Teri Chahat Main - 9 in Hindi Love Stories by Devika Singh books and stories PDF | तेरी चाहत मैं - 9

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तेरी चाहत मैं - 9

अगला दिन तूफ़ान लाया था।

अजय, राज, रोहित और न्यूटन प्रधान कार्यालय मैं खड़े थे। साथ मै थे। मुकेश रॉय, रिया के डैड और कॉलेज के ट्रस्टी और सबसे बड़े डोनर। उनका कहा प्रिंसिपल भी मानते थे। साथ में रिया और विक्रम भी खड़े थे।

प्रिंसिपल बोले "शर्म आती है मुझे जो, मेरे यहां ऐसे लड़के पढते हैं जो पढ़ाई मैं कम और लडाई मैं आगे रहते हैं। कल आप लोगों ने जो गुंडा गार्डी की हद पर कर डाली। अच्छे भले लड़कों को मारा पीटा और उसके बाद, जाने क्या क्या।”
अजय बोला "पर सर..." लेकिन उसी बात बीच में काट दी, मुकेश रॉय ने कहा "चुप रहीये, सफाई देने कोई की जरूरत नहीं है। विक्रम और रिया ने सारी बात बता दी है। आप लोगों ने ज़ाती दुश्मनी की वजह से विक्रम के साथियों की पिटाई की है।”


"पर सर ये एक दम गलत है।" सब एक साथ बोले,
तब मुकेश रॉय ने कहा, ''आप सब को कोई सफाई देने की जरूरत नहीं है, प्रिंसिपल साहब इन लोगों को सजा कड़ी से कड़ी दीजिए ताकि अगली बार कोई हरकत करने से पहले सोचे।"
इधर विक्रम और रिया मुस्कुरा रहे थे।
“सजा किसको मिलनी चाहिए और किसको नहीं, ये फैसला अगर थोड़ी देर मैं हो तो बेहतर होगा। पहले जरा असल बात भी तो पता चले सबको।” ये आवाज रूबी की थी। साथ में सना और हीना भी खड़ी थी।
प्रिंसिपल बोले "मिस रूबी आप कहना क्या चाहती हैं?"


“यही की यहां जो कुछ भी बता गया है, सिर्फ एक झूठी कहानी बना कर पेश की गई है। कैंपस में आने वाले उस रोड पर रोज़ लड़कियों के साथ बदतमीज़ हो रही थी। इसकी खबर जब आप से की गई तो अपने कहा, की ये कैंपस के बाहार का मामला है। हम इसमे कुछ नहीं कर सकते। कल वाली बात भी उसी से जुडी है, सना और हीना को कुछ लड़कों ने छेडा, बाल खीचे। इसपर इनके दोस्तो ने और कुछ दुसरे स्टूडेंट्स ने मिल कर उन लड़कों की पिटाइ करी। उस ग्रुप में विक्रम के दोस्त भी थे।

इसमे गलत क्या हुआ। खैर मुद्दे की बात ये है की मैंने रिपोर्ट पुलिस में कर दी थी। जब पुलिस ने उन लड़कों को पकडा, तो उनमे से दो लड़के छटे हुए बदमाश निकले जिसमे से एक पर तो मर्डर का भी केस चल रहा है। अब ज़रा विक्रम से ये पूछिए की ऐसे लोगों से उनका क्या वस्ता है। वो इनके साथ क्या करते हैं?”


प्रिंसिपल बोले “जवाब दो विक्रम। क्या ये बात सच है?" अब विक्रम और रिया को काटो तो खून नहीं। बुरी तरह घबरा गए दोनो।
"ये जवाब नहीं देंगे सर। इनके पास जवाब हैं ही नहीं। इनसे अब जवाब तलब कोई और नहीं करेगा।" मिस्टर शर्मा ने अंदर आते हुए कहा। प्रधानाचार्य बोले "क्या कह रहे हैं आप मिस्टर शर्मा। खुल कर बतायें।"

श्री शर्मा बोले "सर बाहार एक पुलिस इंस्पेक्टर और दो कांस्टेबल खड़े हैं। विक्रम के लिए। पुलिस लॉकअप मैं एक लड़के ने कहा है की ये सब उन्होने विक्रम के कहने पर यह किया है। विक्रम को कस्टडी मैं लिया जा रहा है। विक्रम ने अजय और उसके दोस्त को परेशान करने के लिए उन लड़कों को पैसे भी दिए थे।”


मिस्टर मुकेश रॉय गुस्से से बोले "ये सब क्या है विक्रम, रिया। तुम लोगो ने तो हमें कोई और कहानी बता रहे थे। यहां तुम्हारे दोस्त सरेआम लड़कियों से बदतमीजी कर रहे हैं, और तुम हमें कुछ और बता रहे हो। ऐसे लड़कों के साथ उठाना बैठना है तुम्हारा।"
मिस्टर शर्मा बोले "मुकेश साहब आप से भी इंसान पहचानें मैं धोखा हो गया। जिन लड़कों को अभी तक सजा दिल रहे थे वो मेरी क्लास के अच्छे स्टूडेंट्स मैं जाने जाते हैं।"

मुकेश रॉय बोले "आज हम से कितना बड़ा गुनाह होते होते बचा है। हम को शर्म है इस बात की है की हमारी बेटी तक ने हमसे झूठ बोला। रिया हमे यह उम्मीद ना थी आपसे। सर शर्म से झुका दिया अपने हमारा।”
"आप सब लोग अब जाये। जो कुछ हुआ उसके लिए मैं माफी चाहता हूं।"
तभी वहा पुलिस आ जाती है, और विक्रम को कस्टडी मैं ले लेती है।

अजय बोला "इस्मे माफ़ी की कोई बात नहीं है। हलात ऐसे बन गए थे। बस सर आप से एक गुजारिश है की, आप इनके टीचिंग के बारे में कुछ करिए।”
प्रिंसिपल बोले "हां जरूर करना है,

फिर वो सब बहार आ गए।


To be continued
in 10th part