अगला दिन कुछ शांत सा था... मोनाली की तरफ से अभी कुछ हरकत नही हुई थी...
अनिरूद्ध सौरभ सब अपने काम में बिजी थे..
किंजल कुछ परेशान सी थी .. करन को वो रिकॉर्डिंग कैसे सुनाए ये उसे समझ नही आ रहा था... करन का रिएक्शन क्या होगा यह सोचकर उसे डर लग रहा था..
उसने हिम्मत करके करन को फोन लगाया..
" हेय करन...! "
" हाय बोलो ना..."
" क्या हम अभी मिल सकते है ? "
" हा श्योर... "
" तो क्या तुम मेरे घर आ सकते हो ? "
" ठीक है में अभी आता हु..."
करन ने फोन कट किया और वो किंजल के घर आने के लिए निकल चुका...
थोड़ी ही देर में करन किंजल के घर आ गया...
" आओ बैठो.. में हमारे लिए कॉफी लेकर आती हु..."
किंजल ने कहा और वो कॉफी लेने चली गई...
तभी करन के फोन पर मोनाली का कोल आया...
करन ने फोन नही उठाया .. तो रिंग फिर से बजी...
तो करन ने कोल उठा लिया...
" करन तुमने क्या सोचा हमारे बारे में...प्लीज अब तो मुझे जवाब देदो..." मोनाली ने रोते हुए कहा..
" मोनाली .. तुम रो रही हो ? क्या हुआ ? " करन ने अचानक से खड़े होते हुए कहा..
" मेरे पापा मुझे वापस बुला रहे है .. में तुम्हे छोड़कर जाना नही चाहती प्लीज .. में तुमसे बहुत प्यार करती हु .."
" सुनो मोनाली तुम पहले रोना बंध करो.."
" कैसे करू हा..? तुम मेरे साथ ऐसा बर्ताव क्यों कर रहे हो ? उस रात जो हुआ था उसमें मेरी क्या गलती थी..? और वो सब भूलने के लिए में ब्रेक लेकर गई थी.. पर में वापस आई तुम्हारे लिए.. पर तुम मुझसे बात भी नही करते हो..मेरे कॉल्स भी नही उठाते हो."
" आई एम सोरी मोनाली... तुम सही कह रही हो तुम्हारी कोई गलती नही थी... में समझ सकता हु तुम्हारे दर्द को..."
" नही तुम नही समझ रहे हो.. सब किया उस अनिरुद्ध ने और तुम सजा उसको देने के बजाए मुझे दे रहे हो और उसकी दोस्त किंजल से ही दोस्ती कर रहे हो.. ये जानते हुए की वो अनिरुद्ध की वाइफ संजना की भी बहन है...क्यों ? "
" देखो मोनाली .. किंजल इस सब में शामिल नहीं है.. और वो उन सब से अलग है.. "
" ये सच नही है करन... किंजल तुम्हे मेरे खिलाफ कर रही है... और वो भी अनिरुद्ध और संजना के कहने पर.."
" ये तुम क्या बोल रही हो मोनाली ? "
" हा करन.. प्लीज मुझ पर भरोसा करो.. पहले तो तुम मेरी हर बात सच मानते थे अब ऐसा क्या हो गया की तुम हर बार मेरे कुछ कहने पर सवाल करते हो ? "
" ऐसा कुछ नही है मुझे अब भी तुम पर भरोसा है.." करन इतना ही बोला था की उसकी नजर सामने खड़ी किंजल पर गई.. उसकी आंखों से आंसू बह रहे थे.. किंजल ने उनकी सारी बाते सुनली थी ...
" किंजल ! " करन ने कहा और फोन कट कर दिया...
किंजल ने टेबल पर कॉफी रखी और फिर अपने आंसू पोछे..
" क्या तुम्हे मुझ पर भरोसा है ? " किंजल ने कहा..
" किंजल प्लीज .. तुम गलत समझ रही हो..."
