Do Pagal - Kahani Sapne Or Pyaar Ki - 22 in Hindi Fiction Stories by VARUN S. PATEL books and stories PDF | दो पागल - कहानी सपने और प्यार की - 22

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दो पागल - कहानी सपने और प्यार की - 22

अंक २२ पिता-पुत्र 

      नमस्कार दोस्तों। आशा करता हु की आप सब ठीक ही होंगे। आज मे लेखक वरुण पटेल फिरसे हाजिर हु आप के बिच हमारी बहुत ही मजेदार कहानी दो पागल के एक और अंक के साथ लेकिन मेरी बिनती है आप सभी लोगो से कि अगर आपने आगे के २१ अंको को नहीं पढा है तो सबसे पहले उन अंको को पढले ताकी आपको यह अंक अच्छे से  समझ आए। 

      आगे आपने देखा की कैसे रात को शराब के नशे मे धुत रुहान को जीज्ञा और रवी उसके घर पहुचाते है जहा पे आपका और जीज्ञा का पहली बार मुहम्मद भाई से परिचय होता है। अब आगे 

      दुसरे दिन सुबह। सुबह का वातावरण हंमेशा सब के लिए अच्छा होता है और सायद आज रुहान के लिए भी थोडा अच्छा होनेवाला था। 

      सुबह के १०:०० बजते है। रुहान अपने रुममे से फ्रेस होकर निचे आता है और इधर उधर देखे बिना सीधा बहार के दरवाजे की और चलने लगता है। 

      शुभसवार मेरे जवान... बहार की तरफ जाते हुए रुहान को देखकर पापा मुहम्मद भाईने कहा। 

      अरे अब्बा आप। आप आज ओफिस नहीं गए... पीछे मुडकर रुहानने कहा। 

      नहीं बेटा ओफिस के काम के कारण मेरी जिम्मेवारी वाली ओफिस का बहुत बडा नुकसान हुआ है तो पहले उस नुकशान की भरपाई कर लु और फिर बाद में ओफिस जाउंगा... रुहान की तरफ आते हुए मुहम्मद भाईने कहा। 

      क्या मतलब... अपने अब्बा को अपनी तरफ आते हुए देख रुहानने कहा। 

      सोरी बेटा मे तुम्हें अपने काम और अपने प्रोब्लेम के कारण समय नही दे पाया और तुम्हें अपनी बाते या तकलीफे शराब के साथ शेर करनी पडी... मुहम्मद भाईने एक अब्बा के तौर पे अपने बेटे से माफी मांगते हुए और शराब से दुर रहने का कटाक्ष करते हुए कहा। 

      मतलब मे कल रात पीकर आया था मुझे माफ कर देना अब्बा आज कल मेरे दिन ही खराब चल रहे हैं... रुहानने अपने अब्बा से कहा। 

      यह तो बडा अच्छा है तेरे दिन भी खराब चल रहे हैं और मेरे भी तो चल अपने अपने दिनो को साथ मिलकर अच्छा बनाते हैं लेकिन वो सब बाते बाद मे पहले मेने तेरे लिए नास्ता बनाया है वो नास्ता करले बाद मे मुझे आराम से अपने दिनो के बारे मे बता... मुहम्मद भाईने रुहान से कहा। 

      अब्बा वो कल रात को अगर मेने आप से कुछ भी नशे मे उल्टा सीधा बोल दिया हो तो उसके लिए मुझे माफ कर देना... रुहानने माफी मांगते हुए अपने अब्बा के साथ डाइनींग टेबल की और जाते हुए कहा। 

      नहीं मुझे तो तुन्हे कुछ उलटा सीधा नहीं बोला है लेकिन तेरी उस अहमदाबाद वाली दोस्त को जरुर बोला होगा... मुहम्मद भाईने रुहान से कहा 

      क्या जीज्ञा बरोडा मे है और मेने कल उसको शराब के नशे मे कुछ भी उल्टा सीधा बोल दिया मतलब मे उसे कब मिला अब्बा... रुहानने अपने अब्बा से सवाल करते हुए कहा।

      वो और रवी तुझे कल घर छोडने आए थे और तु नशे मे था इसीलिए तुझे कुछ याद नहीं है... मुहम्मद भाईने रुहान से कहा। 

      अबे यार रुहान इतनी बडी गलती तु केसे कर सकता है... मे चलता हु अब्बा... दोडकर बहार की और जानेवाले दरवाजे की और जाते हुए रुहानने कहा। 

