अवनी कागज को हाथ में लिए सोच ही रही थी कि उसके पास किसी का कॉल आता है वह कॉल उठा कर वहां से चली जाती है यहां विवान यश के पास आता है
विवान - कल कहां गया था तू....
यश - कहां गया था....? कहीं नहीं गया था मैं तो यही था,,
विवान थोड़े गुस्से में- झूठ बोल रहा हैं ना मुझे सब पता है।
यश विवान को समझाते हुए- नहीं यार,,, उसकी तबीयत खराब थी इसलिए उसे छोड़ने गया था।
विवान - चल छोड़...ऑफिस जाना है तैयार हो जा..
थोड़ी देर में दोनों तैयार होकर ऑफिस के लिए निकल जाते हैं । अग्रवाल मेनशन और बजाज हाउस में शादी की तैयारियां चल रही थी दो दिन बाद काव्या और करण की हल्दी का फंक्शन था।
दो दिन बाद-
अवनी अपने ऑफिस के केबिन में बैठी अपना काम कर रही थी उसके पास काव्या का कॉल आता है
काव्या, अवनी से- अवनी आज हल्दी फंक्शन है तुम जल्दी आ रही हो ना.....
अवनी- सॉरी काव्या, मैं नहीं आ सकती मैं अभी ऑफिस में हूं मैं आऊंगी तब तक फंक्शन खत्म भी हो जाएगा.... तुम्हें पता है ना नई नई जॉब है कुछ भी प्रॉब्लम हुई तो.......
काव्या - हां हां ठीक है लेकिन शाम को करण की फैमिली यहां आ रही है डिनर पर, उन्हें आगे के फंक्शन के लिए बात करनी थी इसलिए सब यही आ रहे हैं, डिनर पर तो आ रही है ना तु....
अवनी कुछ सोचकर- ओके, पक्का मैं आ जाऊंगी....
अवनी फोन रख कर ऑफिस से निकल जाती है थोड़ी देर में वह अग्रवाल आश्रम में पहुंचती है जहां वो पहले आईं थीं ।
अवनी महेश जी और सुरेखा जी को देखकर उनके पास जाती है और उनका पैर छूकर आशीर्वाद लेती है दोनों अवनी को देखकर बहुत खुश होते हैं।
अवनी- कैसे हो आप......
महेश जी- जैसा आपने छोड़ा था बेटा, हम ठीक है और अब तो रोज आपसे बात होती रहती है।
सुरेखा जी - आज यहां कैसे आना हुआ बेटा, आपने फोन पर बताया नहीं कुछ काम था क्या....?
अवनी अपने हाथ में पकड़े हुई बेग की ओर इशारा करते- आपको कुछ देना था इसलिए यही आ गई...
महेश जी, हैरानी से- इनमें क्या है बेटा...?
अवनी अपने बैग से कपड़े निकालर उन दोनों के हाथों में थमाते हुए- अपनी बेटी की कमाई से खरीदे गए कपड़े नहीं पहनोगे....
अवनी की बात सुनकर दोनों बहुत खुश होते हैं अवनी कुछ देर उनके पास रुककर आश्रम के बच्चों के पास जाती है
अवनी सभी बच्चों को अपने पास बुलाती है।
अवनी, बच्चों से- देखो मैं तुम्हारे लिए क्या लेकर आई हूं,,,,,,
अवनी चॉकलेट्स और खिलौने निकालकर बच्चों को देती है सारे बच्चे अवनी के चारों तरफ घेरा बना लेते हैं।
अवनी सारे बच्चों को देखकर - तुम्हारे कुछ दोस्त कही गए हुए हैं क्या....... पिछली बार तो मैने उन्हे देखा था।
उनमें से एक बच्चा अवनी के पास आकर- दीदी वह बाहर गए हैं पढ़ने के लिए अब कभी वापस नहीं आएंगे।
अवनी उसकी बाद सुनकर बहुत परेशान हो जाती है वह आश्रम से बाहर निकलकर कॉल लगाती है
अवनी- रवि अनाथाश्रम से छह सात बच्चे बाहर गए हैं तुम पता लगाओ वह कहां है और जल्दी मुझे बताना ओके।
रवि- ओके मेम,,, डोंट वरी मै अभी पता लगाता हूं।
अवनी फोन रखकर काव्या के घर कि ओर निकल जाती हैं।
अवनी, मन ही मन- मुझे आज कृष्णमूर्ति अग्रवाल से बात करनी होंगी वरना बहुत देर हो जायेगी....
