Kahani Pyar ki - 38 in Hindi Fiction Stories by Dr Mehta Mansi books and stories PDF | कहानी प्यार कि - 38

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कहानी प्यार कि - 38

अपनी डेट बहुत अच्छी तरह से एंजॉय करके संजना और अनिरुद्ध रेस्टोरेंट से बाहर आए...

दोनो अपनी कार की तरफ जा ही रहे थे की पीछे से मोनाली ने आवाज लगाई..

" हेय हेंडसम.....! "

यह आवाज सुनते ही अनिरुद्ध और संजना पीछे की तरफ मुड़े...

" मोनाली को देखकर अनिरुद्ध को बहुत गुस्सा आया..

" तुम ? " अनिरूद्ध ने आश्चर्य के साथ कहा..

" या .. में... क्यों नही पहचाना ? "

" तुम्हें में कैसे भूल सकता हु..."

" हम.. सही कहा और भूलना भी मत.. वैसे ये संजना है राइट... नोट बैड... गुड चॉइस... अनिरूद्ध... हाय संजना.. में मोनाली.. अनिरूद्ध ने शायद तुम्हे मेरे बारे में बताया ही होगा..."

मोनाली संजना के नजदीक आती हुई बोली..

" स्टे अवे फ्रॉम माय वाइफ..." अनिरूद्ध ने गुस्से में कहा..

" वोह..! इतना प्यार .. आर यू लकी संजना..."

" तुम्हे इस बारे में कुछ कहने की जरूरत नहीं है ... जितना हमसे दूर रहोगी उतना तुम्हारे लिए अच्छा होगा..! "

" यार तुम्हें मुझसे प्रोब्लम क्या है.. हर बार मेरे साथ ऐसे उखड़े उखड़े क्यों रहते हो .."

" इसका जवाब मुझे तुम्हे बताने की जरूरत है क्या ? "

" वाटेवर... देखो अब बहुत सुनली मैने तुम्हारी बकवास कुछ काम की बात करने आई हु वो करे ? "

" काम की बात तो मुझे भी कई दिनों से तुमसे करनी है ... सो टेल मि... यहां दिल्ली क्यों आई हो...? "

" सच बताऊं ? बुरा तो नही मानोगे ना....? "

" बताओ...! "

" तुम्हे अपना बनाके के लिए...."

" मोनाली....! डोंट यू डेयर...." अनिरूद्ध गुस्से में चिल्लाया...

" कुल..अनिरूद्ध.. मजाक कर रही थी यार... "

" एक बात ध्यान से सुनलो इस बार तुम मुझे मेरे प्यार या मेरे दोस्तो से अलग करने आई हो ना .. तो वापस चली जाना.. मरना ऐसा हाल करूंगा ना की बाहर किसीको अपना मुंह नही दिखा पाओगी.."

" शट अप.. बहुत बोल लिया तुमने.. मुझे अब तुममें जरा सा भी इंट्रेस्ट नही है.. में तो सिर्फ तुम्हारा यह बिजनेस छीन ना चाहती हू..." मोनाली ने शैतानी मुसकुराहट के साथ कहा..

" ओह तो अब यह बिल्ली शेर की गुफा में घुसना चाहती है..! "

" कुछ ऐसा ही समझ लो... पर में ऐसा क्यों करना चाहती हू ये नही जानना चाहोगे...? "

" क्यों करना चाहती हो ? "

" मैने सुना है तुम्हारी कंपनी " ibrance" मेडिसिन को आधे दाम में लोगो को प्रोवाइड कर रही है ? "

" हा सही सुना तुमने.."

" और उसके लिए कई फार्माक्यूटिकल कंपनीज और गवर्नमेंट नई नई साजिश रच रहे है तुम्हारे खिलाफ.."

" इसे तुमसे क्या मतलब ? चाहे कोई भी साजिश क्यों ना करे पर में उसे किसी गलत हाथो में नही आने दूंगा.."

" पर वो मेडिसिन मेरे हाथो लग गई तो ...? "

" में ऐसा कभी नहीं होने दूंगा....समझी.."