      अरे नास्ता तो करते जा... जाते हुए रुहान को मुहम्मद भाईने कहा। 

      आकर करता हु अब्बा... जाते हुए रुहानने कहा। 

      अब रुहान फटाफट सीधा अपने दोस्तों को लेकर कॉलेज पहुचता है और अंदर जाते ही उसकी आखे जीज्ञा और पुर्वी को ढुडने लगती है। 

      रवी और जाडीया (महावीर) जीज्ञा और पुर्वी के साथ साथ उस संजयसिह को भी ढुंडना साला पुराना हिसाब बाकी है... तीनो ने कोलेज के बडे से ग्राउंड मे चलते हुए कहा। 

      तीनो चारो तरफ नजर करते करते कॉलेज के केम्पस मे प्रवेश कर जाते है और अभी तक उन को ना तो पुर्वी और जीज्ञा मिले थे और ना तो संजयसिह। कुछ देर बाद क्लास मे अपनी गर्लफ्रेंड के साथ मजे लुटाते हुए संजयसिह रवी को दिख जाता है। रुहान और महावीर केम्पस मे चलते हुए कॉलेज के पीछे के ग्राउंड मे जीज्ञा और पुर्वी को देखने के लिए जा रहे थे। इस तरफ रवी जीस क्लास मे संजयसिह और उसकी गर्लफ्रेंड दोनो बेठकर बाते कर रहे थे वहा पे रवी अकेला आता है। 

      ओह हो तेरी भी गर्लफ्रेंड है संजु... रवीने बेबाकी से संजु का मजाक उडाने की शुरुआत करते हुए कहा।

      अरे मेरा दिकु रवी आया है । बेटा अभी मर्द लोगो की गर्लफ्रेंड नहीं होगी तो क्या तेरे उस छक्के जेसे दोस्त की होगी। साला एक गर्लफ्रेंड बना नहीं सकता। बोल बेटा क्यु आया है यहा पर... अपनी जगह से खडा होकर रवी के पास आकर उसका मु अपने एक हाथ पकडकर संजयसिहने कहा ।

      नहीं वो तो मे यहा से गुजर रहा था तो सोचा भाभीजी के हाल-चाल पुछता चलु...पीछे बेठी संजयसिह की गर्लफ्रेंड को देखकर रवीने कहा। 

      रवी की बात सुनकर जेसे संजयसिह पीछे बेठी अपनी गर्लफ्रेंड की तरफ देखता है तभी वहा खडा रवी संजयसिह के शीर पे जौर से थप्पड मारता है और संजयसिह थप्पड लगने के कारण सीधा अपनी गर्लफ्रेंड के पास जा गिरता है और एकदम गुस्से के साथ संजयसिह खडा होता है और वो आगे बढे उसके पहले रवी भागने लगता है और उसके पीछे पीछे संजयसिह। दोनो भी भागते भागते कॉलेज के पीछे वाले मैदान में पहुचते है जहा रुहान और महावीर जीज्ञा और पुर्वी को ढुंडते हुए आगे जा रहें थे। 

      बे रुहान लोमडी जाल मे आ रही है दबोच लो जल्दी... भागते हुए रवीने बहार मैदान मे आकर जीज्ञा और पुर्वी को ढुंड रहे रुहान और महावीर को कहा ।

      दोनो रवी की आवाज सुनकर पीछे की और मुडते है और देखते हैं तो रवी आगे भाग रहा था और उसके पीछे संजयसिह। दोनो दोस्त संजयसिह को देखकर जाने लाल कपडे को देखकर बेल जेसे गुस्सैल हो जाता है एसे गुस्सेल हो जाते हैं और संजयसिह की और दोनो दोडने लगते हैं और चारो बिच मैदान मे इक्कठे हो जाते हैं। माहोल बडा जंगवाला बनने की कदार पर था। एक तरफ संजयसिह अकेला था और एक तरफ तीनो दोस्त थे। जेसे थोडे दिनो पहले संजयसिह ने किया था वेसी ही परिस्थिति मे आज संजयसिह भी था। 

      तुम तीनो और मे अकेला यह तो नाइंसाफी लेकिन कोई बात नहीं तुम लोगो के लिए तो मे अकेला ही काफी हु आ जाव सालो... संजयसिहने अपनी ताकात का प्रदर्शन अपनी बोली से करते हुए कहा। 