यहां बजाज हाउस में अनुराग बजाज, स्वाति, काविन, काव्या, और उनके कुछ रिश्तेदार बैठे थे। अग्रवाल फैमिली भी यहां आ जाती हैं। सुधा जी, कृष्णमूर्ति, राजेश, राजवीर, रश्मि, शालिनी, कविता, करण कुणाल विवान यश श्रेया और रिया सब आते है
अनुराग, और उसका परिवार सबको अंदर लाते हैं ,सब कुछ देर बाते करते हैं फिर एक साथ डिनर के लिए बैठ जाते है,सब बैठे ही थे कि अवनी भी वहा आ जाती हैं , अवनी काव्या के पास आकर बैठ जाती हैं
काव्या, अवनी से- आ गई तुम.... तुम्हें कभी फुर्सत भी मिलती है या नहीं....
अवनी, मासूम सा चेहरा बनाते हुए - सॉरी काव्या..... और अब आगे से तुम्हारे हर फंक्शन में यही रहूंगी,,,,,
विवान, यश अवनी के सामने ही बैठे थे विवान, अवनी की तरफ़ देखकर- वैसे ये करती क्या है......?
कुणाल,जो उनके पास ही बैठा था बिच में ही- आप ही पूछ लीजिए भाई,आपको सिधा जवाब देगी... कुणाल की बात सुनकर यश और करण हसने लगते है विवान, कुणाल को आंखें दिखाते हुए- तुम्हें नहीं लगता तू कुछ ज्यादा ही बोल रहा है। कुणाल बिना कुछ बोले, गर्दन झुका लेता है। अनुराग उनकी तरफ़ देखकर- क्या हुआ कुणाल....?
कुणाल, विवान से नजरे चुराकर बाकी सब की तरफ देखकर ना में सिर हिलाता है। कुछ देर में सब हॉल में बैठे, कल के फंक्शन के बारे में बाते कर रहे थे, अवनी कृष्णमूर्ति के पास आकर- अंकल, इफ यू डोंट माइंड... आपसे एक बात पूछनी थी
विवान खड़ा होकर ज़ोर से- रहने दो मिस अवनी कुछ पूछोगी, उल्टा ही पूछोगी इससे अच्छा मै पहले ही बार चला जाता हूं। विवान वहां से जानें लगता है , पिछे से अवनी उसे रोकते हुए-रुकिए मिस्टर विवान......आप रहने दीजिए मैं खुद यहां से चली जाती हूं यह आपकी फैमिली है आप इनके साथ रहिए।
सब अवनी और विवान को हैरानी से देख रहे थे दोनों के चेहरे पर गुस्सा साफ नजर आ रहा था।
कृष्णमूर्ति विवान से,- तुम इतना गुस्सा क्यों हो रहे हो इसे बोलने तो दो मत भूलो कि यह काव्या की दोस्त है और हम उनके घर में खड़े हैं। विवान बिना कुछ बोले वापस जाकर बैठ जाता है
कृष्णमूर्ति अवनी से - सॉरी बेटा, हां तुम कुछ बोल रही थी.....
अवनी,थोड़ी देर रुककर- अंकल मुझे पता है यह जगह और टाइम दोनों सही नहीं है पूछने के लिए लेकिन मुझे आपसे कुछ जानना था।
कृष्णमूर्ति- तुम बेझिझक होकर पूछो बेटा....
अवनी-अंकल मुझे आपसे आपके आश्रम के बारे में पूछना था क्या आप कभी वहां गए हैं और आश्रम की जिम्मेदारी किसकी है......
कृष्णमूर्ति- नहीं बेटा मैं वहां नहीं जा पाता हूं और आश्रम की पूरी जिम्मेदारी गिरिराज भाई साहब और अभिषेक संभालते हैं ।
कृष्णमूर्ति की बात सुनकर अवनी चौक जाती है उसका शक अब हकीकत में बदल गया था,,,,,,,
अवनी-क्या आपको पता है वहां क्या होता है....?
