muskarate chahare ki hakikat - 24 in Hindi Fiction Stories by Manisha Netwal books and stories PDF | मुस्कराते चहरे की हकीकत - 24

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मुस्कराते चहरे की हकीकत - 24

अग्रवाल मेंशन में सब बेसब्री से अवनी के आने का इंतजार कर रहे थे,,,
इधर अवनी अपने केबिन में अपने असिस्टेंट के साथ बैठी थी अवनी उसे कुछ फाइल्स देती हैं और उनके बारे में कुछ समझाती है कुछ देर में वह बाहर चला जाता है,,, अवनी अपने फोन से किसी को कॉल लगाती है फिर कुछ बात करके वह रविंद्र जैन के केबिन में आती है,,,,
अवनी,रविंद्र जैन को कुछ फाइल्स देते हुए बोलती हैं - सर.... मुंबई के क्लाइंट्स से मेरी बात हो गई है और मीटिंग और उनके कॉन्ट्रैक्ट से रिलेटेड फाइल्स भी तैयार है एक बार आप और देख लेना... मैंने पंकज(अवनी का असिस्टेंट) को सब कुछ समझा दिया है... मैं हमेशा उसके कांटेक्ट में रहूंगी.....
रविंद्र,अवनी को बैठने का इशारा करते हुए- उसकी कोई जरूरत नहीं है तुमने जो फैसला लिया है हमें कोई डाउट नहीं है.... health is most important so take care yourself.......
अवनी- ओके सर... थैंक यू....।
अवनी थोड़ी देर अपने काम के बारे में बात करती है फिर रविंद्र जैन से- सर... मुझे अभी घर के लिए निकलना होगा अर्जेंट है...
रविंद्र- श्योर...तुम जा सकती है कुछ इंपोर्टेंट होगा तो मैं संभाल लूंगा....
अवनी वहां से निकल जाती है...,,,,
अग्रवाल मेंशन में सब पिछले दो घंटे से अवनी का वेट कर रहे थे.......
नित्या घड़ी में टाइम देखकर- दो घंटे हो गए अवनी को कॉल किए हुए और वह अभी तक नहीं आई.....
विवान - कहा था ना मैंने, उसे कोई फर्क नहीं पड़ता और मुझसे तो बिल्कुल भी नहीं,,,,,, और वहां से उठकर जाने लगता है तभी दरवाजे की बेल बजती है।
काव्या, उठकर विवान के पास आकर - अवनी आ गई है विवान.... हम सब अंदर जा रहे हैं तुम्हे यही उसे बात करनी होगी.....
विवान- भाभी.. यहां कैसे...?
कुणाल - क्या भाई आप भी.... अभी घर पर ताऊजी, ताई जी, मम्मा, पापा, दादी कोई नहीं है और हम सब तो दोस्त की तरह है ना तो फिर....
रिया - डोंट वरी भाई... अवनी हमें नहीं देख पाएगी...।
सभी विवान को निचे ही छोड़कर ऊपर चले जाते हैं,,,,, विवान दरवाजा खोलता है बाहर अवनी खड़ी थी अवनी विवान को देखकर हैरानी से- तुम... तुम तो बीमार थे ना...
विवान बिना कुछ बोले अवनी को देखता रहता है अवनी उससे नजरें चुराकर अंदर चली जाती विवान भी उसके पीछे-पीछे आ आता है,,, अवनी चारों तरफ देखती है उसे कोई दिखाई नहीं देता,,,,,,,
अवनी बिना विवान को देखें - घर पर कोई नहीं है क्या...?
विवान ने मुस्कुराते हुए कहा- नहीं... कोई नहीं है मुझे छोड़कर...
अवनी विवान के पास आकर- पर नित्या ने तो यहीं से कॉल किया था....
विवान पास रखी चेयर पर बैठकर : मैंने कहा था नित्या से वो सब कहने के लिए और मैंने ही तुम्हें यहां बुलाया हैं...
अवनी थोड़े गुस्से से : यह क्या मजाक है विवान.... मैं अपना काम छोड़कर यहां आई हूं,,,
अवनी आगे कुछ बोलती उससे पहले भी विवान उसे चुप कराते हुए कहता है : अच्छा कल रात मैं भी अकेला पागलों की तरह घूम रहा था तुम्हारे लिए.....
अवनी के पास विवान के सवाल का कोई जवाब नहीं था उसे कल रात की सारी बातें याद आ जाती है उसके पास कॉल आने से लेकर विवान से बात करने तक.....
