muskarate chahare ki hakikat - 16 in Hindi Fiction Stories by Manisha Netwal books and stories PDF | मुस्कराते चहरे की हकीकत - 16

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मुस्कराते चहरे की हकीकत - 16

अगले दिन सुबह 6:00 बजे अवनी और निशा भोपाल पहुंची, उन्हें ले जाने के लिए ऑफिस से ही ड्राइवर आया था तो दोनों सीधा ऑफिस के लिए ही निकल गई,,,,,

अवनी ऑफिस पहुंचती है अंदर जाते ही सब अवनी को देख कर खड़े हो जाते हैं, कुछ देर में तरुण, वीरेंद्र और कंपनी के बाकी बड़े मेंबर भी आ जाते हैं। अवनी बाकी सबकी तरफ देखती है फिर तरुण और वीरेंद्र के सामने जाकर- गुड मॉर्निंग सर...
तरुण सिंघानिया- गुड मॉर्निंग अवनी... आने में कोई प्रॉब्लम तो नहीं हुई..
अवनी- नॉ सर....
तरुण सिंघानिया- अवनी दो महीने से तुमने कंपनी के लिए जो मेहनत की है उसके लिए हम सब बहुत खुश है, हमें तुमसे उम्मीद थी कि तुम यह जरूर करोगी इसलिए मैंने तुम्हें इतने बड़े प्रोजेक्ट के लिए चुना.. तुम्हारे अंदर की जिद्द और जुनून हमे पता है और उसी ने ही तुम्हें इतना काबिल बनाया...
अवनी- थैंक यू सो मच सर... आपने मुझ पर ट्रस्ट किया, मुझे अपनी काबिलियत साबित करने का मौका दिया वरना मैं कभी नहीं कर पाती,,,,,
वीरेंद्र- अवनी, तुमने दो महीनों में एक भी छुट्टी नहीं ली और एक्स्ट्रा वर्क किया शायद मैं भी यह नहीं कर पाता.. इसलिए कंपनी की तरफ से तुम उचित सम्मान और पद की हकदार हो....
अवनी, हैरानी से- सर, मैंने अपना काम एक टीम मेंबर बनकर ही किया है, मैंने कंपनी में बड़ा पद पाने के लिए यह सब नहीं किया...
तरुण- हम जानते हैं अवनी,लेकिन आज चारों तरफ हमारी कंपनी का बड़ा नाम है और उसके लिए तुम भी हकदार हो.. और यह पद तुम्हे तुम्हारी मेहनत और कंपनी की रेपुटेशन बनाए रखने के लिए मिलेगा....
अवनी अभी भी कुछ सोच रही थी बाकी स्टाफ के सारे मेंबर्स तरुण के फैसले से खुश थे सब चाहते थे कि अवनी को ऑफिस में बड़ा पद मिले,,,,
तरुण सिंघानिया स्टाफ के कुछ खास मेंबर से बात करने के लिए एक मीटिंग रखते हैं और बाकी टीम मेंबर बाहर उनका वेट करते हैं,,,,,
कुछ देर बाद सब बाहर आते हैं और तरुण सबके सामने खड़े होकर- हेलो एवरीवन... आप सब ने अवनी के काम को देखा है आज हमारी कंपनी की रैकिंग काफी ऊपर है जो पिछले एक साल से बहुत डाउन हो गई थी, अवनी की डिजाइंस को काफी पॉपुलरिटी (popularity ) मिली है जिसका बेनिफिट हमारे कंपनी को मिला... इसलिए हम चाहते हैं कि अवनी कंपनी में, chief operating officer (COO) का पद संभाले..... किसी भी मेंबर को कोई समस्या नहीं हो इसलिए कुछ देर पहले हमने एक मीटिंग रखी थी, सबकी सहमति के बाद अवनी को इस पद की जिम्मेदारी दी जाती है (तरुण सिंघानिया अवनी की तरफ देखकर) अवनी क्या तुम तैयार हो इस रिस्पांसिबिलिटी के लिए.....
हॉल में चारों तरफ तालियों की कड़कड़ाहट थी सबके मन में अवनी के लिए सम्मान था अवनी को सब बधाइयां दे रहे थे,,,,,
अवनी के लिए तो जैसे यह सब कुछ एक सपने की तरह था, उसने कभी नहीं सोचा था कि इतनी जल्दी इतनी कम उम्र में उसे खुद की मेहनत से इतना बड़ा पद मिलेगा,,, वह खुश थी लेकिन शायद उसकी खुशी उसके चेहरे पर जाहिर नहीं हो रही थी,,,
निशा, अवनी के कंधे पर हाथ रखकर- कांग्रेचुलेशन अवनी... सामने जाओ सब तुम्हारा इंतजार कर रहे हैं...
