Pahla Pyar - Nahi bhool pati - 1 in Hindi Women Focused by Kishanlal Sharma books and stories PDF | पहला प्यार - नही भुला पाती - 1

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पहला प्यार - नही भुला पाती - 1

"आप कामिनी है?"
दरवाजा खुलते ही आशा ने दरवाजा खोलने वाली युवती से पूछा था।
"हां।मैं कामिनी हूँ,"कामिनी उस युवती से बोली,"लेकिन आप कौन है?आप मेरा नाम कैसे जानती है?मैने आपको पहले कभी नही देखा?"
"आप सही कह रही है।आपने मुझे पहले कभी नही देखा।मैंने भी नही क्योकि हम पहली बार मिल रहे है।"
"आप मेरे पास क्यो आयी है?मेरे से आपको क्या काम है?"आशा की बात सुनकर कामिनी बोली।
"आप मुझे अंदर आने के लिए भी कहेगी या सारी बात दरवाजे पर खड़े होकर ही करने का इरादा है।"
"सॉरी,"आशा की बात सुनकर कामिनी को अपनी गलती का एहसास हुआ,"अंदर आइए।"
कामिनी,आशा को अपने साथ अंदर ड्राईंग रूम में ले आयी।उसके बेथ जाने के बाद कामिनी बोली,"अब आप बताइए,आप कौन है?आपका नाम,परिचय और आप मेरे पास क्यो आयी है?मुझसे आपको क्या काम है?"
"मेरा नाम आशा है,"आशा बोली,"मै शेखर की पत्नी हूँ।"
"क्या?"आशा की बात सुनकर कामिनी आश्चर्य से से बोली,"शेखर ने तो मुझे नही बताया कि वह विवाहित है।"
'हमारी शादी को पांच साल हो गए।हमारे दो बेटियां भी है।"
"तुम झूठ बोल रही हो।"आशा की बात सुनकर कामिनी गुस्से में जोर से बोली।
"मेरी बात तुम्हे झूठ लग रही है।"कामिनी की बात सुनकर आशा बोली,"मै तुमसे झूठ क्यों बोलूंगी।मुझे झूठ बोलने से फायदा क्या है?"
"तुम झूठ बोलकर मेरे और शेखर के बीच मून मठाव कराना चाहती हो।"
"इससे मुझे क्या फायदा होगा?"
"शायद तुम भी शेखर को चाहती हो।उससे प्यार करती हो।इसलिए तुम चाहती हो।मै तुम्हारी बातों में आकर उससे सम्बन्ध तोड़ लूं।'
"मुझे ऐसा करने की कोई जरूरत नही है।शेखर मेरा पति है।",आशा बोली,"कामिनी तुम सोचो क्या तुम्हारा एक विवाहित औरत से प्रेम करना सही है?"
"आशा तुम झूठ बोलकर मेरे और शेखर के बीच मे दरार नही डाल सकती।"
"तुम इस लॉकेट को देखो।"अपने गले से लॉकेट उतारकर आशा,कामिनी को देते हुए बोली।
कामिनी ने उस लॉकेट को लेकर देखा।उस लॉकेट में आशा के साथ शेखर का फोटो भी था।कामिनी लॉकेट के फोटो को देखकर चोकी थी।उसके मन ने सन्देह और अविश्वास के भाव उभर आये।कामिनी के मन मे उमड़ रहे भावो को आशा ने पढ़ लिया था।
"तुम्हे अगर मेरी बात पर यकीन नही हो रहा तो तुम एक काम करो।"
"क्या?"कामिनी ने पूछा था।
"तुम शेखर के आफिस जाकर हकीकत का पता लगा सकती हो,"आशा बोली,"तुम मेरे घर आकर सत्य को अपनी आंखों से देख सकती हो।"
आशा की बाते सुनकर और उसके गले के लॉकेट को देखकर कामिनी को ऐसा लगा कि वह सच बोल रही है।अगर आशा सच बोल रही है तो शेखर ने अपने विवाहित होने की बात उससे क्यो छुपाई?अगर उसे शेखर के विवाहित होने के बारे में पहले ही मालूम पड़ जाता तो वह इतना आगे कभी नही बढ़ती।कामिनी के मन मे एक द्वंद छिड़ गया।तरह तरह के प्रश्न उसके मन मे आने लगे।उस द्वंद से कामिनी को बाहर निकालते हुए आशा बोली,"कामिनी अभी तुम कुंवारी हो।तुम्हे अपनी जीवन संगनी बनाने वाले वाले बहुत मिल जाएंगे।मगर तुम मेरा पति मुझ से छीन लोगी तो मै परित्यक्ता हो जाऊंगी।फिर मेरा क्या होगा?दो बेटियों की माँ को कौन अपनी बनाने के लिए तैयार होगा?मेरा ही नही।मेरे साथ मेरी बेटियों का भविष्य भी अन्धकारमय हो जाएगा