Hum Dil de chuke Sanam - 1 in Hindi Love Stories by Gulshan Parween books and stories PDF | हम दिल दे चुके सनम - 1

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हम दिल दे चुके सनम - 1

रात के तकरीबन 4:00 बज रहे थे, हर तरफ गहरी खामोशी छाई हुई थी। ठंड परने की वजह से सभी अपने-अपने बिस्तर में दुबके के हुए थे, कि अचानक अलार्म की आवाज ने चारों तरफ की खामोशी को तोड़ दिया। अनुष्का हड़बड़ा कर उठी और मोबाइल पर टाइम देखा।

" 4:00 बज गए हैं, भगवान मतलब मोबाइल काफी देर से बज रहा था" वह जल्दी से उठी और अपनी स्टडी टेबल पर पड़े असाइनमेंट पर निगाह डाली।

" अभी तो बहुत सारा बचा हुआ है कंप्लीट करने के लिए" उसने थोड़ा परेशानी से कहा उसके बाद वह अपनी पढ़ाई में लग गई और कब पढ़ते-पढ़ते वह सो गई पता ही नहीं चला।

अनुष्का गोरी रंगत वाली और तेज नक्शे वाली लड़की थी वह बहुत ही जिद्दी लड़की थी, इसकी एक बहन आकांक्षा थी जो कि 12 साल की थी और एक भाई सूरज जो कि 7 साल का था। खुद अनुष्का 18 साल की थी।




अपने मां-बाप की पहली संतान होने के कारण सभी की चहेती थी। बचपन से ही इसने जिस चीज की ख्वाहिश जाहिर की वह चीज इसके लिए हाजिर हो जाती थी। अनुष्का जिद्दी होने के साथ-साथ समझदार भी बहुत थी।




मिसेज मलिक ने अपने तीनों बच्चों की परवरिश में कोई कमी नहीं छोड़ी थी। अनुष्का पहली बेटी होने के कारण मलिक साहब की आंखों की तारा थी इसलिए दोनों के बेइंतेहा लाड प्यार ने अनुष्का को इतना जिद्दी बना दिया था।

मिस्टर मलिक के पिता के मरने के बाद इनका कपड़ों का छोटा सा कारोबार मिस्टर मलिक ने संभाल लिया था और खूब सारा मेहनत करके इसी बिजनेस को इतना बड़ा किया के अपना कपड़ों का इंपोर्ट एक्सपोर्ट का बिजनेस बन गया और यहां तक पहुंचने में उन्हें जितनी मेहनत लगी थी वह इसका दिल ही जानता था। मिस्टर मलिक की मां तो इसके बचपन में ही स्वर्ग सिधार गई थी। इसके अलावा इसका एक भाई था अकाश,

अकाश और मिस्टर मलिक में बहुत लगाव था मां के मरने के बाद मिस्टर मलिक ने ही अपने भाई आकाश को पढ़ा लिखा कर अमेरिका सिफ्ट करवाया था। कभी-कभी त्यौहार आने पर आकाश अपने पूरे परिवार के साथ मिस्टर मलिक के घर आते थे।

मिस्टर मलिक अपने ऊपर वाला कमरा आकाश के लिए ही खाली कर रखा था। मिस्टर मलिक के घर के अंदर जाने का एक दरवाजा था। अंदर किचन के एक तरफ बराबर में तीन रूम थे। जिसमें से एक रूम मिस्टर मलिक और उनकी वाइफ का था, उसके साथ वाला रूम अनुष्का का था और एक रूम आकांक्षा और सूरज का था और उसके साइड में एक डायनिंग रूम था। जब भी मेहमान घर आते थे तब ये इस्तेमाल में आता था।

ऊपर वाला रूम भी बिल्कुल उसी तरह बना हुआ था ऊपर वाला जगह सिर्फ जरूरत पड़ने पर ही यूज में लाया जाता था। ज्यादातर जब आकाश की फैमिली जब आती थी तब ही खुलता था।




