फोन को लेकर केतकी और अभय में तकरार हो गयी थी , बढती तकरार को देख अभय बाहर चला गया था । अब आगे -
केतकी अपना मुंह फुलाये अपने रूम में चली गयी । केतकी की सास कस्तुरी उसके पीछे पीछे केतकी के रूम मे आगयी । कस्तुरी बोली बेटा ! क्या बात हो गयी ? केतकी कस्तुरी से बोली मॉ आप थोड़ी देर मुझे अकेला छोड़ दे ..मेरा अभी बात करने का मूड नही है ..कस्तुरी कुछ नही बोली चुपचाप उसके पास बैठ गयी । सास बहु दोनों ही मौन होकर बैठी हुई है.. सास बात करने का अवसर ढूंढ रही है ।
केतकी के दिमाग में सारा घटनाक्रम घूम रहा है वह सोच रही है , क्या अभय ऐसा ही है ? जो अपनी पत्नी को छोटी छोटी बात पर ही डांट दे । क्या इसका यही स्वभाव है ? मेरी कैसे निभेगी ?
केतकी अपने पीहर में अपनी मनकी करती थी । वहा उसे टोकने वाला कोई नही था । लेकिन यह तो ससुराल है , यहां बेटी नही वह बहु है ।
केतकी को अपने पापा का ख़याल आने लगा ..मेरे पापा मेरे लिए कुछ भी करने को तैयार रहते हैं । अभय के यहा इतनी भी गरीबी नही है जो पैसे के लिए मरे जा रहा हैं । मैंने बहुत बड़ी गलती कर दी , इससे शादी करके ।
केतकी की सास केतकी के चेहरे को देख रही है । फिर गहरी सांस लेकर बोली .. बहु ! मैं तेरे साथ हूँ , आने दो अभय को ..देखना तुम्हारी सास उसे कैसे डाटती है । नयी नयी बहु को कोई ऐसे डाटता है क्या ?
केतकी अपनी सास को देखने लगी .. फिर बोली ..मॉ आप अपने बेटे का पक्ष नही लोगी ? कस्तुरी बोली ..नहीं ..मैं तो अपनी बहु के साथ ही रहुंगी ..चाहे गलती ही हो । केतकी ने अपनी सास के कंधे पर सिर रख दिया और रोने लगी । रोते रोते बोली ..मॉ आप मेरी गलती बताओ ..फोन लाकर दिया अभय ने ..फिर फोन करके मैने कोई गुनाह कर दिया क्या ..?
कस्तुरी बोली.. नही । अब मौका देख कस्तुरी बोली ..आज तो मेरा सिर फटा जा रहा है .. एक कप चाय का पीऊंगी तो ठीक होगा... बेटा तू थोड़ा आराम करले.. मै चाय बनाती हूँ .. ऐसा कहकर केतकी की सास बाहर आगयी ..उसकी नजर ' बिखरे पड़े फोन पर पड़ी . .. कस्तुरी ने फोन को उठाया और केतकी के रूम मे रखते हुए बोली .. तेरे लिए भी चाय बनाऊं ? केतकी ने कहा नही ,अभी मेरा मूड नही है.. कस्तुरी ने पानी की बोतल उसकी तरफ करके कहा ..लो थोड़ा पानी पीलो ..पानी की बोतल देकर कस्तुरी रसोई में चली गयी .. केतकी ने दो चार घूंट पानी पिया और बोतल रख दी ।
थोड़ी देर मे कस्तुरी चाय ले आई ..केतकी के हाथ मे देते हुए बोली ..देखो बेटा पति पत्नी मे झगड़ा सबके होता है पर इसे दिल पर नही लिया जाता .. एक बात ओर है,तालमेल औरत को ही बनाना पड़ता है .. औरत ही घर को बांधती है .. ये मर्द इतने सहनशील नही होते .. ।
अब अभय भी बाहर से आचुका था । उसकी नजरे केतकी को ही ढूंढ रही थी ..
अपने रूम मे अपनी मॉ के साथ केतकी को चाय पीते देख थोड़ा मन मे खुश हुआ ..मन ही मन बोला चलो ठीक है ,गुस्सा शांत हो गया ।
अभय अपनी मॉ से बोला ...मॉ ! मैं कल ड्यूटी पर जा रहा हूँ । मुझे अपना बैग भी जमाना है , मॉ.. चाय अपनी बहु को ही पिला रही हो अपने बेटे को भी पिला दो ।
कस्तुरी अभय को डाटते हुए बोली .. तू खुद बनाने ले चाय .. तूने बहु को क्यो रुलाया ..? देख मै कह देती हूँ ..इसे अगर कुछ कहा तो मै भी तेरे से बात नही करूंगी .. अभय हंसने लगा अरे मॉ गलती पर टोका ही तो था । केतकी शांत बैठी बैठी सब सुन रही है .. कस्तुरी बोली ..अब सफाई मत दे .. दीवारों के भी कान होते हैं ..तुम झगड़ोगे और दुनिया मजे लेगी ।
इस तरह से सामाजिक बाते कहकर कस्तुरी ने बेटे बहु को राजी कर दिया ।
इस तरह से घर के बड़े अपने अनुभव से होती तकरार को रोक सकते हैं । बड़ो को किसी तरह से पक्षपात से बचना चाहिए। झगड़े की शुरूआत छोटी छोटी बातों से ही होती है और बात तलाक तक पहुंच जाती है ।
रात में केतकी ने कहा कि आपने मुझसे वादा किया था कि तुम ड्यूटी पर रहोगे तो मुझे अपने पीहर छोड़ोगे । अभय ने कहा हां हां ..मै मॉ से कह दूंगा .. तुम्हे पीहर भिजवा देगी ।
अगले दिन अभय अपनी यूनिट के लिए रवाना हुआ । रेल्वे स्टेशन तक उसका पापा पूरण सिंह छोड़ने के लिए आया था । अभय ने अपने पापा से भी कहा कि केतकी को अपने मायके जाना है । पूरणसिंह ने हां मे सिर हिलाकर कहा हां भेज देंगे .. तुम इधर की चिन्ता मत करो , अपनी ड्यूटी ठीक से करना । अपना ख्याल रखना ।