muskarate chahare ki hakikat - 10 in Hindi Fiction Stories by Manisha Netwal books and stories PDF | मुस्कराते चहरे की हकीकत - 10

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मुस्कराते चहरे की हकीकत - 10

दो घण्टे बाद
भोपाल से बाहर एक बड़े से फॉर्म हाउस में गिरीराज और अभिषेक के अलावा चार लोग ओर बेठे थे और फॉर्म हाउस के चारो तरफ बहुत सारे गार्ड्स खड़े थे, तभी चार पांच गाडियां अन्दर आती हैं जिनमें पहली कार में अवनी और अरविन्द थे और दुसरी में विवान, उनके पिछे की कारों में पुलिस फोर्स थीं, पुलिस अभिषेक के फॉर्म हाउस को चारो तरफ से घेर लेती है और बाहर खड़े गार्ड्स के हाथ पैर बांध देती हैं। अरविन्द और अवनी अन्दर जाते हैं जहां अभिषेक, गिरीराज और बाकी लोग थे,,,,,,,,अभिषेक, ओर बाकी सब उन्हें देखकर हैरान हो जाते हैं।अभिषेक बंदूक निकालने की कोशिश करता है तभी अवनी उसके हाथ पर गोली चला देती और अभिषेक वहीं गिर जाता है
अभिषेक, चिल्लाते हुए- तुम्हें यहां का एड्रेस किसने बताया
विवान, अन्दर आते हुए- सॉरी भाई यह धोखा मेरी तरफ से आपके धोखे के बदले,,,
अभिषेक, हैरानी से- विवान तुम....... तुम भी इनके साथ.... छोड़ूंगा नहीं तुम सबको,,,,,,
अभिषेक पास पड़ी गन उठाकर उससे विवान पर निशान लगाता है वो गोलि चलाता उससे पहले अवनी, दौड़कर उसके गन छीन लेती है
अभिषेक, गुस्से से- लगता है तुम्हें तुम्हारे दादा- दादी और नाना- नानी के पास जाना की जल्दी है अवनी....
अवनी, गुस्से से अभिषेक की कॉलर पकड़कर- क्या मतलब है तुम्हारा... मेरे दादा- दादी का एक्सिडेंट तुमने....
अभिषेक, मुस्कराते हुए- सही पहचाना तुमने, उन सबको मैने ही मरवाया था लेकिन मरते मरते भी उन्होंने तेरा नाम नहीं बताया वरना तू भी आज तेरी दोस्त के साथ होती.......
अभिषेक की बात सुनकर अवनी खुद को रोक नहीं पाती वह अभिषेक के पैर में दूसरी गोली चलाती हैं, इस बार अवनी की गोली का निशाना अभिषेक के सिर पर था लेकिन अरविंद उसे रोक लेता है,,,,,
अरविन्द, अवनी को रोकते हुए- कंट्रोल अवनी, तुमने जो खोया है वह वापस नहीं मिल सकता लेकिन अभी इसका जिंदा रहना जरूरी है
विवान अवनी की तरफ देखता है जिसकी आंखों से बेशुमार आंसू गिर रहे थे विवान अवनी के पास आकर उसके कंधे पर हाथ रखता है
अरविंद, अभिषेक के पास जाकर- तुमने बच्चों को जहां भी रखा है उन लोगों को फोन करके उन्हें सरेंडर करने के लिए बोल वरना आज तेरी जिंदगी का आखरी दिन होगा अभिषेक,,,
अभिषेक कुछ नहीं बोलता तभी विवान अभिषेक के पास आकर उसे मारने लगता है अभिषेक के पैर में पहले से ही गोली लगी हुई थी वह दर्द से तड़प रहा था।
गिरिराज, अरविंद के पास आकर- उसे मत मारो विवान, मै सबसे बात करता हूं....
गिरिराज तीन चार लोगों के पास कॉल करके उन्हें सरेंडर करने के लिए कहता है
कुछ देर बाद अरविंद के पास रवि का कॉल आता है और अवनी के पास राहुल और अमित का
रवि- सर इन लोगों ने सरेंडर कर दिया है और यहां लगभग 100 से ज्यादा बच्चे हैं.....
अरविंद- ठीक है रवि तुम उन बच्चों को वापस अनाथ आश्रम भेजो हम वहीं पहुंचते हैं,,,,,
राहुल,अवनी से- मैम यहां कुछ लड़कियां है....
