Revenge: A Romance Singham Series - Series 2 Chapter 1 in Hindi Fiction Stories by Poonam Sharma books and stories PDF | Revenge: A Romance Singham Series - Series 2 Chapter 1

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Revenge: A Romance Singham Series - Series 2 Chapter 1

देव सिंघम ने एक गहरी सांस भरी फिर अपनी जेब में हाथ डाल कर सिगरेट की एक डब्बी निकाली और उसमे से एक सिगरेट निकाल कर अपने होठों से लगा ली। उसे जलाने के बाद, उसके कश भरने लगा।

वोह अपने कॉटेज के बाहर खड़ा उस शांत पड़ी झील को देख रहा था। वोह "सिंघम झील" सिंघम फैमिली के कब्जे में थी जो साथ ही सिंघम, प्रजापति और सेनानी प्रांतों की सीमाओं को अलग करती थी। जंगली गुलाबों की सुगन्धित महक, जो उस क्षेत्र के चारों ओर बहुतायत में उगती थी, अब कहीं हवा में लुप्त हो गई थी, जिससे वह उदास हो गया था। पर फिर भी चिड़ियों और कीड़ों की चहचहाट के अलावा यहां बहुत ही शांति थी जो उसके दिल को बहुत ही सुकून दे रही थी।

उसका घोड़ा जिसपे उसने थोड़ी देर पहले सवारी भी की थी उसे उसने वहीं एक पेड़ से बांध रखा था और वो घोड़ा अब जंगली फूलों की झाड़ियों को चर रहा था अपनी भूख को शांत करने के लिए। वहां बिलकुल शांति पसरी हुई थी। देव जनता था वो यहां आया है बिना किसी सिक्योरिटी गार्ड्स के जो उसके भाई और दादी को अगर पता चला तो बहुत ही गुस्सा हो जायेंगे उससे। लेकिन वो थक चुका था अपने इर्द गिर्द इतने बॉडीगार्डस को देखते देखते जो उसे हमेशा प्रोटेक्ट करने के लिए रहते थे पर अब वो बीस साल को होने वाला था बचपन से हमेशा बॉडी गार्ड्स से ही घिरा रहता था अब उसे सुकून के कुछ पल चाहिए थे जो वोह खुद के साथ बिताना चाहता था। यहां उसे ऐसे आके अच्छा लग रहा था।

ऐसा नहीं था की उसे खतरे का कोई आभास नहीं था बल्कि उसे तो खुद पर पूरा यकीन था की अगर उसे कोई खतरा हुआ या किसी ने उस पर हमला किया तो वो इतना तो अब सक्षम हो गया है की वोह अकेले ही लड़ सके और अपने आप को बचा सके। ये सब सोचते हुए उसका ध्यान तब टूटा जब उसने झाड़ियों की तरफ से कुछ आवाज़ सुनी।

आहट पाते ही वो चौकना हो गया। उसने अपने मुंह ए सिगरेट निकाल कर नीचे फेक दी और अपने जूते से उसे मसल दिया और फिर उस तरफ देखने लगा जहां से उसने आवाज़ सुनी थी। उसने अपने कदम उस झाड़ियों की तरफ बढ़ा दिए जहां से उसने आवाज़ सुनी थी क्योंकि अब तक वहां से धीरे धीरे कुछ हलचल होने लगी थी। उसने अपने दो या तीन कदम ही बढ़ाए थे की सामने का नज़ारा देख कर उसकी आंखे हैरानी से फैल गई।

एक दुबली पतली सी लड़की तेज़ कदमों से झाड़ियों से निकल कर उसकी ओर ही आ रही थी। उसको देखते ही उसे खतरे का आभास हुआ और उसने अपने एक हाथ को अपनी जींस की जेब में डाल लिया और उसमे रखी गन को कस कर पकड़ लिया। देव अपनी गन को जेब में से निकालने ही वाला था की उसकी नज़र सहसा ही उस निहत्था लड़की पर गई तो उसने अपने हाथों को रोक दिया।

जैसे ही वो लड़की नज़दीक आई देव ने देखा की वोह लड़की कम उम्र की जवान और बेहद खूबसूरत लड़की है। "ये तोह लगभग मेरे उम्र की होगी" उसने अंदाजा लगाते हुए मन में कहा।

“है! हैलो!“ देव ने मुस्कुराते हुए कहा।

जब लड़की ने कोई जवाब नही दिया तोह वोह उसे ध्यान से देखने लगा। उसे वोह लड़की कुछ परेशान और घबराई हुई सी लगी। उसके दिल में एक खलबली मच गई एक अकेली लड़की को इस तरह उसके कॉटेज में देख कर जहां उन दोनो के अलावा और कोई नही था।

