अंक २५ आंधी की आगाही
नमस्कार दोस्तों। आशा करता हु की आप सब ठीक ही होंगे। आज मे लेखक वरुण पटेल फिरसे हाजिर हु आप के बिच हमारी बहुत ही मजेदार कहानी दो पागल के एक और अंक के साथ लेकिन मेरी बिनती है आप सब लोगो से कि अगर आपने आगे के २४ अंको को नहीं पढा है तो सबसे पहले उन अंको को पढले ताकी आपको यह अंक अच्छे से समझ आए। तो आइए शुरु करते है हमारी इस बहेतरीन नवलकथा के इस बहेतरीन अंक को।
आगे आपने देखा की कैसे जीज्ञा और रुहान की टीम सारी मुसीबतो के बावजुद भी परफोर्मन्स करती हैं और उस तरफ संजयसिह और उसके हरामी दोस्तो को पुलिस स्टेशन ले जाया जाता है। समय होने पर जीज्ञा और रुहान की टीम के नाटक की समाप्ती होती है और इस नाटक की जीत के साथ रुहान और जीज्ञा की टीम फाइनल के मुकाबले के लिए क्वालीफाई हो जाती है और सभी दोस्त इस जीत से और अगली बार बॉलीवुड के मशहुर डिरेक्टर के सामने परफोर्मन्स करने का मौका मिलेगा इस वजह से बहुत खुश हो जाते हैं।
स्पर्धा के बाद पाच घंटे बितते है। आज मुहम्मद भाईने सभी बच्चो को अपने घर खाना खाने के लिए आमंत्रित किया हुआ था और उसमे जीज्ञा और पुर्वी भी थे जीनको मुहम्मद भाई खुद जाकर सभी तरह की मंजुरी के साथ लेकर आए थे। सभी रात का डिनर ले रहे थे और साथ ही साथ सबके बिच मे संवाद चल रहा था।
आज आपने हमारी जान और स्पर्धा दोनो बचाली अंकल आपको बहुत सुखरीया ... रवीने मुहम्मद भाइको धन्यवाद स्वरुप बोलते हुए कहा।
रवी बेटा तु कबसे इन फोर्मालीटी के चक्कर मे है... मुहम्मद भाईने अपने मु मे खाने का निवाला रखते हुए कहा।
यार रवी तु भी ना। छोड ना यह सब बाते अच्छा काका(अंकल) आप मेरे को यह बताओ की आपने यह खाना कहा से मंगवाया है। मुझे तो स्वाद चखकर लगता है जरुर आपने स्वीगी से मंगवाया है... महावीरने मुहम्मदभाई की खीचाइ करते हुए कहा।
लेले बेटा तु भी मेरी लेले... मुहम्मदभाईने महावीर से कहा।
मजाक अंकल मजाक मुझे पता है आप एक अच्छे कुकर है ... महावीरने हसते हुए मुहम्मदभाई को कहा।
सिर्फ कुक बोल कुकर मे तु जैसे हमारी सीटी बजाने की कोशिश कर रहा हो एसा लग रहा है...हसते हुए रुहानने कहा।
सही मे काका खाना बहुत अच्छा बना है और आज आपने जो मदद और रुहानने मुझको जो भरोसा दिलाया है उसके लिए बहुत बहुत सुखरीया... जीज्ञाने खाना खाने के साथ मुहम्मदभाई के खाने की तारीफ़ करते हुए कहा।
बोली मुझे पता ही था की तु पहले से मुझे और पापा को पराया समझती है और तभी तु हमे सुखरीया कर रही हैं... रुहानने खाना खाते हुए जीज्ञा से कहा।
अरे एसा कुछ नहीं पर आप लोगो ने मेरे लिए जो किया है वो कोई अपना ही कर सकता है...जीज्ञाने खाना खाते हुए कहा।
उसमे सुखरीया कहने वाली कोई बात नहीं है जब भी हम कोई शरारत करते हैं और वो बडे लेवल पे बबाल हो जाती है तो अंकल ही हर बार हमे बचाते है लेकिन पुछलो अंकल से निष्ठापुर्वक अगर आज तक हमने उनसे सुखरीया कहा हो तो... सच्चाई बताते हुऐ और मुहम्मद अंकल की खीचाइ करते हुए महावीरने कहा।
बोला मेरा हाथी बोला... हसते हुए मुहम्मद भाईने महावीर से कहा।