अवनी कुछ देर रुक कर : सॉरी... अभी कोई काम था क्या तुम्हें.....
विवान खड़ा होकर अवनी के पास आता हैं और उसके चारों तरफ घूमते हुए : हम्म्म... बात करनी थी तुमसे... वैसे भी कल तो तुम जा ही रही हो तो.....
अवनी विवान से थोड़ा दूर जाकर : बात.... क्या बात करनी थी कुछ इंपॉर्टेंट है क्या..?
विवान थोड़ा सीरियस होकर: मेरे सवालों के जवाब चाहिए,,,,
अवनी हैरानी से : सवाल... कौन से सवाल देखो प्लीज मुझे बहुत काम है तुम्हें जो पूछना है जल्दी पूछो....।
विवान उसके पास आकर : रियली तुम्हें नहीं पता कौन से सवाल... चलो मैं याद दिला देता हूं उस दिन जब तुम बेहोश थी तब क्यों बार-बार मेरा नाम ले रही थी... उस दिन सबके सामने तुमने ऐसा क्यों कहा कि तुमसे मेरा कोई रिश्ता नहीं है... अवनी मुझे इन सवालों के जवाब चाहिए....
विवान की बात सुनकर अवनी केवल विवान की तरफ देखने लगती है उसकी आंखें उसके दर्द को बयां कर रहे थे वह चाहकर भी विवान को कुछ भी नहीं बता पा रही थी,, कुछ देर अवनी विवान को बस देखती रहती है फिर वह अपनी आंखें बंद कर लेती है और दूसरी तरफ मुंह करके : क्यों बार-बार तुम मुझसे एक ही सवाल करते हो....
विवान अवनी के सामने आकर उसके दोनों कंधों को पकड़कर : क्योंकि मैं प्यार करता हूं तुमसे.. बहुत प्यार... मैं जानना चाहता हूं कि क्या तुम भी मुझसे प्यार करती हो आई लव यू अवनी... आई रियली लव यू...
अवनी को अपने कानों पर विश्वास नहीं हो रहा था कि विवान ने अभी जो कहा वह सच है अवनी के हाथ से फोन नीचे गिर जाता है अवनी वैसे ही जड़ बनी खड़ी थी उसके चेहरे पर कोई भाव नहीं था ना खुशी का.. ना दुख का.. उसकी नजरें विवान की नजरों से मिल रही थी,,,,,अवनी को इस तरह देखकर विवान घबरा जाता है बाकी सब भी विवान और अवनी को देख रहे थे सब बहुत घबराए हुए थे और अवनी के जवाब का वेट कर रहे थे,,,,,,,
अवनी का कोई जवाब न पाकर विवान बहुत घबरा जाता है वह अपनी हथेलियों को अवनी के गालों पर रखकर : अवनी... प्लीज ऐसे चुप मत रहो कुछ तो बोलो.. तुम्हारी खामोशी कांटों की तरह चुभ रही है प्लीज.. कुछ तो बोलो,,,,,
अवनी विवान के हाथों को पकड़कर उसे खुद से दूर करते हुए : विवान प्लीज बंद करो अपना ये घटिया मजाक..... इतना कहकर अवनी वहां से बाहर जाने लगती है विवान अवनी का हाथ पकड़कर चिल्लाते हुए : तुम्हें हर बात मजाक ही क्यों लगती है...(फिर उसका हाथ छोड़कर) अवनी कैसे यकीन दिलाऊं तुम्हें कि मैं तुमसे प्यार करता हूं....
विवान की इतनी तेज आवाज सुनकर सब बाहर आ जाते हैं अवनी अपनी आंखें बंद किए वहीं खड़ी थी,,,,,
नित्या और काव्या अवनी के पास आते हैं और उसे समझाते हैं,,,
काव्या : यह सच है अवनी की विवान तुमसे बहुत प्यार करता है हम सब जानते हैं......
अवनी नित्या की तरफ देखती है नित्या, अवनी का हाथ पकड़कर : मुझे पता है तू क्या सोच रही है यही ना कि मेरी और विवान की शादी होने वाली थी लेकिन मैने विवान की आंखों में केवल तुम्हारे लिए बेपनाह प्यार देखा है.. उसने मुझे नहीं बताया और ना ही मुझसे शादी करने से मना किया मैंने खुद उसे मना किया था...अवनी तुम्हें विवान के साथ हंसते हुए, उसके साथ रोते हुए देखा है मैंने.. मैं तुम्हारी खुशी कैसे छीन सकती हूं प्लीज अब तो मान जा.....
