अंक २० रिस्टार्ट
नमस्कार दोस्तों। आशा करता हु की आप सब ठीक ही होंगे। आज मे लेखक वरुण एस पटेल फिरसे हाजिर हु आप के बिच हमारी बहुत ही मजेदार कहानी दो पागल के एक और अंक के साथ लेकिन मेरी बिनती है आप सब लोगो से कि अगर आपने आगे के १९ अंको को अभी तक नहीं पढा है तो सबसे पहले उन अंको को पढले ताकी आपको यह अंक अच्छे से समझ आए। आईए पढ़ते इस अंक को रिस्टार्ट |
आगे आपने देखा की कैसे रुहान और जीज्ञा के जीवन की प्रेम नैया समंदर मे तेरने से पहले ही डुब जाती है। दोनो मे से किसी को भी पता नहीं था की आगे उनका भविष्य क्या है और उनके बिच अब प्यार होने की कोई भी गुंजाइश बची भी है या नहीं। महावीर आकर रवी और रुहान को अपने पहचान वाले डॉक्टर के अस्पताल पहुचाता हैं। परिस्थिति एसी थी की एक अस्पताल मे था तो दुसरा पागल बिना अस्पताल गए वेन्टिलेटर पे रखे इंसान की जो हालत होती है ना वही हालत से गुजर रहा था । अब आगे अभी पिक्चर बाकी है। तो पढे आगे की मजेदार कहानी।
जीज्ञा के घर। सगाई के दो दिन बाद। जीज्ञा के मामा, मामी और पुर्वी अभी तक जीज्ञा के घर रुके हुए थे। सभी लोग जीज्ञा के घर के होल मे बेठे हुए थे सिवाय जीज्ञा के। सभी के बिच जीज्ञा को पढने भेजना है की नही इसकी चर्चा चल रही थी। उतने में चंपा बा भी उस चर्चा मे हिस्सा बनने के लिए आ जाते हैं और सभी के बिच जीज्ञा के भविष्य को लेकर चर्चा का दौर शुरु होता है। एक तरफ गीरधनभाई थे और दुसरी तरफ वहा पर बेठे सारे लोग।
अब जीज्ञा शादी से पहले कही नहीं जानेवाली ठीक है। शादी के बाद अगर उसके पती को ठिक लगे तो फिर वो वहा पे पढ शक्ति है लेकिन अभी तो यह नामुमकिन है... गीरधनभाई ने बात की शुरुआत ना से करते हुए कहा।
देखिए जीजाजी जो भी हुआ वो अच्छा नहीं हुआ लेकिन अभी तो उसकी मंगनी भी हो चुकी है और वो इतनी तो समझदार है की अब वो एसे वेसे काम नहीं करेगी। मेरे ख्याल से आपको होस्टेल वालो को कडक शब्दों में बोलकर की आगे एसा नहीं होना चाहिए और जीज्ञा को पढने के लिए जाने देना चाहिए... जीज्ञा के मामा न चाहते हुए भी एसा वेसा कुछ भी बोलकर बस जीज्ञा के पढने का और अपने सपने को पुरा करने का रास्ता खोलने की कोशिश करते हुए कहते हैं।
पापा जीज्ञाने कोई एसी वेसी हरकत नहीं की बस आप लोग ना उसे कभी समझाने का या उसे बोलने देने का मौका ही नहीं देते ...पुर्वीने बिच चर्चा मे जीज्ञा का पक्ष लेते हुए कहा।
और तुझे भी कुछ समझाने की जरुरत नहीं है। बडे जब बात कर रहे हो तो छोटे को बिच मे बोलना नहीं चाहिए कभी सुना नहीं है... गीरधनभाईने डाट लगाते हुए पुर्वी को कहा।
जब से सजंयसिहने जीज्ञा के जीवन में आग लगाई है तब से जीज्ञा या पुर्वी किसी की भी कोई भी बात सुनने को तैयार नहीं थे।
बेटा तुम जाकर जीज्ञा के रुममे बेठो... पुर्वी के पापा ने पुर्वी से कहा।
पुर्वी जीज्ञा के रुममे चली जाती है।
देख गीरधन जो भी हो अब तुन्हे उसकी मंगनी कर दी है तो फिर चिंता की बात नहीं है और अब कुछ दिन तुझे उसकी मरजी से भी जीने देना चाहिए और उसे कॉलेज होस्टेल जाने देना चाहिए... चंपाबाने भी जीज्ञा के पक्ष मे बोलते हुए कहा।
मुझे तो समझ ही नहीं आ रहा है कि आप लोग इतनी जीद क्यु कर रहे हो उसके लिए... गीरधनभाईने कहा।