सभी दोस्त और मुहम्मदभाई आज बडे दिनो बाद इतने खुश लग रहे थे। मुहम्मदभाई के घर में आज बहुत दिनो के बाद खुशी का आगमन हुआ था।
सुखरीया तो मुझे तुमसे बोलना चाहिए कि सही समय पर सही बात बोलकर मुझे और मेरे बेटे को तुमने संभाल लिया बेटा... मुहम्मदभाईने जीज्ञा को सुखरीया बोलते हुए कहा।
देख रुहान अब तेरे अब्बा मुझे पराया समझ रहे हैं... जीज्ञाने भी मुहम्मदभाई को उनका ही जवाब देते हुए कहा।
अच्छा अब यह सुखरीया सुखरीया बोलना छोडो और खाने का आनंद उठाओ फिर बाद में अलग से डिबेट का आयोजन है ही... रवीने कहा।
बातो के बाद अब सभी दोस्त खाने मे व्यस्त हो जाते हैं लेकिन संवाद फिर भी रुका नहीं था अब संवाद मन की आवाज से हो रहा था।
रुहान हंमेशा एसे ही मेरे साथ रहना और मुझे बचाते रहना...जीज्ञाने खाना खाते हुए मन ही मन कहा।
मुझे हंमेशा तुम्हारे साथ ही रहना है पर पता नहीं क्यु यह किस्मत क्या चाहती है...रुहानने भी जीज्ञा की तरफ देखते हुए कहा।
अगर जरुर पडी तो मे कुछ भी कर जाउंगा लेकिन तुम दोनो को मे अलग नहीं होने दुंगा बेटा। मुझे पता है की तुम दोनो एक दुसरे से बहुत प्यार करते हो पर जताना नहीं चाहते... मुहम्मदभाईने रुहान और जीज्ञा के संदर्भ में कहा।
इस तरफ सभी का खाना और हलका सा जीतने का जश्न हो रहा था और उस तरफ जेल में बेठे हुए संजयसिह को उसका गुंडा-मवाली चाचा उसके साथ मुलाकात करने आया था और दोनो के बिच जेल में संवाद हो रहा था ।
बोल बेटा तेरी यह हालत किसने की है... संजयसिह के चाचाने कहा।
चाचा बापु कहा है मुझे उनकी जरुरत है... संजयसिहने गुस्सेमे लाल होकर कहा।
तु बावला मत बन अभी तेरे बाप को यहा पे बुलाकर उसे जेल में डालना है तुझे... संजयसिह के चाचाने संजयसिह के गुस्से को ठंडा करने के लिए अपनी आवाज उची करते हुए कहा।
चाचा अब मेरा माथा फिर गया सालोने कॉलेज में से मेरी सारी पकड ही मिटा दी और वो बरोडा की सबसे बडी कॉलेज है मेरा इतना सारा नुकसान आप कैसे सेह सकते हो चाचा... संजयसिहने गुस्से की आग को ज्यादा भभकाते हुए कहा।
ठंड रख बेटा। अगर तेरे बाप को बरोडा मे वापस लाना है और बरोडा को मुठ्ठी मे करना है तो यह तेरा मामला एसे निपटा जीस मे कानुन बिच मे ना आए क्योकी इसका सारा भुकतान वरना कही तेरे बाप को ना करना पड जाए ... संजयसिह के चाचाने कहा।
ठीक है आप मुझे बस इतना कर दो यहा से बहार निकालो और मे जब भी मांगु तब मुझे आपके चार-पाच गुंडे लोग चाहिए... संजयसिहने अपना गुस्सा ठंडा करते हुए कहा।
भाई साहब आपका मुलाकात का समय पुरा हो गया है प्लीझ बहार आ जाए...पुलिस हवालदार ने कहा।
बे समय खत्म हुआ होगा तेरे बाप का शांति रख भडवे वरना तेरे बिवी-बच्चो के लिए तु नहीं बचेगा... संजयसिह के चाचाने दादागीरी करते हुए कहा।
माफ करना साहब पर बडे साहब आजाएगे तो मेरी नौकरी चली जाएगी ...हवालदारने संजयसिह के चाचा से डरते हुए कहा।
तेरा साहब नहीं आनेवाला तु बस अपनी जबान बंद रख चाहिए तो पेसा ले लेना...संजयसिह के चाचाने कहा।
हवालदार डर के मारे अपनी जगह वापस जाकर बेठजाता है और उसको देखकर बाकी के दो हवालदार भी कुछ नहीं बोलते क्योकी वो जानते हैं की संजयसिह के बापु का पावर कितना है।
