Tum Bin Jiya Jaye na - 2 in Hindi Love Stories by Gulshan Parween books and stories PDF | तुम बिन जिया जाए ना - 2

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तुम बिन जिया जाए ना - 2

हेलो दोस्तों अभी तक आपने पढ़ा विराट निशा को जबरदस्ती शादी करने के लिए किडनैप कर लेता है और उससे कहता है तयार होने के लिए लेकिन निशा शादी करने के लिए रेडी नही होती है।

अब आगे.........

"हेलो गुड मॉर्निंग आंटी" इसने कॉल अटेंड करते हुए कहा!!

"गुड मॉर्निंग अंजलि बेटा कैसी हो??? और निशा कहां है??? आज तो इस से बात करवा दो कब से ट्राई कर रही हूं इस पागल लड़की को कुछ ध्यान है भी कि नहीं अपनी मम्मा का" दूसरी तरफ निशा की मम्मी बात कर रही थी वह बहुत गुस्से में लग रही थी।

अंजलि ने फोन पर समझाते हुए कहा "नहीं!! नहीं!! आंटी!! आप गुस्सा मत होइए एक्चुअली वह पढ़ाई में इतनी बिजी होती है कि इसके पास तो खाना खाने का भी टाइम नहीं होता"

"खाने का टाइम भले ही ना हो लेकिन मेरे लिए तो टाइम होनी चाहिए उसके पास, मैं मां हूं उसकी कितनी परेशानी होती है मुझे, इसकी और जब एग्जाम खत्म हो चुका है तो ऐसी कौन सी पढ़ाई में बिजी है वह, अगर आज इसने मुझसे बात नहीं की तो मैं खुद वहां आ जाऊंगी, कह देना इससे" इसके साथ ही मिसेज खुराना ने कॉल कट कर दिया और अंजलि को बोलने का मौका भी नहीं दिया।

"अब मैं क्या करूं कहीं मैं यह बात आंटी से छुपा कर कुछ गलती तो नहीं कर रही मुझे इन्हें सब कुछ बता देनी चाहिए" उसने टेंशन लेते हुए मोबाइल उठाया और मिसेज खुराना को कॉल करने लगी लेकिन, फिर अगले ही पल इसने अपना इरादा बदल दिया।

"नहीं मुझे लगता है दोबारा मुझे पुलिस स्टेशन जाना चाहिए लेकिन अगर वहां फिर भी कुछ नहीं बना तो मैं आंटी को क्या जवाब दूंगी" अंजलि के चेहरे पर परेशानी और आखों में नमी झलक रही थी।

साहिल जा चुका था लेकिन, विराट को चैन नहीं मिल रहा था वह परेशानी में घंटों वहीं बैठा रहा कि अचानक इसे खाने का ख्याल आया तो वह निशा की तरफ उठकर चला गया। उसने इसे अपने फार्म हाउस पर रखा था, जो इसका अपना था यहां घरवालों का आना जाना नहीं होता था इसलिए उसने अपनी सहूलियत के लिए यह फार्म हाउस बनवाया था और अपने ऑफिस के काम के लिए यहां आता जाता था कभी कभी।

"खाना खा लो नही तो, बीमार हो जाओगी," विराट ने खाना टेबल पर रखते हुए कहा।

हमेशा की तरह व सोफा के करीब नीचे बैठी थी विराट के रूम में आते ही उसने अपना चेहरा दूसरी तरफ घुमात हुए नफरत का इजहार किया विराट ने खाने को प्लेट में डालकर उसके पास रख दिया।

खाना हमेशा वह अच्छा ही लाता था लेकिन, निशा कभी खाने को हाथ नहीं लगाती थी, आज भी उसने यही किया था।

"तुम नहीं जानती ऐसी हरकत से तुम अपने साथ-साथ मुझे भी तकलीफ दे रही हो, मुझसे तुम्हारी यह हालत देखी नहीं जाती, प्लीज खाना खा लो" इसने प्यार भरे लहजे में कहा।

