मैं राजीव शुक्ल, मेरी कहानी आप पढ़ते आए हैं, मैं इंकम टेक्स डिपार्टमेन्ट मे ऑफिसर हू और अनंतगढ़ मे रहता हू, एक काले साए से मेरा अच्छा संबंध रहा है वो मुजे हमेशा से अनहोनी से बचाता आया है, लेकिन एक दिन मेरे साथ कुछ अजीब हुआ l
मैं अनंतगढ़ मे August 2021 को शिफ्ट हुआ था, मैं और मेरी पत्नी भूत प्रेत मे विश्वास रखते हैं, हर साल दीवाली की अगली रात यानी काली चौदस को हम कोई न कोई तांत्रिक के पास जाकर एक विधि करवाते हैं, अगले साल यानी 2021 मे भी हमे यह करवाना था लेकिन उस रात एक अजीब हादसा हुआ मेरे साथ l मैं विधि करवाने के लिए एक तांत्रिक ढूंढ रहा था, किसीने कहा था कि अनंतगढ़ से थोड़े दूर आए एक श्मशान के करीब कुछ तांत्रिक घूमते रहते हैं वही पर किसी से मिल लेना तो मैं एक दिन रात को श्मशान से पहले थोड़ा सूमसाम रास्ता, त्यौहार के दिन थे फिर भी वहां कोई इंसान नहीं था, सन्नाटा भरा रास्ता, आगे जाकर श्मशान की ऑर जा रहा था, चारो ओर बंजर जमीन थी, वही सिर्फ स्ट्रीट लाइट थी लेकिन कोई इंसान नहीं था l मैंने देखा कि आगे से कोई आ रहा था, वो एक दाढ़ी बढ़ाया हुआ मर्द था, उसके कपड़े ठीक नहीं थे, बाल भी बढ़े हुए थे, उसने कहा
वो : आप कौन है? इस तरफ कैसे आना हुआ?
मैं : जी मैं तांत्रिक ढूंढ रहा हू, चौदस की रात विधि करवानी है मुजे l
वो : हाँ मैं ही तांत्रिक हू, मैं कर दूँगा l रात को 11.30 को आना, और हाँ मैं विधि करवाने के 2000 लूँगा l
मैं : जी चलेगा l
उसने ज्यादा बात नहीं की , उसने जो समय दिया था उस समय पर पहुचना था l मैंने अकेले ने जाने का तय किया था, चौदस की रात 11.30 को मैं घर से निकला,मेरे साथ साथ वो काला साया भी आने लगा जो मेरा साथ कई महीनों से दे रहा था l धीरे धीरे मैं शहर से दूर आ गया, वही वो तांत्रिक मुजे मिलने वाला था l फिर से वो अंधेरा रास्ता आया, वही अंधेरा कोना, वहीं अंधेरे मोड़, ये कुदरत का एहसास मुजे मेरे अस्तित्व से जोड़ रहा था अंधेरी रात, ठंडी हवा, अचानक मुझे स्ट्रीट लाइट के पीछे से वो तांत्रिक आता दिखा, मैंने बाइक पार्क कि और स्ट्रीट लाइट के नीचे बैठा वो साया जोकि मेरे साथ था वो मेरे सामने आए एक पेड़ जितना बड़ा हो गया और हमारे बीच मे आ गया, वो मुजे तांत्रिक के नजदीक नहीं जाने दे रहा था l बैठते ही उस तांत्रिक ने पहले मेरे से पैसे मांगे, मैंने पूरे 2000 INR दे दिए l
उसने तंत्र विधि शुरू की, उसने नींबु, मिर्ची आदि जमीन पर रखना शुरू किया और मंत्र बोलने शुरू किए l अचानक आगे के रास्ते से मुजे एक आदमी आते हुए दिखा, उसकी हाइट साढ़े पांच फीट थी, लेकिन एक भयानक बात ये थी कि उसके दाहिने हाथ में खुली तलवार थी, वो ज्यादा नजदीक आया तभी मुजे दिखा की वो गुस्से में था, तांत्रिक अपनी आंखे बँध करके विधि कर रहा था तभी तांत्रिक के बिल्कुल पास वो आ गया और तांत्रिक के उपर खुली तलवार चलाते हुए उसकी गर्दन को धड़ से अलग कर दी l मैं ये सब देखकर हक्का - बक्का रह गया, मेरे पैरों तले जमीन हिल गई, मैं खड़ा हो गया और बाइक स्टार्ट कि और वहा से भाग गया, मैंने पीछे मुड़कर देखा भी नहीं और सीधे स्कूटर चलाते हुए शहर पहुंच गया, मैं घबरा गया था, मुजे पुलिस स्टेशन जाना था, मैने कुछ लोगों को देखा मैंने उनसे हडबडी मे सब कहना शुरू किया,
मैं : सुनिए,,,सु .. सुनिए, यहा आगे अभी हा.. हाल मे एक खून हुआ है, एक आदमी ने एक तांत्रिक को मार दिया है, यहा पुलिस स्टेशन कहां है? मुजे जाना है उधर l
आदमी 1 : भाई साब, आप पहले पानी पीजीए फिर कुछ बोलिए l
उन्होंने मुजे पानी दिया, मैं कुछ बोल भी नहीं पा रहा था, उन्होंने आगे कहा
आदमी 2: आपने यही देखा न कि एक आदमी ने तलवार से एक तांत्रिक को मार दिया!!
