muskarate chahare ki hakikat - 14 in Hindi Fiction Stories by Manisha Netwal books and stories PDF | मुस्कराते चहरे की हकीकत - 14

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मुस्कराते चहरे की हकीकत - 14

विवान, अकेला ऑफिस में बैठा हुआ कुछ सोच रहा था तभी यश उसके पास आकर-क्या हुआ ब्रो... इतना उदास क्यों है..?
विवान अपने ही ख्यालों में खोया हुआ था, वह बिना यश की तरफ ध्यान दिए- वह जा रही है....
यश, उसके पास रखी चेयर पर बैठते हुए-कौन..? अवनी...
विवान हा में सिर हिलाता है
यश,हैरानी से- कहां जा रही है..?
विवान, उसकी तरफ़ देखकर- पता नहीं ऑफिस के काम से...
यश, कुछ देर सोचकर- तो तुम्हें क्या हुआ...?
विवान, चेयर से सिर टिकाकर- यार सुबह घर आई थी वो... मैंने पता नहीं क्या-क्या सुना दिया उसे, और यह भी बोल दिया कि मैं उसका चेहरा भी नहीं देखना चाहता हूं और वह बिना मुझसे बात किए चली गई,,,,,
यश,थोड़ा गुस्से में उसे आंखे दिखाते हुए- क्या... तुम्हें प्रॉब्लम क्या है उससे... कितना बुरा लगा होगा उसको..
विवान, खड़ा होकर अपने दोनो हाथों को टेबल पर रखकर सामने देखते हुए- यही मैं सोच रहा हूं पर उससे बात कैसे करूं कल सुबह चली जाएगी....
यश, उसके पिछे खड़ा होकर- अब मैं भी कुछ नहीं कर सकता... मैंने तेरे बारे में उससे बात की तो वो मुझे भी नहीं छोड़ेगी, ये तेरा मामला तू ही संभाल... मैं चला यहां से...
इतना कहकर यश हंसते हुए ऑफिस से बाहर आ जाता है,,,,, विवान गुस्से से केवल उसे जाते हुए देख रहा था,,,,
शाम सात बज रहे थे विवान अभी भी ऑफिस में ही था उसका मैनेजर उसके पास आकर- सर,, सब घर चले गए हैं 7:00 बज रहे हैं अभी,,, आप कब तक....
विवान, उसकी बात पुरी होने से पहले ही- तुम चलो मैं कुछ देर में आ रहा हूं....
विवान थोड़ी देर बाद वहां से कार लेकर निकल जाता है,,,, कुछ देर में उसकी कार अवनी के अपार्टमेंट के बाहर आकर रूकती है।।।।
अवनी अंदर अकेली थी,वह अपना सामान पैक कर रही थी,,,,,,, अवनी, बैग में सामान रखते हुए मन ही मन- मुझे विवान से इस तरह बात नहीं करनी चाहिए थीं... कितनी मदद की थी उसने मेरी ओर... पर वह भी कितना अकडू हैं,,, सुबह सोच कर गई थी उससे अच्छे से बात करूंगी फिर पता नहीं उसे देखते ही मैं क्यों हाईपर हो जाती हू.....
अवनी अपना सामान पैक कर के उसे साइड में रखती है और बेड पर आकर बैठते हुए - वैसे इतना भी बुरा नहीं है वो....पर मैं उसके बारे में इतना क्यों सोच रही हूं,,,,, उसने एक बार मुझसे बात भी नहीं करनी चाहि,, यह पता होते हुए भी कि मैं कल जा रही हूं,,,,
अवनी अपना पुरा सामान पेक करके रख देती है और खाना खाने के लिए बाहर हॉल में आती है।।।।
हॉल में विवान सोफे पर पैर फैलाकर बैठा था अवनी अचानक उसे देखकर चौक जाती है फिर खुद को संभालकर बिना विवान की तरफ देखें, अपनी आंखे बंद करके- रिलैक्स अवनी....calm down यहां विवान नहीं हो सकता... कब से उसके बारे में सोच रही हूं अजीब बात है यार,,, इतनी देर केवल सोच रही थी अब दिखने भी लगा... नहीं वो यहां नहीं आ सकता....
