Hotel Haunted - 28 in Hindi Horror Stories by Prem Rathod books and stories PDF | हॉंटेल होन्टेड - भाग - 28

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हॉंटेल होन्टेड - भाग - 28

में घर से निकला और कॉलेज की तरफ चल दिया,चलते-चलते बस दिमाग में कुछ अतीत के पल घूम रहे थे हमेशा से भाई मुझसे ऐसे ही rude रहते आया है, वजह तो में जानता हु, लेकिन माँ हमेशा कहती हैं की में उनका अपना हु, पर भाई इस बात को नहीं मानता,लेकिन मैं जानता हूं एक दिन वो मुझे खुद अपना कहेगा, मुझे विश्वास है और इंतजार है उस दिन का...बस जिंदगी की कुछ बातों को सोचते हुए सफर कब कट गया पता ही नहीं चला और मैं कॉलेज पहुंच गया ...... रोज की तरह कॉलेज कैंपस में students की भीड़ थी, मेने घडी देखी तो मेरी क्लास का टाइम हो रहा था, में तेज़ी से चलता हुआ क्लास में जा पहुंचा, बस
में जैसे ही क्लास में पहुंचा,मेरे कदम वही रुक गए, कुछ पल में ऐसे ही खड़ा सामने देखता रहा।


"श्रेयस, क्या सोच रहा है वहा खड़ा खड़ा है" तभी मेरे कानो में मिलन की आवाज पड़ी तो में होश में आया और क्लास में हो रहा शोर सुनाई दिया... "नहीं कुछ नहीं यार" मेंने अपना चश्मा ठीक करते हुए कहा..."चल आजा... मिस आनेवाली होंगी" उसकी बात सुन के में अपनी सीट की तरफ चल दिया, मेरी नज़र भाई
पे पड़ी जो अपने दोस्तों के साथ बातें कर रहा था, मेने उस तरफ से नज़र हटाई और सीट पे बैठा गया।
"हेलो श्रेयस कैसे हो?"
"हेल्लो श्रुति, में बढ़िया तुम कैसी हो?" मिलन के बगल में बैठी श्रुति से मेने हाथ मिलाते हुए कहा...
"मैं भी बिलकुल ठीक" हर बार की तरह उसे अपना चश्मा ऊपर किया और अपनी प्यारी सी आवाज में कहा...
श्रुति :- "मिलन तुमने डिजाइन बना लिया जो मिस ने आज लाने को कहा था"
"नहीं श्रुतिजी समझ ही नहीं आया, मिस ने कहा था की कुछ अलग होना चाहिए, मेने ख़ूब सोचा पर मुझे मिला ही नहीं, 2 रात से सोया नहीं, परेशान हो गया हूं "मिलन ने अपने सर पे हाथ रखते हुए कहा।



"कोई बात नहीं मिलन इसमे इतना परेशन होने की जरूरत नहीं है मिस को समझा देना "कहते हुए श्रुति अपना हाथ उसके कंधे पर रख दिया।तभी क्लास में एक आवाज गुंजी, जिसे सुनकर सबका ध्यान उस ओर गया।
"गुड मॉर्निंग क्लास....." क्लास में साड़ी पहनने यंग एज की लेडी ने class मैं enter किया।
"गुड मॉर्निंग मिस Jenny" सब Students उन्हें Greet किया।
Jenny :- " so class आज आप सब मुझे वो Design दिखने वाले हैं जिसके लिए मैने 1 week का टाइम दिया था,I hope आप सब अपने पुरा कर लिया होगा" मिस Jenny के कहते ही सारे Students एक दूसरे की शकल देखने लगे, सामने बैठी Jenny सबके चेहरे देख रही थी, जब कोई नहीं बोला तो Jenny ही बोल पड़ी "हर्ष stand up और अपना
project लेके आओ मेरे पास "Jenny के कहते ही हर्ष अपनी सीट से खड़ा हो गया, "क्या हुआ show me your work "Jenny उस्की तरफ देखते हुए ऊंची आवाज में बोली....
"वो... वो मिस... पूरा नहीं हुआ" हर्ष ने Jenny की तरफ देखते हुए कहा।