आकाश के दो ही बच्चे थे एक बड़ा बेटा अंश जो 10 साल का था और एक छोटी बेटी अंकिता जो सिर्फ 4 साल की थी। जब भी यह लोग इसके घर आते थे घर में रौनक ही छा जाती थी। अनुष्का को तो बच्चों से बेइंतेहा मोहब्बत थी, जब इन लोगों के जाने का समय हो जाता था तो घर में एक मायूसी सी छा जाती थी, अनुष्का तो अंशिका से लिपट कर रोने लग जाती थी। वह बहुत कमजोर दिल की थी जरा सी बात पर आंसू बहाने लग जाती थी।

अनुष्का का फाइनल इम्तिहान होने वाला था। अनुष्का के पापा ने से वादा लिया था कि इम्तिहान के बाद 19 वें जन्मदिन पर अनुष्का को अमेरिका अकेले जाने देंगे।




इस बार उसने एक अजीब सी जिद पकड़ ली थी। अकेले आकाश अंकल के घर जाकर ने सरप्राइस देना है। घर वाले इसे अकेले भेजने के लिए थे तैयार नहीं थे। लेकिन ये कहा मानने वाली थी उसने 2 दिन से खाना पीना छोड़ दिया था। उसके बाद मिस्टर मलिक को मजबूरी में उसकी सारी बातें मानी पड़ी थी, जिस पर मिसेज मालिक ने उससे झगड़े भी किए थे। यह लड़की बहुत बिगड़ गई है। लेकिन मिस्टर मलिक ने उसे समझाया कि वह सब कुछ संभाल लेंगे और अनुष्का बिल्कुल अकेली नहीं होगी।




नाश्ते की मेज पर सब जमा थे। सब अनुष्का का इंतजार कर रहे थे। इस घर का नियम था कि जब तक सब एक नही होता तो कोई भी खाना नहीं खाता था। मिसेज मलिक गुस्से में बड़बड़ाती हुई उठी।

"तीन बार गंगूबाई को भेज चुकी हूं, इस लड़की को उठाने के लिए लेकिन, क्या मजाल है कि इस लड़की के कान में जू भी रेंगती हो" वह खुद अनुष्का के कमरे की तरफ बढ़ी।

अनुष्का स्टडी टेबल पर सर रख के सो रही थी, किताब खुली पड़ी थी, मैसेज मलिक ने अनुष्का के कंधे को पकड़कर जोर से हिलाया वह जल्दी से उठ कर सीधी हो गई और मां को सर पर खड़ा देखा

" आप यहां" और दोबारा टेबल पर सर रखकर सोने की कोशिश करने लगी। मिसेज मालिक ने दोबारा इसे इसी तरह से उठाया और बोली

" क्यों किसी और का इंतजार था???

" क्या मामा आप भी सुबह-सुबह मजाक कर रही है"इसने अंगड़ाइयां लेते हुए कहा।

" बेटा तुम्हें मेरा चेहरा देख कर लग रहा है कि मैं मजाक के मूड में हूं" मैसेज मालिक ने गुस्से में कहा।

" नहीं मामा आपके चेहरे से तो नहीं लग रहा है कि आप!!!!!

"बातें मत बनाओ ज्यादा जल्दी से नाश्ते की टेबल पर पहुंचो 5 मिनट है तुम्हारे पास" मिसेज मलिक ने इसकी बात काटते हुए उसे वार्निंग दी और कमरे से चली गई। अनुष्का उठी मुंह धोया कमर तक लटकते बालों का जुड़ा बनाया गले में दुपट्टा डाला और नाश्ते के लिए डाइनिंग टेबल पर आ गई। जहां सभी इस का इंतजार कर रहे थे। नाश्ते के टेबल पर पहुंचते ही उसने अपने पापा को गुड मॉर्निंग कहा और कुर्सी को टेबल खींचती हुई उस पर बैठ गई। उसके आते ही आकांक्षा और सूरज नाश्ते पर टूट पड़े, जैसे कई सालों से भूखे हो।

" दीदी की वजह से रोज लेट हो जाता हूं, इसको नाश्ता ही नहीं देनी चाहिए" सूरज ने ब्रेड का स्लाइस मुंह में डालते हुए मासूमियत से कहा जिस पर अनुष्का ने जो उसके का उसके साथ वाली चेयर पर बैठी थी, इसके गाल खींचती हुई बोली।

"अच्छा बेटा और जो तुम्हारी वजह से रोज रात को खाना लेट हो जाता है उसका क्या???

