हमें सुबह अजय का सेल फोन एकदम से बज उठा, अजय ने देखा तो न्यूटन की कॉल थी। अजय बोला "अब एक ही कमरे में रह कर तुमको मुझे कॉल करनी पड़ रही है!"
न्यूटन "बरखुरदार मैं वहा नहीं हूं। मैं रोहित के घर पर हूं, जावेद जिस लड़की के साथ है उसका पता चल गया है। तुम राज के घर पहुचो। वही बताता हूं सब कुछ।"
थोड़ी देर बाद चारो राज के घर उसके कमरे मे थे। तब रोहित बोला “देखो, जो लड़की जावेद के साथ है, उसका नाम शीना बजाज है। उनके ऑफिस मैं काम करती है, पहले दुसरी ब्रांच मैं थी अब यहां ट्रांसफर हुआ है। और मेन बात तो यह है वो जावेद भाई के साथ पहले कॉलेज मैं रह चुकी है, इस लिए जान पहचान पहले से थी। सुनने मैं यह तक आया है की शीना बजाज का कोई अफेयर था जो बाद मैं खतम हो गया। सयाद लड़कों ने डीच किया था। उसके बाद कई लड़कों के साथ उसका नाम जुड़ा है। शीना का पता और बाकी सब कुछ मैंने निकल ली हैं।"
अजय बोला "कमल कर दिया यार तुमने। इतनी जल्दी इतना सब। मनना पडेगा तेरे को भाई।”
रोहित बोला "मैंने जो किया वो रूबी दीदी के लिए किया, क्यों की वो मेरी भी बहन हैं। तुम सब तो मुझसे छुपा कर सब प्लान कर रहे थे।”
राज बोला "नहीं यार ऐसा नहीं है, तेरे बिना कैसे हो जाता है, बस उस रात तु साथ नहीं था। और फिर मौका नहीं मिला। एक हफ्ते से तो सब ऑफिस मैं भी व्यस्त हैं हम सब।"
अजय बोला "हां यार राज ने तो तेरे को अभी सिमरन वाली हेल्प के लिए भी थैंक्स बोलना है। तू गलत न समाज भाई।”
रोहित बोला "ठीक है ठीक है, बेकार की नौटंकी ना करो। अब चलो कुछ करते हैं। लेकिन पहले मुझे कुछ खाना है, भूल तेज है।”
चारो हसने लगे और रूम से बहार गए।
थोड़ी देर चारो एक बिल्डिंग के सामने खड़े थे। न्यूटन बोला "रोहित यही एड्रेस है ना। शीना बजाज यही रहती है ना।"
रोहित बोला "हां भाई, इसके 10वीं मंजिल पर फ्लैट नंबर 67 मैं रहती हैं।"
राज बोला "तो चलो, पर ध्यान रहे, हम को कोई भी बदत्मीज़ी नहीं करनी है, वो पहले एक इंसान है, और हम को हर इंसान की इज्जत करनी है, फिर वो तो एक लड़की भी है।"
फिर चारो, लिफ्ट मैं चले गए। फ्लैट के दूर पर खड़े। अजय ने दूर बेल बजाई। दुसरी तराफ कदमों की आहट हुई फिर दरवाजा खुला, दरवाजा खोलने वाली लड़की कोई 30 साल की थी। काफ़ी मॉडर्न लुक था, देखने में खूबसूरत भी थी।
अजय बोला "हम को शीना बजाज जी से मिलना है, क्या आप उनको बुला सकती हैं।"
"मैं ही शीना बजाज हूं, और तुम लोग कौन हो मैं पहचानी नहीं!" शीना ने जवाब दिया।
"हमको जावेद जी के बारे में बात करनी है।" रोहित बोला.
जावेद के बारे में, ठीक है अंदर आ जाओ।” शीना ने जवाब दिया।
चारो अंदर आ कर बैठा गये, तब शीना ने कहा "जावेद के बारे में क्या बात करनी है?"
