muskarate chahare ki hakikat - 25 in Hindi Fiction Stories by Manisha Netwal books and stories PDF | मुस्कराते चहरे की हकीकत - 25

Featured Books
Categories
Share

मुस्कराते चहरे की हकीकत - 25

अग्रवाल मेनशन से अवनी सीधा घर आती है लेकिन यहां कोई नहीं था,,, आज अवनी की आंखों से बेहिसाब आंसू बह रहे थे जिन्हें वह बार-बार रोकने की कोशिश कर रही थी लेकिन फिर भी नहीं रोक पा रही थी,,, अवनी अपने कमरे में आकर आईने के सामने खड़ी हो जाती है उदास चेहरा, लाल आंखें आज वह अवनी नहीं थी जो बड़ी से बड़ी प्रॉब्लम में भी मुस्कुराती रहती थी,, उसने खुद को इतना कमजोर कभी महसूस नहीं किया था जितना आज कर रही थी अवनी खुद को आईने में देखकर अपनी आंखें बंद कर लेती है, अवनी की बंद आंखों के सामने विवान का चेहरा था और कानों में अभी भी वह शब्द गूंज रहे थे "आई लव यू अवनी".. "आई रियली लव यू"... बार-बार अवनी कानों में ये शब्द गुंज रहे थे,,, अवनी अचानक अपनी आंखें खोलकर अपने कानों पर दोनों हाथ रखकर रोते हुए - नहीं... मैं तुम्हें खोना नहीं चाहती विवान.. जो भी मुझसे प्यार करता है वह जल्दी ही मेरी लाइफ से चला जाता है इसलिए तुम्हें मुझ से दूर रहना होगा.. अगर तुम्हें कुछ हो गया तो मैं जिंदा नहीं रह पाऊंगी... मैं सुबह तुमसे इतना दूर चली जाऊंगी कि मेरी परछाई भी तुम तक नहीं पहुंच पाएगी...।
धीरे-धीरे अवनी के आंसू गुस्से में बदल रहे थे जो आंखें थोड़ी देर पहले आंसुओं से भरी थी वह अब गुस्से और बदले की आग से लाल हो चुकी थी अवनी अपने दोनों हाथों की मुट्ठी बांधकर जोरदार दीवार पर मारती है और तब तक मारती रहती है जब तक उसके हाथों से खून नहीं बहने लगता,,, उसके दोनों हाथ खून से लथपथ हो रहे थे लेकिन उस दर्द से बड़ा उसके अंदर छिपा दर्द था जिसे वह इस तरह बाहर निकाल रही थी,,,, उसे नहीं मालूम था कि वह खुद को ही चोट पहुंचा रही है। कमरे में रखी सारी चीजों को उसने बिखेर दिया था,, इस वक्त अवनी इतने गुस्से में थी कि वह खुद को भी भूल चुकी थी यदि कोई उसके सामने आ जाता तो उसे भी नहीं छोड़ते,, सारे कमरे में उसके हाथों से बहते खून के छीटें ओर चारों तरफ़ बिखरा सामान पड़ा हुआ था,,,,,
विवान भी यही आ जाता है घर पर किसी को न पाकर विवान अवनी के कमरे की ओर बढ़ता है जैसे ही विवान अवनी के कमरे के दरवाजे पर पहुंचता है अंदर का माहौल देखकर विवान बहुत घबरा जाता है,, वह अंदर आकर देखता है चारों तरफ बिखरा सामान,अवनी की दवाईयां, जो पूरे कमरे में बिखरी पड़ी थी अचानक विवान की नजरें दीवार पर जाती है जो खून से सनी हुई थी और टूटा हुआ कांच का सीसा,,,, अब विवान बुरी तरह घबरा गया था उसके मुंह से एक भी शब्द नहीं निकलता वह वही घुटनों के बल बैठ जाता है उसकी आंखों से आंसू बहने लगते हैं शरीर पूरा कांपने लगता है विवान चाहकर भी कुछ बोल नहीं पा रहा था उसके होठ काप रहें थे,, आंखों के आंसू उसके बेइंतेहा दर्द को बयां कर रहे थे एक मिनट के लिए उसकी सांसे जहां थी वहीं रुक जाती है,, दिल की धड़कने कमरे की खामोशी में गूंज रही थी पसीने से लथपथ उसके शरीर को एक अजीब सी बेचैनी ने घेर लिया था,,, विवान हिम्मत करके दीवार के पास आता है जहां खून लगा हुआ था वहां अपना सिर और हाथो को टिकाकर अपनी आंखें बंद कर लेता है भले ही उसकी आवाज उसके गले से बाहर नहीं निकल रही थी लेकिन उसके मन में चल रहे सवाल उसे कहां शांत बैठने देने वाले थे,,,
विवान मन ही मन खुद से ही बोला - क्यों किया तुमने ऐसा... इतनी नफरत करती हो मुझसे.. एक बार कह दिया होता मुझे की तुम्हें मुझसे इतनी नफरत है तो मैं पूरी जिंदगी तुम्हें अपनी शक्ल नहीं दिखाता... क्यों खुद को इतनी चोट दी.....।
बाथरूम से विवान को अवनी के रोने की आवाज सुनाई देती है विवान अपने आंसू पोछेते हुए बाथरूम के दरवाजे के पास पहुंचता है अब उसे अवनी की सिसकियां साफ- साफ सुनाई दे रही थी अवनी की सिसकियां सुनकर एक बार फिर विवान की आंखों में आंसू बहने लगते हैं विवान दरवाजे पर अपना सिर टिकाकर रोते हुए अवनी से बोलता है - क्यों इतना दर्द दे रही हो मुझे... प्लीज एक बार मेरे सामने आ जाओ फिर मैं हमेशा के लिए यहां से चला जाऊंगा..।