" नही करन .. तुम पहले मुझे जवाब दो की तुम्हे मुझ पर भरोसा है या नही ? "
" हा मुझे तुम पर भरोसा है..."
" क्या तुम्हे लगता है की में तुम्हे मोनाली के खिलाफ कर रही हू..? "
करन को वो सब बात याद आई जो किंजल ने उसे समझाते वक्त कही थी..
" नही..." करन ने पूरे कॉन्फिडेंस के साथ कहा..
" तो तुमने मोनाली से ऐसा क्यों कहा की तुम उस पर भरोसा करते हो ? "
" क्योंकि वो परेशान थी.. वो तुम्हे नही जानती.. इसलिए यह सब कह रही है...और वो मुझसे प्यार करती है इसीलिए वो सिर्फ इनसिक्योर हो गई है बस..."
" प्यार.. और मोनाली.. नही वो कोई तुमसे प्यार नहीं करती है.. उसकी तो किसी और के साथ एंगेजमेंट होने वाली है.. "
" ये क्या बकवास है किंजल ? "
" नही ये बकवास नही सच है और यही बताने के लिए मैने तुम्हे यहां बुलाया था...तुम्हे याद है अनिरुद्ध और सौरभ ने तुम्हे मोनाली और उसके बॉयफ्रेंड की तस्वीर दिखाई थी...? "
" वो उसका बॉयफ्रेंड नही उसका कजिन था.. " करन ने थोड़ा गुस्से के साथ कहा..
" नही मोनाली ने तुमसे जूठ कहा था वो उसका बॉयफ्रेंड ही था और उसके साथ मोनाली की एंगेजमेंट होने वाली है और ये खुद उसके उस बॉयफ्रेंड ने कहा है "
" पर तुम्हे यह सब कैसे पता ? "
" वो अनिरुद्ध और सौरभ ने उससे फोन पर बात की थी..."
" ओह... मतलब मोनाली सही थी.. तुम उनके ही साथ मिली हुई हो... में ही समझ नही पाया.. आखिर तुम हो तो उनकी ही दोस्त...! "
करन ने गुस्से के साथ कहा..
" क्या ? करन तुम ऐसा कैसे कह सकते हो ! हम सब सिर्फ तुम्हारे लिए यह कर रहे है ..."
" अच्छा तो बताओ तुम सब ऐसा क्या कर रहे हो मेरे लिए ? "
" मोनाली की सच्चाई तुम्हारे सामने लाने की कोशिश.. वो तुम्हारे प्यार के लिए वापस नहीं आई है .. तुम ये तो जानते हो की अनिरुद्ध कैंसर की मेडिसन कम प्राइस में दे रहा है.. और बहुत से लोग यह मेडिसिन पाना चाहते है ताकि वो इनको ज्यादा दाम में बेचकर ज्यादा पैसे हथिया सके लोगो से... और इनमे से ही एक मोनाली है.. जो उस काम के लिए तुम्हे अपना हथियार बनाना चाहती है..."
करन यह सुनकर बस चुप था...
" करन प्लीज कुछ तो कहो..! "
" वाह कहानी अच्छी बनाई थी तुमने.. पर मेरी कोई इच्छा नहीं है तुम्हारी यह बनी बनाई कहानी सुनने की .. सो गुड बाय..." बोलकर करन वहा से जाने लगा...
इस तरफ मोनाली हस्ते हुए कोल्ड्रिंक का मजा ले रही थी..
" तुम अब भी आंख बंद करके मुझ पर भरोसा कर लेते हो मेरे प्यारे करन... " उसने शैतानी मुस्कुराहट के साथ कहा..
उसने घड़ी में देखा .. शाम के सात बज चुके थे...
मोनाली ने किसीको फोन लगाया..
" सुनो सात बज चुके है दोनो भाई ऑफिस से निकलते ही होगे.. उठा के लाओ उन दोनो को मेरे पास..."
" ठीक है मेडम " उस खूंखार से दिखने वाले साजिद ने कहा और फोन रख दिया..
