Do Pagal - Kahani Sapne Or Pyaar Ki - 19 in Hindi Fiction Stories by VARUN S. PATEL books and stories PDF | दो पागल - कहानी सपने और प्यार की - 19

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दो पागल - कहानी सपने और प्यार की - 19

अंक १९ इंटरवल 

    नमस्कार दोस्तों। आशा करता हु की आप सब ठीक ही होंगे। आज मे लेखक वरुण पटेल फिरसे हाजिर हु आप के बिच हमारी बहुत ही मजेदार कहानी दो पागल के एक और अंक के साथ लेकिन मेरी बिनती है आप सब लोगो से कि अगर आपने आगे के १८ अंको को नहीं पढा है तो सबसे पहले उन अंको को पढले ताकी आपको यह अंक अच्छे से  समझ आए। तो आइए शुरु करते है हमारी इस बहेतरीन नवलकथा के इस बहेतरीन अंक को । आज हमारी कहानी का यह अंक इंटरवल के सामान है कहानी का आधा हिस्सा आज इस अंक से समाप्त होता है |

     आगे आपने देखा की कैसे रुहान और जीज्ञा के जीवन में पहाड सी अड़चन आ पडी है जीससे दोनो एक दुसरे के होने के बावजुद भी एक दुसरे से अलग हो जाते हैं । इस तरफ जीज्ञा की मँगनी पक्की कर दी जाती है और उस तरफ अपने तुटे हुए दिल के टुकडो को समेटकर रुहान बरोडा जाने के लिए निकल जाता है। दोनो की आखो में एक दुसरे के लिए आसु थे और दोनो एक दुसरे को इस परिस्थिति मे जमकर गले लगाना चाहते थे लेकिन यह बात किस्मत को थोडी सी भी मंजुर नहीं थी। अब दोनो एक दुसरे के कभी भी हो सकते हैं इस बात पर फुल स्टोप लगा चुके थे।

     मंगनी के दिन।                                                                           

     अभी तक के दिनो की बात करे तो जीज्ञा के दिन आसुओ के साथ गुजरते है और अपना हिरो तो पुरा कबीर सिंग बन चुका था अब तक के सारे दिनो मे वो नशे मे ही डुबा रहा था। ना तो उसे दिन का होश था और ना तो रात का। अपने दोनो दोस्तो से वो बहुत कम मिलने लगा था। होश ना होने के कारण वो कही भी शराब पीके घुमने लगता था। आज रवी शराब के नशे मे घुर्त रुहान को अपनी एक्टिवा के पीछे बिठाकर रुहान के घर की और जा रहा था और दुसरी और कुछ ही घंटो मे जीज्ञा की मंगनी होनेवाली थी। रवी और रुहान दोनो गालिओ के रास्ते से जा रहे थे जीससे कोई पुलिसवाला उन्हे पकड ना ले क्योकी रुहानने खुब शराब पी हुई थी। दोनो जा ही रहे थे तभी सामने सजंयसिह और उसके पांच से छे गुंडे सामने अपनी अपनी बुलट बाईक पर आते हुए मिलते हैं। रवी और रुहान को देखकर सजंयसिह और उसके दोस्त अपनी अपनी बुलट रोक देते हैं और साथ ही साथ अपनी बुलट बाईक से रुहान और रवी का रास्ता रोक लेते हैं। रवी सजंयसिह के सामने देखता है और उसके पीछे बेठे हुए रुहान को इतना होश नही था की वो सजंयसिह को देख सके या उससे लड सके।

     अरे रवीभाई और रुहानभाई बडे दिनो के बाद आपके दर्शन नसीब हुए... सजंयसिहने अपनी बुलट बाईक पर से उतरते हुए अपनी तेडी जबान का उपयोग करते हुए कहा।

    देख सजंय अभी हमे जाने दे उसकी हालत बहुत खराब है। तेरा जो भी है वो बाद में देख लेना ... रवीने सजंयसिह से कहा।

    देख अपने बाप के नाम के पीछे सिह लगाया कर वरना यहा से पिटकर ही जाएगा तु... सजंयसिहने रवी की आखो में आखे डालते हुए कहा।

    देखो सजंयसिह प्लीज अभी हमे जाने दो यहा से आपका जो भी है हम बाद में मिलकर सुलझा लेंगे... रवीने सही समय पर सही बात करते हुए कहा।

    बेटा जाने दुंगा लेकिन रुहान भाई को मे अपनी और से एक और झटका दे दुं उसके बाद हा । तो रुहानभाई आप किस ख़ुशी में इतना पी कर टल्ली हुए हो... सजंयसिहने रुहान का चहेरा अपने हाथो से दबोचते हुए कहा।

    छोड बे कुत्ते वरना एसा मारूंगा की किसी और का मार खाने लायक नहीं रहेगा... नशे मे जेसे आदमी बोलता है उसी अंदाज मे बोलते हुए रुहानने कहा।

