Apang - 68 in Hindi Fiction Stories by Pranava Bharti books and stories PDF | अपंग - 68

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अपंग - 68

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एक बार फिर से गाड़ी पटरी पर आने लगी लेकिन अभी सब कुछ बीच में था | जब तक भानु को राजेश से छुटकारा नहीं मिलता तब तक वह असहज थी ही |

"बेटा ! अब मुझे भी कुछ अकेला और थका हुआ लगने लगा है |सेठ जी के बाद में किसी से सलाह लेना मुश्किल हो रहा है | फ़ैक्ट्री के लिए किससे सलाह लूँ --? अब जबसे तुम आ गई हो, तुम्हें एक बार सब खोलकर समझा दूँ तो ---" दीवान जी ने कहा |

"अंकल ! एक ज़रा वहाँ से फ़्री हो जाऊँ तब यहीं रहूँगी न --ज़रा दिमाग़ बेकार की बातों से हट जाए ---" भानु ने कहा |

"वैसे भी अंकल, अब काम को संभालना है, बढ़ाना नहीं है ---पैक-अप करने में कितना समय लगता है कभी तो पैक-अप करना ही पड़ेगा |"

"सेठ जी को लगता था कि फ़ैक्ट्री से कई लोगों का पेट भरता है, इसी चक्कर में काम बढ़ता ही रहा लेकिन तुम्हारा कहना भी ठीक है ---"

अगले ही दिन रिचार्ड का मैसेज आ गया कि उसके केस की फ़ाइनल डेट आ गई है | उसका 'सेपरेशन पीरियड' पूरा हो चुका था | अब आख़िरी सुनवाई होने वाली थी | भानु और बच्चे को कोर्ट में हाज़िर होना पड़ेगा | रिचार्ड ने वहीं से ही सब इंतज़ाम कर दिए थे |लाखी को माँ-बाबा के बाद पहली बार लाखी को अकेले छोड़कर जाना पड़ रहा था | लाखी अब उसकी ज़िम्मेदारी थी| उसने पुनीत की पुरानी आया और खाना बनाने वाली महराजिन से लाखी का ध्यान रखने के लिए कह दिया |

टिकिट्स आदि उसके पास पहुँच गए और भानु बच्चे के साथ न्यू जर्सी पहुँची | रिचार्ड हर चीज़ से तैयार था |भानु का एपार्टमेंट था ही, जैनी रिचार्ड के घर काम करने लगी थी |वह ऑफ़िस का भी काफ़ी काम संभालती | वह वहाँ के लिए नई नहीं थी | भानु और पुनीत के आने से पहले ही वह एपार्टमेंट को व्यवस्थित कर चुकी थी |

पुनीत ने जैसे ही जैनी को देखा, भागकर उससे जा लिपटा | जैनी ने उसकी माँ बनकर उसे पाला था | वह पुनीत को बहुत मिस कर रही थी, उसे देखकर खिल उठी |

वैसे भानु को अब केस को लेकर कोई परेशानी नहीं थी बस बार-बार यही नहीं भूल पाती कि जिस झूठी मर्यादा के कारण वह बेवकूफियाँ करती रही, वे ही उसे ठेंगा दिखा गईं थीं | कैसा बेवकूफ़ बनता है आदमी, कई बार अपने आपसे, अपने कर्मों से ही | वह जैसे बीच में त्रिशंकु सी लटककर रह गई थी | न इधर की, न ही उधर की !

कोर्ट में पुनीत से पूछा गया ;

"हू इज़ योर मॉम ---?" सामने कई स्त्रियाँ थीं |

पुनीत ने भानुमति के सामने उंगली से दिखा दिया --"

"एंड डैड ? "

"इज़ दैट योर डैड ?" राजेश की ओर देखकर पूछा गया |

" मि. रिचार्ड टोल्ड मी, ही इज़ माई डैड बट आई डोंट थिंक--"बच्चे ने बड़ी उत्तर दिया |

"व्हाई ?"

"ही इज़ ए बैड पर्सन, ही कैन नॉट बी माई डैड --"बच्चे के ऊपर

"एंड हू इज़ मि. रिचार्ड ?" कोर्ट छोटे बच्चे पर सवालों का बोझ डालती जा रही थी |

"ही इज़ माई डीयरेस्ट एंड नीयरेस्ट अंकल, आई लव हिम ---"

छोटे से बच्चे की बात सुनकर जज भी प्रभावित हुए बिना न रह सके | बच्चे से कुछ और प्रश्न पूछे गए | जज साहब कुछ नोट करते रहे | फिर उन्होंने भानुमति से पूछना शुरू किया | कुछ बातें, पास्ट-हिस्ट्री जानने के बाद जज किसी निर्णय पर पहुँच रहे थे | उन्होंने फिर भानुमति से पूछा "डू यू वॉन्ट सम रेम्युनरेशंस ---?"

"नो--सर---" उसने उत्तर दिया |

जज ने राजेश और उसके वकील से भी काफ़ी बात की, रुक भी उसके साथ थी | इसमें तो कोई विरोध किया नहीं जा सकता था कि वह रुक के साथ क्यों रहता है ? उसने पहले ही न जाने कितने झूठे इल्ज़ाम भानुमति पर थोप रखे थे | पूरी बातें समझने के और प्रमाणों के मिलने के बाद, जज ने भानु की परिस्थिति समझी और दूसरी हीयरिंग में उसका तलाक का कागज़ उसके हाथ में था | राजेश को झूठे आरोप लगाने के लिए ख़ासा दंड भरना पड़ा था |

भानुमति इस सबसे तो मुक्ति प् गई थी लेकिन न जाने क्यों उसका मन अब यहाँ नहीं लग रहा था | बहुत बहुत असहज महसूस कर रही थी वह !उसने रिचार्ड से भारत जाने की बात की, आख़िर उसे वहाँ का सब-कुछ देखना था, संभालना था सारा काम !

"लाखी को भी एक तरह से इतने बड़े घर में अकेली छोड़कर आई हूँ, मुझे जितनी जल्दी हो वापिस जाना होगा |" भानु ने रिचार्ड से कहा |

रिचार्ड न जाने कबसे उससे अपने मन की बात कहना चाहता था लेकिन तब एक बंधन था, संभव ही नहीं था | अब उसने साहस करके पूछ ही लिया ;

"क्या मैं अब मैरेज प्रपोज़ल रख सकता हूँ ?" शाम के समय कॉफी के समय उसने अपने आपको खोल ही दिया |

भानु जानती थी लेकिन जब रिचार्ड ने उसके सामने प्रस्ताव रखा, वह गुम सी होकर असहज हो गई | उससे कोई उत्तर ही नहीं दिया गया | उसकी आँखें फिर से भीगने लगीं थीं |

"इट्स ओके भानु---कोई प्रैशर मत लो --" बहुत समझदार और विवेकी था रिचार्ड --लेकिन वह एक ऐसा कमज़ोर आदमी हो चुका था जिसे भानु की ज़रुरत थी, उसके मन की, उसके साथ की, उसके तन की भी !

"इट्स ओके प्लीज़ डोंट क्राई ---आई एम् ऑलवेज़ विद यू ---|" भानु उसके सीने से लग गई जैसे किसी बच्चे को कोई सहारा मिल जाता हो |

भानु की इच्छानुसार रिचार्ड ने एक सप्ताह में उसका बच्चे के साथ भारत लौटने का इंतज़ाम कर दिया |

भानु पुनीत के साथ भारत लौट आई |