करण, अवनी के पास आकर : हमें पता है अवनी कहीं ना कहीं तुम्हारे दिल में भी विवान के लिए जगह हैं प्लीज बताओ क्या तुम विवान से....
करण की बात पूरी होने से पहले ही अवनी अपने कानों पर हाथ रखकर चिल्लाते हुए : नहीं... मैं किसी से प्यार नहीं करती, चुप करो तुम सब....
अवनी की आवाज सुनकर सब दुखी हो जाते हैं विवान भी कुछ नहीं बोलता वह केवल अवनी की तरफ देखता रहता है जैसे उसे पहले से ही मालूम हो कि अवनी का यही जवाब होगा,,,,,
अवनी, विवान के पास आकर आंखो मे आंसु लिए बोलती हैं : मैं तुमसे प्यार नहीं करती... तुमसे क्या मैं किसी से भी प्यार नहीं कर सकती... तुम्हें पता है ना मेरे पास केवल नॉर्मल लाइफ जीने के लिए एक साल बचा है मैं कभी भी मर सकती हूं....
विवान,अवनी को गले लगाकर : नहीं... मैं कुछ नहीं होने दूंगा तुम्हें.. तुम्हें जीना होगा मेरे लिए... अपने आप के लिए...
अवनी भी रोते हुए विवान के कंधे पर सिर रख लेती हैं और अपने हाथों से विवान की शर्ट को मजबूती से पकड़ लेती है कुछ देर दोनों यूं ही एक दूसरे के दर्द में खोए हुए रहते हैं अवनी को आज किसी का डर नहीं था, ना ही विवान को,,,, सब उन दोनों को देखकर मुस्कुराने लगते हैं,,, कुछ देर बाद अवनी अपनी आंखें खोलती है तो खुद को विवान के इतना क़रीब पाकर वह विवान से अलग हो जाती है,,,
अवनी विवान से : विवान में एक रॉ एजेंट हूं.. और अभी भी मैंने जॉब नहीं छोड़ी है मेरे लिए मेरे फर्ज से इंपॉर्टेंट कुछ भी नहीं.. इसलिए बेहतर यही होगा कि तुम मुझसे दूर रहो...
विवान : यह मेरे सवाल का जवाब नहीं है एक बार बस तुम बता दो कि तुम मुझसे प्यार करती हो या नहीं... आई प्रॉमिस उसके बाद कभी इस बारे में बात नहीं करूंगा...
सभी विवान की बात सुनकर हैरान थे और कभी अवनी को तो कभी विवान की तरफ देखने लगते हैं,,,,,
अवनी कुछ देर सोचकर अपनी आंखें बंद करके अपने आंसुओं को रोकते हुए : नहीं.. यही मेरा आखिरी जवाब हैं मैं तुमसे प्यार नहीं करती विवान...
अवनी का जवाब सुनकर सब बहुत दुखी हो जाते हैं क्योंकि यह उनकी सोच के विपरीत जवाब था,,,,
विवान अपने आप को संभालते हुए बोला : ओके.. यदि तुम्हें ऐसा ही लगता है तो ठीक है, आज के बाद मैं तुम्हें कभी नहीं पूछूंगा मुझे मेरे सवालों के जवाब मिल गए हैं.. लेकिन एक बात तुम भी याद रखना मेरा पहला और आखिरी प्यार तुम हो.. एक तरफा ही सही लेकिन मेरा प्यार मेरे मरने तक जिंदा रहेगा...
अवनी विवान की बात पूरी होने से पहले ही वहां से चली जाती है अवनी को इस तरह जाते देखकाव्या और नित्या भी उसके पीछे-पीछे जाने लगती है लेकिन विवान उन्हे रोक लेता हैं,,,
काव्या, विवान के पास आकर :विवान अवनी झूठ बोल रही है अवनी की आंखों में तुम्हारे लिए प्यार साफ- साफ दिखाई दे रहा है लेकिन शायद उसकी कोई मजबूरी हो जो वह बताना नहीं चाहती है....
नित्या, उदास होकर : यह लड़की एक अनसुलझी पहेली की तरह हैं.. समझ में ही नहीं आता इसके दिमाग में क्या चल रहा है....
विवान कुछ सोचकर: लेकिन यह अनसुलझी पहली मुझे समझ आ गई है...।
इतना कहकर विवान वहां से अपनी कार लेकर चला जाता है,,,,,,,