"वाह बहुत अच्छे जख्म भी खुद देते हो और और मरहम भी खुद लगाने आ गए मत भूलो कि मेरी मेरी इस दुख और इस हालत के जिम्मेदार भी तुम ही हो अगर तुम्हें सच में तकलीफ होती है तो क्यों बनाया है मेरा यह हाल, छोड़ क्यों नहीं देते मुझे" इसने रोते हुए बोला और सवालिया आंखों से उसकी तरफ देखने लगी।

"पता नहीं मेरी मम्मा"!!!!! मां का नाम लेते ही वह जोर-जोर से रोने लगी।

"मोहब्बत ने खुदगर्ज बना दिया है मुझे वरना मैं ऐसा बेरहम तो पहले कभी नहीं था, मैंने कभी किसी का बुरा नहीं चाहा हमेशा सबको खुश रखना चाहा, नहीं सोचा था कि मैं इस तरह किसी लड़की को लाऊंगा" वह सर झुकाए अपनी सफाई दे रहा था।

"मुझे अपने शरीफ होने के किस्से सुनाओगे और मैं तुम्हें शरीफ मानकर तुम्हारे प्यार में पागल हो जाऊंगी तुम्हारी इस घटिया हरकत से साफ साफ पता चलता है कि तुम और तुम्हारा खानदान कितना शरीफ है लेकिन, मैं और मेरे खानदान की इज्जत का क्या?? उसे तुमने बर्बाद कर दी" निशाने गुस्से भरे अंदाज में कहा।

"निशा!!! गॉड जानता है कि मैंने तुम्हारी इज्जत पर कोई हाथ नहीं डाला तुम कल भी शुद्ध थी और आज भी शुद्ध हो" इसने एकदम चौकन्ना अंदाज में निशा से कहा।

"एक लड़की की इज्जत बहुत नाजुक होती है, जिसे सारी जिंदगी हम संभालते आए हैं, जरा सी ठेस लग जाए तो यह चकनाचूर हो जाती है, तुम ने भले ही मुझे नहीं छुआ है लेकिन मेरे और मेरे पूरे खानदान की इज्जत को जरूर चूर कर दिया है" वह इससे शिकायत भरे अंदाज में कह जा रही थी और वह गर्दन झुकाए सोफे के ऊपर बैठा इस परेशानी में था कि वह इस सब का हर्जाना कैसे चुक पाएगा, इससे बहुत बड़ी गलती हो गई थी वह किसी गहरी सोच में डूबा कमरे से बाहर उठ कर चला गया।

"देखिए इंस्पेक्टर साहब आज इतने दिन हो गए हैं, आपने अभी तक मेरी फ्रेंड का कोई पता नहीं लगाया" अंजलि ने पुलिस अफसर से कहा।

"देखो मैडम हमने अपने काम को जारी रखा है लेकिन, हमें एक बात समझ में नहीं आ रही है लड़की के पेरेंट्स कहां है व रिपोर्ट लिखवाने क्यों नहीं आए हर बार आप ही आती हैं कहीं और कोई प्यार का प्यार का तो चक्कर नहीं है लड़की घर से भागी तो नहीं?? अफसर ने शक की नजरों से देखते हुए कहा।

"नहीं नहीं वह मेरी बेस्ट फ्रेंड है और वह ऐसी बिल्कुल भी नहीं है, जरूर इसके साथ कुछ हुआ है इसकी फैमिली बाहर है, वह मेरे साथ रहती थी अपनी स्टडी की वजह से, मैंने अभी तक इसकी फैमिली को बताया नहीं है प्लीज!!! आप लोग इसे जल्दी से ढूंढिए" परेशान होते हुए वह बोली।

अंजलि अभी तक तीन बार पुलिस स्टेशन आ चुकी थी और इस बार वह कुछ ज्यादा ही परेशान थी।