" तो इसके लिए पहले तुम अपनी कंपनी को बचाओ.. क्योंकि अब में उसे छीनने वाली हूं... अपने शेयर्स संभलकर रखना... में तुम्हे एक वीक का टाइम देती हु .. बचा सको तो बचालो अपनी कंपनी को... क्योंकि इस एक वीक में तुम्हारी कंपनी की नई सी. ई . ओ में बनने वाली हु... रोक सको तो रोक लो.. यह मेरा ओपन चैलेंज है...तुम्हे "

बोलकर मोनाली जाने लगी.. तभी वो संजना के पास रुकी..

" और तुम.. बता देना तुम्हारी उस बहन किंजल को की मेरे करन से दूर रहे.. में जानती हु की वो करन से प्यार करती है ... पर करन सिर्फ मेरा है .. सिर्फ मेरा "

" ये धमकी किसी और को देना ..समझी... तुम कुछ नही कर पाओगी... ना ही तुम अनिरुद्ध से उसकी कंपनी छीन पाओगी.. ना ही किंजल को करन से दूर कर पाओगी.. क्योंकि में तुम्हे ऐसा करने ही नही दूंगी.. अब में तुम्हे.. ओपन चैलेंज करती हु की रोक सको तो मुझे रोक लो..."
संजना की आंखों में इतना कॉन्फिडेंट देखकर अनिरुद्ध भी हैरान था..

" ह ह... " मोनाली मुंह बिगाड़कर वहा से चली गई..

" वाह संजू...! क्या धमकी दी है तुमने... उसका तो मुंह ही बंध कर दिया..." अनिरूद्ध ने हस्ते हुए कहा..

" पर मुझे डर लग रहा है ... "

" जब तक हम दोनो साथ है वो हमारा कुछ नही बिगाड़ पाएगी.. ये मेरा भरोसा है.. हम दोनो साथ मिलकर इस मुश्केली का हल लायेंगे..."

" हा.. तुम सही कह रहे हो..."

फिर दोनो वापस घर के लिए निकल गए..

आज एक नई सुबह के साथ अनिरुद्ध , संजना , सौरभ , और किंजल एक साथ कमरे में बैठकर आगे क्या करना है उसके बारे में सोच रहे थे...

" देखो मुझे लगता है की हमे पहले मोनाली और करन को मिलने से रोकना होगा .. क्योंकि अगर दोनो साथ हो गए तो हमे हराना उनके लिए आसान हो जाएगा..."
संजना ने अपनी बात रखते हुए कहा..

" हम.. यू आर राइट संजू...और हमे यह भी नही भूलना चाहिए कि अथर्व भी मोनाली का साथ दे सकता है..." अनिरूद्ध ने कुछ सोचते हुए कहा..

" पर अनिरुद्ध तुमने तो कहा था की वो गलत काम में मोनाली का साथ कभी नही देगा..."

" हा संजू पर मोनाली अपने फायदे के लिए कुछ भी कर सकती है..."

" तो फिर हम क्या करे ? "

" सौरभ... यही तो सोचना है हमे..."

" कल मैंने करन से बात की थी.. करन ने कहा की वो अब भी मोनाली से प्यार करता है..."
किंजल की बात सुनकर सब मायूस हो गए..

" पर उसने ऐसा भी कहा की वो पहले मोनाली के लिए जैसा फिल करता था अब वो ऐसा फील नहीं करता है .."

" यस...! मतलब अब भी होप है..." संजना ने खुश होते हुए कहा..

" अरे ! इसमें क्या होप है ? " अनिरूद्ध को समझ नही आया..

" तुम समझे नही अनिरुद्ध... करन को लगता है की वो मोनाली से अब भी प्यार करता है पर ऐसा नहीं है.. वो अब मोनाली पर ट्रस्ट नही करता है .. "

" हा संजू .. मुझे भी ऐसा ही लगता है.. पर इससे हमे क्या ? "

" किंजल तू समझी नहीं.. करन अब मोनाली पर डाउट करने लगा है.. उसकी हर बात को वो आंखे बंध करके सच नही मानता है...और यही टाइम है मोनाली की सच्चाई करन के सामने लाने का..."

" हा संजू ये तो मैने सोचा ही नहीं.. और अब किंजल और करन दोस्त भी बन चुके है .. तो हमे कुछ आसानी भी होगी..." अनिरूद्ध ने मुस्कुराते हुए कहा..