अगले ही पल उसने अपना सर झटका क्योंकि उसे अपने यहां सिंघम प्रांत के किसी स्थानीय लड़की के साथ रोमांटिक अंदाज़ में नही जोड़ना चाहिए था। उसे तुरंत ही याद आया की उसके भाई अभय सिंघम ने उसे चेतावनी दी थी हाल ही में, जब उसने लंदन में लड़कियों से फ्लर्ट करना शुरू किया था। लेकिन तब तक देव ने कभी भी अपने क्षेत्र की किसी भी लोकल लड़की को उस नज़र से नहीं देखा था जैसा वोह लंदन में लड़कियों के साथ रहता था। लेकिन अब सामने इतनी सुंदर प्यारी सी लड़की देख कर वोह बहकने लगा था। जिसका गोरा बदन उसे अपनी ओर आकर्षित कर रहा था। ऐसा नहीं था वो एक लॉन्ग टर्म रिलेशनशिप में बंधना चाहता था। वोह तोह बस फ्लर्ट करना चाहता था और कुछ मज़े के पल बिताना चाहता था।

"एक बार वापिस जाने से पहले इस लड़की को किस करके रहूंगा" देव ने उस एक पल में मन ही मन बहुत कुछ सोच लिया था। वोह उसकी सुंदर बड़ी बड़ी आंखों में गहराई से देख रहा था। उसकी सुंदर गहरी भूरी आंखों से अपनी नज़रे हटाना देव के लिए बहुत मुश्किल हो गया था।

“हे! क्या तुम खो गई हो?“ उसने फिर मुस्कुराते हुए पूछा। इस बार वो उसके बोलने का इंतजार करने लगा।

कितनी बार उसने लंदन में अपनी कई गर्लफ्रेंड्स के मुंह से सुना है की उसकी मुस्कुराहट जानलेवा है मतलब कोई देखे तो खो ही जाए। वोह खुद भी यह बात मानता था क्यों की पास्ट में कई बार उसके लिए ये फायदेमंद रहा है। लेकिन ये पहली बार था जो उसकी मुस्कुराहट उस लड़की को पिघला नही पाई थी।

"प्लीज हेल्प मी!" उस लड़की ने गिड़गिड़ा ते हुए कहा।

"तुम जैसी सुंदर लड़की के लिए, कुछ भी! क्या मदद चाहिए तुम्हे मुझसे।" देव को उस लड़की की आंखों में डर साफ नज़र आ रहा था।

"हमें छुपने के लिए जगह चाहिए कुछ लोग हमारे पीछे पड़े हैं।"

देव का दिमाग ठनका उसने गौर किया जो उसने सुना। उसने उस लड़की के चेहरे से अपनी नज़र हटा ली और हल्का सा अपना चेहरा घुमा कर इधर उधर देखने लगा। "हम! कौन हम?“ उसने आश्चर्य से पूछा।


"मेरा....ब्वॉयफ्रेंड और मैं। हमे छुपने के लिए जगह चाहिए अभी के अभी। प्लीज, हमारी मदद कीजिए।" उस लड़की की आंखों में आंसू छलक आए थे।

"शिट, इसका पहले से ही ब्वॉयफ्रेंड है।" मन में सोचते हुए देव तुरंत उदास हो गया था। लेकिन फिर अपनी फीलिंग्स को एक साइड करके उसने एक अच्छा इंसान बनते हुए उसकी मदद करने का मन बना लिया।
"तुम और तुम्हारा ब्वॉयफ्रेंड यहां छुप सकते हो।" अपने उस छोटे से कॉटेज की तरफ उंगली से इशारा करते हुए देव ने कहा। "एक छोटा सा तैखाना है अंदर बैड के नीचे।" उसने आगे कहा।

"आपका बहुत बहुत शुक्रिया!" उस लड़की ने आभार व्यक्त करते हुए कहा और फिर जिस झाड़ी की तरफ से आई थी उसी ओर पलट गई।
"राघव......जल्दी आओ!" उसने तेज़ आवाज़ में पुकारा।

एक घबराया हुआ सा उसी की लगभग उम्र का लड़का झाड़ियों के पीछे से निकल कर उस लड़की के सामने आ कर खड़ा हो गया।

देव ने उसकी तरफ देखा फिर दोनो को अपने पीछे आने को कहा।

वोह उन दोनो को उस छोटे से कॉटेज में ले गया जो उसका यानी सिंघम्स का था इसके साथ ही वहां कई और भी छोटे छोटे कॉटेज सिंघमस के थे जो 'सिंघम झील' के इर्द गिर्द और उनके प्रांत में फैले हुए थे।