मैं चोंक गया, मैंने पूछा
मैं : आपको कैसे पता चला??!!
आदमी 3: आप नए हो क्या? पता नहीं है यहा इस इलाके में ये घटना होती है, बहुत सारे लोग उस तांत्रिक के चक्कर में आते हैं और जब विधि करवाते हैं तब वो इंसान आकर उस तांत्रिक का गला काट देता है l
मैं : क्या??!! मतलब वो सब कुछ भूतिया है?
आदमी 1: जी हाँ, वो सब कुछ पेरानॉर्मल था इसलिए पुलिस भी कुछ नहीं करेगी इसमे l
मैं अभी भी हैरान था, वो साया भी मेरे साथ ही था लेकिन वो कुछ बोल नहीं सकता था उसे बोलने के लिए माध्यम चाहिए था जो अभी के लिए उसके पास नहीं था, लेकिन उसने अपनी ओर से मुजे बचाने के लिए सभी कोशिश की और उसने मुजे बचाया भी l मैं घर गया, मेरी बेटी खुशी सो गई थी, मैंने मेरी पत्नी सुजाता से सारी बात कही, वो भी परेशान हो गई l दूसरे दिन दीवाली थी, हम लोग अगले दिन का सब भूलकर फेस्टिवल को खूब इन्जॉय किया, लेकिन मुजे एक प्रश्न अभी भी खाए जा रहा था कि मेरे 2000 INR गए कहा? खेर कोई बात नहीं कही तो गए होंगे, किसके नसीब में होंगे तो उसे मिले होंगे l दीवाली के दूसरे दिन गुजराती लोगों का नया साल शुरू हो रहा था, दरअसल मैं भी गुजराती हू, मैं गुजरात के गांधीनगर से हू और मेरी जॉब सेंट्रल गवर्नमेंट की थी l नए साल के दिन सुबह 10.00 बजे की बात थी, काला साया मेरे साथ साथ घर में चल रहा था, मेरी बेटी मेरे पास आई बड़ी ही खुशी से उसने कहा ,
खुशी : पापा मुजे किसीने पैसे दिए!!
मैं : अरे वाह, मेरी बच्ची, कितने मिले?
खुशी : ये देखिए चार चार नोट मिली मुजे l
खुशी 6 साल की थी, इसलिए उसे पैसे गिनना नहीं आता था मैंने देखा तो उसके हाथ में 2000 INR थे, मैं चौंक गया, मैंने पूछा
मैं : किसने दिए इतने पैसे!?
खुशी : बाहर एक अंकल खड़े थे उन्होंने कहा कि अपने पापा को कह देना l
मैं उसके साथ बाहर गया, खुशी ने इशारा करके बताया, मैंने देखा कि दूर एक फटाके की दुकान के पास एक आदमी खड़ा था, मैंने ध्यान से देखा तो वो वहीं आदमी था जिसने उस तांत्रिक का गला काट दिया था, उसने अपने नजर घुमाइ और मेरी और बाज जैसी नजर से देखा, मैं हैरान होकर वहीं खड़ा था और सोच रहा था कि ये सपना है या हकीकत l