अगले दिन ऑफिस मैं न्यूटन अपने वर्कस्टेशन पे बैठा काम मैं मसरूफ था। तभी एक चपरासी उसके पास आ के बोला, "सर आपके लिए ये पैकेट आया है।"
न्यूटन ने पुछा "कौन दे गया है ये पैकेट?" "सर, एक लड़की आई थी। कहा की आपको जानती है।” चपरासी ने जवाब दिया। ये कह कर वो वहां से चला गया। न्यूटन सोचे लगा की उसे कौन ये पैकेट दे गया। उसके सारे दोस्त तो यही हैं। न्यूटन ने पैकेट खोला। एक खूबसूरत से बॉक्स मैं एक ताजा गुलाब रखा था। उसके साथ एक कार्ड था। न्यूटन ने कार्ड को लिफाफे से निकला। बहुत ही खूबसूरत कार्ड था अंदर। कार्ड के अंदर खूबसूरती से कुछ लिखा हुआ था।
"साहिल,
आप मुझे नहीं जाने, पर मैं रोज आपको फॉलो करती हूं। असल मैं आप मुझे बहुत अच्छे लगते हैं। इसी लिए रोज आपको कॉलेज से ऑफिस आते हुए फॉलो करती हूं। कॉलेज की लाइब्रेरी मैं भी जब आप किताबो मैं मसरूफ रहते हैं, तब मैं आपको देखती हूं मैं मसरूफ रहती हूं। मुझे आपका हसना, बात करना बहुत अच्छा लगता है। आज जो मरून शर्ट आपके पहनी है, वो आप पर अच्छी लग रही है। पर आप काले रंग की शर्ट मैं ज्यादा अच्छे लगते हैं। जिस दिन मैंने आपको पहली बार देखा था, उसी वक्त मैंने अपनी सांसें रुकती हुई महसूस की। शायद मुझे आपसे मोहब्बत हो गई है। आप सोच रहे होंगे की ये क्या बात हुई, या जान ना पहचान तू मेरा मेंहमान वाली बात है। पर यकीन किजिये मोहब्बत का कोई रूल नहीं होता, कब किसी हो जाए पता नहीं चलता। जल्दी ही आप दुबारा राब्ता करुंगी।
खुदा हाफिज़! फ़क़त आपकी अंजान मोहब्बत………
न्यूटन अजीब कश्मोकश में था। वो सोच रहा था की ये कौन लड़की एकदम से उसे चाहने लगी। उसे रोज़ फॉलो करती है और ऊपर से उसे ये भी पता है की वो आज उसने क्या पेहने हुए हैं। वो सोच ही रहा था की तभी, रिया ऑफिस मैं दखिल हुई।
"मोहित जी, मेरे केबिन के डेकोरेशन का क्या स्टेटस है?" आते ही उसे मोहित से पुछा।
मोहित ने जवाब दिया "जी मैम, काम शुरू हो गया है। आप को डिजाइन के नमूने मैंने ईमेल कर दिए हैं। आप पसंद कर लिजिये।”
"कौन सा केबिन रेनोवेट हो रहा है यहां मोहित?" मुकेश रॉय ने ऑफिस मैं दखिल होते हुए पुछा।
"सर, रिया मैम का!" मोहित ने जवाब दिया।
हम्म्म पर इतनी जल्दी क्या है, अभी रिया को एक अलग केबिन देना बेकार है। अभी इसको काम तो सीख लेने दो। जब अलग केबिन के लायक होगी तो अलग केबिन मिल जाएगा।”
"पापा..." रिया हैरान थी। मुकेश रॉय की बात पे।
"देखो रिया, तुम अभी यहां बिलकुल नई हो, पहले यहां काम सीखो सबके साथ मिल कर और अपने आप को साबित करो फिर हम कोई बात करेंगे।" मुकेश रॉय ने मुस्कुराते हुए कहा।
"पापा हम मलिक हैं यहां के, अब क्या हमको मुलज़िमो के साथ काम सीखना पड़ेगा। ये सब मुलाजिम है हमारे, ये हमारी तौहीन है।” रिया ने गुस्से और गुरूर से बोली।
“अपनी आवाज और लेहजे को काबू मैं रखो। लोगों की इज्जत करना सीखो। ये सब लोग मेरे अपने हैं। मैंने इन्हें हमें अपना परिवार का हिस्सा समझा है। अपने दिमाग मैं एक बात बिठा लो, तुम यहां सीखने आई हो। इसी लिए मेरी नज़र मैं तुममे और बाकी सब मैं कोई फर्क नहीं है।” मुकेश रॉय के सर्द लेहजे ने सबको हैरान कर दिया।
सब लोग सकते मैं आ गए। मुकेश रॉय फिर बोले "मोहित एक जरूरी मीटिंग करनी है। अजय कहां है। उसे कहो के अपने दोस्तों के साथ तीस मिनट मेन कांफ्रेंस रूम में मीले। रिया आप भी मीटिंग मैं शमील होंगी।”