सभी हैरानी से अवनी को देख रहे थे किसी को समझ में नहीं आ रहा था कि वह ऐसा क्यों पूछ रही है ।
राजेश अवनी की तरफ देखकर-क्या होता है बेटा, और तुम उसके बारे में क्यों पूछ रही हो......
अवनी- वो अंकल जब मैं भोपाल आई थी तो एक आंटी के साथ वहां गई थी और एक रात वहीं रही थी जब कल मैं वहां गई तो कुछ बच्चे वहा नहीं थे,वो बोल रहे थे कि बच्चो को पढने के लिए बाहर भेजा जाता हैं।
यह बात सुनकर कृष्णमूर्ति के चेहरे पर कोई हैरानी नहीं थी वह अवनी को समझाते हुए- हां बेटा मुझे पता है अभिषेक ने बोला था मुझसे....
अवनी- सॉरी अंकल मैंने तो ऐसे ही पूछ लिया आपका आश्रम बहुत अच्छा हैं अनाथ बच्चों की शिक्षा पर भी इतना ध्यान देते हैं। लेकिन अंकल आपसे कुछ और भी जानना था,,,,,, अवनी विवान की तरफ़ देखती हैं जो उसे ही घुर रहा था।
कृष्णमूर्ति- पूछो बेटा.....
अवनी थोडा हिचकिचाते हुए- नित्या और उसकी फ्रेंड्स के बारे में जानते हैं आप.........
नित्या का नाम सुनकर वहा शान्ति फैल गई थी सब एक दूसरे को दखने लगते है सबकी नजरें विवान पर थीं जिसका चेहरा गुस्से से लाल हो चुका था। काव्या, अवनी के पास आकर धिरे से- अवनी, क्या पूछ रही हो तुम...... तुम्हे इन सब से क्या करना है तुम चलो मेरे साथ.... काव्या अवनी का हाथ पकड़कर उसे ऊपर ले जाने लगती है लेकिन विवान उसे रोक देता है ,
विवान अवनी के पास आकर उसकी बाजुओं को गुस्से से पकड़ते हुए- क्या जानती हो तुम नित्या के बारे में.....
अवनी, विवान से अपने हाथ छुड़ाने कि कोशिश करते हुए- रुकिए विवान...... हाथ छोड़िए मेरा... मै बताती हूं मेरी बात तो सुनिए.... विवान, अवनी के हाथ छोड़ देता है
अवनी- सॉरी अंकल मेरा इरादा किसी को हर्ट करने का नहीं थी अभी जब में आश्रम से आ रही थी तो उन आंटी ने मुझे नित्या के बारे में आपसे पूछने को बोला था,वो बस नॉर्मली जानना चाहती थी,वो बहुत परेशान थी इसलिए पूछ लिया मै नित्या को नहीं जानती....... अवनी उदासी से सबकी तरफ़ देखती हैं
शालिनी और करण विवान के पास आकर उसे शांत करते है।
शालिनी, अवनी से- इट्स ओके बेटा। इसमें आपकी कोई ग़लती नही है
अवनी, काव्या के पास आकर- सॉरी काव्या..... मुझे नहीं मालूम था कि मेरी छोटी सी बात किसी को हर्ट कर सकतीं है। यदि किसी को मुझसे प्रॉब्लम है तो कल से मै किसी भी फंक्शन मै नहीं आऊंगी.....
अवनी अपनी बात रखकर वहा से निकल जाती हैं
काव्या उसे रोकते हुए- अवनी..... अवि प्लीज रुको, कोई ग़लती नही है तुम्हारी......
अवनी नहीं रुकती वह वहा से चली जाती हैं
काव्या, अनुराग के पास आकर- पापा उसकी तबियत भी खराब है उसे कुछ हो गया तो........
विवान, अपने कंधे से करण का हाथ हटाकर गुस्से में वहा से चला जाता है।
शालिनी, काव्या के पास आकर- अवनी समझदार है, वो कहीं नहीं जायेगी....
काव्या भी उनकी बात सुनकर हा में सिर हिलाती है
कृष्णमूर्ति - पता नही विवान को ये बात कब समझ आएगी दिन भर दिन उसका गुस्सा बड़ता ही जाता हैं।
यश और कुणाल विवान के पिछे जाते है बाकि सब भी घर चले जाते है।
अग्रवाल मेनशन
सुधा जी- विवान पता नही कब समझेगा......