" साजिद भाई वो लोग बहुत बड़े आदमी है.. कुछ गड़बड़ तो नही होगी ना ? "
" ए... दिल्ली का डॉन हु में... मेरे होते हुए कोई गड़बड़ नही हो सकती समझे... चलो..."
साजिद अपने पांच गुंडों के साथ गाड़ी में ओब्रोय कंपनी के सामने खड़ा था...
थोड़ी देर में अखिल और मनीष आए.. और गाड़ी में बैठे...
साजिद और उसके साथी भी कार में उनका पीछा करने लगे..
आगे दो रास्ते थे उन दो रास्तों में से एक रास्ता सुमसाम था और दूसरा हमेशा लोगो से भरा हुआ रहता था.. ड्राइवर हर बार सुमसाम रास्ते की जगह दूसरा रास्ता ही लेते थे... पर आज वो रास्ता बंध था...
ड्राइवर ने यह देखकर गाड़ी रोक दी..
" क्या हुआ राजू ? " अखिल जी ने पूछा
" साब पता नही ये रास्ता बंध क्यों है ? सुबह तो नही था ! "
" कोई बात नही ये गवर्मेंट का यही रहता है .. तुम दूसरे रास्ते से ले लो..."
अखिल जी ने कहा तो ड्राइवर ने दूसरे रास्ते तरफ गाड़ी घुमा दी...
कुछ दूर आगे जाते ही उनकी गाड़ी अचानक से बंध हो गई...
" अरे ये गाड़ी क्यों बंध हो गई ..? " मनीष चाचू को कुछ समझ नही आया..
" में अभी देखता हु..."
ड्राइवर ने पेट्रोल चेक किया तो सारा पेट्रोल खत्म हो चुका था... और गाड़ी में से सारा पेट्रोल रास्ते पर लीक हो गया था..
तभी साजिद और उसके साथी वहा आ पहुंचे...
साजिद ने जोर से ड्राइवर के सिर पर डंडा मारा और ड्राइवर बेहोश हो गया..
फिर सभी गुंडों ने अखिल और मनीष को घेर लिया..
" तुम तो वही हो ना.. दिल्ली के सबसे बड़ा क्रिमिनल...? " मनीष ने उसे पहचान लिया था..
" गलत... में क्रिमिनल नही दिल्ली का सबसे बड़ा डॉन हु..."
" देख साजिद.. हमारी तुमसे कोई दुश्मनी नहीं है.. तुम यहां क्यों आए हो ? "
" अखिल मल्होत्रा.. तुमसे मेरी कोई दुश्मनी नहीं है पर किसी और की है ... और उसने हमे यहां तुम्हे लाने के लिए भेजा है जो हम करके ही रहेंगे..."
" देख साजिद तुम्हे जितना पैसा चाहिए उतना ले ले पर भाई साब को जाने दे..."
" ए तेरे भाई साब अकेले नही तू भी हमारे साथ ही आ रहा है चलो रे...."
साजिद ने इशारा किया और दो आदमी ने क्लोरोफॉर्म वाला रुमाल अखिल और मनीष को सूंघा दिया...
कुछ ही सेकंड में दोनो बेहोश हो गए...
उन्होंने दोनो को गाड़ी में डाला और वहा से निकल गए...
अनिरूद्ध और सौरभ घर आ चुके थे...
आठ बज चुके थे पर मनीष और अखिल के अब तक घर ना आने से अनुराधा जी और दादी चिंतित थी...
साढ़े आठ बजे अनिरुद्ध , संजना , और सौरभ डिनर के लिए होल में आए ..
" अरे मोम .. पापा और चाचू कहा रह गए बुलाइए उनको डिनर के लिए..." सौरभ ने डाइनिंग टेबल पर बैठते हुए कहा..
" तुम्हारे पापा और चाचू अभी तक आए नही है.. और फोन भी नही उठा रहे..." अनुराधा जी ने परेशान स्वर में कहा..
