Irfaan Rishi ka Addaa - 4 in Hindi Fiction Stories by Prabodh Kumar Govil books and stories PDF | इरफ़ान ऋषि का अड्डा - 4

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इरफ़ान ऋषि का अड्डा - 4

आर्यन और करण दोनों उसकी बात बड़े ध्यान से सुन रहे थे। कुछ युवक और भी थे। लेकिन उनका ध्यान सुनने पर नहीं था। वह बैठे भी कुछ दूरी पर थे। शाहरुख भी आया था लेकिन वो कुछ ही समय बाद वापस लौट गया था।
आर्यन बीच - बीच में कोई सवाल भी कर लेता था किंतु करण उबासी लेता हुआ एक तरह से उसे ये जता देता था कि उसकी दिलचस्पी इस बात में बिल्कुल भी नहीं है। लेकिन इससे उसकी रुचि ज़रा भी कम नहीं होती थी और वो उसी तरह चाव से अपनी बात कहे जा रहा था। मानो उसे इन दोनों को कोई रहस्यमय प्लान समझाना हो।
- ... इसमें कुल दो भाग होंगे। दो अलग- अलग सेक्शंस। एक में हम केवल सर्विस प्रोवाइडर रहेंगे और दूसरे हिस्से में हम बाकायदा मेज़बान होंगे। मतलब यहां आने वाले सभी ग्राहक हमारे लिए मेहमान होंगे। प्रतिष्ठित और प्रिय। कहने की ज़रूरत नहीं कि इस दूसरे हिस्से में हमें साज- सज्जा, सुविधा और सुकून का पूरा ध्यान रखना होगा।
करण और आर्यन ने एक दूसरे की ओर देखा। शायद वो दोनों यही सोच रहे थे कि अगर इतने ध्यान से स्कूल में अपने मास्टर की बात सुनी -समझी होती तो आज ज़िंदगी कुछ और ही होती।
वो कह रहा था - जिंदगी हमें बार - बार आजमाती है। वो मौके देने में कंजूसी भी नहीं करती। मगर हमें अपने पूरे रूप में रहना होता है। अर्थात हम किसी भी परिस्थिति में टूटें नहीं।
अब करण के साथ- साथ आर्यन भी ऊबने लगा था। और इस बात को ख़ुद उसने भी भांप लिया। वो बोलते- बोलते रुक गया। उसने हाथ के इशारे से वहां बैठे अन्य लड़कों को भी नज़दीक बुलाया। इशारा पाकर सभी चले आए और उस बड़ी सी मेज को चारों ओर से घेर कर बैठ गए। उन्हें अपनी कुर्सियां उठा कर नहीं लानी पड़ीं क्योंकि मेज के इर्द - गिर्द काफ़ी सारी कुर्सियां खाली पड़ी हुई थीं।
उसकी तमाम आत्मीयता और प्रेमपूर्ण व्यवहार के बावजूद सभी ने ये भांप लिया कि वो आदमी परदेसी है। लेकिन शायद ऐसा परदेसी जो कभी इसी क्षेत्र से बाहर गया होगा और अपने प्रवास के दौरान इस एरिया से पूरी तरह जुड़ा हुआ रहा होगा।
उसने दोनों हाथों से ज़ोर से ताली बजाई। युवकों को इस ताली का कारण तब समझ में आया जब ताली की आवाज़ सुनते ही उस विशाल कमरे के एक ओर का दरवाज़ा खुला और उसमें से एक नहीं, दो नहीं, बल्कि तीन लड़कियां कतार बांधे भीतर चली आईं। तीनों लड़कियों के हाथ में बड़ी सी ट्रे थी जिसमें खाने- पीने के सामान की तश्तरियां सजी हुई थीं। एक ट्रे में कुछ गिलास थे और साथ में शराब की दो बोतलें भी। लड़के इतनी कीमती शराब के ब्रांड्स से अनभिज्ञ होते हुए भी ये भली - भांति समझ सकते थे कि शराब बेहद उम्दा किस्म की है। उन्हें ये अनुमान लगाना भी मुश्किल नहीं लगा कि कीमती और बेहतरीन शराब के साथ परोसी जाने वाली खाने की चीज़ें भी अक्सर लज़ीज़ होती हैं।
उन्हें खासी भूख भी लग आई थी फिर भी दो- तीन लड़कों का ध्यान प्लेट से उठते हुए धुएं या बोतल से छलकते हुए सुनहरे पानी की बनिस्बत उन्हें लाने वाली लड़की की जांघ पर था।
