Teri Chahat Main - 37 in Hindi Love Stories by Devika Singh books and stories PDF | तेरी चाहत मैं - 37

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तेरी चाहत मैं - 37

"क्या बात है शरफू। कोई पारेशानी है किया? " मुकेश रॉय ने शरफू से पुछा जो कुछ परेशान सा था। "जी सर, असल मे आज घर से फोन आया है। वहा कुछ ज़रूरी काम है। " शरफू ने जवाब दीया। "ओह, तुमने बताया ही नही हमको। खैर कोई बात नही। तुम घर जाओ। और हम राजू से कह देते है वो तुमको गाडी से छोड़ आयेगा। घर मे ज़रूरी काम है तो ट्रेन से जाने में वक्त लग सकता है। तुम जाओ और तैयारी करो। " मुकेश रॉय ने कहा।

"जी सर मैं आपके लिए खाने के लिए कुछ बना देता हूं।" शरफू ने कहा तो शमशेर खान बोले "नहीं, तुम उसकी टेंशन ना लो, तुम घर जाओ। और ये लो कुछ पैसे लेते जाओ। शायद ज़रूरत पढ़ जाये।"
शरफू सर हिला के चला गया।

"शरफू के जाने से एक परेशानी हो गई अजय। अब हम तुमको खिलाए क्या। असल मैं किचन का सारा काम वही देखता है। और उसके साथ वाले लडका पहले ही छुटटी पे है। अब तो बहार से ही मंगवाना पडेगा।” शमशेर खान कुछ सोचते हुए बोले।
“अब सर इसमे कौन सी बड़ी बात हो गई। और बहार से क्यों मंगाना, चलिये मिल के कुछ बनाते हैं। इसी बहाने कुछ चेंज हो जाएगा।” अजय बोला
“नहीं , आज तो तुम हमारे मेहमान हो। पहली बार आए और पहली बार ही ये सब।”मुकेश रॉय ने कहा तो अजय बोला "कुछ देर पहले आपने कहा की मैं आप मेरे अपने जैसे है। अब आप मुझे मेहमान कह के पराया भी कर रहे हैं।”


“हम्म, ठीक है, चलो जैसी तुम्हारी मर्ज़ी। ऐसे हमारे भी अपने पुराने दिन याद आएंगे जब हम भी कभी कभी किचन में कुछ उल्टा सीधा पकाया करते थे।” मुकेश रॉय ने मुस्कुरा के कहा।
"तब शायद आप अकेले रहते होंगे?" अजय ने पुछा
"नहीं , कभी हम अपनी प्यारी बीवी के लिए पकाते थे।"मुकेश रॉय ने मुस्कुराते हुए कहा। अजय मुस्कान दिया तो मुकेश रॉयबो ले "बरखुरदार कभी हम भी जवान हुआ करते थे।"
वो इस बात पे दोनो हसने लगे।

कुछ देर बाद रिया किचन मैं आई और हैंरानी से बोली "पापा आप यहां क्या कर रहे हैं?"
“अरे बेटा, शरफू को अचानक जाना पडा गया। तो हम और अजय ने सोचा की हम दोनो ही कुछ बना लेते हैं।”मुकेश रॉय ने जवाब दिया।
"तो पापा, कुछ बाहर से ऑर्डर कर लेते हैं।" रिया ने कहा तो मुकेश रॉय बोले "हम्म, सोचा तो हम भी यही था। पर अजय की राय थी की हम लोग घर में ही कुछ बना लेते हैं। तो हमने सोचा बहुत भीर हम और अजय हुआ किचन कि तरफ रुख किया। बस हम लोग लग गए।"
रिया को फिर अजय पे गुस्सा आ गया। उसने घूम कर उसे देखा तभी मुकेश रॉय बोले "अच्छा अब तुम आ गई हो तो दो से भले तीन। आओ हाथ बटाओ। मजा आएगा तुमको भी।"
"जी पापा, पर मैं करूं क्या?" ना चाहते हुए भी रिया को हां बोलना पड़ा।
"एक काम किजिये, आप ये प्याज़ काटिये।" अजय चॉपिंग बोर्ड उसकी तराफ बढ़ते हुए बोला।
रिया ने उसे घूरते हुए बोर्ड लिया। पर उसे कुछ आता तो था नहीं जो वो कुछ कर पाती। बस किसी तरह उसने प्यार का कत्ल कर डाला।

