Teri Chahat Main - 20 in Hindi Love Stories by Devika Singh books and stories PDF | तेरी चाहत मैं - 20

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तेरी चाहत मैं - 20

उस रात रूबी राज के घर पर थी, अजय, राज, न्यूटन और रोहित के अलावा सना और हीना भी थी। साथ मैं राज के पापा, मेजर शेखर भी था। रूबी खुश थी।
रूबी बोली "तुम चारो ने मुझे आज वो खुशी दी है, जिसको मैं बयान तक नहीं कर सकती। मुझे पता नहीं, की मैं अब क्या बोलूं या क्या कहूं। अभी यहां आने से पहले, जावेद का फोन आया था, वो माफ़ी मांग रहे थे। उनकी आवाज मैं पछतावा साफ झलक रहा था। शीना ने उनको समझा दिया है। शीना को कितना गलत समझती थी मैं। पर जो कुछ भी हुआ, वो तुम चारो की वजह से हुआ।"

राज बोला "आप भी कैसी बात कर रही हैं, हम आपके भाई हैं। हमने जो किया हमारा फ़र्ज़ है। आप की जिंदगी फिर से आबाद हो रही है, इस से बड़ी खुशी हम सब के लिए क्या है।"
रूबी ने प्यार से राज के सर पर हाथ फिरते हुए कहा, "कौन कहता है कि रिश्ता सिर्फ खून का होता है। अगर ऐसे रिश्ते हैं तो क्या जरूरी खून के रिश्तों की।”
इसपर मेजर शेखर ने कहा "रूबी बेटा, रिश्ते नाम के बहुत होते हैं, पर जिस रिश्ते में दिल ना मिले वो बेकार है। बस वो बेमानी होते हैं। सिर्फ नाम के.
“बिलकुल सही कहा आपने अंकल, लाखों की बात कही है अपने। जब मैं शहर में आया था, तो कोई रिश्ता या नाता नहीं था। और आज देखो, लगता है पूरा परिवार है मेरा।" अजय ने कहा।
न्यूटन बोला "अजय यार, ये एक परिवार है। और हम सब एक दुसरे के लिए हैं। ये हम लोगों का रिश्ता है, जो कभी नहीं खतम होगा।"

तभी रोहित ने अंगड़ाई लेते हुए कहा "अरे सब के सब इमोशनल हो रहे हो, चलो, चिल मारो, और मुझे भूख लगी है, कुछ खाए हुए वक्त हो गया काफ़ी।"
सब जल्दबाजी में डाइनिंग टेबल की तरफ चल दिए।
डिनर के बाद सना बोली “ऐसा है, की मैंने और हीना ने एक फैसला किया है की जावेद भाई को रूबी आप ऐसा ही नहीं मिलेगी। उन्को अब दोबारा बारात लानी होगी। तभी हम रूबी आपा को उनसे मिलने देंगे। एक तरह से उनको दुबारा से शादी करनी पड़ेगी।”
मेजर शेखर बोले "बिलकुल सही है, और ये सब यहीं से होगा, इसी घर से। सारी तयारी शूरू करो। और जावेद को मैं बोल देता हूं। "
अजय बोला "बिलकुल सही रहेगा, हम सब मिल कर तय करेंगे करेंगे। आखिर हमारी आपा की शादी है।"
रोहित बोला "खाने का इंतजामं मैं करुंगा।"
हीना बोली "खबरदार जो तूने खाने के इंतजाम की कोई प्लानिंग की। तू खुद खा लेगा, सब भुखे रहेंगे। तू सिर्फ बाहार का काम देखना।"

सब हसने लगे तो रोहित बोला “अपनी तो कोई इज्जत ही ना है यार। पर मुझसे ना कहना, अगर खाना अच्छा ना पक्का।"
सब फिर हसने लगे। बीच मे मेजर शेखर ने कहा है "जावेद साहब राज़ी हैं, तीन दिन बाद मतलब रविवार को वो वापस आ रहे हैं, और कहा है की सीधा यहीं आएगा रूबी को लेने। अब हम सब को सब कुछ जल्दी-जल्दी करना है।"
इस पर न्यूटन खड़े होते हुए बोला "यलगार हो, सभी घर के लोग काम मैं लग जाए।"
न्यूटन की इस हरकत पर सबने उसे पकड कर उठा लिया। और सब यलगार हो, यलगार हो कहने लगे।
रूबी उन सब को देख कर अपने आंसु ना छुपा सकी। जो खुशी के आंसू थे।



To be continued
in 21th part