वन विभाग के विश्राम गृह में इस समय एसपी,डीएसपी घोष,इंस्पेक्टर विजय की बातों को सुन रहे थे। विमला देवी अस्पताल में हुई पूरी घटना और हासिल हुई जानकारी का ब्यौरा देने के बाद इंपेक्टर विजय ने सीसीटीवी फुटेज की सीडी और उससे हासिल हुई कुछ तस्वीरों का प्रिंट सामने रखा। तस्वीरों को उठा कर,घोष उसे देखने लगा। बहुत शातिर है। हत्यारे को इस बात की अच्छे से खबर है कि अस्पताल में सीसीटीवी कैमरा लगा हुआ है। इसलिए,उसने हुलिया बदल रखा है। तस्वीरों को देखते हुए घोष ने कहा। लेकिन अपना कद काठी नही छिपा सका। इस फुटेज से हमें हत्यारे की एक झलक को मिल ही गई है,सर। अब तक जो हवा में था,अब वह,तस्वीर की शक्ल में हमारे पास है। घोष ने कहा - सिर्फ तस्वीर है,शक्ल नहीं। शक्ल,सामने आ जाए तो हत्यारा हमारे हाथ में होगा। इसी समय लेडी एसआई लवलीना सिंह ने वहां प्रवेश किया। उसने अपने बगल में एक फाइल दबा रखा था। अभिवादन की औपचारिकता के बाद उसने फाइल घोष को थमाते हुए कहा - आपके द्वारा चाही गई पूरी जानकारी इसमे है सर। क्या रहा? संक्षिप्त में बता दीजिए। घोष के कहने,पर लवलीना ने बताया कि उसने भैरव पहाड़ में बीते 15 साल के दौरान हुई छोटी बड़ी घटनाओं की पूरी जानकारी जुटाई है। इन घटानाओं में सबसे ज्यादा खटकने वाली घटना लगभग 12 साल पहले हुई थी। अपनी बीबी और बच्चे के साथ मंदिर आए एक व्यक्ति ने पहाड़ से कूद कर आत्महत्या कर ली थी। फाइल से कुछ कागजात निकाल कर,सामने रखते हुए लवलीना ने कहा - ये रही उस केस की पूरी जांच रिपोर्ट। मृतक का नाम अनिल सालगांवकर था। वह महाराष्ट्र के आठनेर का रहने वाला था। प्रत्यक्षदर्शियों ने अपने बयान में बताया है कि वह दोपहर लगभग 12 बजे मंदिर पहुँचा था। मंदिर में दर्शन करने के बाद वापस नीचे जाने के दौरान ही उसने खाई में छलांग लगा दी थी। दो दिन बाद,उसकी लाश निकाली जा सकी थी। फाइल लेकर,घोष ने केस की क्लोजिंग रिपोर्ट को गौर से पढ़ने के बाद घोष ने कहा - बहुत अच्छा,आपने बहुत अच्छा काम किया है,लवलीना। आप इस केस में आगे काम करना है। आपका टार्गेट,मृतक अनिल सालगांवकर की पत्नी और उसके बच्चे के बारे में पूरी जानकारी जुटानी है। खासकर,मृतक की पत्नी के बारे में। रिपोर्ट में उसका नाम मालिनी सालगांवकर लिखा हुआ है। इस मालिनी सालगांवकर को खोज निकालना है,अगर वह जिंदा है तो। अब तक खामोश बैठे एसपी अजित मेनन ने कहा - तुम्हे मालिनी के जीवित होने और संदेह है,घोष?
घोष - यस सर,मुझे 90 प्रतिशत यकीन है कि मालिनी जीवित नहीं है। अगर वह किसी तरह से जीवित है,तो उसकी जान को खतरा है। उसका,तत्काल पता चलना बेहद जरूरी है। इस केस के ताले की चाबी,यह मालिनी ही है।
लवलीना के जाने के बाद,घोष ने इंस्पेक्टर विजय से पूछा - भैरव मंदिर के पुजारी बाबा का क्या हाल है? होश आया क्या?
नही। अभी भी वे पूरी तरह से होश में नहीं आ पाए हैं। उनकी आंखें तो खुली हुई है,लेकिन कुछ समझ पाने की स्थिति में नहीं है। इंस्पेक्टर विजय ने बताया।
घोष - क्या कहते हैं,डॉक्टर। पुजारी की यह हालत क्यो हुई है? क्या कोई बीमारी हैं उन्हें?
नहीं,अभी डॉक्टर कुछ बता नहीं पा रहे है। लेकिन,ब्लड टेस्ट में कुछ विशेष प्रकार का रसायन इंस्पेक्टर विजय - जरूर मिला है। इसे परीक्षण के लिए भेजा गया है। रिपोर्ट आने में समय लगेगा।
घोष ने हथेली से माथे को रगड़ते हुए कहा - समय ही तो नहीं है हमारे पास। वैसे मैं बता सकता हूँ,उस रिपोर्ट में क्या आने वाला है?
घोष की बात सुनकर,आश्चर्यजनक स्वर में इंस्पेक्टर कहा - आप जानते हैं,पुजारी बाबा की हालत कैसे हुई?
