काले स्क्रीन के पीछे से एक भारी आवाज में v/o.
मुर्गा एक विचित्र सा प्राणी है। उसके पूरे जीवन काल मे वो सिर्फ 4 काम करता है। खाना, हगना, चलना और कट जाना। मुर्गे की ज़िंदगी 35 दिनों की होती है। सरकार मुर्गो को देश के दुश्मनों के खिलाफ लड़ने के लिए जेनेटिकली पैदा करती है। पिछले 100 सालों से देश, देश की संप्रभुता , अखंडता और एकता को बचाने के लिए वॉर लड़ रहा है। हर मुर्गे के जीवन का एक ही लक्ष्य है, देश के लिए कट जाना।
V/o खत्म होता है और पर्दा खुलता है। हम देखते है एक बड़ा सा हॉल। जिसकी कैपेसिटी है 2000 बेड। हर बेड पे एक प्रेग्नेंट औरत टांगे ऊपर उठाये लेटी है। उसी दिशा में एक टेबल , टेबल के ऊपर एक स्टील प्लेट रखी है। हर बेड के ऊपर पंखे है और हॉल में अंदर बाहर जाने आने के लिए 50 दरवाजे है।
50ओ दरवाजे एक साथ खुलते है और उनसे हज़ारो की संख्या में नर्सेज अंदर आती है। एक प्रेग्नेंट औरत के पिछवाड़े से लार में सना एक बच्चा पच करके स्टील प्लेट में गिरता है। बाकी बची 1999 औरतो के साथ भी यही होता है। इस जगह पे काम ही यही होता है।
V/o- ये है सरकारी मैटरनिटी वार्ड। यहां चूजे पैदा होते है। चूजे दिखने में बिल्कुल इंसान के बच्चों की तरह ही होते है। लेकिन दूसरे ही दिन इनकी एक ft गर्दन निकल आती है। चेहरे और नाक आगे निकल के नुखिला आकार ले लेते है। वजन 10 गुना बढ़ जाता है और हाइट 3 ft बढ़ जाती है, जोकि किसी भी मुर्गे की ultimate हाइट है। दूसरे ही दिन ये खाना, हगना ओर चलना भी सिख जाते है जो कि इनके जीवन का 80% काम है और फिर जब तक कट नही जाते चलते ही रहते है। दूसरा दिन इनके जीवन मे बोहोत महत्वपूर्ण है। दूसरे ही दिन ये भी पता चल जाता है कि कितने मुर्गे डिफेक्टेड पैदा हुए है। हर दिन देश मे एक करोड़ मुर्गे पैदा किये जाते है, जिसमे से 20 लाख मुर्गे डिफेक्टेड निकलते है,इन 20 लाख मुर्गो को मार के जमीन में गाड़ दिया जाता है। ये जमीन शहर से बाहर होती है, इसे डंपिंग ग्राउंड कहते है। यहां हमेशा वल्चर मंडराते रहते है।
मैटरनिटी वार्ड की तरह ही इनके रहने के लिए एक बड़ा सा हॉल होता है। 4000 मुर्गे एक साथ एक हॉल में रहते है। बस यहां बेड की जगह कमोड होता है। खाने और पानी पीने के लिए 1m के डिस्टेंस पे टुप्पी लटकाई जाती है। alternate पे एक टुप्पी मे खाना और एक मे पानी रहता है। जहां ये रहते है इसे फार्म कहा जाता है। देश मे करीबन 80 k फार्म है। हर फार्म पे एक केयरटेकर और एक उसका सर्वेंट रहता है। ये कहानी फार्म no. 36 की है।