विवान चुपचाप अवनी की बातें सुनकर हंस रहा था,,,
अवनी अपनी आंखें खोलती है और पीछे मुड़कर देखती हैं विवान अभी भी वहीं बैठा- बैठा हस रहा था,,, अवनी उसके पास आती है और उसके कंधे पर धीरे से हाथ रखती है अब अवनी को यकीन हो गया था कि वह सच में यहां है
अवनी जोर से चिल्लाकर- तुम.. तुम यहां क्या कर रहे हों
विवान, हंसते हुए- आई डोंट बिलीव अवनी... अभी तुमने जो कहा वह सच था.. सच में तुम मेरे बारे में सोच रही थी शायद भगवान ने मुझे यही सुनने के लिए यहां भेजा था थैंक यू गॉड(ऊपर देखकर हाथ जोड़ते हुए)
अवनी हिचकिचाते हुए- मैं.. मैं... क्यों तुम्हारे बारे में सोचूंगी,, इतने भी बुरे दिन नहीं आए हैं मेरे समझे......
विवान, खड़ा होकर उसके पास आते हुए- घास नहीं खाया क्या....
अवनी हैरानी से- व्हाट यू मीन घास... कहना क्या चाहते हो तुम..?
विवान- बकरी.. बकरी की तरह मैं.. मै.... क्यों कर रही हो..?
अवनी, थोड़े गुस्से में- तुम चाहते क्या हो मुझसे...?
इतना कहकर अवनी वहां से जाने लगती है तभी पीछे से विवान, अवनी का हाथ पकड़कर- तुम्हें....
विवान की बात सुनकर अवनी के कदम वहीं रुक जाते हैं कुछ देर यूंही दोनों खड़े रहते हैं फिर विवान अवनी का हाथ छोड़कर सोफे पर बैठता हुआ- आई मीन तुमसे बात करना चाहता हूं....
अवनी, कुछ देर बाद- हम्म कहो....
विवान- तुम्हारा कल जाना जरूरी है...
अवनी हा मे सिर हिलाती हैं और वहां से चली जाती है विवान यहां अकेला बैठा था,,, कुछ देर में अवनी दो प्लेट्स में खाना लेकर वापस हॉल में आती है और उन्हें टेबल पर रखकर बैठते हुए- अभी भी भूख नहीं लगी क्या..? खाना खा लो....
विवान, हैरानी से- तुम्हें कैसे पता, मैंने सुबह से खाना नहीं खाया...
विवान उठकर अवनी के पास रखी कुर्सी पर आकर बैठ जाता है
अवनी, उसे चढ़ाते हुए- सपना आया था....
विवान, हंसते हुए- तो मिस अवनी को मेरे सपने भी आते हैं वाव...
अवनी विवान की तरफ देखकर खाने के लिए इशारा करती है विवान भी चुपचाप खाना खाने लगता है कुछ देर दोनों के बीच खामोशी रहती है,,,,, विवान, अपनी चुप्पी को तोड़ते हुए- तुमने तो कहा था अगर मैं यहां आ गया तो तुम मुझे छोड़ोगी नहीं,लेकिन तुम तो मुझे खाना खिला रही हो...
अवनी कुछ नहीं बोलती उसका पूरा ध्यान खाने पर था,,,,,,
विवान, फिर से- तुम्हें यहां अकेली को डर नहीं लगता...
अवनी- नहीं मैंने डरना कभी सीखा ही नहीं...
विवान, मुस्कुराते हुए- जानता हूं मैं....
अवनी उसकी तरफ देखकर- यहां क्यों आए हो...?
विवान- कहा ना तुमसे मिलने...
अवनी अपना खाना खत्म करके वहां से उठते हुए- तो मिल लिया...
विवान, उसकी तरफ देखकर- हां....