      तु चिंता ना कर हरामी तुन्हे जेसा मेरे नशे मे होने का फायदा उठाया था मे वेसे फायदा नही उठाउंगा। तुझे तो मे अकेला मारुंगा... रुहानने भी सामने संजयसिह की जुबान मे जवाब देते हुए कहा। 

      दोनो जेसे ही लडने की शुरुआत करते हैं तभी संजयसिह की गर्लफ्रेंड कही से संजयसिह के दोस्तो को बुलाकर आती है और सभी दोस्त रुहान और उनके तीनो दोस्तो के उपर तुट पडते है और संजयसिह का पलडा भारी होने लगता है। बीच मेदान मे मुकाबला जोरो पर था तभी रुहान और उसके दोस्तो का पलडा भारी करने के लिए मैदान मे दुर से अपने बेगो को हाथ मे लेकर दोडे आ रहे दो साथी रुहान, संजयसिह और उसके साथी को दिखते है और वो और कोई नही जीज्ञा और पुर्वी थे जो इस झगडे मे घुसकर सबसे पहले संजयसिह की गर्लफ्रेंड को अपनी बेग को हथियार बनाकर उससे मारकर निचे गीरा देते हैं और फिर बारी बारी संजयसिह के हर एक आदमी को मारने लगते हैं और उन्हें देखकर रुहान और दोनो दोस्त भी थोडे से मोटिवेट हो जाते हैं और सभी मिलकर संजयसिह और उसके दोस्तो को खुब पीटते है। पीटते पीटते जीज्ञा और रुहान के बिच संवाद की शरुआत होती है । 

      सोरी यार कल रात मेने जो कुछ किया उसके लिए... संजयसिह का गला पकडकर उसे जोर से चाटा मारते हुए रुहानने कहा।

      बेइज्जती तो तुन्हे मेरी बडी की है लेकिन अब मेरे पास रुठने का भी समय नही है इसलिए छोड देते है और गलतीया तो मेने भी हमारी दोस्ती मे बडी की है लेकिन तुन्हे कभी मुझे माफी मांगने का मोका दिया ही नहीं तो मे तुझ से माफी क्यु मंगाउ... संजयसिह की गर्लफ्रेंड के बालो को पकडकर जमीन पर घसीटते हुए जीज्ञाने रुहान से कहा। 

      पुर्वी और रवी दोनो मिलकर संजयसिह दो आदमीओ को भर पेट मार रहे थे और महावीर अकेला संजयसिह के दो आदमी को अपने भुजा मे दबाकर पीट रहा था। तो कुछ इस तरह जीज्ञा की मंगनी के बाद सभी दोस्तो का रियुनीयन होता है। 

     तो मतलब मे क्या समझु तुझसे माफी मांगु या तुझे माफ कर दुं... संजयसिह को पीटते हुए रुहानने कहा। 

     न तु माफी मांगेगा न मे माफी मांगुगी बस सबकुछ भुलकर कुछ दीन साथ मे अच्छे बिताते है... अपने हाथ से छुटकर भागती हुई संजयसिह की गर्लफ्रेंड को देखते हुए जीज्ञाने कहा। 

     धीरे धीरे संजयसिह के सारे दोस्त रवी, पुर्वी और महावीर के हाथ से छुटकर भागने लगते हैं। 

     भाग जा तु भी अपने दोस्तों के साथ... अपने हाथ से संजयसिह को छोडते हुए रुहानने कहा। 

     साला मर जाउंगा लेकिन भागुगा नही आज जा रहा हुं लेकिन ध्यान रखना मे अभी हारा नहीं हुं। दोनो को तडपाउंगा... जाते हुए संजयसिहने कहा। 

     बाकी मजा आ गया एसी धुलाई मेने अपने जीवन में कभी नहीं की है... जीज्ञाने अपने हाथो को साफ करते हुए कहा। 

     तो कुछ इस तरह रियुनीयन के बाद आज का दिन बितता है। दुसरे दिन सुबह। सभी दोस्त कॉलेज के केन्टिंग मे बेठकर नास्ता और संवाद दोनो कर रहे थे। 

     तो चलो तैयारी पुरी कर लो अगले हप्ते प्रतियोगिता का दुसरा राउन्ड है ... रवीने नाटकीय स्पर्धा की बात करते हुए कहा। 

     अरे हा जीज्ञा वो तो दिमाग से ही निकल गया। चलो तुम स्टोरी दो तो हम उसपे काम शुरु करे... रुहानने बात को आगे बढाते हुए कहा। 

