muskarate chahare ki hakikat - 18 in Hindi Fiction Stories by Manisha Netwal books and stories PDF | मुस्कराते चहरे की हकीकत - 18

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मुस्कराते चहरे की हकीकत - 18

अवनी निशा के रूम से अपना सामान लेकर काव्या के अपार्टमेंट में आ जाती है जहां वह पहले रहती थी, यहां कोई नहीं था। रामू काका भी नहीं थे,,, अवनी अंदर आती है, कुछ देर आराम करती है और फ्रेश होकर वापस बेड पर लेट जाती है, उसके सिर में दर्द हो रहा था जिसे वह कब से अवॉइड कर रही थी,, फिर वापस उठ कर दवाइयों के बड़े से बॉक्स से कुछ गोलियां निकाल कर लेती है और बाहर गार्डन में आकर बैठ जाती है कुछ देर अकेले आंख बंद करके बैठी रहती है फिर अनुराग बजाज (काव्या के पापा) को कॉल लगाती है
अवनी- हेलो अंकल, कैसे हो..?
अनुराग, सामने से- अवनी बेटा आप, काफी दिनों बाद कॉल किया,,,
अवनी- हां अंकल, वो थोड़ा काम में बिजी थी लेकिन अब नहीं,, मैं वापस आ गई हूं, आंटी को भी बोल देना।
सामने से अनुराग- यहीं आ जाओ बेटा, मिलकर डिनर करते हैं....
अवनी- नहीं अंकल, अभी मुझे नित्या और काव्या के पास जाना है वह वेट कर रही होगी, मैं कल मिलती हूं आपसे,,
अनुराग- ठीक है बेटा, टेक केयर बाय,,,,,
अवनी- बाय अंकल...(और फ़ोन रख देती हैं)

अग्रवाल मेंशन में सब डाइनिंग टेबल पर बैठे थे, सबकी नजरें विवान पर थीं जो दरवाजे की तरफ देख रहा था
नित्या, विवान से- विवान.. यार भूख लगी है अब तो बता दो,, कौन आ रहा है...?
विवान कुछ नहीं बोलता फिर करण, यश की तरफ देखकर- यश तु तो बता दें.. तुम इसके साथ ही थे ना, किससे मिलकर आए हो तुम...,
यश- थोड़ा वेट करो भाई,, हमारा गेस्ट अभी आता होगा।
रिया, यश की तरफ देखकर करण से- क्या भाई आप भी, किससे पूछ रहे हैं जिसको खुद का पता नहीं रहता,,,
रिया की बात पर सब हसने लगते हैं और यश की तरफ देखने लगते है यश मुंह बनाकर रिया कों घूरता है।
हाय गाइस,,,,, दरवाज़े से अवनी की आवाज आती है; सब अवनी को देखकर हैरान हो जाते हैं नित्या और काव्या दोनों दौड़कर अवनी के पास आकर उसे गले लगा लेती है, तीनों बिना कुछ बोले एक दूसरे को गले लगाए खड़ी रहती है श्रेया रिया भी पीछे से आकर उन्हें गले लगा लेती है,
करण, उनके पास आकर- अरे छोड़ो उसे, बेचारी को मारने का विचार है क्या;
करण की बात सुनकर सब अवनी से दूर हट जाते हैं
नित्या, अवनी के गालों पर हाथ रखकर उदासी से- कहां थी तू..?