" दोस्त बना है तो क्या हुआ वो अब भी वही करन है.. सिर्फ अपनी ही सुनता है किसी और की नही "

" आई नो किंजल.. में उसे अच्छे से जानता हु .. और में यह भी जानता हु की वो ऐसे ही किसी और को अपने मन की बात नही करता.. वो जिस पर भरोसा करता है उसको ही वो अपने बारे में सब बताता है.."

" इसका मतलब की करन किंजल पर भरोसा करने लगा है.. वाह.. तेरी तो निकल पड़ी .. किंजू... अभी दोस्ती हुई है फिर धीरे धीरे प्यार होगा.. फिर शादी होगी.. तेरी तो लाइफ सेट हो गई..." सौरभ ने मस्ती करते हुए कहा..

" शट अप लॉलीपॉप ..." किंजल ने तकिया सौरभ के मुंह पर मारते हुए कहा..

" आउच मार क्यों रही हो..."
तभी सब हसने लगे...

उस समय वैशाली कमरे के बाहर से आधी खिड़की खोलकर उन सबकी बाते सुनने की कोशिश कर रही थी..
तभी अनिरुद्ध को खिड़की के पीछे किसी के होने का अंदाजा हुआ..
" शी....चुप रहो.. शायद कोई हमारी बात सुन रहा है.. में अभी देखके आता हु..." बोलकर अनिरुद्ध.. धीरे से दरवाजे के पास गया और दरवाजा खोल दिया.. तो वैशाली खिड़की से थोड़ी दूर खड़ी हो गई..

" चाची आप यहां ? "

" वो में पूछने आई थी की आप लोगो को कुछ चाय नाश्ता चाहिए क्या ..? "

" चाची और चाय नाश्ता ? ये कब से हमारा ध्यान रखने लगी भला ..? " अनिरूद्ध को कुछ गड़बग लग रही थी..

" कोई बात नही में चलती हु.. " कहकर वैशाली वहा से जल्दी चली गई..

" ये इतना अजीब बिहेव क्यों कर रही थी...! "

बोलते हुए अनिरुद्ध भी अंदर आ गया .. और उसने खुली हुई खिड़की बंध करदी ..

" क्या हुआ अनिरुद्ध..? "

" कुछ नही संजू... वो वैशाली चाची थी कुछ काम था उन्हे..."

" ओके...."

" तो अब हमारा प्लान क्या है...? " सौरभ ने आतुरता से पूछा..

" मेरे पास एक प्लान है...सुनो..." संजना ने पूरा प्लान सब को समझाया..

" क्या तुम्हें लगता है ये वर्क करेगा...? "

" हा अनिरुद्ध जरूर करेगा..."

" तो सबसे पहले तुम मोनाली के उस बॉयफ्रेंड का पता लगाओ.. हम एक एक करके उसके सारे जूठ करन के सामने लाएंगे... और उतना ही करन का भरोसा मोनाली पर से कम होता जायेगा..."

" ठीक है संजना यह काम मेरा..." सौरभ ने कहा..

" और किंजल तुम जितना हो सके करन का भरोसा जीतो.. और उसका साथ दो.. क्योंकि इन सब से करन बहुत हर्ट होने वाला है और तब उसे तुम्हारे साथ की जरूरत पड़ेगी.. तुम उसे गलत रास्ते पर जाने मत देना.."

" हम.. में अपनी पूरी कोशिश करूंगी..."

" और अनिरूद्ध तुम जानते हो हम दोनो को क्या करना है .."

" हा.. "

" सो आर यू रेडी....? "

संजना ने अपना हाथ आगे बढ़ाते हुए कहा..

" रेडी..." सब ने संजना के हाथ में अपना हाथ रखते हुए कहा..

"सुनो मोनाली यह सब कुछ प्लान कर रहे है..." वैशाली ने मोनाली को फोन करके कहा.

" क्या प्लान कर रहे है...?"

" पता नही कुछ ठीक से सुनाई नही दिया पहले वो लोग करन और किंजल और तुम्हारे बारे में कुछ बोल रहे थे की अब उसका भरोसा तुम पर से कम हो गया है ऐसा कुछ....फिर उन्होंने मुझे देख लिया तो मुझे वहा से जाना पड़ा.."

" शीट...तुम जो भी करो ध्यान से करो... और पता लगाओ उन्होंने क्या प्लान बनाया है.."