अवनी, निशा की तरफ देखती है फिर सब को देखते हुए तरुण के पास जाकर- थैंक यू सो मच सर... मैं यह जिम्मेदारी पूरी ईमानदारी से निभाऊंगी,,, एंड आई प्रॉमिस कभी आपको शिकायत का मौका नहीं मिलेगा... मैं अपनी तरफ से पूरी कोशिश करूंगी, कंपनी को एक नया आयाम देने की...
तरुण सिंघानिया, ख़ुश होकर- ग्रेट अवनी,हमें तुम्हारी काबिलियत पर बिल्कुल भी शक नहीं..
अवनी मुस्कुराते हुए- थैंक यू सर...
सब एक-एक करके अवनी को बधाइयां दे रहे थे अवनी भी बहुत खुश थी, लेकिन खुशी बांटने के लिए शायद ही कोई अपना उसके पास था,,,,,
निशा, अवनी के पास आकर- अब तो अपनी फैमिली से बात कर लो अवनी, आख़िर आज तुम्हारे लिए इतना बड़ा दिन है...
अवनी, कुछ सोचकर- हां निशा, तुम ठीक कह रही हो...
अवनी फोन निकालकर किसी को कॉल लगाती है घंटी जाने के बाद फोन पर आवाज आती है,,,, हेलो कौन... हेलो...
अवनी, कुछ देर चुप रहकर-भाई....
सामने से प्रवीण- अवनी... तुम.. जल्दी याद आ गई भाई की,,, क्या समझती हो खुद को, डैड महीने के लिए बोल कर गई थी, दो महीने हो गए,,, ना कोई कॉल ना मैसेज क्या हो गया है तुम्हे.....
अवनी- रिलैक्स भाई.... मेरी बात तो सुनिए, आपको बहुत बड़ी खुशखबरी देनी है,,,
प्रवीण- हां बताओ, क्या खुशखबरी देनी है ऐसी कि आज तुमने आगे से कॉल किया....
अवनी, खुशी से चिल्लाते हुए- भाई, मुझे कंपनी में coo की पोस्ट मिली है...
प्रवीण, सारा गुस्सा भुलाकर ख़ुश होकर- क्या.. रियली.... कांग्रेचुलेशन अवनी... मुझे पता था कि तू एक दिन बहुत नाम कमाएगी,,, बचपन से देखा है तेरा जिद्दीपन... किसी चीज को पकड़ लिया तो उसे अपने हाथ से जाने नहीं देगी, मैं बहुत खुश हूं तेरे लिए और बहुत खुशकिस्मत भी कि मैं तेरा भाई हूं, मा, पापा बहुत खुश होंगे तेरे लिए... बस अब घर आजा जल्दी से...
अवनी- थैंक यू भाई.. मुझे समझने के लिए मैं बहुत जल्द आप से मिलूंगी लेकिन अभी नई नई जिम्मेदारी मिली है तो इसे समझने के लिए थोड़ा टाइम तो लगेगा ना...
प्रवीण- वो सब तो ठीक है अवनी पर तुम्हारी तबीयत, एक डेढ़ साल अवनी... एक डेढ़ साल... क्यों अपनी लाइफ के साथ रिस्क ले रही हो...
अवनी, थोड़ा उदास होकर- आप टेंशन मत लीजिए भाई, जो होना होगा उसे कोई नहीं टाल सकता, मैं और आप भी नहीं.... छोड़िए भाई... आप ये बताइए कि आपके पास किसी ने कॉल किया... मेरे लिए...
प्रवीण- हां.. करण, काव्या, नित्या और यश ने भी... कितनी बार किया लेकिन मुझे खुद को तेरे बारे में नहीं पता था तो मैं उन्हें क्या बताता,,,,
अवनी, थोड़ा उदास होकर- और किसी ने नहीं किया...
प्रवीण- किसी ने नहीं मतलब... और कौन था अवनी, जिनको तुम्हारी फिक्र थी उन सब ने तो पूछा था... तेरी बात हुई उनसे किसी से,,,
अवनी- नहीं भाई... अभी मैं ऑफिस में हूं आपसे शाम को बात करती हूं....
(और अपना फोन रख कर वहीं पड़ी एक चेयर पर बैठ जाती है)
निशा, उसके पास आकर- क्या हुआ अवनी.. जब फोन लगाया तब तो खुश थी अब क्या हुआ..?
अवनी-कुछ नहीं, तू यहां अपनी फैमिली के साथ रहती है...,
निशा- नहीं, अपनी कजिन के साथ....