36 no. फार्म का केयरटेकर है बिकु और उसका सर्वेंट है गौतम। बिकु 30 साल का है और गौतम 13 साल का। बिकु के पास 2 फार्म है, एक उसके पापा देखते है और एक वो खुद। बिकु के लिए फार्म सिर्फ फार्म नही है उसका अड्डा है। वो फार्म पे नशे करता है और पुराने गाने सुनता है , जो कि सरकार द्वारा बैन है। इन फैक्ट गाना सुनना, गाना बजाना, गाना बजाने वाले कोई इंस्ट्रूमेंट रखना, कोई म्यूजिक इंस्ट्रूमेंट रखना, गाना गुनगुनाना तक बैन है और ये सब फार्म पे करने की सजा मौत है। हालांकि ये कानून सिर्फ मिडिल और पुअर क्लास के लिए है, अमीर लोग आज भी गानों का सौख रखते है क्योंकि उनके पास पैसा है और पैसा आज भी बोहोत पावरफुल है। बिकु और उसका परिवार मिडिल क्लास है लेकिन बिकु चुपके चोरी आज भी गाने सुनता है और ऐसे वैसे गाने नही हर 30 दिन पे काली पहाड़ी के पीछे से रेडियो आज़ादी पे प्रसारित होने वाला गाना। 1 घंटे का यादों का कारवाँ। पुराने दिन , पुरानी बातें, पुराना इश्क़ और पुराने गाने ये उस रेडियो शो का टैगलाइन है।
बिकु के दो साथी है, गौतम और जैक , जैक उसका कुत्ता है। जैक पिटबुल ब्रीड का कुत्ता है, अपने स्वभाव के अनुसार उसके जीवन का एक ही लक्ष्य है किसी दिन किसी मुर्गे को वो दबोच के मार डाले, लेकिन बिकु और गौतम उसे ये काम करने नही देते। बिकु आशिक़ है , किसी वक़्त में उसे एक लड़की से मोहब्बत हो गयी थी, लेकिन जिस देश मे गानों पे बैन है वहां इश्क़ को कहां से मंजूरी मिलती। अब दुविधा ये है कि इश्क़ करने से ज़्यादा उसे भुलाना मुश्किल हो गया है। इसलिए बिकु, गौतम और जैक हर 30 दिन पे एक बार प्रसारित होने वाले रेडियो शो का बड़ी बेसब्री से इंतेज़ार करते है , गाने सुनते है और पुराने दिनों की बातें करते है।
देश के बोहोत बड़े बायोलॉजिस्ट है Dr. स्वामी, Dr. स्वामी ने अपनी ज़िंदगी के 35 साल मुर्गो पे रिसर्च करने पे बिताए और एक किताब लिखी "the protector", इस किताब से ज़्यादा विस्तृत मुर्गो पे और कोई किताब नही है और इसलिए इस किताब को नेशनल बूक का दर्जा भी मिला हुआ है। इस किताब से हमे मुर्गो के बारे में बोहोत कुछ पता चलता है। इसी किताब से हमे पता चलता है कि गानों का मुर्गो पे क्या असर होता है। Dr. स्वामी के रिसर्च के अनुसार मुर्गे गानों पे रिस्पॉन्ड करते है । Dr. स्वामी ने 1000 मुर्गो को 90 के दसक में फेमस गोविंदा नाम के कलाकार के गाने सुनाए और पाया कि 3 घंटे लगातार गाना सुनने के बाद मुर्गो में 400% एनर्जी का इजाफा हुआ है, उनमे से कई मुर्गो के अंदर डांस करने के भी लक्षण मिले लेकिन सरकार ने ये बात कभी बाहर नही आने दी बस गाने ना सुनने के कानून को और कड़ा कर दिया, 6 जनरेशन डेथ पेनल्टी। इसलिए बिकु के फार्म पे गाने सुनने की प्रक्रिया कमरे को चारों तरफ से बंद करके की जाती है, ताकि किसी को कानो कान खबर ना हो और रेडियो को जमीन के अंदर एक तहखाने में छुपा के रखा जाता है और सिर्फ 30 दिन पे एक बार, एक घंटे के लिए निकाला जाता है।