बेटा हम जीद नहीं कर रहे हैं हम तो तुझे समझा रहे हैं की बच्चो से गलती हो तो उसकी दुनिया सुघारनी चाहिए न की छीन लेनी चाहिए... चंपाबाने गीरधनभाई के सवालो का उत्तर देते हुए कहा।
ठीक है तो मे उसे एक शर्त के बाद कल रक्षाबंदन मनाने के बाद भेज सकता हु और वो शर्त यह है की मुझे जब अच्छा लगे या कुछ गडबड जेसा लगेगा तो मे उसकी पढाई के बिच ही शादी कर दुंगा ... गीरधनभाई ने अपनी बात रखते हुए और जीज्ञा को पढने जाने देने के लिए परवानगी देते हुए कहा।
चंपाबा और जीज्ञा के मामा का उदेश्य अभी के लिए जीज्ञा के साथ इतना कुछ हुआ था इससे जीज्ञा बहुत दुःखी हो चुकी थी और वो इस दुःख से थोडा दुर जाए एसा चाहते थे।
दुसरे दिन जीज्ञा अपने भाई को राखी बांधती है और उसके बाद दोनो भाई बहन और पुर्वी अपने घर के टेरीस पर बेठे हुए थे और दोनो के बिच हलका फुलका संवाद चल रहा था ।
आज मेने तुझे तोफे मे ५०० रुपये दिए हैं लेकिन तु देखना कल मे बडा होके तुझे फिल्म बनाने के लिए ढेर सारा पेसा दुंगा... छोटे से भाई ने नटखट पना दिखाते हुए कहा।
मुझे कुछ नहीं बनाना बस अब तु मेरा कभी साथ मत छोडना... अपने भाई के गालो को चुमते हुए जीज्ञाने कहा।
मुझे पता है दी की आपको यह शादी नहीं करनी है पर पापा जबरदस्ती करवा रहे हैं मे ना पापा से लडुंगा की मेरी दी को यह शादी नहीं करनी है... मासुम भाईने मासुम सी बात करते हुए कहा।
छोटे भाई की इतनी समजदारी वाली बात सुनकर पुर्वी और जीज्ञा दोनो मुस्कुराने लगते हैं। बहुत दिनो के बाद आज भाई के कारण जीज्ञा के चहरे पे थोडी सी हसी आई थी।
तुझे इतना सब सोचने की जरुरत नहीं है तु पढाई मे ध्यान दें ठीक है... पुर्वीने छोटे भाई से कहा।
तो कुछ एसे रक्षाबंधन मनाने के बाद जीज्ञा और पुर्वी दोनो बरोडा वापस लोटते है।
अगले दिन सुबह। जीज्ञा और पुर्वी अपनी कोलेज पहुचते है। जीज्ञा का मुड अभी भी खराब ही था क्योकी उसको पता था कि यह कुछ ही दिनो की आजादी है। दोनो का अपने कॉलेज केम्पस में प्रवेश होता है। दोनो की आखे अपने अडियल दोस्त को ढुंडने मे ही लगी हुई थी। जीज्ञा को तो बस अपनी आजादी के आखरी दिनो मे जी भर के रुहान को देखना था क्योकि कभी इजहार भले ही ना किया हो पर जीज्ञा रुहान को चाहती जरुर है। दोनो केम्पस मे चलते हुए अपनी क्लास की और जा रही थी तभी उन्हें सामने सजंयसिह और उसके दोस्त मिलते हैं।
ओहो देखो तो जरा कौन आया है। इस कॉलेज के युवा लिडर की प्रेमीका। ओह सोरी सोरी आपकी तो सगाई हो गई है तो मुझे एसा नहीं बोलना चाहिए क्योकी अब आप थोडी रुहान की हो अब तो आप किसी और के हो चुके हो सनम... सजंयसिहने जीज्ञा के हालातो का मजाक उडाते हुए कहा।
तु ना मेरे सामने बहुत रहा ना कर क्योकि मेरा माथा और हालात दोनो तेरे कारण फिरे हुए हैं और अगर ज्यादा सामने आया ना तो कही मे तेरा खुन करके अपने हालातो को और ना बिगाड लु... जीज्ञाने सजंयसिह के सामने अपनी आखो को चौडी करते हुए कहा।
ओह तो आपको पता चल ही गया की आपकी यह हालत मेने की है... सजंयसिहने अपना मु एसे वेसे करते हुए कहा।
हा क्योकी तेरे जेसा हरामी ही एसा काम कर सकता है... पुर्वीने सजंयसिह से कहा।
छोरी थोडा लिमीट मे रे तो ही अच्छा वरना तेरा हाल भी इन दोनो जेसा ही होगा एक अस्पताल मे और एक बिना अस्पताल के भी बिमार... सजंयसिहने अपनी आखे चौडी करते हुए पुर्वीसे कहा।