अवनी- राहुल उन सब को अग्रवाल आश्रम भेज दो और डॉक्टर को भी इन्फॉर्म कर देना और सब को भी वही भेजने के लिए बोल दो हम अभी आते हैं,,,,
और वह सब गिरिराज, अभिषेक और बाकी लोगों को लेकर चले जाते हैं
यह खबर पूरे मीडिया में फैल चुकी थी गिरिराज और अभिषेक के जितने भी अड्डे थे सारे बंद हो गए थे और उसके सारे आदमियों को जेल में डाल दिया गया था अभिषेक और गिरिराज के साथ और भी बड़े बड़े आदमी जुड़े थे सब के खिलाफ सबूत और गवाह था सारे सबूत मीडिया के सामने थे अब चाहकर भी कोई किसी को नहीं रोक सकता था अवनी और उसकी टीम को बधाइयां मिल रही थी लेकिन अवनी का चेहरा अभी भी मीडिया के सामने नहीं था,,,,,अग्रवाल आश्रम पर भी कई तरीके के सवाल उठाए जा रहे थे जिसका कारण कृष्णमूर्ति अग्रवाल को भी माना जा रहा था उन्होंने पूरी जिम्मेदारी गैर हाथों में क्यों सोफी।यह खबर आग की तरह चारों तरफ फैल गई थी अग्रवाल फेमिली और बजाज फैमिली में भी सब हैरान थे और दुखी भी क्योंकि अभी तक अवनी की सच्चाई किसी को मालूम नहीं थी कि वह रो एजेंट है,, कुछ देर में करण और काव्या के फेरे होने थे,,, कृष्णमूर्ति और उसके परिवार को तो जैसे गहरा सदमा लगा हो। यश विवान के पास फोन करता है
यश- विवान, ये सब क्या हो रहा है अभिषेक भाई और गिरिराज अंकल...... इतना बड़ा धोखा,,, और वो अवनी ऑफिसर है, तुम जल्दी यहां आजा भाई सब बहुत दुखी है।
विवान- रिलैक्स यार, मैं अवनी के साथ ही हूं और मुझे सब मालूम है मैं तुम्हें घर आकर सब कुछ बताता हूं अभी तू सबको संभाल,,,,,
कृष्णमूर्ति, राजेश, कुणाल और करण उदास बैठे थे किसी को होश ही नहीं था कि कुछ देर में करण और काव्या की शादी होने वाली है, अनुराग ने शादी में आए मिडिया वालों को भेज दिया था अनुराग और यश सबको संभाल रहे थे
अनुराग, कृष्णमूर्ति के पास आकर- इन सबका दोष खुद को मत दीजिए, कृष्णमूर्ति जी, आपकी कोइ ग़लती नही है,,,
कृष्णमूर्ति, उदासी से- कैसे ख़ुद को दोष ना दु.... आज तक मेरी वजह से हजारों मासूमों की जिंदगी बर्बाद होती रहीं, आश्रम में सब मूझे भगवान समझते हैं और मै.... मै उनके लिए कुछ भी नहीं कर सका..... बहुत छोटा था मै जब पिताजी ने मुझे अपने भाई के बेटे (गिरीराज) के सामने ले जाकर कहा था कि मैं उनका भी उतना ही सम्मान क़रू जितना उनका करता हूं, मैने गिरीराज भाई साहब को हमेशा पिता के जैसा मान दिया और उन्होंने चंद पैसों के लालच में मुझे किसी के सामने नजरे मिलाने के लायक़ नहीं छोड़....
अपने आप को दोष देने से सब कुछ ठीक नहीं हो जाएगा अंकल,,,, बाहर से एक लड़की की आवाज आती है सब दरवाजे की तरफ देखते हैं जहां अवनी खड़ी थी और उसके साथ प्रवीण और विवान,,,,,,,,
अवनी अन्दर आती हैं जहा दोनों परिवारों के सदस्य खडे थे और कुछ रिश्तेदार भी थे जो अवनी की तरफ ही देख रहे थे.....