हां,मैं बता सकता हूँ कि पुजारी बाबा को बेंजोडायजेपाइन नामक दवा की ओवरडोज दी गई है। यह एक प्रकार की नींद की दवा है। इसके ओवर डोज से इंसान का दिमाग सुन्न हो जाता है। होश में आने के बाद भी मरीज दुविधा में रहता है। घोष की बातें सुनकर,इंस्पेक्टर विजय आश्चर्य के सागर में गोते लगा रहा था।
अरे,भई,अब बता भी दो,ये चमत्कारी सुराग तुम्हारे हाथ कब और कैसे लगी? एसपी अजित मेनन ने मुस्कुराते हुए कहा।
घोष - सर,पुजारी बाबा के कमरे की तलाशी के दौरान मेरे हाथों में दवा के रैपर हाथ लगे थे। इन दवा के बारे में इंटरनेट में सर्च करने से पूरी जानकारी मिल गई। यह भी तय है कि पुजारी बाबा को जिसने भी यह दवा दिया है,वह न केवल उनकी जान पहचान का है,बल्कि नजदीकी भी है। क्योंकि उनके कमरे में कही कोई जोर जबर्दस्ती के निशान नहीं मिले,साथ ही दो बिस्तर का मिलने से भी साबित होता है कि उस कमरे में दो लोग रहा करते थे। अब सवाल यह उठता है कि वह दूसरा व्यक्ति कौन था?
इंस्पेक्टर विजय - यह जानने के लिए पुजारी बाबा का होश में आना जरूरी है।
घोष - नहीं,हम इसका इंतजार नहीं कर सकते। मेरे पास एक दूसरी तरकीब है।सर,हम भैरव पहाड़ घूम कर आतें हैं। एसपी से कहते हुए,घोष और इंस्पेक्टर विजय दोनों उठे और बाहर निकल गए।
केशलाघाट में घोष ने अपनी गाड़ी,पुलिस चेक पाइंट के पास रोकी। इंचार्ज एएसआई ने पास आकर उसका अभिवादन किया। घोष ने उससे पूछा - जो भिखारी यहां थे,कहाँ है?
यहीं,एक कमरे में हैं। आपके आदेश के अनुसार उन्हें बड़े आराम से रखा गया है। एएसआई ने जवाब दिया। घोष,उस कमरे की ओर बढ़ा। कमरे में चार भिखारी बैठे हुए थे। घोष को आता हुआ देख कर चारो खड़े हो गए। एक ने आगे आ कर कहा - साहब,हमे यहां क्यो रखा गया है? हमारा क्या कसूर है? यकीन कीजिए,हमने कोई अपराध नहीं किया है?
घोष ने जवाब दिया - हम,अच्छी तरह से जानतें है। आप सबने कोई अपराध नहीं किया है। हमने आपको यहां आपकी सुरक्षा के लिए रखा है। जैसा कि आप सब जानतें है,भैरव पहाड़ में चार हत्याएं हो चुकी है। हत्यारा अब तक पकड़ा नहीं जा सका है। हमे शंका है की वह आप पर भी हमला कर सकता है। क्योंकि उसे आप लोग देखे हो सकते है। आप सब सुबह से लेकर रात तक यहां घाट में,मंदिर पर रहते है। सम्भव है,अज्ञात हत्यारा आपकी नजर के सामने आया हो। क्या,आप में से किसी ने हत्यारे को देखा है या कुछ मालूम है? घोष ने भिखारियों के चेहरे को गौर से देखते हुए पूछा। घोष की बातें सुनकर भिखारी एक दूसरे के चेहरे को देखने लगे।
घोष - चलिए,कोई बात नहीं। अब ये बताइए,पुजारी बाबा को तो आप लोग जानते ही होंगे।
एक भिखारी ने सामने आ कर कहा - उन्हें कौन नहीं जानता साहब? हम सब जानतें हैं। वो तो हमारी मदद भी करते रहते हैं।
घोष ने उससे पूछा - क्या नाम है,आपका? भिखारी ने कहा - रहीम,रहीम दास। उसने कहा। घोष ने उसके कंधे में हाथ रखते हुए कहा - रहीम दास,क्या तुम बता सकते हो,पुजारी बाबा के पास जो एक व्यक्ति रहता था,वो कौन था?
रहीम दास ने कुछ सोचते हुए कहा - पुजारी बाबा का बेटा सुबल। हां,यही नाम है,उसका। पुजारी बाबा उसको अपना बेटा मानते थे।
मानते थे,मतलब? क्या वह,उनका बेटा नहीं है? घोष ने पूछा।
हाँ,सुबल,उनका अपना बेटा नहीं है,क्योंकि पुजारी बाबा तो अविवाहित हैं। रहीम ने कहा।
अब,कहाँ है,यह सुबल। हमें तो मंदिर में कहीं नहीं मिला? घोष ने पूछा
वो तो,बीते एक सप्ताह से नही दिखा है,साहब। पहले पुजारी बाबा की तबियत ठीक नहीं होने पर,सुबल ही पूजा किया करता था। लेकिन,बीते कुछ दिनों से मंदिर की घण्टी भी सुनाई नही दी है। एक भिखारी ने आगे बढ़ कर कहा।
घोष - क्या,आप लोग को सुबल का चेहरा याद है?
भिखारियों के एक साथ हां में जवाब देने पर,घोष ने स्केच आर्टिस्ट बुलाने के निर्देश दिया और वापस जाने के लिए निकल गया। रास्ते मे घोष ने इंस्पेक्टर विजय से कहा - अब,हमारे हाथ मे हत्यारे का शक्ल आ जाएगा। लेकिन,हत्यारा,अब भी हमसे दूर है,इंस्पेक्टर। यह चिंता की बात है।