अवनी- मुझे भी तुम्हारे साथ रहना है....
निशा- सच में....
अवनी- हां.. तुम्हें कोई प्रॉब्लम तो नहीं ना,,,,
निशा- नहीं बिल्कुल नहीं, मुझे भी तेरे साथ रहने की आदत हो गई थी अब हम साथ रहेंगे...
अवनी ऑफिस से निकलकर निशा के साथ उसके रूम में रहने चली जाती है,,,,,
अवनी,निशा की बहन से मिलती है जो उसके साथ ही रहती है,,,, अवनी रुम में आकर, मन ही मन- एक बार मुझे नित्या और काव्या से बात करनी चाहिए लेकिन... नहीं.. मुझे पता है वह बिल्कुल नाराज नहीं होगी.....,
शाम को 7:30 बजे अवनी, नित्या के पास कॉल करती है नित्या सबके साथ ही थी जो डिनर के लिए बैठे थे,,, नित्या कॉल उठाकर- हेलो कौन.....
अवनी- नित्या मैं अवनी, भूल गई क्या..?
नित्या, जोर से चिल्लाकर- अवनी......
नित्या के मुंह से इतनी जोर से अवनी का नाम सुनकर सब चौक जाते हैं,,,
नित्या, अवनी से- कहां थी तू.. और इतने दिनों तक ना कॉल ना मैसेज (नित्या की आंखों में आंसू थे जो सबको दिखाई दे रहे थे, नित्या रूखे गले से) तुम्हें याद भी नहीं आई हमारी....
अवनी, नित्या की आवाज से समझ आती है कि वह कितनी दुखी है,,, अवनी, नित्या से- बस कर यार वरना मैं वापस फोन रख दूंगी....,
नित्या- तू पागल तो नहीं हो गई ना, कैसी बात कर रही हो,,, पहले बताओ कि तुम हो कहा...?
अवनी-नित्या, मै जहां भी हूं ठीक हूं..... काव्या है, तुम्हारे पास.. प्लीज बात कराओ उससे....
नित्या,काव्या को फोन देती है,,,,,,
काव्या, थोड़े गुस्से से- अब किसकी जासूसी कर रही हो कितना मिस कर रहे हैं हम तुम्हें....
अवनी, उसे समझाते हुए- जासूसी नहीं काव्या जॉब कर रही हूं.... मम्मा- पापा ,अंकल- आंटी, सब ठीक है ना...
काव्या- हां.. सब ठीक है लेकिन तुम कब आ रही हो....
अवनी- पता नहीं.... करण, कुणाल, रिया, श्रेया, यश सब कैसे है....
काव्या ने फोन लाउड पर रखा था इसलिए सबको अवनी की आवाज सुनाई दे रही थी, विवान भी सुन रहा था,,,,,,,
काव्या- सब तेरा ही वेट कर रहे हैं.....
अवनी- अभी मैं बिजी हूं काव्या....पता नहीं कब तक आना हो नित्या और बाकी सब से कहना कि मैं भी उन्हें बहुत मिस करती हूं..... लेकिन अभी मैं तुमसे नहीं मिल सकती,,,,,,
इतना कहकर अवनी फोन रख देती है,,,, काव्या फोन नित्या को देकर- बहुत परेशान लग रही है, कहीं वो कोई मुसीबत में तो नहीं...
करण, काव्या के कंधे पर हाथ रखकर- डोंट वरी काव्या... सी इस वेरी स्ट्रांग... हर मुसीबत का सॉल्यूशन है उसके पास....
विवान- उसने बताया नहीं, वह कहां है..?
नित्या- नहीं......

इधर अवनी की बातें निशा सुन रही थी, अवनी अकेली थोड़ी उदास बैठी थी निशा उसके पास आकर- फैमिली थी या फ्रेंड्स...
अवनी, अचानक निशा की आवाज सुनकर- फ्रेंड्स..
निशा- तो रो क्यों रही है यार, यही भोपाल में है क्या.. चल मिलने चलते हैं,,,,
अवनी- नहीं... तू सो जा अभी... कल ऑफिस भी टाइम से पहुचना हैं,,,,
अगले दिन
अवनी सुबह ऑफिस पहुंचती है और अपने काम में लग जाती है कुछ देर बाद अवनी के पास एक कॉल आता है
सामने से कुछ कहा जाता हैं,,,,,
अवनी- कल.... ओके सर... जैसा आपको ठीक लगे यह मेरी जिम्मेदारी है ( अवनी कुछ देर बात करके फोन रख देती है)
अवनी शाम को अपना काम करके निशा के साथ वापस उसके घर चली जाती है,,,,,,