    देखो दोस्तों अब यह मुझे मारेगा देखो... हा...हा... हा...बेटा रस्सी जल गई पर बल नहीं गया। पहले अपनी हालत तो देख और हा मुझे बाद मे मारना पहले अपनी आइटम को बचाले वरना वो गई तेरे हाथ से। बहुत प्यार करता है ना उसे उस दिन रात को तुने उसे प्रपोझ भी किया था लेकिन फिर भी हा ना आई ... इतना बोलकर सजंयसिह और उसके दोस्त रुहान पर हसने लगते हैं।

    यह सब तुम्हें केसे पता... रवीने संजयसिह से सवाल करते हुए कहा।

    पता केसे नहीं होगा बेटा यह संजयसिह से अगर कोई  दुश्मनी करले तो उसका मे सही तरह से ख्याल रखता हुं और हा यह जो इस भडवे के साथ और उस आइटम के साथ हो रहा है वो सब किया घरा मेरा ही है समझा... सजंयसिहने अपनी बात को धीरे धीरे खोलने की कोशिश करते हुए कहा ।

    रुहान रवी की पीठ के सहारे सो कर सारी बाते सुन रहा था।

    मतलब तु कहना क्या चाहता है सजंयसिह... रवीने अपनी आखे थोडी सी चोहडी करते हुए कहा।

    अबे साले तु नहीं बोलने का और आखे निचे रखने की वरना तेरी भी हालत इसके जेसी कर दुंगा। मेने बोला था तेरे दोस्त से की तु मुझसे मत उलझ वरना एसा राजनैतिक बदला लुंगा की तु तेरा सबकुछ लुटते हुए सिर्फ देख पाएगा और कर कुछ नहीं पाएगा और अब देखलो आज उसका सबकुछ मतलब जीज्ञा जीसे और कोई लुटकर ले जाने वाला है और यह जनाब शराब पीने के अलावा कुछ भी नहीं कर सकते। मुझे तो दया आ रही है इस बिचारे कुत्ते पर... रुहान के शिर पर हाथ फिराते हुए संजयसिहने कहा। संजयसिह के सभी दोस्त सजंयसिह की हरकतो को देखकर हस रहे थे।

   भाई इतना झटका दे ही दिया है तो फिर पुरा बता ही दोना... हस्ते हुए सजंयसिह के आदमीओ मे से एक आदमीने कहा।

    सुनोगे बेटा बहुत अच्छी कहानी है। तो कहानी कुछ एसी है कि कॉलेज में एक रांझा और एक हीर थी और एक अच्छा सा हेन्डसम सा विलेन था और दोनो की हो गई विलेन से दुश्मनी और फिर विलनने अपने बदले को तलाश ने के लिए हीर और रांझे के पीछे एक आदमी लगा दिया जो अपनी फोटो और विडियो ग्राफी के द्वारा बदला लेने का मोका ढुंड ले और फिर उसने मुझे जो जो मौके दिये है। राझे का प्रपोझल, अहमदाबाद में साथ घुमना, रांझे का अपने दोस्तों के साथ होस्टेल के छत पर आना वगेरा वगेरा मोके मुझे अपने आदमीने दिए और उसका मेने मतलब जो उपयोग किया है साला तुम सुनोगे तो मजा आ जाएगा... सजंयसिह नखरे करते हुए रवी और नशेमे घुत रुहान को जीज्ञा की सगाई की साजिश बताते हुए कह रहा था।

     अरे बता दो भया उन्हें मजा आए ना आए हमे जरुर आएगा... रुहान और उसके दोस्तो की हालत पर हसते हुए संजयसिह के एक आदमीने कहा।

      तो सुनो तुम दोनो हरामीओ। उस फोटो को एक अच्छे से तबाही लेटर के साथ मेने अहमदाबाद कुरियर करवा दिया और फिर हुआ सायद कुछ एसा होगा कि वो चिठ्ठी मी. गीरधनभाई के हाथ मे आई होगी और उन्होने पढना शुरु किया होगा और उसमे लिखा था कि डियर गीरधनभाई मे आपके ही दल का आदमी हु और आप मुझे अपना शुभ चिंतक समझ सकते हैं और आप मेरे बारे में ज्यादा न सोचते हुए अपनी बेटी और समाज में आपकी जो इज्जत हैं उसके बारे में अगर ज्यादा सोचे तो ही आपका भला है। आपकी बेटी बरोडा के एक मुस्लिम युवक के चक्कर में है और उसे लगता है कि वो मुस्लिम लडका उसे प्यार करता है लेकिन एसा बिलकुल नहीं है वो मुस्लिम लडका सिर्फ और सिर्फ उसके शरीर से ही प्यार करता है और इसी कारणोसर वो कभी आपकी बेटी के होस्टेल पहुच जाता है तो कभी आपकी बेटी के पीछे अहमदाबाद। आपको मेरे उपर भरोसा करने की बिलकुल जरुरत नहीं है आप इस लेटर के साथ सबुत के तौर पर भेजे हुए फोटो देख सकते हो आप खुद ही समझ जाओगे इतने तो आप होशियार हो। बाकी आगे आपके उपर है की आपको क्या करना चाहिए और क्या नहीं और मेरी मानो तो उसकी सगाई और जल्द से जल्द शादी कर देनी चाहिए। तो कुछ एसा बम्ब छोडा है मेने तुम दोनो के जीवन में और जीसके धमाके का शोर तुम सारे अभी तक अपने दिल की आवाज तहत सुन ही रहे हो... सजंयसिहने अपनी सारी साजीस नशे मे धुत रुहान और रवी को समझाते हुए कहा।

