Mukti - 2 in Hindi Adventure Stories by Kishanlal Sharma books and stories PDF | मुक्ति - अनचाहे सम्बन्ध से - 2

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मुक्ति - अनचाहे सम्बन्ध से - 2

इसलिए सीधा अपने कमरे में चला आया था।
वह अपने कमरे में आकर कपड़े बदलना ही चाहता था कि न जाने कैसे उसे उसके आने की भनक लग गयी और वह धड़धड़ाती उसके कमरे में चली आयी।कमरे में आते ही उसे ताना मारते हुए बोली,"दुल्हन ने आते ही न जाने ऐसा क्या जादू कर दिया कि तुम तो बिल्कुल बदल गए"
"उसके बोलने के लहजे से वह समझ गया उसके आज के व्यवहार से वह सख्त नाराज है।उसके बिगड़े हुए मूड को सही करने के लिए वह प्यार से बोला,"तुम खामखां में मुझ पर नाराज हो रही हो।जैसा तुम सोच रही हो ऐसा कुछ भी नही है।कितनी गर्मी पड़ रही है।ट्रेन लेट थी इसलिए परेशान हो गया।कपड़े बदलने के लिए ऊपर चला आया।कपड़े बदलकर नीचे आऊंगा।"
"राजन मुझे बातों से मत बहलाओ।मैं पहले से ही जानती थी दुल्हन के आते ही तुम बदल जाओगे,"वह गुस्से में बोली,"तुमने। साथ निभाने का वादा किया था।पर मैं औरत हूँ जानती थी।जब तुम्हे नया कोरा कुंवारा शरीर भोगने को मिलेगा तो बासी दबे कुचले शरीर की याद क्यो आएगी।खूबसूरत बदन मील तो कौन काले बदन से खेलना पसंद करेगा।'
वह न जाने गुस्से में क्या क्या बके जा रही थी।उसने उसका मूड सही करने के लिए उसका हाथ पकड़कर बैठाते हुए कहा,"छोड़ो गुस्सा तुम अपने समाचार बताओ।मोहन से तुम्हारा झगड़ा तो नही हुआ।'
"मम्मी मम्मी
वह उसकी बात का कोई भी जवाब दे पाती उससे पहले ही नीचे से उसके बेटे के पुकारने की आवाज आयी
"रात को मैं आऊंगी ।देखती हूँ कैसे नही मेरे शरीर को भोगते।अभी तो बहु है नही तो फिर मैं क्यो नही?"
और वह रात को आने की कहकर नीचे चली गयी थी।
उसके जाने के बाद वह कटे पेड़ की तरह खाट पर गिर पड़ा।वह खाट पर लेटा लेटा उसी के बारे में सोचने लगा।
वह मंझले कद,सांवले रंग और बेहद साधारण नैन नक्श की औरत थी।उसकी कम उम्र में शादी हो गयी थी।वह चार बच्चों की माँ बन चुकी थी।पर अपनी उम्र से चार पांच साल कम की ही लगती थी।उसका रंग और नैन नक्श चाहे जैसे हो।वह चाहे सुंदरता की श्रेणी में न आती हो लेकिन वह आकर्षक लगती थी।
उसकी अपने पति से न कभी पहले बनी न अब बनती थी।दोनो के बीच आये दिन झगड़ा होता रहता था।पति पत्नी के बीच आये दिन होने वाले झगड़े का कारण था।उसके पति के अपनी भाभी से अवैध नाजायज शारीरिक सम्बन्ध।भाभी से रिश्ते को लेकर उसका पति से झगड़ा होता रहता था।पति पत्नी के बीच के झगड़े ने ही सुधा को उसके करीब ला दिया था।उनके झगडे की वजह से कोई भी दम्पति जो उसके मकान में किराएदार बनकर आता।वह ज्यादा दिन उस मकान में रह नही पाता था।वह रोज रोज के झगड़े से तंग होकर मकान खाली करके चला जाता।लेकिन वह नही गया।इसकी वजह थी।वह कुंवारा था।इसलिए वह अपने कमरे में कम रहता।ज्यादातर बाहर दोस्तो के संग समय गुजरता।अकेला था इसलिए कमरे पर तो वह सोने के लिए ही आता था।
एक रात को वह कमरे पर लौटा तब उसे पति पत्नी के बीच झगड़े की आवाज सुनाई दी।लेकिन पति पत्नी के बीच का मामला समझकर वह नीचे बीच बचाव के लिए नही गया