तभी अनिरुद्ध वही से चलके जा रहा था तो वैशाली से टकरा गया और वैशाली के हाथ से फोन नीचे गिर गया..

" आई एम सोरी चाची .. में अभी उठा देता हु..." अनिरूद्ध फोन उठा ही रहा था की..वैशाली ने फट से नीचे गिरा मोबाइल उठा लिया..

तभी अनिरुद्ध को ऐसा लगा की जैसे उसने फोन की स्क्रीन पर मोनाली का नाम देखा..

" लाइए चाची में चेक कर देता हु कही फोन बंध तो नही हो गया , या कोई क्रैक तो नही आ गई? "

" नही नही बेटा फोन एकदम ठीक है तुम जाओ.." वैशाली ने फोन पीछे करते हुए कहा..

" बेटा ? ये चाची को क्या हो गया है... इतने भारी भारी वर्ड्स क्यों बोल रही है..? " अनिरूद्ध को फिर से कुछ अजीब लगा..

वो कुछ आगे कहे उससे पहले वैशाली वहा से जा चुकी थी.. फिर अनिरुद्ध भी उस पर ज्यादा ध्यान ना देकर अपने काम के लिए चला गया...


किंजल ऑब्रॉय मेंशन से घर के लिए जा रही थी.. तभी उसके फोन पर करन का कोल आया..

" हेलो..! "

" हाय किंजल..."

" हाय करन.. "

" वो मुझे तुमसे कुछ कहना था..."

" हा बोलो ना..."

" थैंक यू....."

" व्हाट ? क्या मैने अभी जो सुना वो सच था ? "

" ज्यादा नाटक मत करो.. किंजल..."

" अच्छा सोरी बस.. पर ये बताओ थैंक यू किस लिए ? "

" कल के लिए.. वो कल तुमसे बात करने के बाद में अच्छा महसूस कर रहा हु.."

" इट्स ओके करन.. अब एक दोस्त हेल्प नही करेगा तो कौन करेगा..? "

" हम.. चलो बाय "

" एक मिनिट रुको..."

" हा बोलो.."

" चलो आज हम लंच पर जाते है .. क्या कहते हो..? "

" लंच? नो... अभी मुझे बहुत इंपोर्टेंट काम है."

" यार कभी तो नॉर्मल इंसान की तरह जी लिया करो.. लाइफ में काम के अलावा भी बहुत कुछ जरूरी होता है..यार एक ही तो लाइफ है मजे करो .."

" ओके... अब ज्यादा ज्ञान मत दो.. एक काम करो .. सनफ्लावर रेस्टोरेंट पर आ जाओ .. में वही पास में हु.."

" ओके अभी आई.." किंजल ने खुश होते हुए कहा और फिर फोन रख दिया..

" करन पहले से बदला बदला लग रहा है .. गॉड प्लीज करन को वो सारी खुशियां देदो जो वो डिजर्व करता है.." किंजल ने हाथ जोड़ते हुए कहा..

कुछ ही मिनिट में दोनो रेस्टोरेंट की बाहर मिले..

" चले..." करन ने दरवाजा खोलते हुए कहा..

" हा चलो..."

दोनो ने अपने लिए खाना मंगाया और फिर दोनो बाते करने लगे.. उसी समय मोनाली भी उस रेस्टोरेंट में आई.. अंदर आते ही उसकी नजर करन और किंजल पर पड़ी..

" ये दोनो यहां क्या कर रहे है ..? ये किंजल कुछ ज्यादा ही करन के करीब आने लगी है.. कॉलेज में तो करन उससे चिड़ता रहता था.. अब क्या हुआ इसे.. कैसे मुस्कुराते हुए बात कर रहा है ..! अभी मजा चखाती हू में इस किंजल को.."
कहते हुए मोनाली उनके टेबल के पास जाकर खड़ी हो गई..

" हेय...! करन... "

" हाय..! तुम यहां ..? "

" या वो में यहां पास में आई थी तो सोचा यही लंच कर लेती हु तभी तुम दिखे मुझे तो में यहां आ गई.."

" अच्छा किया.. आओ ना बैठो..."

मोनाली ने किंजल की और देखकर जबरदस्ती से मुस्कुराई.. और किंजल ने भी कुछ ऐसा ही किया..