सब सही वक्त पर मीटिंग रूम मैं बैठे थे। मुकेश रॉय और मोहित कुछ देर बात करते रहे, सब खामोशी से बैठे थे। कुछ डर बाद मुकेश रॉय सब से मुखातिब हुए। “हाल ही मैं हमारी कंपनी को एक बड़ा प्रोजेक्ट मिला है। प्रोजेक्ट काफ़ी बड़ा है और उसमे काफ़ी लोगों की ज़रूरत है। प्रोजेक्ट शुरू होने में अभी वक्त है, लेकिन हमने मोहित के साथ मिलकर ये फैसला किया है की हम लोग अपनी तैयारी जल्दी कर देंगे।" इतना कह के मुकेश रॉय चुप हो गए। उन्होंने मोहित को इशारा किया।
मोहित बोला "जी सर मैं बाकी समझा देता हूं।" फिर वो बाकी लोगों की तरफ मुखातिब होते हुए बोला
“जैसा की सर ने बताया की परियोजना काफ़ी बड़ा है और जनशक्ति भी काफ़ी चाहिए। इसी लिए हमने कुछ अहम फैसला लिए हैं। हमारी ट्रेनी टीम जिसमे आप सब लोग है, हमने आप लोगों की अभी तक की प्रगति को देखते हुए, फैसला लिया है की इस प्रोजेक्ट के डिजाइन का पूरा काम आप लोगों को दिया जाएगा। मैं आपकी मदद के लिए हमेशा रहूंगा, पर सर चाहते हैं की आप लोग पूरे प्रोजेक्ट को एक्जुक्यूट करें। ये एक काफ़ी बड़ा प्रोजेक्ट है, और ज़िम्मेदारी बहुत होगी आप लोग पर। हम सबको आप सब से बहुत उम्मीद है। इस लिए आप लोग अभी से तैयारी मैं लग जाए।"
सब लोग एक दुसरे को देखने लगे, क्योंकि किसी ने नहीं सोचा था की उन्हें इतनी जल्दी कोई इतनी बड़ी जिम्मेदारी का काम दे देगा। उनके चेहरे देख कर मुकेश रॉय बोले, "मुझे पता है, तुम सब घबरा रहे होंगे, पर मैंने और मोहित ने काफी सोच समझ के ये फैसला लिया है। हमको तुम लोगो की काबिलियत पे यकीन है। एक बात हमें याद रखना, जिंदगी मैं हर चीज पहली बार होती है। ये आपका पहला बड़ा काम है। बस आप लोग अपना बेस्ट करिये। हमे यकिन है की आप सब कामयाब होंगे। बाकी मोहित है, और दुसरे लोग है। कोई दिक्कत नहीं होगी।”
"जी सर, हम अपना बेस्ट देंगे, यकिन किजिये।" रोहित बोला, तो सबने अपनी रज़ामंदी दिखाई।
“ओके चलो काम पे लग जाओ। अपने सेमेस्टर परीक्षा के साथ साथ काम करिए, जहां तक हमको लगता है, प्रोजेक्ट शुरू होने में मैं अभी तीन से चार महीने लगेंगे। इस प्रोजेक्ट को हेड सिमरन करेगी। बाकी सब इस्के साथ कॉर्डिनेट करेंगे। "मोहित ने मुस्कुराते हुए कहा।
फिर मुकेश रॉय बोले "एक जरूरी बात, आप सबके सेमेस्टर परीक्षा के बाद हम आप सबको फुल टाइम हायर करने की सोच रहे हैं। तो ये प्रोजेक्ट आपकी परमानेंट जॉब के लिए एक परीक्षा है। आप अपने को साबित किजिये, और एक बेहतर मुस्तक़बिल की शुरुवात किजिये हमारे साथ।”
सब बहुत खुश थे। और एक दुसरे को देख रहे थे। रिया को लेकिन खुशी नहीं थी। वो अपने पापा के फैसले से नाखुश थी। क्यों उसे अजय और उसके दोस्त कत्तई पसंद नहीं थे। तबी मुकेश रॉय बोले "रिया, हम चाहते हैं की आप भी इस प्रोजेक्ट में काम करे। इसमे आपको काफ़ी कुछ सीखने को मिलेगा। कल से आप सिमरन को रिपोर्ट करेंगी।” रिया कुछ बोलती उसे पहले ही मिस्टर मोहित बोले "अजय, मैं सोच रहा हूं की रिया के प्रोग्रेस का तुम और सिमरन खास ख्याल रखो।"
“हां बिलकुल सही है मोहित, मैं खुद ऐसा सोच रहा था। अजय और सिमरन आप दोनो को ये काम भी देखना है।" मुकेश रॉय ने मोहित की राय पे मोहर लगा दी।
"जी सर, ऐसा ही होगा" सिमरन ने जवाब दिया। अजय ने भी हामी भर दी। रिया का खून खोल रहा था। उस वक्त मोहित और उसके पापा पर गुस्सा आ रहा था। अजय जिसकी वो शक्ल भी नहीं देखना चाहती, उसे अब उसे ट्रेनिंग लेनी पढेगी।
To be continued
in 29th Part