Jenny :- "अच्छा तो जितना पूरा हुआ है वही दिखा दो"
"फस गया बेटा तू" हर्ष के साथ बैठा लडका हंसते हुए धीरे से बोला, पर तभी Jenny ने उसकी ओर देखते हुए कहा"स्टैंड अप अविनाश" Jenny की आवाज सुनते ही अविनाश की हंसी गायब हो गई और वो भी अपनी जगह पे खड़ा हो गया.....
"हाँ मिस..." घबराते हुए उसे अपनी नज़रे झूकाते हुए कहा..
"क्या हाँ मिस??, तुमने अपना काम पुरा किया की नहीं" Jenny ने इस बार गुस्से में कहा...
"वो... वो मिस अभी तक नहीं बना मिस" अविनाश ने डरते हुए अपनी बात पूरी की।
"Very Good, Final Project को तुम सबने बहुत हल्के में लिया है ना.....तो ठीक है 5 marks cut तुम दोनो के अब अगर 3 दिन के अंदर तुम सब ने मुझे वो सबमिट नहीं किया तो practical's में भी तुम्हारी खैर नहीं।


"सब के लिए कुछ बहुत अच्छा सोचा था पर अब लगता है मुझे वो प्लान भी cancel ही करना होगा, क्यूं की किसी को interest ही नहीं है "Jenny के चिल्लाने के बाद एक पल के लिए सब शांत हो गए, पूरी क्लास में कुछ देर के लिए कोई हल-चल नहीं हुई फिर पूरी क्लास में एक Student अपनी सीट से धीरे धीरे खड़ा हुआ ....
"मिस मेने एक डिजाइन बनाया है" श्रेयस ने अपना चार्ट देखते हुए कहा...."as expected मुझे लगा था तुम ही होंगे कम श्रेयस" Jenny ने बड़े प्यार से कहा वो उनके पास गया और अपना चार्ट खोल के उनकी टेबल पे रख दिया, चार्ट पे बने डिजाइन को गौर से देखने लगी
Jenny :- "ह्म्म....impressive, तो तुम इसे describe कैसे करोगे "
"असल में मिस ये हाउस एक मूविंग हाउस है, इसके नीचे स्लाइडिंग प्लेट और व्हील्स लग्गी होंगी, जैसा की मैंने यहा show किया है, पर इसकी खास है ये है मिस की ये घर 4 पार्ट्स में divide हो जायेगा और हर part opposite direction में move करेगा "मैंने इतना कहा की मिस ने मुझे रोक दिया..
Jenny: - "पर मूव करने की कोई वजह, या सिर्फ़ फैशन के लिए"
"मिस देखने वाले के लिए ये हाउस फैशनेबल होगा और अनोखा भी, पर मेरे लिए ये एक सेफ्टी हाउस है"
Jenny :- "सेफ्टी पर कैसे?"
"Earthquake से मिस, जब भी Earthquake आएगा तो यह प्लेट्स सभी Parts को cover कर लेगी और इस हाउस को बिलकुल भी नुक्सान नहीं होगा और ना ही इसमे रहने वाले को। "मेने पूरी surety से कहा..
Jenny :- "और वो कैसे"
"मिस, मूविंग होने की वजह से, जब भी भूकंप आएगा तो इसमे लगा device activate हो जाएगा, जिस्से घर अलग अलग पार्ट में डिवाइड होते ही wheels बाहर आ जाएंगे और सारा weight divide हो जायेगा।"


Jenny :- "Excellent श्रेयस, Brilliant Work"
"Thank You miss" मेने अपना चार्ट वापीस लिया और अपनी सीट पे चला गया "
"Student , अभी अपने श्रेयस के इस यूनिक आर्किटेक्ट को देखा, बस आप सभी को भी यहीं करना है, एक सिंपल से आइडिया लेके उसमे कुछ क्रिएटिविटी दिखा के उसे यूनिक बनाना है, वो सिंपल भी होगा तो चलेगा,पर ऐसा होना चाहिए की जिसे देख कर सामनेवाले को आपकी थिंकिंग में कुछ creativity लगे, यह इतना मुश्किल भी नहीं है जितना आप सब को लग रहा है, अब आप सब को आइडिया मिल गया है तो मुझे अगले 3 दिन में सबमिट करें कर देना और अगर किसी को मदद चाहिए तो वो श्रेयस से मदद ले सकता है
"सब ने मिस Jenny की बात सुन के हामी भरी....
"और तुम हर्ष, कुछ सिखो अपने भाई से एक घर में रहते हो कम से कम अगर तुम्हें कुछ समझ नहीं आ रहा तो इसकी हेल्प ही ले लिया करो, सिट डाउन "Jenny ने हर्ष को ये बात कही तो उसके चेहरे पे एक अजीब सा गुस्सा छा गया, वो अपनी सीट पे तो बैठा पर उससे यह बात बरदाश्त नहीं हो रही थी।