अजय बोला "शीना जी हम को गलत मत समजिये, पर आप को शायद पता ही होगा, की जावेद पहले से ही शादी शुदा है, हमारी रूबी आपा से उनकी शादी हुई है।"
शीना जल्दबाजी हुई बोली, "ओह तो रूबी ने अपने भाई भेजे हैं मुझे डराने को।"
राज बोला "नहीं आप गलत समाज रही हैं, उनको इस बारे में कुछ नहीं पता, बस हम को उन दोनो का रिश्ता टूटते हुये देखा नहीं जा रहा है, इसलिय आप के पास आए हैं।"
शीना बोली “इसमे मैं क्या कर सकती हूं, रूबी जब जावेद को नहीं संभल पाई तो वो मेरे पास आ गया, इंसान को जो पसंद है, वो वही करेगा। रूबी की मोहब्बत में कमी थी, तभी जावेद यहां आया।”
अजय बोला "दोनो एक दुसरे को पसंद करते हैं, शादी भी तभी हुई।"
शीना बोली "देखो मुझे इससे क्या कर सकती हुं, रूबी जब जावेद को संभाल नहीं पाई तब जावेद मेरे पास आया, जावेद मेरे साथ खुश हैं, मैं उनके साथ, मुझे पूरी दुनिया से कोई मतलब नहीं है।"
न्यूटन बोला "पर शीना जी, आप किसी की खुशी को छीनकर अपना घर बसाना चाहती हैं। किसी के आंसुओं और सिसकियों के ऊपर बने आशियाने मजबूत नहीं होते।”
अजय बोला "आप आज खुश हो जाइएगा, कल कहीं आप को इस चीज की कोफ्त ना हो की अपनी खुशी ने लिए, किसी को सिसकता हुआ छोड़ा।"
राज बोला "किसी की दुनिया लुटने से कोई फ़ायदा नहीं है। क्यूं किसी के दिल को चोट दे रही है, इससे किसी का अच्छा नहीं होगा।"
शीना बोली "कभी मेरा भी दिल टूटा था, कभी मैं भी रोई थी, मुझे भी मोहब्बत पाने का हक है। इसमे अगर किसी को चोट आये तो मैं क्या कर सकती हूं।"
“संजय नाम था उसका, जिसको आप ने तहे दिल से चाहा, अपना सब कुछ मान लिया, पर वो बुजदिल था, जो मुझे को ना अपना कर एक पैसे वाली लड़की के साथ चला गया।
वो आपके काबिल ही नहीं था, और आप उसकी बेवफाई की आग में जल रही है।" रोहित ने जवाब दिया।
शीना बोली "हां, सही है, इसलिए अब मुझे किसी का दर्द नहीं महसूस होता, मेरी खुशी मैं अगर किसी को तकलीफ हो तो हो।"
अजय बोला "आप की सोच गलत है। किसी को चोट पहुंचा के मिली खुशी मैं कोई मजा नहीं है। हम को पता है, की आप जावेद को पसंद कारती हैं, लेकिन क्या आप किसी की मोहब्बत के आशियाने को सुलगा कर उसकी दहेक से अपनी मोहब्बत को देखना चाहता है, शायद नहीं शीना जी। आप शायद ये नहीं करना चाहते।"
शीना मुस्कुराते हुई बोली "कमाल की बात करते हो तुम सब, मुझसे मेरी मोहब्बत को लूट कर किसी और को देना चाहते हो। भाई वाह, क्या बात है।"
अजय बोला "देखिए शीना जी, हम को पता है, की हम आपसे बहुत कुछ मांग रहे हैं, आप इसे एक एहसान समाज कर, या भीख समाज कर हमको दे दिजिये। जिंदगी भर आप का ये एहसान नहीं भुलेंगे।”
राज बोला "और यक़ीन किजिये, आप को भी इसका अफसोस नहीं होगा, और एक दिन आप को भी कोई सच मैं चाहने वाला मिलेगा। ऊपर वाला अच्छे लोगों के साथ अच्छा ही करता है।”
शीना बोली "काश जब मेरी दुनिया लुट रही थी, तब मेरे साथ भी तुम लोग जैसा कोई होता। तब शायद मेरी दुनिया ना लुट ती। किस्मत वाली है रूबी जो तुम जैसे भाई है उसके।” कहते हैं शीना की आंखें मैं आंसू चलाने लगे।
राज बोला "ऐसा मत सोचिए, जिंदगी के किसी भी मोड़ पर अगर आप को जरूरत पडे तो हम को आजमा के देखिए गा।"
शीना बोली "जैसा तुम लोग चाहते हो वैसा ही होगा, मैं जावेद और इस शहर से दूर जा रही हूं। तुम्हारी बहन के घर को अब तुम लोग अबाद करो।”