अवनी- अब आ गई हूं ना.. तो जानकर क्या करना है,
अवनी उन सब से मिलकर सुधा जी के पास आकर उनके पैर छूकर गले लग जाती है
सुधा जी, अवनी के सिर पर हाथ फेरते हुए- बेटा, खून के रिश्ते से भी गहरे होते हैं दिल के रिश्ते,, जो दो लोगों को हमेशा एक दूसरे से जोड़ें रखते है और वही रिश्ता है हम सब से तुम्हारा...., तुम चाहकर भी हमसे दुर नही भाग सकतीं।
अवनी, सुधा जी की बात सुनकर अपनी उदासी भरी मुस्कुराहट के साथ- दादी, एक साथ इतने रिश्ते नहीं संभाले जाते मुझसे,, सोचा था आप सब से दूर रहकर भूल जाउंगी आप सबको,, लेकिन दूरियां रिश्तो को और मजबूत बना देती है जब आपको देखती हूं तो नानी- दादी की याद आती है जो मेरी वजह से मुझसे दूर हो गई, अंकल आंटी को देखती हूं तो लगता है जैसे मम्मा पापा वापस मिल गए हो , करण, यश कुणाल से मिलकर लगता है मेरे पास एक नहीं चार चार भाई है जो अच्छे दोस्त भी हैं। काव्या, नित्या, श्रेया, रिया के साथ रहती हूं तो लगता है कि मुझे सारी दुनिया मिल गई हो दोस्त, मा, बहन सब कुछ,,,,
शालिनी, अवनी के पास आकर उसे गले लगा कर- यह सारे रिश्ते तुमने खुद बनाए है बेटा, और इन्हें दिल से निभाया भी है,,,
कृष्णमूर्ति- अवनी बेटा, आज तुम्हारा नाम अखबार की हेडलाइंस पर छपता है उसमें किसी के साथ की जरूरत नहीं पड़ी तुम्हें, आज तेरे पास जो मुकाम है वह तेरी खुद की मेहनत से है जिस उम्र में मैंने बिजनेस में कदम भी नहीं रखा था उसी उम्र में तुमने इतना बड़ा नाम कमाया प्राउड ऑफ यू बेटा...
अवनी, कृष्णमूर्ति के पास आकर मुस्कुराते हुए- थैंक्यू अंकल,,
सुधा जी- अरे अब खाना भी खाने दो इसे, भूख लगी होगी, आज ये यहीं रहने वाली है जितनी बातें करनी है कर लेना..,
विवान, अवनी की तरफ देखकर- रुको दादी अभी मेरा हिसाब बाकी है...,
सब विवान को हैरानी से देखते हैं, अवनी अभी भी उससे नजरे चुरा रही थी;
करण- तू रुक जा भाई, अभी-अभी तो आई है बेचारी, उसे ऐसे ही भेजने का विचार है क्या वापस..,
विवान, उसी तरह अवनी को घूरते हुए- नहीं भाई मुझे तो बस कुछ पूछना था,
विवान, अवनी के पास आकर- मेरा नाम फिर से भूल गई क्या मिस भुलक्कड़....
अवनी समझ आती है कि विवान क्या बोलना चाहता है
अवनी उसकी तरफ देख कर- हां सही कहा तुमने मिस्टर विवान अग्रवाल, तुम्हारा नाम मुझे याद रहता ही नहीं और नहीं तुमसे मेरा कोई रिश्ता है, सबको पता है यहां तुमने किस तरफ बिहेव किया है मेरे साथ, तो मैं भी इतनी महान नहीं मिस्टर विवान की तुमसे कोई रिश्ता रखू,,,
विवान सब की तरफ देखता है जो गर्दन झुकाकर हंस रहे थे,,,,
विवान थोड़े गुस्से में- तो मुझे भी कोई शौक नहीं है..तुमसे कोई भी रिश्ता रखने में,,,
शालिनी, विवान और अवनी की तरफ देखकर- विवान अवनी, क्या बच्चों की तरह लड़ने लग जाते हो और विवान सही कह रही है अवनी,कभी ठीक से बात की है तुमने इससे,,,,
यश, हंसते हुए- तुम दोनों का झगड़ा खत्म हो गया हो तो हम खाना शुरू करें,,,
विवान और अवनी अभी भी एक दूसरे को खा जाने वाले नजरों से देख रहे थे,,,,
सब खाना खाने लगते हैं अवनी नित्या और काव्या के पास बैठी थी और सब बातें कर रहे थे,,,, डिनर खत्म होने के बाद सब उठकर हॉल में आ जाते हैं तभी अवनी के पास प्रवीण का कॉल आता है तो अवनी बाहर चली जाती हैं विवान भी उसके पीछे पीछे आ जाता हैं, कुछ देर बात करने के बाद अवनी फोन रखके वापस अन्दर जाने के लिए मुड़ती हैं तो विवान से टकरा जाती हैं जो ठीक उसके पिछे ही खड़ा था, अवनी थोड़ा पीछे खिसककर बीना विवान से बात किए वहा से जाने लगती है,,,
विवान, फ़िर उसके सामने आकर- भाग क्यों रहीं हों मुझसे... मुझे बात करनी है तुमसे...