इसने सोफा के नीचे छुपाए हुए पिस्टल निकाली और उठ कर खड़ी हो गई, विराट इसके कमरे को लॉक करके जाता था, इस दिन वह इतना ज्यादा अपसेट था कि इसे दरवाजा लॉक करने का ख्याल ही नहीं रहा, इस ने देखा कि दरवाजा खुला हुआ है और इसी मौके का फायदा उठाकर वह बाहर देखने लगी जहां इसे कोई नजर नहीं आया, पिस्टल को छुपाते हुए वह इधर-उधर झांकती हुई बाहर का रास्ता ढूंढने लगी वह डर तो नहीं रही थी क्योंकि पिस्टल इसके हाथ में थी अगर विराट इसे देख भी ले तो, वह इस पिस्टल की वजह से निकल जाएगी लेकिन साथ ही साथ एक यह भी डर था कि वह एक मर्द है और यह एक औरत थी उसके हाथों पकड़ी गई तो, यह सोचती हुई वह सीीढ़ी पार कर अब नीचे हॉल में आ चुकी थी।

"बेशर्म आदमी हो तुम मोहब्बत दूर की बात है, मुझे तुम्हारा चेहरा भी नहीं देखना है, पिस्टल की ताकत से एक लड़की को टॉर्चर करके मोहब्बत का दावा करते हो" निशा की कही हुई बातें इसे बार-बार परेशान कर रही थी। वह घर के बाहर बैठा यही सब बातें सोच रहा था कि अचानक इसे पिस्टल का ध्यान आ गया, वह अपनी पॉकेट में ढूंढने लगा तभी वह तेजी से घर की तरफ भागने लगा, उसे याद आ गया था कि वह पिस्टल निशा के रूम में ही छोड़ आया था।

वह हल्के से दरवाजा खोलकर बाहर निकलने ही लगी थी कि विराट इस दरवाजे पर पहुंच गया निशा कांपती हुई दरवाजे के पीछे छुप गई। विराट बिना देर किए सीधा ऊपर गया, रूम में निशा को ना देख कर वह बौखला सा गया, इधर उधर देखने के बाद वह तेजी से नीचे आया और आवाजें देने लगा लेकिन इसे अंदाजा हो चुका था कि निशा भाग चुकी है।

वह घर से बाहर रोड पर जाने में सफल हो गई थी लेकिन तूफानी बरसात और अंधेरा इसके दिमाग को काम करने से रोक रहा था वह इधर-उधर पागलों की तरह भागती फिर रही थी, और इस उम्मीद में थी कि, कहीं से कोई मदद मिल जाए

"खुद काम सीखो अपना, हमेशा मैं थोड़ी रहने वाली हूं तुम्हारे साथ" वह कपड़े समेटती हुई इससे बोली

"क्यों तुम कहीं जा रही हो? अंजलि ने हैरानी से पूछा।

"अभी की बात नहीं कर रही हूं, अंजलि!! कभी ना कभी तो हम दोनों की शादी हो जाएगी और हम दोनों अपने अपने ससुराल चले जाएंगे इसलिए अभी से इन कामों की प्रैक्टिस कर लो" वह अंजलि को समझा रही थी और कपड़े कवर्ड में समेट रही थी।

"ससुराल!! शादी!! आर यू सीरियस??? अंजलि ने सवालिया नजरों से बोला।

"लगता है इस लड़के की दाल गल गई!!! अंजलि ने शरारत भरे अंदाज में पूछा।

"कौन??? वह विराट!! ऑफ कोर्स नॉट यार" निशाने कबर्ड बंद करते हुए जवाब दिया।

"लड़का अच्छा है, गुड लुकिंग है, एजुकेटेड दिखता है और तुमसे प्यार भी करता है, तुम इसमें इंटरेस्ट क्यों नहीं ले रही हो" अंजलि ने ठंडी सांस लेते हुए कहा।

"लेकिन जरूरी तो नहीं कि इसके लुक देखकर मुझे इससे प्यार हो जाए, मैं इसके नाम के अलावा और कुछ नहीं जानती और शायद इसे भी मेरा नाम ही पता है" निशा ने बेड पर बैठते हुए जवाब दिया।

"तो आगे जान पहचान बनाओ ना" अंजलि ने उसे चिढ़ाते हुए कहा।

"शर्ट आप" निशा उसे उसके मुंह पर तकिया मारते हुए बोली।

यह सारी बातें सोच सोच कर अंंजलि उदास बैठी खाने की टेबल पर पुराने दिनों को याद कर रही थी और रोए जा रही थी........

क्या निशा विराट के चंगुल से बचकर भाग पाएगी????

जानने के लिए पढ़िए अगले पार्ट में.....

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