Achetan Apradhi - 1 in Hindi Moral Stories by Kishanlal Sharma books and stories PDF | अचेतन अपराधी - 1

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अचेतन अपराधी - 1

"देख सामने पुलिस वाला खड़ा है।तेरी लाइट भी नही है।उतरकर चल।वरना चालान कर देगा।"
अपने दोस्त की बात सुनकर सुदेश भड़क गया।उसने भद्दी सी गाली दी और आगे बढ़ता गया।पुलिस वाले को देखते ही उसका चेहरा तमतमा जाता और वह उसकी तरफ देखकर थूक देता।
पुलिस वाला ड्यूटी पर था।वह कुछ नही बोला।देख सुन सब रहा था।सुदेश ने उसकी और देखकर थूक दिया तब पुलिस वाला उखड़ गया।
"रात में बिना बत्ती के वाहन और गाली गलौज और बदतमीजी
सुदेस रुक गया।पुलिस वाला पास आया।
"लाइट क्यो नही है?
"बैटरी डाउन हो गयी।'
"तो गाड़ी क्यो चला रहे हो।?
"जरूरी काम से जा रहा हूं" सुदेश अकड़ में बोला
"लाइसेंस दिखाओ"
"घर पर भूल आया।'
पुलिस वाला चालान की किताब निकालते हुए बोला,"अपना नाम बताओ।'
"नही बताऊंगा"सुदेश पुलिस वाले के प्रश्नों का उत्तर बेहद रुखाई से दे रहा था।उसके जवाबो से पुलिस वाला भी तमतमा गया,"
बड़ा शेर खां बन रहा है।'
"तू कौन सा शेर खां है?"सुदेश भी गरज कर बोला था।
पुलिस वाले ने हाथ छोड़ दिया।पर सुदेश को इसका एहसास हो गया था।इसलिए वह तैयार था।उसने लपक कर पुलिस वाले का हाथ पकड़ लिया और पुलिस वाले को उठाकर जमीन में पटक दिया।
चौराहे पर अच्छा खासा हंगामा हो गया।सुदेश का दोस्त पहले ही नौ दो गयारह हो चुका था।पुलिस वाला कमजोर और सुदेश हट्टा कट्टा।उसने पुलिस वाले कि पिटाई लगा दी।तब तक लोग दौड़े चले आये और उन्होंने बीच बचाव करा दिया।पुलिस वाला सुदेश को छोड़ने के लिए तैयार नही था।उसने सुदेश को पकड़ रखा था और सुदेश पुलिस वाले को गाली बक रहा था।सब उसकी हिम्मत की दाद दे रहे थे।कुछ समझदार लोग सुदेश की निंदा भी कर रहे थे।वे कह रहे थे।इस तरह का व्यवहार सही नही।जब उनमें झगड़ा हो रहा था।तभी किसी ने पुलिस कंट्रोल रूम को सूचना दे दी थी।इसलिए पुलिस का उड़न दस्ता चला आया था।
सुदेश का स्कूटर जब्त कर लिया और सुदेश को अपने साथ लेकर चले गए।
जो भीड़ तमाशा देखने के लिए इकट्ठी हुई थी।धीरे धीरे वह छठ गयी।
सुदेश को पहले थाने ले जाकर उसकी मरम्मत की गई फिर उसे लोक अप में बंद कर दिया गया।सुदेश पर पुलिस की मरमत का कोई खास असर नही पड़ा।वह शायद इस तरह की मदद का आदि हो चुका था।
आखिर में यह समाचार उसके पिता तक जा पहुंचा।वह पुलिस के अफसरों के हाथ पैर जोड़ने में लग गए
वह बेटे की हरकत से दुखी थे।यह कोई पहली घटना नही थी।इससे पहले भी सुदेश चार पांच बार ऐसा कर चुका था।तब उसके पिता पुलिस को पैसे देकर अपने बेटे को छुड़ा लाये थे।
लेकिन इस बार यह मामला पुलिस कप्तान के पास तक पहुंच गया था।कप्तान ने पुलिस वाले को बुलाकर साफ शब्दों में कह दिया था।किसी तरह का समझौता करने की जरूरत नही है।
सुदेश के पिता कप्तान से मिले और काफी मिन्नते करने पर भी वह नही माने तब हाथ जोड़कर बोले,"हुजूर आप सजा दिलवा दे।पर वह छूटने पर फिर ऐसा ही करेगा।"
"तुम उसे समझाते क्यो नही?'
'क्या समझाया जाए"उसके पिता सिर नीचा करके बोले।
'पुलिस वाले पर हाथ उठाना गलत काम है।"
"एकदम गलत है साब।'
"फिर अपने बेटे को समझाते क्यो नही।उसे समझा दो