अवनी, पीछे कि तरफ़ धिरे धिरे कदम बडाते हुए- वो तो अन्दर भी कर सकते हो ना....
विवान, उसकी तरफ़ बढ़कर मुस्कराते हुए- नहीं... हा अगर तुम चाहो तो मै सबके सामने पूछ सकता हूं कि उस दिन होटल में एक अजनबी के साथ किस रिश्ते से रुकी थी,,,
अवनी, नजरे फेरकर- कहना क्या चाहते हो तुम...?
विवान, अवनी के थोड़ा और नजदीक आकर- वही जो तुमने नहीं कहा... तुम्हें याद नहीं होगा शायद लेकिन मुझे याद है जब तुम गई थी उसी दिन हमारी दोस्ती हुइ थी तो तुमने अंदर क्यों नहीं कहा कि मै भी तुम्हरा दोस्त हूं,,, अगर तुम्हें ऐसा नहीं लगता तो तुम्हीं बताना क्या रिश्ता है मेरा तुम्हरे साथ मिस....... आगे का नाम बाद में बताउंगा... अन्दर वेट कर रहा हूं,,,,
विवान को अपने इतना करीब पाकर अवनी को अजीब सी घबराहट हो रहीं थी, उसने अपनी आंखे बंद कर ली, विवान कि हालत भी बिलकुल अवनी जैसी ही थीं, कुछ देर दोनों यूंही खड़े रहते हैं,,,,,,, विवान एक बार फ़िर अवनी की ऐसी हालत देखकर मुस्कराता है और वहा से चला जाता है, अवनी अभी भी अपनी आंखे बंद किए खडी थी, जब उसे विवान के न होने का अहसास हुआ तो वह अपनी आंखे खोलती हैं और चारों तरफ देखती हैं पर विवान दिखाई नहीं देता,,,, अवनी अपने सीने पर हाथ रखकर एक लम्बी गहरी सांस छोड़ते हुए-मुझे नहीं पता तुमसे क्या रिश्ता है मेरा, लेकिन हर वक्त तेरा ख्याल मेरी आंखों के सामने रहता है.. तुम्हारे साथ बिताया हर पल खुशी देता है तुम्हारे पास होने पर दूर जाने का मन नहीं करता, इसलिए तुमसे दूर रहने की कोशिश करती हूं लेकिन किस्मत फिर से तुम्हारे पास लाकर खड़ा कर देती है.....,
अवनी कुछ देर वहीं खड़ी रहती है फिर अंदर आकर सब के साथ बैठ जाती है,,अवनी विवान की तरफ देखती है जो यश से कुछ बात कर रहा था,,,,
काव्या, अवनी की तरफ देखकर- तेरी तबीयत तो ठीक है ना.. और तेरी स्किन पर यह रेड कलर के डॉट्स....
