Ramsetu in Hindi Film Reviews by Jitin Tyagi books and stories PDF | रामसेतु फ़िल्म समीक्षा - रामसेतु

Featured Books
Categories
Share

रामसेतु फ़िल्म समीक्षा - रामसेतु

हम तो राष्ट्रवादी तड़का लगाकर हिंदुओ के ऊप्पर फ़िल्म बनायेंगे चाहे फ़िल्म कैसी भी बनें। चाहे कहानी हमारे पास हो या ना हो, लेकिन हम फ़िल्म बनायेंगे। क्यों भाई, आप लोग बीमार हो क्या, जो धार्मिक राष्ट्रवाद के नाम पर कुछ भी दिखाओगे और दर्शक इतने पागल हैं। कि कुछ भी देखेंगे। इससे बेकार फ़िल्म मैंने अपनी ज़िंदगी में नहीं देखी। कुछ भी चल रहा हैं। फ़िल्म में, कहीं भी एक्शन हो रहा हैं। भाग रहे हैं।, तैर रहे हैं। अरे पहले चार-पाँच लोग बैठकर तय करलो की दिखाना क्या हैं। फ़िल्म देखते वक़्त ऐसा लगेगा जैसे हर सीन अलग डायरेक्टर ने फ़िल्माया हैं।

जैसे- एक सीन में बताया जाता कि अक्षय बहुत बड़ा आरकोलोगिस्ट हैं। और अगले सीन में एक 2bhk फ्लैट में कुकर में सीटी लगा रहा हैं। इस बन्दे का घर फाइव स्टार होटल की तरह लगता हैं। अब कोई बातये की हमारे देश मे कब से आरकोलोगिस्ट इतना पैसा कमाने लगे।

कहानी; सरकार ने एक कम्पनी के साथ मिलकर रामसेतु को तोड़ने के लिए सेतु समुंद्रम प्रोजेक्ट चला रखा हैं। और सेतु राम ने नहीं बनाया इस बात को प्रूफ करने के लिए आरकोलोगिस्ट अक्षय कुमार को हायर करते हैं। जो एक बहुत बड़ा नास्तिक हैं। बस इसके बाद फ़िल्म में वो होता जिसे कोई भी सोच सकता हैं। लेकिन सोचना नहीं चाहता। क्योंकि उसे फिर खुद से घिन्न हो जाएगी। कि मैं ऐसा कैसे कर सकता हूँ।

एक्टिंग; कौन कितनी खराब एक्टिंग करेगा। ये इस फ़िल्म की मैन थीम थी। अक्षय ने ऐसी एक्टिंग की हैं। जैसे कोई ऐड शूट कर रहा हो, जैकलीन ने वो ही किया हैं। जो वो करती हैं।, और बाकी लोगों को जगह ही नहीं मिली, वो बस अक्षय जो करेंगे उसे या तो सपोट करने के लिए हैं। या विरोध

डायरेक्शन; ऐसी-तैसी की नई परिभाषा अगर किसी को चाहिए। तो उसे इस फ़िल्म को देख लेना चाहिए। पूरी फिल्म में कैमरा हिल रहा हैं। यू तो फ़िल्म 350 करोड़ की हैं। पर इसे अच्छे सीन लोग अपने कैमरे में सूट कर लेते हैं। vfx कितना बेकार हो सकता हैं। इस बात को ये फ़िल्म अच्छे से बताती हैं। औऱ मिशाल कायम करती हैं। vfx कम्पनी वालों के लिए की जब भी लगे की तुम्हारें काम में कोई कमी हैं। तो मुझे देखो।

यू तो फ़िल्म में दुनिया भर के सेतु प्रोजेक्ट पर काम करने वाले एक्सओर्ट दिखाए हैं। पर उन सबको एक्सपर्ट का e भी नहीं पता, सब कुछ अक्षय कुमार कर रहा हैं। क्यों कर रहा हैं। क्योंकि 100 करोड़ रुपए लिए हैं।

पूरी फिल्म में हेलिकॉप्टर कहाँ से कब आ जाते हैं। किसके हैं। इसके बारें सोचना सेहत के लिए बुरा हो सकता हैं। और सबसे बड़ी बात अक्षय कुमार हमेशा एक हेलीकॉप्टर फाड़ देगा। अरे भई कैसा आरकोलोगिस्ट हैं।

संवाद; स्क्रीनप्ले हो फ़िल्म में तो संवाद भी हो, इस फ़िल्म के संवादों से अच्छी गली-नुकड़ो पर होने वाली बात लगती हैं। उदाहरण के लिए- सेतु का वैज्ञानिक प्रमाण क्या हैं।

हमें खोजना हैं।

चलो चलते हैं।

अब खुद ही सोचलो ये डायलॉग हैं।


अंतिम रूप से मैं ये ही कहना चाहूंगा की आजकल सबको शौक चढ़ गया हैं। कि हम बड़े बजट की फ़िल्म बनायेंगे। जो हमारे राष्ट्रीय गौरव को स्थापित करेंगी। तो भैया ऐसा मत बनाओकुछ भी, क्योंकि ये फ़िल्म केवल एक महंगे जोक से ज्यादा कुछ नहीं हैं। पूरी फ़िल्म का सबसे बकवास सीन हाथ में पत्थर लेकर चलना। वहाँ पर ऐसा मन करेगा। कि बस बाहर चलूँ थिएटर से की इस मजाक को देखने के लिए मैंने पैसे खर्च किये थे। तो मेरी दरख्वास्त ही समझलो की गलती से भी मत देखने जाना, क्योंकि इस फ़िल्म को बनाने और इसमें काम करने वाले दोनों ही तरह के लोगों को राम क्या कुछ पता नहीं, लेकिन फ़िल्म ऐसे बनाई हैं। कि बस यहीं से राम के नाम की नई धारा निकलेगी।