Teri Chahat Main - 18 in Hindi Love Stories by Devika Singh books and stories PDF | तेरी चाहत मैं - 18

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तेरी चाहत मैं - 18

वो लोग आगे बढ़ने लगे। तभी राज एक आइसक्रीम की दुकान देख कर कार रोकने लगा।
सिमरन बोली "क्या हुआ। कार क्यों रोक दी।"
राज उतरा और फिर सिमरन की तरफ जा कर दरवाजा खोलते हुए बोला, "सिमरन साहिबा क्या आप मेरे साथ एक चोकोबार आइसक्रीम खाने की तकलीफ करेंगी।"
सिमरन बोली "हां पर मैं दो खाउंगी, और साथ में मैं एक दो स्वाद और खाने हैं।"
राज बोला "जी बिलकुल पर एक शर्त है, की आप मेरा सर नहीं तोडेंगे।"

सिमरन ने हंसते हुए कहां "उसको बाद मैं सोचूंगी। चलो पहले आइसक्रीम खाते हैं।"
फिर वो आइसक्रीम की दुकान मैं चले गए। वहां जा कर उन दोनो ने आदेश दिया और फिर एक टेबल पर बैठे गए। फिर आइसक्रीम खाते हुए दोनो बात करते गए। राज सिमरन को देखता रहा, उसकी बात, हंसी हर अदा उसे पसंद आने लगी थी। फिर थोड़ी देर बाद वो दोनो वहा से निकले। अब राज सिमरन से काफी नॉर्मली बात कर रहा था। फिर उसे सिमरन के घर के आगे गाड़ी रोकी। सिमरन उतर कर बोली "लिफ्ट और आइसक्रीम के लिए थैंक्स राज, मजा आ गया, अंदर चलो मैं तुमको अपने दादाजी से मिलवती हूं।"
राज बोला "फिर कभी, आता हूं आज देर हो जाएगी।"
सिमरन बोली "नहीं आज ही, वर्ना मैं सर तोड़ दूंगी तुम्हारा।" सिमरन ने राज की तरफ का दरवाजा खोला और उसे बाहार आना ही पड़ा।
राज बोला "अगर अपने सर से मुझे मोहब्बत ना होती तो ना चलता आज।"
दोनो हंसते हुये अंदर दखिल हुवे। सिमरन दादू दादू कहते हैं, अंदर आई। हॉल मैं एक बड़ी सी तस्वीर लगी थी, जिसके पास आ कर सिमरन ने झुक कर प्रणाम किया।
फिर पलट कर बोली "राज ये है मेरे दादू।"
राज बोला "पर ये तो..."
सिमरन मुस्कान कर बोली "हां दो साल पहले ये दादी और माँ डैड के पास चले गए, पर ये हमेश मेरे पास भी रहते हैं। मैं इनको सब कुछ बताता हूं।"
राज बोला "आप के माता-पिता कब ........."
सिमरन बोली "मुझे वो तो याद नहीं। दादा दादी ने ही पाला था, दादी जब मैं 15 साल की थी तो चली गई, फिर दादू भी, पर मुझे लगता है की वो हमारे साथ रहते हैं।"
"पर आप को अकेले डर नहीं लगता यहाँ।" राज ने कहा तो सिमरन बोली "भूल गए, मुझे मार्शल आर्ट आती है।"
राज हंसने लगा, तो सिमरन भी हंसते हुए बोली, की यहा पास मैं सब अच्छे लोग हैं, कोई परशानी नहीं आती।
फ़िर सिमरन बोली "लो मैंने तुमको चाय या कॉफ़ी के लिए तो पुछा भी नहीं।"
राज बोला "वो मैं दुसरी बार आउंगा तो पी लूंगा, क्यों की आइसक्रीम कुछ ज्यादा हो गई है। अब मैं चलता हूं, अपना ख्याल रखना। कल ऑफिस मैं मिलते हैं।"
"ठीक है, लिफ्ट और आइसक्रीम के लिए शुक्रिया।" सिमरन मुसकुरा कर बोली।
“हम दोस्तों के बीच सॉरी और थैंक्स की जगह नहीं है। और अब तुम भी हमारी दोस्त हो। हमारी टीम में आपका स्वागत है। कॉलेज मैं हमारी टीम चांडाल चौकड़ी के नाम से फेमस है।"
"चांडाल चौकड़ी ! कूल है, ठीक है मुझे तुम लोगों के साथ अच्छा लगेगा।”
राज बोला "ज़रूर, चलो चलता हूँ।" फ़िर मुस्कुराते हुये बहार निकला। कार मैं बैठे हुए उसे देखा की सिमरन उसे अलविदा कर रही थी। राज ने भी उसे अलविदा किया और फिर कार घर की तरफ बढ़ा दी।
राज सोचने लगा की कितनी अच्छी और सच्ची है दिल से ये। कोई छल नहीं, बिलकुल सादगी से रहती है, चंचलता है। पर जिंदगी को सीरियसली लेती है। शायद यही है वो लड़की जिस को वो ढूंढ रहा था। फिर सोचा, सिमरन तुम काफी अकेले रह ली हो, अब ज्यादा देर तुम्हे अकेला नहीं रहना पडेगा। और तस्वीरों से बात नहीं करनी पड़ेगी। जल्दी ही तुमको ले जाउंगा अपने घर। राज मुस्कुराते हुए आए बढ़ गया।


To be continued
in 19th part