सबकी नजर अवनी के हाथों पर जाती हैं जिन पर बहुत सारे रेड डॉट्स हो रखे थे,,,
अवनी दुपट्टे से अपने हाथो को छुपाते हुए- कुछ नहीं... वो ऐसे ही शायद एलर्जी के कारण है,,,,,,,अवनी सबकी तरफ देखती है जो अभी भी उसे ही देख रहे थे अवनी उनसे अपना ध्यान हटाने के लिए सबकी तरफ देख कर- डोंट वरी यार, मैं ठीक हूं.. अब किसी ने पूछा तो मैं यहां से चली जाऊंगी जब से आई हूं सवालों पर सवाल..... दादी आप बताइए आप थोड़ी देर पहले बोल रही थी ना कि आपको कुछ बात करनी है मुझसे..,
विवान, मन ही मन- अवनी कुछ तो छुपा रही है निशा ने बताया था इसकी तबीयत के बारे में,, और दादी को भी आज ही बात करनी थी क्या शादी के लिए...
सुधा जी-हां अवनी बेटा, सब तुम्हारे आने का इंतजार ही कर रहे थे, अब तुम भी आ गई तो सोचा आखिर तुम्हें भी तो पता चल जाए,,, विवान और नित्या की शादी जितनी जल्दी हो जाए उतना ही ठीक रहेगा,,नित्या भी पूरे हक के साथ रहेगी,,,
अवनी, नित्या और विवान की तरफ देखकर- यदि दोनों खुश है तो क्या प्रॉब्लम है दादी, आप सब नित्या को बचपन से जानते हैं और दोनों एक दूसरे को समझते भी है... जैसा आप सब को ठीक लगे,,,,,
नित्या, अवनी के पास आकर- आई नो, तुम्हें विवान के बात करने का तरीका पसंद नहीं, लेकिन वह दिल का बुरा नहीं है तुम एक बार उससे बात करना फिर तुम्हें पता चलेगा कि वह कितना अच्छा है,,,
अवनी, विवान की तरफ देखकर-पता है मुझे.. विवान कितना अच्छा और केयरिंग है मुझे कभी उससे कोई शिकायत नहीं है एंड आई शोर विवान तुम्हारी बहुत केयर करेगा,,,,
विवान भी अवनी की तरफ ही देख रहा था पर सबके सामने चुप था,अवनी कुछ देर सबसे बातें करने के बाद वहां से उठते हुए- अब मुझे चलना चाहिए.. सुबह ऑफिस भी जाना है,
रिया, खड़ी होकर अवनी के पास आती है और उसे रोकते हुए- नहीं अवनी तुम्हें याद नहीं दादी ने क्या कहा था कि तुम आज रात यहीं रहोगी प्लीज.... हमारे साथ.....
श्रेया- अवनी प्लीज रुक जाओ ना..
नित्या - अवनी रुक जाओ ना, बहुत बातें करनी है तुमसे...
अवनी सबकी तरफ देखती है फिर वापस बेठकर- ओके मैं यही हूं कहीं नहीं जा रही..,
कुछ देर बाद सुधा जी, कृष्णमूर्ति, शालिनी, कविता अपने अपने कमरों में चले जाते हैं सोने के लिए,,, बाकी सब नीचे ही बैठे थे हॉल में,
सब हॉल में बैठे बातें कर रहे थे,,,,
नित्या- आपको पता है अवनी बहुत अच्छी सिंगर भी है,, कॉलेज का हर फंक्शन अवनी के गानों के बिना अधूरा सा लगता था,,,
कुणाल- हां हमें भी पता है करण भाई की सगाई में भी अवनी ने गाया था बहुत तारीफ की थी सबने,,
करण- तो अवनी आज भी सुना दो यार,, अभी 9:00 बजे है,,,
अवनी सबकी तरफ देखकर- नहीं मुझे याद नहीं है अभी नींद आ रही है फिर कभी....
यश,अवनी के पास आकर बैठते हुए- क्या यार अवनी प्लीज गाओ ना...