शालिनी- हा मा.... विवान इतने दिनों घर से बाहर रहा लेकिन फिर भी उस बात को नही भुला..... ओर आज फिर....
कविता- लेकिन दीदी उस लड़की कि क्या ग़लती थी उसे थोड़ी मालूम था.... विवान को ऐसे बिहेव नहीं करना चाहिए था।
करण- डोंट वरी चाची अवनी बूरा नहीं मानेगी, काव्या उसे समझा देगी...।
सुधा जी- अरे कल मेहंदी का फंक्शन भी है सुबह सबको तैयारी भी करनी है, सो जाओ, विवान आ जाएगा, बच्चा नहीं है वो
यहां काव्या अवनी को कॉल लगाती हैं लेकिन अवनी कॉल अटेंड नहीं करतीं,फिर काव्या रामू काका को कॉल लगाती हैं लेकिन अवनी यहां भी नहीं थी
काव्या बहुत परेशान है जाती हैं वह अपनी कार की चाभी लेकर बाहर आती हैं , उसके पास अवनी का कॉल आता है
अवनी- काव्या, मै घर आ गई हूं टेंशन मत करना, मॉर्निंग में तेरे पास आ जाऊंगी..
काव्या, ख़ुश होकर- पक्का,तू आएगी ना कल।
अवनी- तुम्हें क्या लगा मै उस लंगूर के डर से तेरे फंक्शन स्पॉयल करूंगी, पक्का आ रही हूं
काव्या, हेरानी से- लंगूर.......
अवनी- कुछ नहीं,,,,,तू एंजॉय कर कल तेरी मेहंदी हैं ना...
अवनी फ़ोन रख देती हैं काव्या भी वापस अन्दर चली जाती हैं
काव्या का फोन रखते ही अवनी के पास रवि का कॉल आता है
रवि- मेम बच्चो का पता चल गया है, उन्हे एक गोदाम में रखा गया है, यहां चार आदमी खड़े है कुछ देर में उन्हे यहां से ले जाने कि बात कर रहे हैं।
अवनी- ओके, तुम वही रुकना, मै अभी आती हूं।
अवनी फ़ोन काटकर वापस किसी के पास कॉल करती है
अवनी- जय हिंद सर..
सामने से- जय हिंद,,, क्या हुआ कुछ पता चला...
अवनी- हा सर, मैने सबके सामने उनसे पूछा, मुझे नहीं लगता कृष्णमूर्ति या उनके परिवार को इस बारे मैं कुछ मालूम है
सामने से- अभी तुम्हे उन बच्चो को बचाना है ध्यान रहे ये काम तुम्हे सावधानी से करना है।
अवनी- आई नॉ सर.... अब मुझे निकलना चाहिए....
अवनी फ़ोन काटकर, रवि के बताए एड्रेस की ओर निकल जाती हैं
यहां यश और कुणाल, विवान के पास आते है जो एक गार्डन में अकेला बैठा था
यश, विवान के कंधे पर हाथ रखकर- विवान तुम्हे अवनी से इस तरह बिहेव नहीं करना चाहिए था।
कुणाल- भाई आप आज भी पुरानी बातों को लेकर बैठे हैं प्लीज भाई अब उन बातों को छोड़कर लाईफ मे मूव ऑन कीजिए....
विवान गुस्से से यश का हाथ हटाते हुए- तो तुम मुझे यहां मेरी गलती बताने आए हो..... तुम उस लड़की की तरफदारी कर रहें हों जिसने आज तक केवल मेरी इंसल्ट की है....
कुणाल- भाई ऐसा आपको लगता है उसने कभी आपकी इंसल्ट नहीं की..... और आज भी उसकी कोई गलती नहीं थी उसे नहीं पता था कि नित्या.....
कुणाल आगे कुछ बोलता इससे पहले ही यश उसे चुप रहने का इशारा करता है
विवान खड़ा होकर उन दोनों के सामने आकर- बहुत हुआ तुम दोनों का अब यहां से चले जाओ वरना....
यश, उसके ओर पास आकर- वरना क्या.... क्या करेगा...