मुर्गे खा खा के लोथड़े हो जाते है , इसलिए उन्हें दिन में 3 बार टहलाने की जरूरत पड़ती है। ये काम गौतम का है। मुर्गो को टहलाने के वक़्त पक पक की आवाज निकालनी पड़ती है, गौतम को ये आवाज निकालनी बिकु ने सिखाई और सिखाते वक़्त पीटा भी लेकिन एक असली गुरु यही तो होता है, मारता है पर सिखाता भी है। आज गौतम को बोहोत गर्व होता है, वो पूरे फार्म को अकेले संभालता है। मुर्गो का दाना पानी, उनके कमोड की सफाई, सारे टुप्पी की सफाई, टुप्पी में बचे रह गए पानी की सफाई, मुर्गो को वैक्सीन देना, सारे फार्म की सफाई ये सब काम गौतम देखता है। वही टंकी में पानी भी भरता है और वही बिकु , अपना और जैक का खाना भी बनाता है। गौतम और बिकु का रिश्ता एक केयरटेकर और सर्वेंट से बढ़ के है। गौतम पिछले 5 साल से बिकु के साथ है। गौतम का परिवार गरीब है इसलिए वो बिकु के पास नौकरी करता है।बिकु गौतम और अपने बीच के क्लास डिफरेंस को नही मानता। दोनों साथ खाते पीते है। गौतम पिछले 6 महीने से घर नही गया है, बिकु ने उससे वादा किया है की वो इस बार के रेडियो प्रसारण के बाद उसे घर भेज देगा।
"The protector" किताब में Dr. स्वामी ने मुर्गो की गर्दन के बारे में लिखा है कि मुर्गे किसी भी चीज़ पे रिस्पॉन्ड गर्दन उठा के करते है और दुनिया मे गिनी चुनी ऐसी चीजें है जिसपे मुर्गे रिस्पॉन्ड करते है। उनमें से एक है बारिश, मुर्गो के बारे में एक और दिलचस्व बात है, इनके पंख नही होते, इंसानों के ही तरह हाथ पैर होते है। लेकिन फिर भी ये उड़ने की कोशिश करते देखे गए है खास कर के बारिश के दिनों में। लेकिन देश मे बारिश लास्ट टाइम कब हुई थी किसी को याद नही। वैसे तो फार्म की छत होती है लेकिन इसके दो साइड रोशनी के लिए खुले होते है। हर फार्म पे त्रिपाल रखना अनिवार्य है, कानून है ताकि जब बारिश आये तो दोनों साइड ढके जा सके लेकिन चूंकि बारिश होती नही इसलिए लोग इस कानून को हल्के में लिए चलते है। बिकु के फार्म का भी यही हाल है।
जब मुर्गे 30 दिन के हो जाते है तो इनकी फर्स्ट ट्रेनिंग होती है, इसे बेसिक ट्रेनिंग कहते है। 4 दिन के लिए सरकार की तरफ से एक इंस्ट्रक्टर आता है और मुर्गो को आर्म्स और वॉर सांग पे रिस्पॉन्ड करना सिखाता है। Dr. स्वामी के रिसर्च से सरकार को बोहोत फायदा हुआ। उन्होंने म्यूजिक पे रिस्पॉन्ड करने वाले थीसिस को सीरियसली लिया, पूरे देश मे म्यूजिक तो बैन था ही उसे और कड़े नियमो से बैन कर दिया गया और सरकार ने एक वॉर सॉंग बनवाया। ये वॉर सॉंग मुर्गो को 400% ज़्यादा शक्ति और कुरुरता से लड़ने की ताकत देता है।
सरकार की तरफ से हर फार्म पे एक मुर्गा सुपरवाइजर नियुक्त किया जाता है। एक सुपरवाइजर के अंडर 10 फार्म आते है। बिकु के एरिया का सुपरवाइजर है टुनटुन मिश्रा। टुनटुन मिश्रा और बिकु में अच्छी बनती है। वो सिर्फ बिकु के फार्म पे बैठता है , बतियाता और बाकी जगह सिर्फ अपना काम करता है। टुनटुन मिश्रा को खाने पीने का बोहोत शौख है। उसकी फैमिली में उसको छोड़ के सब एक समय मे बावर्ची हुआ करते थे, बनना पहले वो भी बावर्ची ही चाहता था लेकिन 10 