" क्या पर वो लोग तो हमारे पहले ही सात बजे निकल चुके थे....." अनिरुद्ध ने आश्चर्य के साथ कहा...
" क्या पता कोई काम आ गया हो...! " संजना ने सजेस्ट करते हुए कहा..
" एक मिनिट में फोन करके पूछ लेता हु..." सौरभ ने कहा और ऑफिस में फोन लगाया...
कुछ मिनिट फोन पर बात करने के बाद उसने मायूस होकर फोन रख दिया..
" क्या कहा उन्होंने..." दादी ने तुरंत पूछा..
" दादी उनका कहना है की वो लोग तो सात बजे ही निकल चुके थे...."
" सौरभ मुझे कुछ तो गड़बड़ लग रही है...." अनिरूद्ध को अब चिंता होने लगी थी...
" आंटी... वैशाली चाची कहा है ? " संजना ने इधर उदार नजर करते हुए पूछा
" वो तो अपनी सहेलियों के साथ बाहर गई है .." दादी का कहते हुए मुंह बिगड़ गया था
" लो चाची आ गई..." सौरभ ने दरवाजे की तरफ देखते हुए कहा..
" क्या हुआ.. आप सब लोग ऐसे क्यों घूर रहे है मुझे ..? "
" तुझे कुछ परवाह है मेरे बेटे की...? तुम्हारा पति घर वापस नही आया है.. और कहा है क्या कर रहा है कुछ भी पता नही है और तुम हो की बाहर मजे करके आ रही हो.. ? " दादी ने वैशाली पर चिल्लाते हुए कहा...
" क्या मनीष घर नही आया ? शायद कही बाहर गया होगा पार्टी करने.. आ जायेगा..." कहते हुए वैशाली जाने लगी...
" रुको चाची आप जरा साइड में आयेंगे मुझे आपसे कुछ बात करनी है..." अनिरूद्ध कड़क आवाज में बोला.. उसके चहेरे पर गुस्सा साफ नजर आ रहा था...
अनिरूद्ध की आवाज सुनकर वैशाली डर गई...
" में भी आती हु ..." संजना भी कड़क आवाज में बोली..
" और में भी..." अब की बार सौरभ बोला..
इन सब की ऐसी आवाज सुनकर वैशाली की घबराहट और बढ़ गई..
" हा हा चलो..." वैशाली घबराहट के साथ बोली...
एक कमरे में वैशाली अनिरुद्ध संजना और सौरभ खड़े थे...
" चाची ... मनीष चाचू और अखिल अंकल कहा है ? " अनिरूद्ध ने शांत आवाज में कहा.
" बेटा मुझे कैसे पता होगा वो कहा है.. में तो अभी आई हु..."
" चाची ज्यादा भोली मत बनिए.. आप सब जानती है..." सौरभ की आवाज अब की बार कुछ ऊंची हो गई थी..
" ये क्या कह रहे हो.. में सच में नही जानती..."
" चाची हमे सब पता है.. की आप ने क्या क्या किया है.. आप हमे बता दीजिए नही तो हम आपकी सारी करतूत .. सब को बता देंगे..." अनिरुद्ध ने धमकी देते हुए कहा..
" ए अब तू मुझे धमकी दे रहा है ? में कौन हु ये तो जनता है ना ? "
" चाची अनिरुद्ध और हम सब जानते है की आप कौन है... एक धोखेबाज पत्नी... "
संजना ने आंखे दिखाते हुए वैशाली से कहा..
" ए लड़की... ये ये क्या बोल रही है.. में कोई धोखेबाज नही हूं..."
" शांत संजू... देखो चाची में जानता हु की आप मोनाली के साथ मिली हुई है.. अगर आपने हमे नही बताया तो आप सोच भी नही सकती की में क्या कर सकता हु.. आप मुझे इतना तो जानते है की में अपने अंकल और चाचू के लिए किस हद तक जा सकता हु..." अनिरूद्ध ने गुस्से में कहा..
वैशाली चाची के सामने अनिरुद्ध का यह रूप देखकर सौरभ भी शॉक्ड था..