“ये कैसे काटी है आपने प्याज। लगता है प्याज कटाना आप को नहीं आता।” अजय ने बेतर्बी से कटी हुई प्याज को देखा।
“हां, हमको इन सब कामों की आदत नहीं है। ज़रूरत नहीं पडती।” रिया ने लपरवाही से कहा।
“तो क्या हुआ कभी कभी जरूर पड भी जाती है। जैसे आज पड़ी।" अजय ने काम करते हुए कहा।
"ऐसी जरूरी नहीं आएगी, और अगर आएगी तो हम खुद करने से बेहतर बहार से मांगवाना पसंद करेंगे।" रिया ने जवाब दिया।
"ओह, कभी कभी खुद करने में मैं भी मजा आता है बेटा।" मुकेश रॉय ने समझाया।
"ओह पापा, किचन मैं काम करने का कैसा मजा।" रिया ने कहा।
“लेकिन रिया किचन का काम थोड़ा बहुत काम तो सभी को आना चाहिए। खास तौर से लड़कियों को तो जरूर से।” अजय ने कहा।
“देखो अजय, अपनी अपनी सोच है। मुझे लगता है की शायद तुम लड़कियों से यही उम्मीद करते हो की वो किचन में काम करे, घर संभाले आदि आदि, लगभग एक नौकरी से ज्यादा वैल्यू ना हो। ना उनकी कोई जिंदगी, ना उम्मीद। शादी के बाद यही नजरिया होगा अपनी बीवी के लिए।” रिया ने अजय से काफ़ी नाराज़गी से पुछा।

"नहीं, ये घटिया सोच नहीं है मेरी। मैं तो ये सोचता हूं की लड़की हो या लड़की दोनो को थोड़ा बहुत काम आना ही चाहिए। आगर दोनो मिल के घर की जिम्मेवारी संभाले तो जिंदगी आसान होती है। आज कल की भाग दौड़ मैं जरूरी है। लडका हो या लड़की दोनो को अपनी जिंदगी जीने का हक है। हां ये बात मैं समझता हूं की हमारी सोसाइटी मैं लड़कियों से उम्मीद कम की जाती है की वो घर संभले। पर अब वक्त बदल रहा है।" अजय ने मुस्कुराते हुए जवाब दिया।


"हम्म बहुत अच्छी बात कही तुम अजय, ये नई सोच ही अब हमारी सोसाइटी को बदल सकती है। अगर दोनो मिलकर घर और बहार मिल कर सम्भाले तो सही मे बहुत अच्छा होगा। बहुत अच्छी सोच है तुम्हारी, और अगर यही सोच हमारी सोसाइटी मैं कुछ हद तक भी प्रैक्टिकल हो जाए तो बहुत बड़ा चेंज होगा और कई परशानियां होने से पहले ही हल हो जाएगी। मुकेश रॉय काफ़ी गरम जोशी से बोले।

"शुक्रिया सर, वैसे रिया क्या आपको को किचन का कुछ भी काम नहीं आता।" अजय ने बिरयानी को दम पर रखते हुए पुछा।

"हमको दूध गरम करना आता है, कॉफी और चॉकलेट मिल्क बनाना आता है। और हम 2 मिनट नूडल्स भी बना लेते हैं।" रिया ने जवाब दिया।
"चलिये अच्छा है, वैसे एक आधा चीज और सीख लीजिये, क्यूंकी इंडिया मैं अब 2 मिनट नूडल्स मिलना मुश्किल ही लग रहा है।" अजय की इस बात पे मुकेश रॉय हस पड़े। रिया ने अजय को घूंरा तो अरसलान सिर्फ मुस्कुरा दिया।