अंदर पहुंचते ही उसने बैड रूम में बैड को एक तरफ खिसकाया उसके नीचे एक खुफिया दरवाज़ा दिखा। उसने दरवाज़ा खोला और उस लड़के यानी राघव को अंदर जाने को कहा। लेकिन उस लड़की ने आगे आ कर उस खुफिया रास्ते से पहले जाने लगी जब उसे आगे कोई खतरा महसूस नही हुआ तब जा कर उसने राघव को इशारा किया अंदर आने का।

दरवाज़ा बंद करने से पहले उसने देव की ओर देखा फिर प्यार से उसको "शुक्रिया" कहा। देव कुछ पल तक उस बंद दरवाज़ा को देखता रहा।

"क्या बेकार आदमी था ये! ये खूबसूरत लड़की इससे कहीं गुना ज्यादा बेहतर डिजर्व करती है यह लड़का तोह खुद उसके पीछे छुप कर उसका सहारा ले रहा है जबकि उसे इसकी रक्षा करनी चाहिए थी।" अपने मन में सोचते हुए उसने बैड को अपनी जगह पर वापिस खिसका दिया और ये सुनिश्चित करने के बाद की वोह खुफिया दरवाज़ा बिलकुल भी नहीं दिखाई दे रहा है, वो कॉटेज से बाहर आ गया।

उसने बाहर आके फिर से एक सिगरेट जला ली और इत्मीनान से पीने लगा।

कुछ ही वक्त गुजारा था की देव के कानों में शोर सुनाई पड़ा। "ये हल्ला गुल्ला कैसा?" देव के मुंह से निकला।

एक पेड़ के पीछे से कुछ आदमी आते हुए दिखे। फिर से उसके हाथ अपनी गन पर चले गए की शायद इसकी अब जरूरत पड़ सकती है। सब के पास हथियार थे लेकिन किसी ने उसे हाथ में नही ले रखा था, जैसे ही वो लोग आगे आए उनके चेहरे पर परेशानी साफ झलक रही थी।

"क्या तुमने किसी लड़की को यहां देखा है तकरीबन अठारह वर्ष की है, एक लड़के के साथ भागी है?" उनमें से एक आदमी ने देव से पूछा।

"नही।" एक छोटा सा जवाब देव ने दिया था। लेकिन यह सुन कर उस आदमी के चेहरे पर घबराहट और बढ़ गई थी।

देव को पूरा यकीन नहीं था की ये लोग प्रजापति या सेनानी में से कोई है या कोई और ही।

उन लोगों में से भी किसी ने नहीं पूछा था की देव कौन है। सभी लोग इधर उधर ढूंढने में व्यस्त थे की वोह दोनो लड़का और लड़की कहां गए।

"हमे कॉटेज के अंदर तलाशी लेनी होगी। यह बहुत जरूरी है, हमे उन्हे जल्द से जल्द ढूंढना ही होगा।" उन में से एक आदमी बोला।

"आपका स्वागत है।" देव ने हाथों के इशारे से कहा।

वोह सभी निराश से दस मिनट बाद वापिस आ गए कॉटेज की अच्छी तरह से तलाशी लेने के बाद। वोह सभी अब जाने लगे।

तभी देव ने यूहीं पूछ लिया की, "तुम लोग क्यों ढूंढ रहे हो उन दोनो को?" जबकि उस लड़की का ब्वॉयफ्रेंड था फिर भी देव उसकी तरफ मोहित हुए जा रहा था। वोह जानना चाहता था की आखिर वोह लड़की है कौन।

"उस लड़की का नाम सबिता प्रजापति है," एक आदमी ने घबराते हुए कहा। "हर्षवर्धन प्रजापति की बेटी और प्रजापति के जायदाद की उतराधिकारी। नीलाअम्मा ने हमे उसे ढूंढने को भेजा है।”

यह सुनते ही देव के हाथ हवा में ही रुक गए जो उसने सिगरेट मुंह से लगाने के लिए उठाए थे। वोह एकदम जड़ सा गया था। हर्षवर्धन प्रजापति, वोह आदमी जिसने मेरी मां अरुंधती सिंघम को बेरहमी से मार डाला था और मंदिर में हुई इस हत्याकांड में उसके पिता, भाई और कई बेकसूरों की जान चली गई थी। वोह लड़की उस कमीने हत्यारे की बेटी है। देव की आंखों के सामने वो दृश्य घूम गया जब उसके परिवार को मार दिया गया था फिर चिता जलाई गई थी, उसे जलती हुई राख की गंध आने लगी थी। तुरंत ही उसकी आंखे नफरत और गुस्से से जल उठी, अपने मां, पिता और छोटे भाई को खोने का दर्द उसकी आंखों में उतर आया। सिर्फ और सिर्फ प्रजापति परिवार की वजह से, खास तौर पर वो हर्षवर्धन प्रजापति।