शायद तीनों लड़कियों को एक से नाप की पोशाक दी गई हो, ये जाने बिना कि उनमें से एक कुछ लंबी है।
यह प्रबंधकीय त्रुटि थी, लड़के इसमें कर भी क्या सकते थे। जो कुछ उनके हाथ में था वो कर ही रहे थे।
बिस्मिल्लाह करने से पहले संभवतः वो आदमी कुछ देर के लिए उठ कर कमरे से बाहर गया।
यदि उन युवकों में से कोई भी उठकर उस आदमी के पीछे- पीछे जाता तो वो भली- भांति देख सकता था कि आदमी इतनी देर के श्रम के बाद रिलेक्स होने वाशरूम में नहीं, बल्कि बाहरी माहौल का एक उड़ता सा मुआयना करने गया है। बाहर उसने उतना ही समय बिताया जितना एक शंकित माहौल में आश्वस्त होने के लिए चाहिए। मसलन, सब ठीक है..कोई अजनबी या अवांछित तत्व तो वहां नहीं है... किसी छापामारी का अंदेशा तो नहीं है आदि- आदि।
आर्यन और करण इस बीच यही सोच रहे थे कि अगर इस पार्टी में मेहमान उन सब युवकों की जगह केवल लड़कियां ही होतीं तो भी क्या यहां इतनी ही शांति रहती। सब खामोश थे। जैसे एक- दूसरे से भयभीत। या शायद शंकालु।
जब वह आदमी लौट आया तो उसके हाव- भाव देख कर पहली बार करण और आर्यन के मन की गुत्थी सुलझी। जिस रहस्य ने अब तक उन्हें चौकन्ना कर रखा था वह अब खुला।
वो दोनों जब से यहां आए थे और इस आदमी की बातें सुनने- समझने की कोशिश कर रहे थे तब से उन्हें इस बात से अचंभा हो रहा था कि ये महत्वपूर्ण बातें सिर्फ़ उन्हीं दोनों से क्यों कही जा रही हैं? क्या बाकी लोग इन्हें पहले सुन चुके हैं या पहले से जानते हैं?
यदि ऐसा था तो इन युवकों को अकारण यहां क्यों बैठाए रखा गया था। या फिर जब इन्हें ये सब बातें समझाई गई होंगी तभी आर्यन और करण को भी क्यों नहीं बुला लिया गया?
क्या ये किसी किस्म की विधिवत ट्रेनिंग थी? शाहरुख इस व्यक्ति से या इस सारी बात और तामझाम से किस तरह जुड़ा है? क्या ये कोई ऐसा प्रॉजेक्ट है जिसमें शाहरुख भी शामिल है और वही अब आर्यन और करण को भी यहां लाया है? ये सब क्या है?
इतने सवाल।
लेकिन इन तमाम जिज्ञासाओं के उत्तर कुछ देर के लिए उस समय स्थगित हो गए जब आदमी ने वापस लौटते ही बड़ी वाली बोतल खोल कर सबके लिए पैग बनाने शुरू किए।
क्या इस आदमी को मालूम है कि यहां मौजूद सभी लड़के शराब के आदी या शौक़ीन हैं? या फ़िर इसमें ये आत्मविश्वास कूट- कूट कर भरा है कि युवा लड़के ऐसी मेहमान- नवाज़ी से कभी इनकार कर ही नहीं सकते?
फिर सवाल।
लेकिन इन सवालों की प्रश्न- वाचकता को तश्तरियों में बिखरे स्टफ़ की गंध और संभावित स्वाद ने ढक लिया।
ओह, आदमी सचमुच जीत गया। क्योंकि अभी तक एक भी लड़के ने ऐसा कहा नहीं था कि वो शराब नहीं पीता। अलग - अलग उम्र, अलग- अलग क्षेत्र, अलग- अलग जाति... आपस में अपरिचित... अपने आने के प्रयोजन से अनभिज्ञ..एक भी युवक की ओर से ऐसा इशारा नहीं आया कि वो शराब नहीं पीता???
क्या जिस तरह आर्यन और करण पर शाहरुख का असर है वैसे ही ये लड़के भी किसी के प्रभाव में हैं? कोई कुछ बोलता क्यों नहीं? कोई कुछ कहता क्यों नहीं? कहीं कोई विरोध नहीं... कोई प्रतिरोध नहीं!
और तभी आदमी ने शराब से भरा गिलास अपने हाथ में लेकर बुलंद आवाज़ में कहा - चीयर्स!!!
और आर्यन व करण ने देखा कि उन दोनों के अलावा और कोई भी "चीयर्स" नहीं बोला है, जबकि गिलास सबने हाथों में उठा लिए हैं...