अवनी सामने खड़ी काव्या के पास आती है जो एकटक अवनी को ही देख रही थी
अवनी, काव्या के पास आकर उसके हाथों को अपने हाथों में लेकर- आई एम रीयेली सॉरी काव्या....... मैने तुम्हें इतना बड़ा धोका दिया.... मैने अपने मकसद के लिए तुम्हे इस्तेमाल किया, मेरे यहां आने से पहले प्रवीण भाई यहां आए थे उन्हें करण की ऑफिस में जॉब मिल गई और उन्हें पता चला कि तुम और करण जल्द ही शादी करने वाले हो। इसलिए पहले मैने तुम्हारे बारे में इंफॉर्मेशन निकाली, प्रवीण मलहोत्रा के बारे में तुम्हारे शोसल मिडिया एकाउंट से पता चला, इसलिए भोपाल पहुंचते ही मैने तुम्हारी कॉलेज पता कि और वहा पहुंच गई..... तुमने भी मुझसे ज्यादा सवाल नहीं किये और अपने साथ ले गई,,,, मै तुम्हारे साथ इसलिए गई थी ताकि तेरे ज़रिए मै अग्रवाल मेंशन में जा सकूं और ऐसा ही हुआ। यदि मुझे तुम अपने साथ नहीं लाती तो आज भी वो हज़ारों मासूम उस नरक में पड़े होते.....
अवनी, थोडा उककर फ़िर से-काव्या तुम्हारे साथ रहकर मुझे वो प्यार मिला जो वर्षो से नही मिला था, अंकल आंटी ने मुझे बेटी जैसा प्यार दिया और कावीन ने भाई जैसा.... इतना कहकर अवनी की आंखे नम हो जाती है और काव्या को गले लगा लेती है
काव्या, अवनी को गले लगाकर- तुमने मुझे धोका दिया ही कहा अव्वि..... तुमने अपनी दोस्ती पूरे दिल से निभाई,, मै तो तेरी सचाई जानकर घबरा गई थी कि कहीं मै अपनी दोस्त को खो ना दु, काव्या अवनी को ख़ुद से दूर करते हुए मुस्कराकर- मै तो इस बात से हैरान हूं कि मैने इतनी डेंजरस लड़की से दोस्ती की,,,,,, काव्या कि बात सुनकर अवनी के चहरे पर मुस्कान आ जाती हैं
अनुराग, अवनी के पास आकर- बेटा आपने हमें कभी महसूस ही नहीं होने दिया की आप कौन हैं..... और आपको हमसे जो प्यार मिला है वो आपने ख़ुद कमाया हैं,,,
स्वाति, अवनी के सिर पर हाथ फेरते हुए- हा बेटा..... तुम आज भी हमारी बेटी ही हो... तुम्हारी सच्चाई जानकर हमारा प्यार तुम्हारे लिए कम नहीं बल्की और बड गया है,,
अवनी, सुधा जी के पास आकर- दादी मेरी वजह से आपके परिवार का सिर झुका हैं लेकीन आई प्रॉमिस दादी, मै पूरी कोशिश करुंगी की आपका सम्मान फिर से उठे, आश्रम में आपका जो नाम है वो हमेशा बना रहें,,,,
सुधा जी, उसके सिर पर हाथ रखकर- तुम बहुत बहादुर हो बेटा.... तुमने जो किया उस पर हमे तुम पर गर्व है,, भगवान तुम्हारी जैसी ओलाद सबको दे....
कृष्णमूर्ति अवनी के पास आकर- मा सही कह रही है बेटा,, आज तुम्हारी वजह से हजारों जिन्दगियां बर्बाद होने से बच गई,,, मै शर्मिंदा हूं कि मैने वो ज़िम्मेदारी गेर हाथों में सोफी.....
राजेश, बिच में ही- अवनी, तुम्हें इन सबके बारे में कैसे पता चला... पहले पुलिस और किसी को भी इसकी जानकारी नहीं थी......
अवनी- आपने जिसे अपनी बेटी बनाकर इस घर में रखा था उससे....
करण, ज़ोर से- नित्या.....
सब करण की तरफ देखते हैं और अवनी के जवाब का इंतेज़ार करते हैं
विवान सबके सामने आकार- हा भाई... नित्या ने हमे धोका नहीं दिया बल्कि उसका भी किडनेप हुआ था,,,,, विवान सबको वो सारी बाते बताता है जो अवनी ने उसे बताई थीं,,,,,

CONTINUE.....
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