" सच में बेटा मुझे इस बारे में कुछ नही पता.. "
" अनिरूद्ध मुझे लगता है चाची सही कह रही है..."
" ठीक है संजू... चाची आप एक काम करिए अभी मोनाली को कोल कीजिए और उसे पूछिए की उसने अखिल अंकल और चाचू को कहा रखा है ! "
" ठीक है ठीक है में करती हु..."
वैशाली ने घबराते हुए मोनाली को फोन लगाया..
" में जानती ही थी की तुम्हारा फोन जरूर आएगा.. चलो अब फोन उसे दो..." मोनाली ने फोन उठाते ही तुरंत कहा..
वैशाली ने फोन अनिरुद्ध को दिया..
" मोनाली कहा है मेरे अंकल और चाचू ?" अनिरूद्ध चिल्लाया...
" कुल अनिरुद्ध... एक काम करो थोड़ा ठंडा पानी पिलो..."
" शट अप... मोनाली.. में इस वक्त जरा भी तुम्हारी बकवास सुनने के मूड में नहीं हू.. "
" ओके .. चलो अब तुम्हे बता ही देती हु.. तुमने सही समझा .. तुम्हारे अखिल अंकल और मनीष चाचू मेरे ही पास है...तुम उन्हे ढूंढकर यहां आके छुड़ा लो..."
" इस बार में तुम्हे नही छोडूंगा... मोनाली... तुमने मेरे परिवार पर बार किया है.. तुम्हे तो में पाताल से भी ढूंढ निकालूंगा..."
" नही नही अनिरुद्ध पाताल तक जाने की जरूरत नहीं है क्या है ना उसमे जरा ज्यादा टाइम चला जायेगा.. चलो में ही तुम्हे एड्रेस दे देती हु तो.. लिखो... स्टेनलेस स्टील फैक्टरी न्यू दिल्ली.. पुराने पुल के पास.. और सुनो.. तुम और वो लॉलीपॉप क्या नाम है उसका .. हा सौरभ तुम दोनो ही आना.. पुलिस को लाए तो तुम्हे सिर्फ इनकी लाशे मिलेगी... यहां" कहकर मोनाली ने फोन कट कर दिया..
" मुझे लॉलीपॉप कहती है.. छिपकली कही की .. ओह मुझे उस पर बहुत गुस्सा आ रहा है.. आज जाकर में उसके बाल ही काट देता हु..." सौरभ ने अपने दांत कचकचाते हुए गुस्से से कहा..
" चलो सौरभ चलते है.." अनिरूद्ध बिना कुछ सोचे वहा जाने के लिए तैयार था..
" पर अनिरुद्ध ..."
" संजू नही.. तुम मेरे साथ नही आओगी.. ना ही पुलिस आएगी.. में और सौरभ ही जायेंगे धेट्स फाइनल..."
कहते हुए अनिरुद्ध बाहर आ गया..
" दादी ... आंटी में वादा करता हु की किसी को कुछ नही होने दूंगा.. सब को सही सलामत वापस लाऊंगा..." अनिरूद्ध ने अनुराधा जी और दादी का हाथ पकड़ते हुए कहा..
" हमे तुम पर पूरा भरोसा है..."
" संजू तुम दादी और आंटी का खयाल रखना .. में चलता हु..."
" हा और तुम भी अपना खयाल रखना..." कहते हुए संजना की आंखे भर आई थी..
फिर अनिरुद्ध और सौरभ मोनाली के कहे एड्रेस पर जाने के लिए निकल चुके..
( हैलो दोस्तो.. अगर आपको कहानी पसंद आ रही है तो आप कमेंट्स करके जरूर मुझे बताना .. काम की वजह से पार्ट्स अपलोड करने में देरी हो जाती है तो प्लीज इस एक बात को नजर अंदाज कीजियेगा.. आपके सपोर्ट की बहुत जरुरत है मुझे 🥺)
🥰 क्रमश: 🥰