     रुहान तुम्हे अभी भी लगता है की मेरे जीवन के बचे हुए चार पाच दिन भी मे इस स्पर्धा के पीछे बरबाद करुंगी... जीज्ञाने अपनी राय बताते हुए कहा। 

     जीज्ञाने अब अपने सपने और अपने प्यार की मिलने की उम्मीद से नाता तोड लीया हो एसा उसके शब्दो से लग रहा था। 

     क्यु नहीं और हा तुम्हारे जीवन के सिर्फ पाच ही दिन नही है। कम से कम तुम्हारे पिता पढाई तक तो तुम्हारी शादी नहीं ही करेंगे... रुहानने फिर से जीज्ञा को अपने सपने के रास्ते पर चलने की राह दिखाने की कोशिश करते हुए कहा। 

     रुहान अब मे अपने जीवन को प्रेक्टिकल ही सोच कर आगे बढाना चाहती हुं अब इतना कुछ होने के बाद मे कोई जुठी तस्सली या उम्मीद पे रहकर बाद मे और ठोकर खाना नही चाहती...जीज्ञाने रुहान से अपने विचार कहते हुए कहा। 

     देख जीज्ञा मे तुझे कोई जुठी तस्सली नहीं दे रहा लेकिन तु ही सोच ले क्या तु अपने लेखन के काम से दुर रह पाएगी अगर नहीं तो तुझे अपने लिए ना सही तो अपने इस दोस्तों के लिए और अपने लेखन के लिए करना चाहिए क्योंकि तेरे जीवन का सपना है की तेरी लिखी कहानी लोगो के सामने आए तो यह मोका है जहा पे पहले अपनी कोलज के और बाद मे पुरे गुजरात के कही छात्र और उनके माता-पिता तुम्हारी इस कहानी को एक नाटकिया स्वरुप मे देखेंगे तो तुम्हारा सपना बडे लेवल पे ना सही तो एक लेवल तक तो जरुर शाकार होगा... कुछ भी करके अपनी दिमागी ताकत लगाकर जीज्ञा को मनाने की पुरी कोशीष करने मे रुहान लग गया था।  

     प्लीज जीज्ञा मान जाना वो एकदम सही बोल रहा है... पुर्वीने भी जीज्ञा से कहा। 

     क्या पता इस नाटक के जरिए तुम्हारा दिमाग समस्या से हटकर सर्जन मे लग जाए... रवीने भी जीज्ञा को समझाने की कोशिश करते हुए कहा ।

     सभी दोस्तो की जीज्ञा को इस नाटक स्पर्धा के लिए तैयार करने के पीछे की वजह यही थी की जीज्ञा कुछ दिन अपने दुंःखो को भुलकर ही जीए। 

     रवी तु इतने से सुलझी हुइ बात को राईमींग करने के चक्कर में उलझा क्यो देता है... महावीरने रवी के वाक्य को टारगेट करते हुए कहा। 

     मोटे तु खाने मे ध्यान दे जीसे समझना था उसने समझ लिया है... रवीने कहा। 

     जीज्ञा तु प्लीज़ मान जा मुझे अभी भुख लगी है और तु जब तक मानेगी नहीं ना तब तक यह दोनो रोतलु खाना नही मंगवाएगें... महावीरने जीज्ञा से कहा। 

     जीज्ञा प्लीज़ अपने लिए ना सही तो अपनी दोस्ती के लिए मान जा... रुहानने अपने आपसे समझोता कर बेठी जीज्ञा को फिर से सपनो की सीडी पर चडने के लिए उत्साहित करने की कोशिश करते हुए कहा। 

     जीज्ञा कोई भी जवाब दे उससे पहले एक एसी घटना बनती है जीसकी छोटी सी असर रुहान के दिल पर होती है और वो घटना यानी जीज्ञा के फोन मे उसके मंगेतर का फोन आना और जीज्ञा का उसका फोन उठाने के लिए टेबल से उठकर चले जाना अब आप मे से कही लोगो ने यह महसुस किया होगा जब आपका प्रियपात्र किसी और का होने लगे तो आपको केसा लगता है ? ठीक वेसी ही परिस्थिति आज उस फोन को देखकर रुहान की भी थी। 

TO BE CONTINUED NEXT PART ...

|| जय श्री कृष्णा ||

|| जय कष्टभंजन दादा ||

A VARUN S PATEL STORY