अजय बोला "आप का ये अहसान हम जिंदगी भर नहीं भूलेंगे। दुआ है हमारी की आप को दुनिया की तमाम खुशी मिले। यकिन किजिये की अगर कभी भी कहीं आपको, हम लोगो की जरूर पड़ी तो हमको याद किजिये गा। आप को मयुस नहीं करेंगे।'
फिर वो सब वहां से चले गए। शीना को जहा एक तरफ जावेद से अलग होने का गम था, तो दसरी तरफ, ये खुशी थी, की वो किसी की मोहब्बत और जज्बातों का कतल नहीं कर रही। कुछ सोच कर उसे रूबी का नंबर मिला। नंबर मिला और रूबी ने फोन उठाया।
शीना बोली "रूबी मैं शीना बोल रही हूं।"
रूबी ने जवाब दिया “यहाँ किस लिए फोन किया आपने। मुझसे क्या काम है।"
शीना बोली "रूबी मुझे पता है, की तुम मुझसे नाराज हो, मुझे पसंद नहीं करती।"
रूबी बोली "आप सब जनती है, फिर भी आप मुझे कॉल कर रही हैं।"
शीना बोली "असल मैं मुझे अपनी गलती का एहसास हो गया है, मुझे समाज आ गया है की मैं गलत थी। मैं अपनी खुशी के लिए, तुम्हारी जिंदगी बरबाद कर रही थी। लेकिन मैं अब ऐसा नहीं करुंगी। मैं जावेद से दूर जा रही हूं, मेरी गलतियों के लिए मुझे माफ करना।”
रूबी को अपने कानों पर यकीन नहीं हो पा रहा था, वो खुश थी, की अब उसकी जिंदगी फिर से खुशगवार हो जाएगी। वो बोली "शुक्रिया शीना, जावेद को मुझे वापस कर के तुम मुझे जिंदगी का नया तोहफा दे रही हो।"
शीना बोली "ये तोहफा मैं नहीं दे रही, ये तो तुमको तुम्हारे भाईयों ने दिया है, जिन्होने मुझे सही राह दिखा दी। सच मैं तुम्हारी किस्मत पर रश्क है, इतने अच्छे भाई है तुम्हारे।''
रूबी बोली "क्या राज, अजय, न्यूटन और रोहित आप से मिले थे?" उसे यकीन नहीं था की उन चारों ने उसकी डूबती जिंदगी की नाव को किनारा दिया है।
शीना बोली "हां वो चारो आए थे, कुछ देर पहले। उनकी बातों से लगा वो तुम पर जान छिडकते हैं।”
रूबी बोली "हां ये चारो मेरे छात्र हैं, और मुझे अपनी बड़ी बहन की तरह इज्जत और प्यार देते हैं। कोई खून का रिश्ता नहीं है, पर ये जिस तरह इस रिश्ते को निभाते हैं, ये तुम देख ही चूकी हो। मुझे कोई गम नहीं, की मेरे कोई भाई बहन नहीं, ये शायद सगो से जायदा मुझसे प्यार करते हैं।" रूबी की आंखें मैं पानी आ गया, और गाला रुंध गया।
शीना "अब अब सुनो, जावेद एक हफ्ते के लिए दुबई गए हुए हैं, मैं उनको समझा दुंगी, मैं ट्रांसफर के लिए कह चुकी हूं, जल्दी ही रिप्लाई मिल जाएगा।
जावेद को अब तुम्हें संभलना है। और हां अब कोई गलती नहीं करना। सब मेरी तरह नहीं होते।” ये कह कर वो हसने लगी।
रूबी बोली "मैं समझ सकती हूं शीना की तुम कैसे ये फैसला ले रही हो। लेकिन दुआ है मेरी मेरे रब से तुमको तुम्हारी मोहब्बत जरूर मिलेगी।"
शीना बोली “शुक्रिया रूबी, मुझे समझने और माफ करने के लिए। मुझे गलत मत समझना कभी, और हां मुझे जब याद करना, मेरे लिए अच्छा ही सोचना, अब मैं रखती हुं फोन। जिंदगी रही तो हम जरूर मिलेंगे। मुझे उम्मीद है की तुम और जावेद खुश रहोगे।"
रूबी बोली "मैं हमेशा तुम्हे याद रखूंगी और जिंदगी मैं कभी भी याद आया, मुझे याद करना। कभी अपने को अकेला न समझना। जिंदगी तुम्हें खुशी दे। खुदा हाफिज़।"
शीना ने मुस्कुराते हुये फोन रख दिया। उसे ऐसा लग रहा था की उसके ऊपर से कोई बड़ा बोझ हट गया है।
To be continued
in 20th part