ने प्लेट उठाते हुए कहा।
"अरे नही नही इधर लाओ पागल लड़की, और मैं रो कहा रही हु, बूढ़ी हो गई हु, आंखे कमजोर हो गई है, पानी आ रहा है बस" इसने हलवा खाते हुए कहा।
"नानी मां आप झूठ बोल रही हैं, मैं जानती हूं उदासी का कारण" मान्या मिसेज कौशिक के गोद में सर रखते हुए सोच रही रही थी और नानी मां को महसूस भी नहीं होने दिया।
"हद हो गई है यार आखिर यह चाहता क्या है??? निशा ने अपना बैग बेड पर पटकते हुए गुस्से से बोला।
"क्या हुआ??? अंजलि ने पूछा।
"यार वह यहां तक पहुंच गया है" निशा ने परेशानी से कहा।
"क्या??? यहां का एड्रेस कहां से मिला इसे?? अंजलि ने हैरानी से पूछा।
"मैंने दिया था इसे और कहा था कि मिलने के लिए आ जाना, बेवकूफ लड़की!! अब मुझे क्या पता इसको यहां का एड्रेस कहां से मिला, मैं खुद इस बात से परेशान हूं"" अब इसमें थोड़ा नरमी से कहा।
"वैसे बंदा काफी इंटरेस्टेड है तुम्हारे लिए,अब देखो ना, किसी तरह तुम्हें लव लेटर दिया था, फिर तुम्हारे सामने खड़ा हो गया और अपना नाम बताया, तुम्हें वह अच्छा क्यों??? नहीं लग रहा है यार, वह बातें कितनी अच्छी करता है, मन करता है सुनते जाओ, इतना हैंडसम है कि किसी भी लड़की का दिल आ जाए इस पर, बस एक तुम हो जो इसे घास भी नहीं डालती" अंजलि ने ठंडी आहें भर कर कहा।
"लेकिन मैं इस तरह के अनजान आदमी पर भरोसा नहीं कर सकती" निशान एकदम उसकी बात का जवाब देते हुए कहा।
"तो तुम एक काम करो इससे एक बार मिल लो और इसके बारे में जो जानना है, इससे पूछ लो" अंजलि ने सबालिया नजरों से उसकी तरफ देखा।
"मेरे पास टाइम नही है" ऐसा बोलते हुए निशा किचन की तरफ चली गई।
अंजलि कमरे में बैठी निशा के बारे में सोच रही थी, तभी इसका फोन बजा "हेलो मैडम मैं पुलिस स्टेशन से बात कर रहा हूं, आपने अपनी फ्रेंड के गुम होने की रिपोर्ट लिखवाई थी""
"जी जी तो क्या निशा का पता चल गया कहां है?? अंजलि के मन में खुशी की लहर दौड़ने लगी।
"देखिए हम कुछ कह नहीं सकते, आप पुलिस स्टेशन आ जाइए,
"लेकिन बात क्या है?? अंजलि ने परेशान होते हुए पूछा
"हमें सड़क पर एक लड़की की लाश मिली है, जिसकी तहकीकात करने हम जा रहे हैं, आप भी हमारे साथ चलिए और देखिए हो सकता है, कि वो कही आपकी दोस्त तो नही है"अफसर की बात खत्म होते ही वह एकदम बेजान होकर बैठ गई
"और कितना परेशान करोगी मुझे, तुम जानती हो मेरा दिल कितना घबरा जाता है तुम्हारे बिना, एक तुम ही तो हो जो मेरी पूरी दुनिया हो, तुम्हे अगर खुद से दूर किया है तो सिर्फ तुम्हारी जिद के कारण, तुम्हारी खुशी के कारण, वरना तुम्हें ऐसे कभी नहीं जाने देती, अब मैं तुम्हें खुद से दूर नहीं रख सकती, जल्दी से मेरे पास रहने आ जाओ, पहले तो तुमने कभी ऐसा नहीं किया, कोई ऐसा वैसा पल नहीं होता था, जब तुम मुझसे बात नहीं करती थी और अब अचानक ऐसा क्या हो गया जो इतने दिनों से अपनी मम्मा से कोई बात नहीं कि" वह मायूसी से अपनी बेटी निशा की पिक्चर देखे जा रही थी और उसी से बातें कर रही थी।
"इस वक्त तो जरूर व घर पर होगी" मैसेज खुराना ने निशा की नंबर लगाया फोन स्विच ऑफ जा रहा था।
"तुमसे अब कभी बात नहीं करूंगी निशा!!! यह सिला दे रही हो, तुम मुझे मेरे प्यार और मेरी आजादी का" बार-बार नंबर ट्राई कर रही हूं लेकिन फोन बंद आ रहा है वह बिस्तर ठीक कर रही थी और खुद में ही बातें किए जा रही थी।
निशा मिसेज खुराना की एकलौती बेटी थी, इसलिए उसने इसे बहुत प्यार और लार दिया था। इसकी हर ख्वाहिश और जरूरत का ध्यान रखती थी, मां और बाप दोनों का प्यार मिसेज खुराना से ही मिला था इसे। मिसेज खुराना के पिता से पास बहुत सारा धन दौलत था जो उसे मिला था, उसके साथ-साथ मिसेस खुराना ने अपनी मेहनत करके बहुत कुछ बना लिया था। अपनी और अपनी बेटी के लिए किसी भी चीज की कमी नहीं थी इसके पास। निशा भी अपनी मम्मा को ही अपना सब कुछ मानती थी और अपनी मां को हर तरह से खुश रखना चाहती थी। बिजनेस में शुरू से ही इसको शौक था शायद यह शौक इसे इसके खून में ही मिला था, मां पापा ने एमबीए किया था, इसलिए इसने भी एमबीए ही कोर्स को चुना था। एमबीए की स्टडी करने के लिए वह अपनी मां से दूर अंजलि के पास रह रही थी।उसकी मां इसके लिए अलग घर लेकर देना चाहती थी,लेकिन निशा ने अंजली के साथ रहना पसंद किया। अंजलि भी यही चाहती थी। इसलिए दोनो साथ साथ रह रही थी।
वह सुबह शाम इस इंतजार में बैठी थी, कि कोई फोन कॉल आ जाए कहीं से, कोई आकर बोले कि निशा मिल गई है, लेकिन यह खबर इस तरह की होगी, इस ने कभी नहीं सोचा था। वह दिल को थामे हुए पुलिस के साथ चल रही थी। वहा पहुंचते ही उसे ऐसा लगा जैसे वह जमीन में चिपक गई हो,कदम धीरे धीरे उठने लगे और दिल में एक ही प्रार्थना कर रही थी कि यह निशा न हो।
"चेक कर लीजिए मैडम" पुलिस अफसर ने लाश की तरफ इशारा करते हुए कहा।
अंजलि ने डरते हुए आंखें उसकी तरफ उठाई और एकदम आंखें बंद कर ली, आंसू बहते हुए गालों पर आ गए।
"यह निशा नहीं है यह कोई और लड़की है" अंजलि ने आंखें खोलते हुए सुकून से कहा और वहां से चल पड़ी........
क्या अंजली निशा को ढूंढ पाएगी.....जानने के लिए पढ़िए अगले पार्ट में.......
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थैंक्यू रीडर्स.....