श्रेयस मिस की बात सुन के हर्ष की तरह देखने लगा, वो जानता था, इस बात पे हर्ष को गुस्सा आयेगा ही'पता नहीं हर बार ऐसा क्यूं होता है की में कुछ अच्छा करता हूं उसका उल्टा असर ही पड़ता है' वह खुदको blame कर रहा था......उसके बाद 2 घंटे क्लास चली और फिर सब फ्री हो गए आज की क्लास खतम हो चुकी थी, लेकिन में मिलन और श्रुति को बनाया हुआ डिजाइन समझा रहा था।
मिलन :- "सच में यार बहुत अच्छा आइडिया था"
"नहीं.....मेरा नहीं मां का आइडिया था, उन्होन ही मुझे आइडिया दिया था, नहीं तो मुझे भी समझ नहीं आ रहा था की क्या बनाऊं।"मैंने मस्कुराते हुए कहा..
श्रुति :- "आंटी तो है ही ग्रेट"
"हम्म...माँ जो है" में इतना कह ही रहा था की तबी में देखा की भाई अपने दोस्तों के साथ क्लास से बाहार जा रहा है .... मैं अपनी सीट से उठा और उसके पास पहुंचते हुए कहा"भाई....." मेरी आवाज सुन के वो रुक गया और मुझे देखने लगा...



"हां बोल, क्या बोलना है" उसके बड़े ही तीखे लेहजे में कहा..
"वो भाई... आज सुबह मां से अपने ऐसे बोला तो वो थोड़ी अपसेट हो गई थी, तो मेने सोचा की आगर आप उन्हे घर जाके सॉरी बोल दो तो शायद वो अच्छा महसूस करे "मैं बस कह ही रहा" था की भाई ने मुझे रोकते हुए कहा
"तू कौन होता है, मुझे बताते वाला" हर्ष ने चिल्लाते हुए कहा जिस्से पूरी class का ध्यान दोनो पे आ गया।
"पर भाई......" मैंने बस इतना ही कहा की उसे मुझे रोक दिया, "देख बेटा, तू जितना ये मासूम बनता है ना सबके सामने......वो मेरे सामने ना बना कर, सब खूब समझता हुं तुम जैसे को, घर में क्या रख लो तो औकात भूल जाते हो तुम, वो मेरी माँ है मेरी, मैं उन्हें अच्छी तरह समझता हुं तू नहीं समझा"गुस्से में उसे मुझे ऊंगली दिखते हुए कहा...
"लेकिन भाई में तो बस...." में इतना ही कहा था की उसने फिर मुझे रोक दिया"चुप कर, मुझे कुछ नहीं सुनना,तू अपने काम से मतलब रख समझा और मुझे समझाने की जरुरत नहीं है, वो तेरी नहीं मेरी माँ है, इसलिए मुझे पता है की मुझे क्या करना है "उसने इतने गुस्से में ये बात कहीं की में इसके आगे कुछ नहीं बोल पाया, बस ऐसे ही खड़ा रहा।


"चल ना यार तू भी क्या इसकी वजह से अपना मूड खराब कर रहा है, चल आजा" अविनाश ने हर्ष का हाथ पकड़ा और उसे क्लास के बहार ले जाने लगा "अनाथ कहीं का..." जात्ते जात्ते भाई ने वो शब्द के दिया, जिस सुन के एक पल के लिए में टूट गया, दिल का गहरा दर्द आँखों में भर आया, इस शब्द को सुन के ऐसा लगता है मानो में कोई ज़िंदा नहीं बल्कि एक मरा हुआ इंसान हु। चश्मे के पीछे छुपी आंखें में शायद ही कोई इस तकलीफ को देख पता इसीलिए मेने बिना किसी की तरफ देखे अपनी सीट से bag उठाया और क्लास से चला गया।
"ये हर्ष ऐसा क्यूं है" श्रुति ने श्रेयस के जाने के बाद मिलन से पुुछा
"पता नहीं श्रुति, शायद एक अच्छे इंसान को कोई ढंग से नहीं पहचान पाता,पर एक दिन हर्ष को जरूर इस बात का एहसास होगा।"मिलन ने बेहद सॉफ्ट टोन में श्रुति कि तरफ देखते हुए कहा।
"जिंदगी की सबसे बड़ी चोट क्यों अपने ही दे जाते हैं" में डायरी में इतना ही लिखा और सामने कुदरत के उस हसीन नज़ारे को देखने लगा।


To be Continued.......