एक पल रुकने के बाद देव ने गंभीर रूप से पूछा "क्या तुम लोगों ने बैड के नीचे देखा?" "एक छोटा सा खुफिया कमरा है, बैड के नीचे।"

उन सभी की आंखे यह सुन कर चमक उठी और तुरंत अंदर की ओर सभी भागे। अभी मुश्किल से दस मिनट भी नहीं बीता था की अंदर कॉटेज से चीखने चिल्लाने की आवाज़ें आने लगी। "हमे जाने दो! छोड़ दो हमे!“ देव उस लड़की की चिल्लाने की आवाज़ साफ सुन पा रहा था, जब दो आदमी उसे घसीटते हुए बाहर लाए।

वोह ज़ोर ज़ोर से रो रही थी और छूटने की कोशिश कर रही थी। उसी वक्त उसके साथ आया वो लड़का राघव चुप चाप डरा हुआ सहमा हुआ सा एक आदमी के साथ बाहर आया बिना किसी रोना धोना और स्ट्रगल के।

एक आदमी देव के सामने आ कर कहा, "आपका बहुत धन्यवाद इन दोनो के बारे में बताने के लिए। हम इस जगह पर नए हैं लेकिन हमने सुना है की अगर हम इन दोनो को नही ढूंढ पाते तोह हम सबको ही मरवा दिया जाता।”

वोह लड़की एक दम से रुक गई उसने स्ट्रगल करना भी छोड़ दिया अब वो हैरानी से देव की तरफ देखने लगी।

देव भी एक टक उसी के हैरान परेशान चेहरे को देख रहा था।

"यह तोह मेरा सौभाग्य है की में आपकी मदद करने के काम आया।" देव ने गंभीरता से कहा।

"चलो अब यहां से! गाड़ी आ गई है," एक आदमी ने कहा।

देव ने देखा एक जीप उसके कॉटेज के ठीक सामने आ कर रुकी। उसमे से एक आदमी कूदा और भागते हुए अपने आदमियों के पास आया।

"तुम लोग क्या कर रहे हो, यहां सिंघम की ज़मीन पर? निकलो सब यहां से इससे पहले सब मारे जाओ!" उस आदमी ने गुस्से से तेज़ आवाज़ में चिल्लाते हुए कहा।

"सिंघम?" उस लड़की को पकड़े हुए आदमी ने आश्चर्य से पूछा। उसने पलट कर देव की तरफ तनावग्रस्त नज़रों से देखा। "तुम्हारा नाम क्या है?" उसने पूछा।

"देव सिंघम।"

सभी ये नाम सुन कर और परेशान हो गए।

देव जनता था की वोह बहुत बड़ा खतरा मोल ले रहा है क्योंकि वो यहां अकेला है और उसके सामने प्रजापति पांच।

“धत! तेरे की! ये तो सिंघम परिवार में से एक है। हम इसे कोई नुकसान नहीं पहुंचा सकते वरना नीलांबरी मैडम हमे जिंदा नहीं छोड़ेंगी।”
(नीलाअम्मा और नीलांबरी मैडम दोनो एक ही इंसान है)

वोह लोग कुछ देर तक देव को घूरते रहें फिर अपना सर झटक कर जीप की तरफ बढ़ गए।
उस लड़की को जीप पर जबरदस्ती बिठाने से पहले उस लड़की ने देव की तरफ एक बार पलट कर देखा।
जैसे ही दोनो की नज़रे मिली, जहां सबिता की आखों में नफरत थी वहीं देव की आंखों में अजीब सी शांति।

अभी थोड़ी देर पहले क्या क्या हुआ ये सब उसके दिमाग घूमने लगा उसे एक अजीब सा आभास होने लगा। उसका दिमाग उसे चिल्ला चिल्ला कर आगाह कर रहा था अब सब कुछ बदल जायेगा। आज से और अभी से देव की जिंदगी में एक बहुत बड़ा बदलाव आने वाला है जो उसकी जिंदगी पूरी तरह से उलट कर रख देगा।
क्या उसने सबिता के साथ गलत किया था?

ये सब ख्याल उसने अपने दिमाग से बहुत मुश्किल के बाद झटक दिए। और फिर गौर से सबिता प्रजापति की तरफ और उसकी हरकतों की तरफ देखने लगा। वोह लगातार सबिता प्रजापति की ओर ही देख रहा था। उसने अपनी जेब से सिगरेट निकाली और उसे जला के वहीं उसके कश भर कर धुआं हवा में उड़ाने लगा। उसकी नज़रे अभी भी जाती हुई सबिता प्रजापति पर ही थी।















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सीरीज 2 अभी जारी है...
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