     सजंयसिहने जान बुझकर रुहान और जीज्ञा के फोटो का गलत इस्तेमाल करते हुए अपने बदले की कसक पुरी की और वो उसमे कही हद तक सफल भी हुआ। सजंयसिहने जीज्ञा के पिता के सामने जानबुझकर मुस्लिम युवक का उल्लेख किया ताकी पुरानी सोच रखनेवाले गीरधनभाई भडक जाए और संजयसिह की लीखी हुइ बातो मे आ जाए और जीज्ञा की सगाई नक्की कर दे जीससे रुहान और जीज्ञा को बिना कुछ अपराध किए बरबाद किया जा सके। हुआ भी बिलकुल वेसा ही गीरधनभाईने जीज्ञा की सगाई और होस्टेल वालो से कडक आवाज मे कह दिया  की अगर कोई भी लडका अब होस्टेल मे जीज्ञा को मिला है तो मे आप पर पुलिस केस कर दुंगा। जीज्ञा की जींदगी के सारे खुशी के रास्ते धीरे धीरे करके बंद हो रहे थे। जीज्ञा को अब एसा ही लग रहा था की उसका जीवन बस अब किसीके घर चलाने में ही चला जाएगा।

     गई तेरी आइटम और तु...सजंयसिह के इतना बोलते ही रुहान एक्टिवा पर से निचे उतरकर सजंयसिह को डगमगाते हुए शरीर के साथ जोर से चाटा मार देता है।

     अपने गालो पे चाटा पडते ही गुरुर मे डुबा हुआ सजंयसिह और उसके दोस्त रुहान और रवी के साथ लड पडते है। रुहान नशे मे और रवी के अकेले होने के कारण सजंयसिह और उसके साथी रुहान और रवी पर भारी पडते है और दोनो को जमकर पीटते है। रुहान और रवी को मारकर नीचे जमीन पर फेक देते हैं और रवी की एक्टिवा भी तोड देते हैं और सभी अपनी अपनी बुलट बाईक पर बेठकर चले जाते हैं।

      इस तरफ अपने कमरे मे अपने आसुओ के साथ अपनी बरबादी का इंतजार कर रही जीज्ञा की मंगनी का वक्त हो चला था और आज वही दिन था जहा से हमारी कहानी की शुरुआत हुइ थी। आज जीज्ञा की हालत वेंटीलेटर पे रखे हुए आदमी जेसी ही थी। जींदा होकर भी मरने का अहसास। सारी रश्मो रिवाज के साथ बडी सादाई के साथ जीज्ञा की सगाई कर दी जाती है और उसके होनेवाला वो जीवनसाथी जीसके बारे में जीज्ञा ठिक से कुछ भी जानती नहीं है वो उसे अपनी मंगनी वाली रींग पहना देता है और जीज्ञा को अपनी बनाने के सपने सजाने लगता है और इस तरफ बरोडा की गली मे संजयसिह और उसके दोस्तो के हाथो का मार खाकर पडे हुए रुहान के शरीर से रक्त कम आखो से दर्द के आसु ज्यादा बह रहे थे। दोनो को नहीं पता था की उनकी जींदगी कहा जाकर रुकने वाली है। दोनो की आखो मे आसु और दिल में जाने दुःखो का पहाड सा तुट पडा था।

      अब दोनो के जीवन में और हमारी कहानी मे सबसे बडा मोड आ चुका था। कहानी और दोनो की जींदगी किस तरफ आगे बढेगी यह किसी को मालुम नहीं है लेकिन इतना जरुर पता है कि पिक्चर अभी बाकी है और यह कहानी अब और भी रसप्रद होनेवाली है तो पढना ना भुले आगे के अंको को धन्यवाद।

TO BE CONTINUED NEXT PART ...

|| जय श्री कृष्ण ||

|| श्री कष्टभंजन दादा सत्य है ||

A VARUN S PATEL STORY 

FIRST HALF IS COMPLETE