विवान में कितने सालों से तेरे साथ हूं मुझे पता है तुम अभी भी उस बात को भूले नहीं हो कब तक विवान..... और वह इतनी बड़ी बात भी नहीं थी जिसे तुम भूल नहीं सको,, चलो अब घर पर सब तुम्हारा वेट कर रहे हैं और अपने गुस्से पर थोड़ा कंट्रोल रखा करो।
कुणाल- भाई, करण भाई की शादी है आपके कारण उनके फंक्शन्स तो खराब मत करो......
विवान- कैंट्रोल ही तो रख रहा हूं इतने दिनो से वरना उस अवनी मिश्रा को मै पहले दिन ही बता देता कि मै कौन हूं....
यश, उसे पकड़कर बैठाते हुए- तू थोड़ी देर यहीं बैठ,हम घूम के आते हैं जब तेरा गुस्सा शांत हो जाएं तब बोल देना।
दोनों वहा से चले जाते है, विवान बिना कुछ बोले केवल उन्हे घूरता रहता है।
अवनी उस जगह पहुंचती हैं जो रवि ने बताई थीं वहा पहले से दो लड़के खड़े थे जिन्होने अपना चेहरा नकाब से डख रखा था अवनी उनके पास आकर अपने चेहरे पर नकाब बांधकर- अंदर कितने लोग है..?
रवि- चार...
राहुल (दूसरा लड़का जो रवि के साथ आया था)- मेम किसी ने हमे देख लिया तो...
अवनी- डोंट वरी राहुल, तुम दोनों अन्दर जाने की कोशिश करो मै पिछे से आती हूं.....
तीनो अलग अलग रास्तो से अन्दर जाते हैं अन्दर 6-7 बच्चे एक कोने में डरे हुए बैठे थे और उनके पास चार आदमी एक ही जगह बेफिक्र होकर बैठे थे,मौका मिलते ही अवनी, राहुल और रवि तीनो एक साथ उनके पिछे खडे हो जाते हैं ये सब इतनी जल्दी हुआ की वो चारो आदमी अपनी गन भी नहीं निकाल पाए इसी का फायदा उठाकर राहुल ने उनसे गन छीन ली, अवनी और रवि ने चारो को नीचे घुटनों के बल वही बैठाकर रस्सी से बांध दिया। अवनी ने सारे बच्चो को गोदाम से बाहर निकालकर उन्हे रवि के साथ वापस आश्रम भेज दिया, और उन लोगों के पास आकर गुस्से में- तुम्हारा बोस कौन हैं..?
अवनि के बार बार पूछने पर भी किसी ने जवाब नहीं दिया,,,
अवनी फ़ोन लगाकर- सर चार लोग हमारे हाथ लग गए है आप गाड़ी भेज दो ये कुछ नहीं बताएंगे...
इतना कहकर अवनी फोन रख देती हैं कुछ देर में बाहर दो तीन लोग गाड़ी लेकर आते है राहुल उनके साथ मिलकर उन लोगो के हाथ पाव खोल देता है गाड़ी में बिठाते वक्त उनमें से एक आदमी छुड़ाकर भागने की कोशिश करता है, अवनी उसे पकड़ने के लिऐ उसका पीछा करती है, वो भागते भागते पत्थर से टकराकर वही गिर जाता है, अवनी भागते हुए उसके पास आती हैं और उसकी कॉलर पकड़कर उसे गाड़ी की तरफ़ ले जाने लगती है, उस आदमी के हाथ में छोटा पत्थर होता है वो पत्थर से अवनी के सिर पर मारता है लेकिन अवनी उसे नही छोड़ती, राहुल अवनी के पास आकर उस आदमी को गाड़ी में ले जाता है, अवनी के सिर से थोडा खून बहने लगता है।
राहुल अवनी के पास आकर - मेम आप ठीक है ना... आपको हॉस्पिटल लेकर जाना होगा....
अवनी,अपने सिर पर लगे ज़ख्म पर हाथ फेरते हुए मुस्कराकर- नहीं,तुम इन्हें लेकर जाओ, डोंट वरी मै चली जाउंगी।
राहुल उन्हे लेकर सबके साथ चला जाता है, अवनी भी वहा से अपनी बाईक लेकर निकल जाती हैं।
Continue......