पहले तु यह बता की तु क्या करनेवाला है... संजयसिह के चाचाने कहा।
भरोसा रख चाचा मे जो कुछ भी करुंगा वो इस तरह से ही करुंगा जीससे साप भी मर जाए और लाठी भी ना तुटे... संजयसिहने अपने चाचा से कहा।
एक तरफ संजयसिह जीज्ञा और रुहान के लिए मुसीबतो का पहाड खडा करने की तैयारी कर रहा था और दुसरी तरफ जीज्ञा के जीवन की सबसे बडी अडचन बस जीज्ञा के जीवन का दरवाजा खटखटाने की तैयारी मे ही थी।
सभी दोस्तो खाना खाने के बाद उपर टेरीस पर बेठे हुए थे और मुहम्मद भाई निचे बुक पढ रहे थे।
चलो कुछ तो अच्छा हुआ मेरे साथ। कम से कम मे किसी बॉलीवुड के लेजेंड के सामने अपनी लिखी हुई कहानी तो पेश कर पाउंगी... जीज्ञाने आशमान मे देखते हुए रुहान और अपने बाकी दोस्तो से कहा।
अभी इतना ही नहीं हम फाइनल भी जीतेंगे तुम देखना। बस तुम हसती रहो और लिखती रहो... रुहानने जीज्ञा को खुश रखने के इरादे से कहा।
देखते हैं कब तक... अपने घुटण पे अपना शिर रुहान की तरफ रखकर रुहान के सामने देखते हुए जीज्ञा को कहा।
जब तक तुम चाहो... रुहानने इतमे मे बहुत कुछ बोलते हुए कहा।
रुहान अपनी दोस्त को बस जताना चाहता था कि अगर तुम चाहो तो मे तुम्हारी शादी रुकवा सकता हुं।
सभी दोस्तो के बिच संवाद चल ही रहा था तभी पुर्वी के मोबाइल मे जीज्ञा के जीवन की सबसे बडी मुसीबत एक मेसेज के रुप में दस्तक देती है। पुर्वी अपने मोबाइल के स्क्रीन पर वो मेसेज देखकर वो मेसेज पुरा मोबाईल मे खोलती है और पढने के लिए अपने दोस्तों से थोडी दुर चली जाती है। पुर्वी पुरा मेसेज पढती है और मेसेज पढने के बाद अचानक से उसकी सकल चिंतावाली सकल के रुपमे परिवर्तित हो जाती है।
हैं भगवान अब नही । मे ही इस मेसेज को पढ के इतना अंदर से हिल गई हुं तो जीज्ञा का क्या होगा। है भगवान बस यह समाचार बने उतना लेट जीज्ञा के पास पहुचाना ताकी फिरसे जीने लगी जीज्ञा कुछ दिन और जी ले... गभराहट और चिंता के साथ सोचते हुए पुर्वीने मन ही मन कहा।
अरे पुर्वी यहा क्यु आ गई निचे कुद ने का इरादा है क्या... रवीने पुर्वी के पास आते हुए कहा।
पुर्वी अपनी सोच से एकदम बहार निकलकर निचे देखती है तो उसे दिखता है कि वो एकदम टेरीस के किनारे पे खडी थी।
नहीं वो मे पापा के साथ मेसेज मे बात कर रही थी तो ध्यान नहीं रहा... चिंता के सागर में डुबी हुई पुर्वीने कहा।
एसा कोनसा मेसेज था जीसको पढकर पुर्वी इतनी चिंता मे आ गई ? संजयसिह के अलावा या तो संजयसिह के द्वारा कोनसी मुश्केलीओ का सामना जीज्ञा और उसके दोस्तों को करना पडेगा और उसका अंजाम क्या होगा ? क्या अब भी रुहान और जीज्ञा के बिच प्यार की शुरुआत होने की संभावना है या नहीं है और है तो इस संजोगो मे केसे ? यही सारे सवाल हमारी कहानी को और भी रसप्रद बना देते हैं और मेरा वादा है की इन सारे सवालो के उत्तर जब आएगे तो आपको यह कहानी पढने का फायदा और मजा दोनो आएगा तो जरुर पढते रहे दो पागल के आनेवाले सारे अंको को और इसे पढ के अपने दोस्तों के साथ शेर जरुर करे।
TO BE CONTINUED NEXT PART ...
|| जय श्री कृष्णा ||
|| जय कष्टभंजन दादा ||
A VARUN S PATEL STORY