Modern Shraddha in Hindi Comedy stories by Arun Singla books and stories PDF | मॉडर्न श्रधा

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मॉडर्न श्रधा

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श्रीमती तिवारी तमतमाए चेहरे के साथे घर के बाहर इधर-उधर देख रही थी। बात ये थी की आज नवमी थी, और उसे सात कन्जिकाओं यानी सात छोटी कन्याओं और एक लोक्डा यानी एक छोटा बच्चे को भोजन कराना था, इसलिए उसे सात कन्याओं की तलाश थी ताकि  पूजा विधि विधान से समाप्त हो जाये और मैया प्रसन्न हो जाये. अब की बार वो अपनी तरफ से कोई भी कमी नहीं छोड़ना चाहती थी, आखिए उसकी पूजा में कोई तो कमी थी, वरना मैया जी सारी कृपा ऊपर वाले फ्लैट पर रहने वाली शर्मा जी की पत्नी पर ही क्यों बरसती। 

शर्मा जी बिजली विभाग मे लेखाकार ही तो हैं, उन्होंने पिछले साल में, अपने बच्चे का ना केवल नामी प्राइवेट स्कूल डी पी एस में दाखिल करवा दिया था, बल्कि अपनी पुरानी आल्टो कार बेच कर नई होंडा अमेज़ ले ली थी, है मैया ये सब तेरी कृपा है, उसने मानो मैया से शिकायत की।

तभी उस ने देखा छोटे छोटे बच्चों की टोली उस के घर की तरफ आ रही थी, उस का इशारा पाते ही बच्चे दौड़ कर पास आए गए।
"केवल सात लड़किया ही चाहिए " उस ने सख्ती से कहा, तो छोटे लड़के निराशा से भर उठे, सभी को लड़कियां ही चाहिये, उनका बिज़नेस आज उठ ही नहीं रहा था ।

श्रीमती तिवारी ने सभी बच्चियों को माता के रूप में सजाया, उनकी पूजा की फिर भोजन करवा कर दक्षिणा भी दी, ओर राहत की सांस ली ।

श्रीमती तिवारी ने हाथ जोड़ कर प्राथना की: "हे मैया अब  की बार पूजा पूरी विधि से की है"
यानी मैंने अपना फ़र्ज़ पूरा कर दिया, अब आप अपना फर्ज पूरा करें यानी कृपा करें, उसने हाथ जोड़ कर आसमान की तरफ देखा, ओर सोचा अब कृपा यानी धन ना बरसाने की दुर्गा मैया के पास कोई वजह नहीं होनी चाहिए।

वह यह देख कर खुश हो रही थी कि, पड़ोस वाली शुक्लानी को  बिलकुल अक्ल नहीं है, उस ने तो सभी लड़के-लड़कियों को भोजन करा दिया, अरे केवल सात कंजिकाये जिमाने का विधान है, और ना ही उसने कन्जिकाओं का  श्रृंगार किया, पुराने रीती रिवाजो का शुक्लानी को कोई ज्ञान ही नहीं, इस तरह थोड़े ही पूजा होती है, मैया जरूर इससे रुष्ट होंगी, वह यह सोच के मन ही मन खुश हो गई ।

उधर मात्ता दुर्गा के यहां भी दरबार लगा था व् मीटिंग चल कर रही थी की कृपा कहाँ बरसाई जाए, कुछ देवताओं का मत था की नियम अनुसार श्रीमती शुक्ला की श्रद्धा व् प्रेम को देखते हुआ वही कृपा बरसानी चाहिए, परन्तु ज्यादातर देवताओं का मत था,की श्रीमती  शुक्ला अवश्य ही कृपा की हकदार है , परन्तु  वे तो इन्तजार भी कर सकती हैं, तो उनका मामला बाद में देख लिया जाएगा, अगर श्रीमती तिवारी को छोड़ा गया तो वो ना केवल सभी देवताओं बल्कि मैया का भी जीना दुर्भर कर देगी। सबने आख़री फैसले के लिए मैया की तरफ देखा, तो मैया ने साफ़ कर दिया कृपा श्रीमती शुक्ला पर जरुर बरसनी चाहिए, श्रीमती तिवारी का मामला आप लोग खुद हल करलें. देवताओं ने सोचा श्रीमती शुक्ला तो भली महिला हैं, पर श्रीमती तिवारी तो जमीन आसमान एक करके देवताओं का जीना मुश्किल कर देगी फिर काफी जदोजहद के बाद फैसला तिवारी मैडम के हक़ में हुआ,और कृपा वहीं बरसी।

आज कल यही हो रहा है ना।