साल पहले सरकार ने इंसान के बनाये खाने पे रोक लगा दी। अब तीनो पहर का खाना , पानी और विटामिन्स की गोलियां सरकारी कैंटीन में मशीन से बनकर हर एक परिवार को दी जाती है। ये सब भी हुआ Dr. स्वामी के कारण। दर्शल मुर्गो पे सोध करने से पहले स्वामी जी ने देश की जनता पे एक सोध किया और पाया कि जो खाना लोग अपने हाथों से बनाते है जैसे कि घर का खाना वो सिर्फ खाना नही है उसमें भावना है और भावना लोगो को ज़्यादा तर्कसंगत और आज़ाद मानसिकता का बनाता है। उसी दिन से सरकार ने सरकारी कैंटीन चालु कर दी और खाना बनाना या बना के बेचने के कार्य पे बैन लगा दिया और तर्क ये दिया कि घर का खाना , घर को यानी परिवार को महत्व देता है जिससे परिवार वाद की भावना पैदा होती है। लेकिन देश मे कोई परिवार नही है , सब कुछ देश है और लोग देश की जनता। लेकिन हर सरकार की तरह ये सरकार भी भ्रस्टाचार्य में लिपटी है और लोग चोरी छुपे खाना बनाते ही है , उनमे से ही एक है टुनटुन मिश्रा। टुनटुन मिश्रा शादी सुदा आदमी है और अपने देश और पत्नी से बोहोत प्यार करते है। लेकिन कुछ महीनों से इनकी शादी सुदा ज़िन्दगी ठीक नही चल रही इसलिए इस बार अपनी मैरिज एनीवर्सरी पे इन्होंने एक खाश तोफा चुना है उनकी बीवी के लिए। अपने हाथों से बनाई हुई मुर्गी। दर्शल कॉलेज के दिनों में मिश्रा जी बोहोत उदंड हुआ करते थे और उनके हाथ की मुर्गी बोहोत फेमस थी। जब भी कंही पार्टी होती, उन्हें खास तौर पे आमंत्रित किया जाता। ऐसे ही एक पार्टी में मिश्रा जी अपनी मिश्राईन से मिले थे और मिश्राईन उनके हाथों की बनी मुर्गी की फैन हो गयी थी। उनकी शादी arrange marriage थी लेकिन ये बात बोहोत कम ही लोग जानते है कि मिश्रा जी अपनी मिश्राईन को पहले से जानते थे और पसंद भी करते थे।
बिकु के पापा कभी कभी फार्म पे आते रहते है। रेडियो प्रसारण के दो दिन पहले वो आये और बताया कि उनके नए वाले बैच में ज़्यादा तर मुर्गे डिफेक्टेड निकले है, सरकार ने मुआवजे की बात कही है लेकिन सरकारी पैसा है जाने कब आये इसलिए वो बचे खुचे सही मुर्गो को यहां शिफ्ट कर रहे है और एक नया बैच मंगवा रहे है। बिकु के फार्म का काम बढ़ गया है और गौतम की छुट्टी कैंसिल हो गयी है। गौतम नाराज है और अब उसका किसी भी काम मे मन नही नही लग रहा, वो काम कर तो रहा है लेकिन उसके अंदर घर भाग जाने की बेचैनी है।
रेडियो प्रसारण का दिन आ गया। टुनटुन मिश्रा भी आ गया, साथ मे है दो मुर्गियां और दो क्वार्टर। एक मुर्गी यंही बनेगी और एक वो अपनी बीवी को तौफे में देगा। माहौल बन गया, मुर्गी बनने के लिए चढ़ गया, दारू , गांजा तैयार हो गया। रेडियो को बड़ी इज़्ज़त के साथ सेन्टर टेबल पे रख के on कर दिया गया। कमरा चारो तरफ से बंद , सील बिल्कुल। प्रसारण में अभी एक घंटा बाकी है, लेकिन बेकरारी में रेडियो की खर खर की आवाज भी मधुर संगीत लग रही है।