" सो किंजल... आफ्टर लॉन्ग टाइम वैसे क्या कर रही हो आजकल...? "

" कुछ खास नही... तुम बताओ..?"

" अब मेरे बारे में तो क्या बताऊं तुम जानती ही होगी .. हमारा बिज़नेस कितना बड़ा है.. अभी अभी लंडन में एक फैशन डिजाइनर की कंपनी खरीदी है मैने.."

" ओह नाइस.."

" वैसे तुम चाहो तो में तुम्हे अपनी कंपनी में छोटी मोटी जॉब दिला सकती हूं..." मोनाली ने जानबूजकर किंजल को शर्मिंदा करने के लिए ऐसा कहा..

" नो थैंक्स..."

" वो सब छोड़ो तुम ये बताओ.. तुम्हारा भाई अथर्व कैसा है? " करन में टॉपिक बदलते हुए कहा..

" भाई तो जर्मनी गए है कुछ काम से..."

" ओह .. तुम्हारे मम्मी पापा नही आए .. इंडिया ? "

" पापा नही आए.. मम्मी आई है.. "

" ओके ...वैसे तुम दोनो और कुछ ऑर्डर करना चाहेंगे..? "

" नो थैंक यू.." किंजल ने मुस्कुराते हुए कहा..

फिर करन ने बिल पे किया और तीनो काउंटर की तरफ जाने लगे..
मोनाली ने किंजल को गिराने के लिए अपना पैर बीच में डाला..
और किंजल गिरने ही वाली थी की करन ने उसे पकड़ लिया..

" आर यू ओके..? "

" हा में ठीक हु"

" तुम्हारी गिरने की आदत अभी तक गई नही.. संभलकर चला करो.."

" हा हा .. " किंजल ने मुंह बिगाड़ते हुए कहा..

फिर तीनो रेस्टोरेंट से बाहर आए..

" चलो किंजल में तुम्हे घर पर ड्रॉप कर देता हु.."

" नही में चली जाऊंगी ऑटो से.."

" नही में तुम्हे छोड़ देता हु गाड़ी मैं बैठो.. वैसे मोनाली तुम्हारे पास तो कार है ना.. "

" हा पर वो.."

" ठीक है तो फिर हम चलते है..." बोलकर करन गाड़ी में बैठ गया.. मोनाली आंखे फाड़े दोनो को जाते देखती रह गई..

" करन तुमने क्या डिसाइड किया ..? "

" किस बारे में ? "

" वो कल तुमने मुझसे जो कहा था.. तो क्या तुम और मोनाली फिर से ..? "

" नही ऐसा कुछ नही है.. वो सिर्फ मेरी दोस्त है.."

" पर करन तुमने तो कहा था की तुम उसे अब भी प्यार करते हो.."

" हा करता हु.. पर में इस रिश्ते में आगे नही बढ़ सकता...मोनाली और मेरे बीच जो हुआ उसे में भुला नहीं पाऊंगा..यह रिश्ता हमेशा हमने जो दर्द सहा है .. उसे याद दिलाएगा.. इसलिए हम आगे ना बढ़े यही बेहतर रहेगा.. और ये मैने पूरे शांत दिमाग से सोचकर डिसाइड किया है.." करन ने मुस्कुराते हुए कहा..

किंजल भी यह सुनकर मुस्कुराई..

" वैसे तुमने ऐसा क्यों कहा की तुम कुछ नही करती ? "

" हा तो नही करती हु तो मना ही करूंगी ना.."

" पर क्यों ? तुम तो फार्मेसी में बहुत अच्छी स्टूडेंट थी.. तुम्हे तो कोई भी कंपनी तुम जो कहो उस दाम में रखने के लिए तैयार हो जायेगी..."

" हा पर अभी में कुछ और कर रही हूं..."

" और मतलब क्या ? "

" में एक एप बनाने की कोशिश कर रही हू.. और अगर में उसमे कामियाब हो गई तो .. मुझे कही जॉब करने की जरुरत नही पड़ेगी.."

" वाउ ...! नाइस.. पर वो एप कौन सी है वो तो बताओ.."

" वो सिक्रेट है .. जब बन जायेगी तब पता चल जायेगा..."

" ओके.. में इस दिन का वैट करूंगा..."

" हा.. लो घर भी आ गया.."

" बाय.. "

" बाय ..करन.."


🥰 क्रमश: 🥰