अस्पताल मे मतलब। तुन्हे रुहान के साथ क्या किया है मे तुझे छोडुगीं नहीं अगर तुन्हे कुछ उल्टा सीधा किया है तो ... जीज्ञाने सजंयसिह को धमकी के स्वरुप मे बोलते हुए कहा।
उल्टा सीधा क्या सामने दिखा था दो तीन बोटल चडाए हुए और ज्यादा हिरो बनने का तो उसको शोख है तो फिर थोडी धुलाई करडाली। बस पडा होगा अब किसी अस्पताल में । चलो फिर जय माताजी ... संजयसिह इतना बोलकर अपने रस्ते अपने दोस्तों के साथ चल पडता है।
थोडा समय पसार होने के बाद। दोनो कॉलेज मे अपने लेक्चर में बेठे हुए थे। जीज्ञा का दिमाग़ तो अभी भी रुहान के नाम का जाप कर रहा था। वो बार बार खिड़की से बहार देख रही थी, लेक्चर पुरा होने के बाद दोनो बहार गार्डन मे बेठकर रुहान और उसके दोस्तो की राह देख रहे थे। कॉलेज का पुरा समय पसार हो जाता है लेकिन रुहान और उसके दोस्त कॉलेज नहीं आते हैं फिर जीज्ञा और पुर्वी को लगने लगता है कि सही मे सजंयसिह और रुहान के बिच कुछ ना कुछ तो हुआ है। दोनो अपने होस्टेल पहुचते है। जीज्ञा होस्टेल आने के बाद भी रुहान के बारे मे सोच रही थी।
कुछ इस तरह जीज्ञा का मंगनी के बाद का बरोडा मे पहला दिन बितता है। लेकिन अभी रात बाकी थी।
रात का समय। रवी आज फिर से शराब मे डुबे हुए कबीर सिंग यानी रुहान को अपने एक्टिवा मे पीछे बिठाकर घर छोडने के लिए जा रहा था। बिच रास्ते मे जीज्ञा और पुर्वी की होस्टेल आती है। रुहान होस्टेल देखकर रवी को नशे की हालत मे बोलता है।
रथ रोक दो श्री कृष्ण हम युद्ध खेलना चाहते हैं... रुहानने एक्टिवा चलाते हुए रवी को कहा।
अबे तेरा नशा अभी उतरा नहीं है तो चुपचाप बेठ... रवीने रुहान को कहा।
रथ रोको वरना हमे रथ से छलांग लगाने का काफी अनुभव है ... रुहानने नशेडी की तरह रवी से कहा।
रवी अपनी एक्टिवा होस्टेल के सामने खडी रखता है। रुहान एक्टिवा से निचे उतरता है और अपनी नोटंकी की शुरुआत करता है।
बहार निकल बेवफा सनम। अरे मेरे साथ ना सही तो अपने सपने के साथ तो वफाई करती। बहार निकल बेवफा। आज तो फेसले की रात है... लडखडाते हुए कदमो के साथ रुहानने कहा।
रुम मे अपनी उदासी को गोद लिए बेठी जीज्ञा और पुर्वी रुहान की आवाज सुनकर अपने रुम की खीडकी पर आते हैं।
बे रवी सही मे तेरे को खीडकी पे कोई दिख रहा है या सिर्फ मुझे ही दीख रहा है। बे रुहान कम पीना रख साले... अपने आपको चाटा मारते हुए रुहानने कहा।
बे कोन है वहा भागो सालो वरना मार मार के तोड डालुंगा... रुहान की आवाज सुनकर वोचमेनने रुहान और रवी की तरफ आते हुए कहा।
तो कुछ इस तरह एक घमाल कहो या बबाल के साथ दोनो की जीज्ञा की मंगनी के बाद मुलाकात होती है। अब इस दोनो के बिच बहुत धमाल होनेवाली है जीसमे रुहान के अब्बा का प्रवेश होनेवाला है जीससे यह कहानी और भी मजेदार होनेवाली है। आगे देखना इसलिए मजेदार होनेवाला है क्योकि आगे शराब के नशे मे टल्ली रुहान, होस्टेल का वोचमेन, जीज्ञा, रवी और पुर्वी और सबसे लास्ट जब मुहम्मद भाई का प्रवेश होगा तो कहानी एक इमोशनल मोड ले लेगी जीससे आपको पढने का दुगना मजा आएगा और आपका समय भी अच्छा पसार होगा और आप इस कहानी के साथ इमोशनली जरुर जुड जाएंगे । धन्यवाद। अगर आपको हमारी कहानी पसंद आए तो इसे अपने दोस्तों के साथ शेर जरुर करे।
TO BE CONTINUED NEXT PART ...
|| जय श्री कृष्णा ||
|| जय कष्टभंजन दादा ||
A VARUN S PATEL STORY