" सही तो कह रहा है, सारी रात मैडम साहिबा पढ़ती रहेंगी तो सुबह उठेंगी कैसे, अपनी हालत देखी कितनी कमजोर होती जा रही है, और रंग तो देखो कितना पीला पड़ गया है, मना किया है स्कूल जाना छोड़ दो जरूरत ही क्या है तो मैं पढ़ाने की???? मिसेज मालिक एक सांस में ही सारी बातें कही जा रही थी और यह तो वो ताने थे, जो अनुष्का को रोज ही सुनने को मिलते थे, अब तक तो उसे आदत पड़ जाने चाहिए थी, लेकिन वह हमेशा स्कूल जाने वाली बात पर चिढ़ जाती थी।

"क्या मामा रोज एक ही बात लेकर बैठ जाती हैं आप भी, टीचिंग करना मेरा शौक है मेरा बचपन से ही, आपको पता भी है इसके बावजूद आप रोज रोज यही बात लेकर बैठ जाती है।

अनुष्का बात कहती हुई नाश्ता अधूरा छोड़ कर अपने कमरे की तरफ जाने लगी।

" बेटा नाश्ता तो कंप्लीट करते जाओ" मिस्टर मलिक ने आवाज लगाई।

"नहीं पापा बस खा लिया मैंने" अनुष्का जवाब देते हुए रूम के अंदर चली गई।

"क्या आप भी बच्ची पर सुबह-सुबह ही बरस पड़ी है नाश्ता तो कर लेने देती ठीक से" मिस्टर मलिक ने मिसेज मालिक से कहां

"हां सही कह रहे हैं आप, मैं बुला कर लाती हूं उसे" मिसेज मालिक कहते हुए अनुष्का के रूम में चली गई।




अनुष्का स्टडी टेबल पर बुक सेट कर रही थी उसने महसूस कर लिया कि उसके रूम में कोई आया है।




" भूख नहीं है मुझे" अनुष्का ने बिना देखे ही जवाब दिया।

" मतलब तुम्हें नहीं आना" अब मैसेज मालिक ने माथे पर बल देते हुए कहा।

" नहीं" अनुष्का ने बिना सोचे जवाब दिया।

" ठीक है फिर तुम्हारी अमेरिका जाने की ट्रिप भी कैंसिल, क्योंकि जब तक तुम ठीक से खाओगी नहीं, जब तक अकेले जाने की इजाजत नहीं मिलेगी और यह हुकुम है मेरा और मुझे यकीन है कि तुम्हारे पापा भी मेरा हुकुम नहीं टालेंगे"

अनुष्का एकदम पीछे मुड़ी और सामने खड़ी अपनी मां की आंखों में देखकर डाल कर बोली।

"आप मुझे ब्लैकमेल कर रही है"

" बेटा तुम यह मत भूलो कि मैं तुम्हारी मामा हूं तुम मेरी मेरी नहीं, तुमने ब्लैक मेलिंग की आदत मुझसे ही सीखी है" मिसेज मालिक अपने चेहरे पर हल्की मुस्कुराते हुए बोली।

" भूख तो नहीं लगी है जबरदस्ती खानी पड़ेगी" अनुष्का ने मुस्कुराते हुए कहा।

" लगता है मुझे तो आज बगैर नाश्ता किए जाना पड़ेगा" मिस्टर मलिक कुर्सी पर अंगराई लेते हुए बोले।

" नहीं नहीं सुलह कर लिए शायद" आकांक्षा ने चाय का कप होठों से लगाते हुए कहा।

तभी मिस्टर मालिक ने अनुष्का के कमरे की तरफ नजर उठा कर देखा तो दोनो मां बेटी आ उसी की तरफ आ रही थी। मिस्टर मालिक ने चाय का कप उठा लिया और चाय पीने लगे।

बेटा जिंदगी में छोटी-छोटी बातों को दिल से नही लगाया करो। आप सामने वालों की बात मानो या ना मानो।ये आप की मर्जी है। अगर किसी की बात नहीं मानी तो नजरअंदाज कर दिया करो लेकिन ऐसे गुस्सा नहीं दिखाना चाहिए..........