कुछ देर बाद डाइनिंग टेबल पे सब मिल कर बिरयानी का लुत्फ उठा रहे थे।
"भाई मजा आया, बिरयानी तो कमाल की बनी है।" मुकेश रॉय बोले
"शुक्रिया। बस कभी कभी, युंही बना लेता हूं।" अजय ने कहा।
“अरे मिया, तुमने तो गजब की बिरयानी बनाई है। अच्छा हुआ जो हमने बहार से कुछ नहीं मंगाया, वर्ना इतनी लाजीजदार चीज से दूर रह जाते।” मुकेश रॉय कोई तीसरी बार प्लेट मैं बिरयानी डालते हुए हुए बोले।
“वैसे मैंने रेगिस्तान में शाही टुकड़े भी बनाए हैं। आप वो भी ट्राई करें।" अजय ने हंसते हये कहा तो मुकेश रॉय हंसते हुए बोले "तुम परशान ना हो। हमको याद है। उसके साथ भी पुरा इंसाफ करेंगे।"

रिया चाहते हुए भी कुछ नहीं कर पा रही थी। अजय उसे जरा सा अच्छा नहीं लगता था, पर उसके पापा को उससे अच्छा इंसान कोई नहीं लगता था। उसे गुस्सा आ रहा था पर कुछ करना उसके बस का नहीं था।

तभी अजय ने उसके ख्यालों को तोड़ा। “रिया आपको पसंद आई बिरयानी या नहीं। आपने बताया ही नहीं।”
"हम्म, अच्छी है।" रिया ने लपरवाही से जवाब दिया।
"अच्छा मुझे आपसे एक जरूरी बात बतानी है।" अजय ने रिया से कहा।
"क्या बताना है।" रिया ने हेयरानी से कहा। वो सोचने लगी की अजय को उससे क्या जरूरी बात करनी है।
"बात ये है की आप की प्याज से क्या दुश्मनी है। इतना ज़ुल्म क्यूं किया था आपने आज प्याज के साथ" ये कह के अजय हसने लगा। साथ मैं मुकेश रॉय भी हसने लगे। दोनो को हंसता देख रिया को बहुत तेज गुस्सा आया पर उसे अपने आप को संभला और बोली "हमको प्याज काटने में तकलीफ हो रही थी, आंखों मैं आंसू आ रहे थे, बस इसिलिए। अब कोई बड़ी बात तो नहीं है।”

“क्या बात कर रही है आप। ये तो बहुत बड़ी बात है। बड़े बड़े कहते हैं की अगर प्याज काटने पर लड़की की आंखों से आंसू आए तो उसका शहर बहुत मोहब्बत करने वाला होता है।” अजय ने बड़े ही संजीदा अंदाज से कहा।

“क्यूट फनी हा अजय, सब बेकर है। आँसू सबकी आँखों से निकलते हैं। इतना बड़ा इश्यू नहीं है। तुम्हारी आँखों से भी निकलते होंगे।” कशिश ने कहा।
"हम्म, हम बदनसीब हैं इज़ मामले मैं। नहीं निकलते।" अजय ने जवाब दिया।
“तो अच्छा है, तुम्हारी बीवी तुम्हारा बैंड बजायगी। यही सही रहेगा तुम्हारे साथ।" रिया ने पहली बार मुकुरुराते हुए अजय को जवाब दिया। अजय बस उसी बात पे मुस्कुरा दिया।

मुकेश रॉय अपने रेगिस्तान का मजा लेते हुए अजय और रिया की नोक झोक देख रहे थे और मुस्कुरा रहे थे।



To be continued
in 38th Part