Unconscious Offender - (Ultimate) in Hindi Adventure Stories by Kishanlal Sharma books and stories PDF | अचेतन अपराधी - (अंतिम)

Featured Books
  • શ્રાપિત પ્રેમ - 18

    વિભા એ એક બાળકને જન્મ આપ્યો છે અને તેનો જન્મ ઓપરેશનથી થયો છે...

  • ખજાનો - 84

    જોનીની હિંમત અને બહાદુરીની દાદ આપતા સૌ કોઈ તેને થંબ બતાવી વે...

  • લવ યુ યાર - ભાગ 69

    સાંવરીએ મનોમન નક્કી કરી લીધું કે, હું મારા મીતને એકલો નહીં પ...

  • નિતુ - પ્રકરણ 51

    નિતુ : ૫૧ (ધ ગેમ ઇજ ઓન) નિતુ અને કરુણા બીજા દિવસથી જાણે કશું...

  • હું અને મારા અહસાસ - 108

    બ્રહ્માંડના હૃદયમાંથી નફરતને નાબૂદ કરતા રહો. ચાલો પ્રેમની જ્...

Categories
Share

अचेतन अपराधी - (अंतिम)

उसके स्वभाव में बड़ा परिवर्तन आ गया था।इस प्रकार के व्यवहार से वह उचन्खरल हो गया था।और आवारा किस्म के लड़कों से उसकी दोस्ती हो गयी।शराब ही नहीं उसे वेश्यावृत्ति का भी शौक लग गया।समय के साथ वह बिगड़ ही रहा था।शायद उसका जीवन विविध प्रकार के असन्तोष और घृणा से भर गया था।
जेल से बाहर आने के दो सप्ताह बाद वह दो दोस्तों के साथ शराब पीने के लिए बैठ गया।शराब का नशा उन पर हावी हो गया तो एक दोस्त बोला,","चलो यार आज कोठे पर चलते है।"
तीनो दोस्त एक कोठे पर आ गए।
"माल है?"
"हा"कोठा मालिक बोला,"अपने अपने कमरे में जाइये।वहा हाजिर है माल"
सुदेश कमरे में पहुंच।कमरा खाली था।वह पलँग पर लेट गया।कुछ देर बाद सजी संवरी एक युवती कमरे में आई।युवती पलँग पर आकर बैठ गयी।सुदेश उठ कर बैठा तो युवती पर नजर पड़ते ही उसका नशा काफूर हो गया।आंखे फ़टी की फटी रह गयी और उसके मुंह से निकला,"तुम?"युवती के मुंह से कुछ न निकला।सुदेश उठ खड़ा हुआ और उसका हाथ पकड़कर उसे अपने साथ ले चला।कोठा मालिक यह दृश्य देखकर दौड़कर आया,"यह क्या कर रहे हो?"
"इसे अपने साथ ले जा रहा हूँ।"
"यह कही नही जाएगी।"
"चुप साले।"सुदेश ने उसके मुंह पर मुक्का जड़ दिया।वह सीढ़ियों से लुढ़कता नीचे सड़क पर आ गया।शोर मचता देखकर और भी कोठे वाले आ गए।
"छोड़ दो इसे।"
"नही।"
"तुम इसे नही ले जा सकते।"
"हट जाओ वरना एक आध मारा जाएगा
सुदेश ने उस युवती का हाथ नही छोड़ा और उस युवती का चेहरा आंसुओ से तर था।तब तक कुछ और गुंडे आ गये।वह सुदेश को मारने लगे।वह भी उनसे भीड़ गया।सड़क पर अच्छा खासा हंगामा खड़ा हो गया।किसी ने पुलिस को फोन कर दिया।फोन मिलते ही उड़न दस्ता आ गया।पुलिस ने सुदेश को पकड़ लिया,"क्या हंगामा है?"
"इस लड़की को मैं ले जाऊंगा।"
"क्यो ले जाओगे?"
"क्यो ले जाओगे?"
"ले जाऊंगा"
"साला ज्यादा पिये हुए है।"एक सिपाही बोला,"इसे थाने ले चलो।"
सुदेश ने उस लड़की का हाथ नही छोड़ा।पुलिस दोनों को थाने ले आयी।मार पिटाई में सुदेश के सिर पर भी चोट आई थी।पर उसने लड़की का हाथ नही छोड़ा और लड़की ने भी विरोध नही किया।
"बात क्या है तुम लडक़ी को छोड़ क्यो नही रहे?"
"यह मेरी बहन है।चार साल पहले,"सुदेश ने पूरी घटना बताई थी,"अब यह मुझे मिली है तो इसे ले जा रहा हूँ।"
सुदेश की बात सुनकर सब सन्नाटे में आ गए।सब युवती को देखने लगे।युवती अब भी रो रही थी।युवती सुदेश की बात का विरोध नही कर रही थी।एकाएक वह रोते हुए बोली,भैया मेरा उद्धार करके क्या करोगे।कौन अब मेरा हाथ थामेगा?मुझे यही इस गन्दगी में ही जीने दो।इस कीचड़ से निकालकर तुम क्या करोगे?"कहते कहते युवती का गला रुंध गया।
सुदेश खामोश खड़ा सोचने लगा।उसकी बात का उसके पास कोई जवाब नही था।
"तुम्हारी बहन को इस नरक में धकेलने के लिए पुलिस जिम्मेदार है।मैं उस गलती को सुधारूँगा,"एक पुलिस वाला आगे आकर बोला,"तुम्हारी बहन का हाथ मै पकडूँगा।"
युवती आश्चर्य से उसे देखने लगी।सुदेश को भी विश्वास नही हुआ।
"सच मे?"सुदेश बोला था।
"मैं यह बात इतने लोगो के सामने कह रहा हूँ।
और मंजू की शादी सब इंस्पेक्टर राजेश से हो गयी।यह आदर्श विवाह था।
सरकार ने राजेश के इस कदम पर उसे पदोन्नत करके इन्स्पेक्टर बना दिया