टुनटुन मिश्रा की गांड फटी हुई है। उसे पता तो था कि बिकु अवैध रूप से प्रसारण सुनता है लेकिन इस अवैधता में खुद का शामिल होना उसे बोहोत खटक रहा था, उसे लग रहा था जैसे वो देश द्रोह कर रहा हो।उसका खाना बनाना भी कानून के खिलाफ था, जुर्म था लेकिन उसके जुर्म और बिकु के जुर्म में जमीन आसमान का अंतर था। उसका जुर्म कुछ पैसे चुराना था और बिकु का जुर्म सरकारी बैंक में डाका डालने के बराबर। जैसे जैसे प्रसारण का वक़्त नजदीक आ रहा था वैसे वैसे उसकी घबराहट बढ़ती जा रही थी। उसके पैर कांप रहे थे। आखिर कार उसने बोल ही दिया। तै किया गया कि प्रसारण के वक़्त गौतम को कमरे के बाहर पहरेदारी पे रखा जाए। गौतम की झांट सुलग गयी। एक तो ऐसे ही वो 2 दिन से बिकु पे छुट्टी न मिलने पे गुस्सा था ऊपर से अब उसे प्रसारण से बाहर रखा जा रहा था। प्रसारण उसका बिकु और जैक का अपना था, जिसमे टुनटुन मिश्रा ने सेंध लगा दी थी। वो बताता नही था लेकिन बिकु के मोहब्बत की कहानियां सुन सुन के उसे भी अपने गांव की एक लड़की से मोहब्बत हो गयी थी। वो कई दिनों से एक गाना याद करने की कोशिश कर रहा था, उसने सोचा था वो पूरा गाना याद करके उस लड़की को सुनाएगा जो उसके गांव वाले घर के बगल में रहती थी। लेकिन वो बिकु की बात को टाल नही सकता। उसे पहरेदारी करनी ही पड़ेगी।
गौतम गेट के बाहर , अकेला, और उसके सामने 4000 मुर्गे। आज रात फार्म पे उनकी आखरी रात है, इनफैक्ट आज रात उनकी ज़िंदगी की आखरी रात है। आज उनकी ट्रेनिंग का भी आखरी दिन था। Ak, 47, .38, .45, .35, snipper, इनफैक्ट जितने तरफ के गन होते है सब मे उनकी ट्रेनिंग पूरी हो चुकी थी। रोज के मुकाबले आज मुर्गे कुछ ज़्यादा ही चु चु कर रहे थे, उनके शरीर मे गज़ब की फुर्ती थी, खुद से ही इधर उधर तेजी से टहल रहे थे।लेकिन गौतम गुस्से से पागल था, अब बैठे बैठे क्या करे तो वो मुर्गो को टहलाने लगा जिसकी बिल्कुल भी जरूरत नही थी। frustation में उसने कई मुर्गो को छड़ी से मारा भी और वो चु चु चु करके तेजी से इधर उधर भागने लगे। गौतम चाहता था कि किसी तरफ अपना गुस्सा वो निकाल दे, लेकिन इतने दिनों से पलता सपना इतनी जल्दी टूट जाये तो इतनी जल्दी भुला भी नही जाता। उसने सोचा , जोकि उसे भी नही पता था बोहत रेयर काम है। देश मे सोचना, विचारना किस चिड़िया का नाम है देश के लोगो को नही पता। लेकिन बिकु के साथ रह के गौतम के दिमाग को ख़यालो की हवा लग गयी थी, तो, उसने सोचा, उसने एक मुर्गे को देखा, वो डमी गन उठाता था, लोड करता था और चलाता था। फिर यही प्रक्रिया वो बार बार दोहराता था। गौतम को लगा क्या चूतिया प्राणी है मुर्गा, कोई कुछ भी सीख के चला गया और ये किये जा रहा है। उसे हंसी आई, फिर कुछ देर बाद उसकी हंसी उदासी में बदल गयी। उसे लगा वो भी तो ऐसा ही है, जो मालिक बोले वो सही, उसकी अपनी कोई मर्जी नही, जब कि फार्म का सारा काम वो