काव्या - अवनी.....आज तो तुम्हें गाना ही होगा,,,,
अवनी अभी भी मना कर रही थी नित्या - क्या अवनी......सब इतना बोल रहे हैं सुनाओ... आख़िर सबको पता तो चले हमारे कॉलेज के नायाब हीरे का,,,,
अवनी विवान की तरफ देखती है जो कुछ भी नहीं बोल रहा था,,,,,
श्रेया- रुको, मैं गिटार लेकर आती हूं कुणाल प्रैक्टिस करता है ना,,,,, (कुणाल की तरफ देखकर हंसते हुए)
रिया,कुणाल को चिढ़ाते हुए- फिर भी कुछ नहीं होता है इससे...,
कुणाल रिया को अंगुली दिखाकर- मुझे सिंगर नहीं बनना समझी.... मैं तो बस यूंही टाइम पास के लिए कभी-कभी प्रैक्टिस कर लेता हूं,
अवनी, विवान की तरफ देख कर, जो अपने फोन में बिजी था- यदि किसी को इंटरेस्ट ना हो तो जा सकता है यहां से,,,,
सबकी नजर विवान पर जाती हैं, विवान सबको देखकर- ऐसे क्यों घूर रहे हो मुझे कहीं नहीं जाना ओके...
विवान उठकर अवनी के पास ही आकर बैठ जाता है
विवान, अवनी की तरफ देखकर- अब सुनाओ अवनी हम भी तो सुने आपका गाना....
श्रेया गिटार लाकर अवनी को देती है, अवनी हाथों में गिटार लेकर अपनी आंखें बंद कर लेती है फिर अंगुलियों को गिटार के तारों पर रखकर अपना गाना शुरू करती हैं
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थोड़ी जगह दे दे मुझे
तेरे पास कहीं रह जाऊं मैं
खामोशियाँ तेरी सुनूँ
ओर दूर कहीं ना जाऊं मैं
(अवनी आंखें खोलकर सामने विवान की तरफ देखती हैं, जो बीना पलक झपकाए उसे ही देख रहा था)
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अपनी ख़ुशी देके मैं तुझे
तेरे दर्द से जुड़ जाऊँ मैं…
(अवनी बाकी सब की तरफ़ देखती हैं जो उसके सुरो में खोए हुए थे)
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मिला जो तु यहाँ मुझे
दिलाऊँ मैं यक़ीन तुझे
रहूँ होके तेरी सदा
बस इतना चाहती हूँ मैं

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थोड़ी जगह दे दे मुझे
तेरे पास कहीं रह जाऊं मैं
खामोशियाँ तेरी सुनूँ
ओर दूर कहीं ना जाऊं मैं
(अवनी वापस गिटार पर नजरे गडाकर)
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हाँ .. बेसहारा तेरे बिना मैं
तू जो ना हो तो मैं भी नहीं
देखूँ तुझे यारा जितनी दफ़ा मैं
तुझपे है आता मुझको यक़ीन

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सबसे मैं जुदा होके अभी
तेरी रूह से जुड़ जाऊँ मैं
मिला जो आप यहाँ मुझे
दिलाऊँ मैं यक़ीन तुझे
रहूँ होके तेरी सदा
बस इतना चाहती हूँ मैं....

🎶🎶🎶🎶🎶🎶🎶
थोड़ी जगह दे दे मुझे
तेरे पास कहीं रह जाऊं मैं
खामोशियाँ तेरी सुनूँ
ओर दूर कहीं ना जाऊं मैं........
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सबकी नजरें अवनी पर थीं, सब गाने को बड़े ध्यान से सुन रहे थे,,,, अवनी सबके सामने हाथो में गिटार लिए अकेली बैठी थी, बायी तरफ़ विवान, यश, कुणाल थे व दाई तरफ़ नित्या, रिया और श्रेया थीं,,, और ठीक सामने काव्या और करण बैठे थे
अवनी का गाना पूरा हो चुका था लेकिन वह अभी भी आंखें बंद किए गिटार बजाए जा रही थी......