विवान की आवाज सुनकर अवनी और घबरा जाती है उसकी आंखों के सामने धुंधलापन छा जाता है उसमें इस हालत में विवान के पास आने की हिम्मत नहीं थी अवनी अपने दोनों हाथों को मुंह पर रखकर घुटनों में सिर टिकाकर रोने लगती है,,, विवान अवनी का जवाब न पाकर और घबरा जाता है,,,,, वह जोर-जोर से दरवाजा पीटने लगता है लेकिन अवनी दरवाजा नहीं खोलती,,,,
विवान ने हारकर जोर से चिल्लाते हुए कहा - ठीक है मत खोलो दरवाजा.. तुम्हें जो ठीक लगे तुम करो और जो मुझे ठीक लगेगा मैं वो करूंगा.. आज के बाद भूल जाना तुम्हारी लाइफ में कोई विवान भी था मेरे घर वाले पूछे तो बता देना कि अब उनका विवान कभी नहीं लौटेगा.. मैं जा रहा हूं... तुमसे दुर.. सबसे दुर...
विवान की बात सुनकर अवनी की धड़कनें रफ्तार पकड़ चुकी थी अवनी बिना देरी किए अपने खून से भीगे कांपते हाथों से दरवाजा खोलती है सामने विवान नजरे झुकाए घुटनों के बल बैठा था,,, अवनी के कदमों की आहट सुनकर विवान अवनी की तरफ देखता है उसकी रुकी हुई सांसे फिर से चलने लगती है,,, अवनी की लाल आंखें,, चेहरे पर आंसूओ के निशान,, हाथों पर लगी चोटे और खून से भीगी हथेलियां, अवनी की ऐसी हालत देखकर विवान खड़ा भी नहीं हो पा रहा था उसकी हालत भी बिल्कुल अवनी जैसी ही थी,,, दोनों की ही आंखों से लगातार आंसू बह रहे थे अवनी विवान के सामने आकर उसी की तरह घुटने टेककर बैठ जाती है अवनी को अपने करीब पाकर विवान को होश आता है उसकी नजर अवनी के चेहरे पर जाती है जिस पर कोई भाव नहीं था ना उदासी का और ना ही पछतावे का..वह लगातार विवान की तरफ देखे जा रही थी अवनी खुद को संभालते हुए विवान के चेहरे को अपने हाथों में लेकर बोलती हैं- तुम पागल हो गए हो क्या, क्या कहा तुमने अभी.. तुम सबको हमेशा के लिए छोड़कर चले जाओगे...
विवान उसके हाथों को अपने हाथों से पकड़कर - पागल मैं नहीं तुम हो गई हो अवनी... क्या हाल बना रखा है तुमने अपना.. क्यों किया तुमने ऐसा..?
विवान अपने जेब से रुमाल निकालकर उसके दो हिस्से करके अवनी के दोनों हाथों पर बांधता है जहां से खून निकल रहा था,,,,
अवनी ने विवान से अपने हाथों को दूर करते हुए कहा - क्या तुम्हें सच में मुझे तकलीफ में देखकर तकलीफ होती है....।
अवनी की बात सुनकर विवान को गुस्सा आ जाता है वह अवनी के कंधों को पकड़कर उसे हिलाते हुए बोलता है - हां... होती है मुझे तकलीफ, उस समय से होती है जब से तुमने मेरे साथ अपने दर्द को बांटा है.. जब- जब तुम रोई हो तब मैं भी रोया हूं... तुम्हारे हर दर्द, हर तकलीफ से जुड़ चुका हूं मैं... नहीं देखी जाती तुम्हारी ऐसी हालत क्योंकि मैं प्यार करता हूं तुमसे समझी तुम..
विवान झटके से अवनी को छोड़कर खड़ा हो जाता है विवान के अचानक छोड़ने से अवनी के हाथ निचे टिक जाते हैं अवनी खुद को संभालते हुए खड़ी होकर विवान के पास आती है जो दूसरी तरफ मुंह करके खड़ा था
अवनी, पीछे से उसके कंधे पर हाथ रखकर - यदि तुम चाहते हो कि मुझे कोई तकलीफ ना हो तो चले जाओ यहां से... छोड़ दो मुझे खुद के हाल पर...
विवान, अवनी की तरफ देखकर- तुम सच में यही चाहती हो....
अवनी कुछ नहीं बोलती वह अपनी नजरें नीचे झुकाए खड़ी थी,,,,,
विवान, उसके और करीब आकर -ठीक है... मेरे दूर रहने से तुम खुश रहोगी तो यही ठीक है.. मैं चला जाऊंगा लेकिन याद रखना मेरा प्यार तुम्हारे लिए कभी कम नहीं होगा अवनी....
अवनी कुछ बोलती उससे पहले ही विवान वहां से चला जाता है,,, अवनी उसे जाते हुए देख रही थी इतनी देर से विवान के सामने दबे उसके आंसू एक साथ बह रहे थे अवनी फिर से वही बेड का सहारा लेकर फर्श पर ही बैठ जाती है विवान के चेहरे को याद करते हुए आंखें बंद करके मन ही मन - मुझे माफ कर देना विवान.. सच यह हैं कि मैं तुम्हें खोना नहीं चाहती, बहुत प्यार करती हूं तुमसे.... इतना प्यार की मैं शब्दों में भी बयां नहीं कर सकती. काश तुम मेरे ना कहने की वजह को जान पाते... मैं अपने साथ-साथ तुम्हारी जिंदगी को खतरे में नहीं डाल सकती,,,,