Pehchan - 15 in Hindi Fiction Stories by Preeti Pragnaya Swain books and stories PDF | पेहचान - 15 - सवालों का चक्रव्यूह....

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पेहचान - 15 - सवालों का चक्रव्यूह....

दिन पर दिन बीतते गए, पीहू अपने काम मैं इतना खो चुकी थी की उसे अपने खाने पीने का भी खयाल नहीं था, इधर अभिमन्यु भी अपने जिंदगी मैं busy था , उसे न पीहू याद थी और नहीं पीहू का खयाल था । अर्जुन भी अपने जिंदगी मैं busy था पर कंही न कंही उसके मन मैं एक अफसोस था काश उस दिन उससे वो गलती न हुई होती तो पीहू आज उसके पास होती ।

सर्दी का मौसम आ चुका था, अभी तो बस रात के 9 ही बजे थे, पर रास्ता एक दम सुन सान था चारो तरफ सन्नाटा छाया हुआ था । अभिमन्यु office से घर लौट रहा था, देर तक काम करने के वजह से उसको थोड़ी थकान भी मेहसूस होने लगी थी ,अपने आपको थोड़ा फ्रेश करने के लिए उसने driver को कहकर गाड़ी को रोड के side पे लगाया और glass खोलकर एक सिगरेट जलाने लगा........

अचनाक उसे रास्ते के दूसरी तरफ ,एक छोटी सी बच्ची अपने आपको हाथों से cover करते हुए चलती हुई दिखाई दी , अभिमन्यु अपने आपसे कहने लगा what rubbish इतनी रात को वो भी सर्दी के मौसम मे, ये छोटी सी बच्ची भला एसे कैसे घूम रही है ,पता नहीं कैसे हैं इसके घरवाले! इसको बाहर निकलने देते हैं?

तभी सड़क के किनारे लगे Street light की हल्की सी रोशनी मै, उस छोटी सी बच्ची का चेहरा दिखाई देने लगा, दूर से साफ तो नहीं दिख रहा था पर जितना भी दिखाई दिया, उसे देखेते ही अभिमन्यु के मुँह से निकला psycho! उसने अपने सर को मारते हुए खुदसे बोलने लगा...... अभिमन्यु बेटा सच मे तुम्हे एक vaccation की जरूरत है, काम मैं इतना पागल बन चुके हो की अब तुम्हे वो पागल लड़की यहाँ दिखाई दे रही है ,भला वो यहाँ क्या करेगी वो तो उस अर्जुन के पैसों से अयासी कर रही होगी.....

जैसे ही वो confirm करने के लिए फिरसे देखना चाहा, वहाँ कोई नहीं था ....... अभिमन्यु बोला अब ये कहाँ गायब होगयी भूत वुत थी क्या? छोड़ो जो भी हो मुझे उससे क्या? कहते हुए driver को गाड़ी चलाने के लिए बोला.... वो घर तो लौट आया पर उसके मन मे एक सवाल बार बार घूमने लगा की क्या वो वही पागल लड़की यानी पीहू थी या कोई और? पर उसकी सोच वही आधे रास्ते रुक गयी क्योंकि थकान के वजह से उसे नींद आ गयी थी ..

अगली सुबह अभिमन्यु उठा और अपने रोज का काम खतम कर ऑफिस चला गया , दिन भर ऑफिस का काम निपटा कर, घर लौटने लगा,जैसे ही ,वो जगह आई ,जहाँ उसने कल पीहू को देखा था उसने अपनी गाड़ी वंही रोक दिया और घडी की तरफ देखने लगा ... कल जीतने समय पर वो यहाँ था आज भी उसी समय के आस पास होगये थे तो वो इंतजार करने लगा की सायद पीहू वहाँ से गुजर जाए और वो confirm कर सके की सच मे वही थी या कोई और........... करीब एक घंटा हो चुका था पर कोई नहीं आया ,तो वो एक disappointment के साथ खुदसे बोला, सच मे- मैं एक दम पागल हूँ, भला मैं उस पागल के लिए क्यों इंतेजार कर रहा हूँ , वो है या नहीं,अगर है भी तो मुझे उससे क्या? वो उसकी life है वो जेसे जीना चाहे वैसे जिये ...
बोलते हुए गाड़ी स्टार्ट करने लगा पर तभी अंधेरे मैं कोई आते हुए दिखाई दिया तो उसने गाड़ी रोक दिया और बोला इतना इंतेजार किया है तो देख ही लेता हूँ , वो ध्यान से देखने लगा तो confirm हो गया की वो पीहू ही है.......
अभिमन्यु के मन मैं बहुत से सवाल आने लगे -की वो एसे अकेले क्यों घूम रही है? अगर वो अर्जुन को इतने करीब से जानती है तो , उसे उसके पास होना चाहिए था भला वो यहाँ क्या कर रही है ?

अभिमन्यु ने decide किया की अब वो अपने हर सवाल का जवाब पा कर रहेगा इसलिए वो गाड़ी से निकल कर पीहू जिस तरफ गयी उसके पीछे पीछे गया...... (हमेशा एक high class maintain करने के वजह से, उसे बाहर एसे चिल्लाना या किसीको तेजी से पुकारने की आदत नहीं थी) तो वो बस पीहू के पीछे पीछे चलता गया.......

करीब 5 min बाद वो एक ब्रिज के पास पहुँचने लगा, उसने अपने आपसे कहा सचमे ये लड़की पागल है क्या भला वो यहाँ ब्रिज के पास क्या करने आई है?