खाना हो जाए तो बाहर गार्डन में आ जाना मैं जा रही हूं,,, कहकर अवनी गार्डन में आकर बैठ जाती हैं,,,,, विवान भी कुछ देर में अवनी के पास आकर बैठता है, रात के 8:00 बज रहे थे कुछ देर तक दोनों चुपचाप बैठते है
अवनी- घर पर पता है कि तुम यहां हो...
विवान- नहीं...
अवनी- अब तुम्हे जाना चाहिए,अभी 8:00 बज रहे हैं..
विवान, उसकी तरफ़ देखकर- पक्का जाऊ मैं यहां से... अवनी- हां... मैं क्यों रोकूंगी तुम्हें....
विवान, कुछ देर चुप रहता है फ़िर खड़ा होकर- ओके.....
विवान वहां से जाने लगता है कुछ दुर जाने के बाद अवनी पीछे से आवाज लगाती है- रुको विवान....
विवान, पिछे मुडकर हैरानी से- अब क्या हुआ...
अवनी, विवान के पास आकर अपना हाथ आगे बढ़ाते हुए- फ्रेंड्स....
विवान, कुछ देर सोचता है फिर अपना हाथ आगे बढ़ाकर- फ्रेंड्स....
दोनों एक दूसरे को देखकर मुस्कुराने लगते हैं,,,,
अवनी- विवान थैंक यू फॉर एवरीथिंग... तुम वो पहले इंसान हो जिस पर मैंने खुद से भी ज्यादा ट्रस्ट किया,, जिसके सामने मैंने अपना दर्द बया किया... पता नहीं क्यों तुमसे झगड़ा करके भी अच्छा लगता है एंड सॉरी मैंने तुम्हें कभी कुछ गलत कहा हो तो.. सोचा नहीं था तुम्हें कहूंगी बट आई एम रियली सॉरी....
इतना कहकर अपनी बिना विवान की तरफ देखे अपने रूम की ओर बढ़ती है,,,,,
विवान, पीछे से- तुमने तो कह दिया जो कहना था मुझे कुछ नहीं बोलने दोगी.....
अवनी, बिना उसकी तरफ देखें- बोलो....
विवान, अवनी के सामने आकर- पहले अपने आंसू पूछो... तुम रोते हुए बिल्कुल भी अच्छी नहीं लगती, तुम गुस्से वाली शेरनी ही अच्छी लगती हो और तुम सॉरी क्यों बोल रही हो झगड़ा तो हम दोनों मिलकर करते थे ना....
अवनी- तुम भी तो यही चाहते थे ना कि मैं तुम्हें सॉरी बोलूं....
विवान, थोड़ी देर चुप रहता है फिर- चाहता था पर अब नहीं... खैर मैं जा रहा हूं, अपना ख्याल रखना.. मैं वेट करूंगा तुम्हारा, डेढ़ महीने तक सोचना कि तुम क्या फील करती हो मेरे बारे में दोस्त या सबसे अच्छा दोस्त, जिसके साथ तुम अपनी प्रॉब्लम्स शेयर कर सकतीं हो...
इतना कहकर विवान वहां से घर चला जाता है अवनी के पास एक सवाल छोड़कर,,,,, अवनी अपने रूम में आती है और बेड पर लेटकर- सॉरी विवान,, तेरे सवाल का जवाब मै कभी नहीं दे पाऊंगी.....
अगली सुबह अवनी 5:30 बजे अपना सामान लेकर एयरपोर्ट पर पहुंचती है वहां कनिका और रियान अवनी का ही वेट कर रहे थे कुछ देर में प्लेन आती है और तीनों हैदराबाद के लिए निकल जाते हैं,,,,,,,
यहां अग्रवाल मेंशन में कृष्णमूर्ति, आश्रम के कार्यों में लग जाते हैं,,, करण और काव्या हनीमून के लिए सिंगापुर जाते है,,, नित्या भी अपना कॉलेज फिर से रिज्वाइन कर लेती है और विवान अपना बिजनेस संभालने में बिजी हो जाता है,,,,,,,