करता है, खाना भी बनाता है और अब तो जैक को भी वो संभालने लग गया है, अब तो वो सोता भी कम है तो भी उसे जो चाहिए वो क्यों नही मिलता। वो मालिक की बात नही मानेगा, वो विद्रोह करेगा। बादलो में गर्जना हुई, बोहोत दिनों बाद आसमान ने ये शब्द सुना था , विद्रोह, चाहे किसी ने मन मे ही कहा हो। आसमान फट पड़ा और बारिश की बूंदे टपकने लगी। गौतम ने छड़ी फेंक दी और दरवाजे की तरफ शेर की तरह दहाड़ते हुए बढ़ा, चिल्लाते हुए दरवाजा खोला और देखता है कि टुनटुन मिश्रा और बिकु नाच रहे थे, उसने कभी किसी को नाचते हुए नही देखा था, रेडियो पे वही गाना आ रहा था जो वो याद करना चाहता था, कमरे से आती रोशनी गौतम को दिव्य रोशनी मालूम हुई, वो सब को घूरता हुआ अंदर घुसा और मदहोशी ने उसे अपने छाओं में कब सुला दिया उसे पता ही नही चला।
रात में सरकारी ट्रक आया उसपे मुर्गे लोड हुए, बॉर्डर पे गए और देश के लिए शहीद भी हो गए। अगले दिन 12 बजे गौतम की नींद खुली। टुनटुन मिश्रा और बिकु ने अपना माथा पकड़ा हुआ था। उन्हें हैंगओवर हुआ था। वो और बिकु बाते कर रहे थे कि उनका सिर कितना दर्द कर रहा है और उन्हें कल रात का सब कुछ धुंधला धुंधला याद है। गौतम मुस्कुराया उसे भी सब धुंधला धुँधला याद था, फिर उसे याद आया वो गाना, उसे वो गाना तो याद है??, उसने मन ही मन गाने को 2-3 बार दोहराया , जब पूरी तरह कन्फर्म हो गया कि उसे पूरा गाना याद है तो वो फिर से मुस्कुराने लगा। मिश्रा चलने को हुआ तो उसे याद आया कि उसकी एक मुर्गी गायब है। खोज बिन चालू हुई पूरे फार्म को छान मारा गया लेकिन कंही कुछ नही फिर आधे घंटे बाद बेसमेंट में मुर्गी एक मुर्गे के साथ कोने में मिली, आपत्तिजनक हालात में, भयानक दृश्य था, टुनटुन मिश्रा को पैनिक अटैक पड़ने लगे, उसने अपनी दवाई की डीबी निकाली और सारी कि सारी गोलियाँ फांक गया। बोला मैंने कहा था बैच में एक मुर्गा कम है, गौतम भी डरा हुआ था, उसे कंही न कंही पता था ये सब कैसे और कब हुआ है। वो झूठ मुट्ठ का रोने लगा जैसे उसने कुछ बोहोत ही गंदा देख लिया हो। लेकिन बिकु, वो दबी मुस्कान लिए सब देख रहा था, वो गौतम की तरफ मुड़ा और उसके गाल पे हल्के से एक तमाचा जड़ दिया बोला, चुप भोसडीके। गौतम चुप हो गया।
ये सब इतना संगीन था की सरकार की तख्ते हिल गयी, खबर को दबाना या छुपाना मुमकिन ही नही था , सो ये जंगल के आग की तरह पूरे देश मे फैल गयी। मिश्रा रोते हुए और बिकु मुस्कुराते हुए फांसी पे चढ़ गए और गौतम को आजीवन फार्म no. 37 का सर्वेंट बना दिया गया , अब वो कभी घर नही जा पाएगा, वो आज भी वो गाना गुनगुनाता है। और वो मुर्गा जो मुर्गी के साथ मिला था इतिहास में दर्ज हो गया, 100 साल के मुर्गो के इतिहास में वो पहला मुर्गा बना जो 35 दिन ना जीके 36 दिन जिया। एक दिन एक्स्ट्रा इसलिए क्योंकि उसे रेडियो का गाना सुन के एक मुर्गी से मोहब्बत हो गयी।